कृष्ण ने सुदामा को बिना कुछ बताए सब कुछ क्यों दे दिया? - krshn ne sudaama ko bina kuchh batae sab kuchh kyon de diya?

नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहाँ कंचन के अब धाम सुहावत।
कै पग में पनही न हती, कहाँ लै गजराजहु ठाढ़े महावत।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहाँ कोमल सज पै नींद न आवत।।
कै जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।। 
कृष्ण ने सुदामा को सब कुछ बिना बताए क्यों दिया?

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  • क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे।
  • किसी के सामने अपने महल में न देना चाहते थे।
  • सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे।
  • सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे।


A.

क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे।

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सुदामा अंदर ही अंदर कृष्ण से नाराज क्यों थे?

  • उन्होंने सुदामा का ढंग से स्वागत न किया।
  • वे अपने ऐशोआराम से सुदामा को चिढ़ाना चाहते थे।
  • उन्होंने सुदामा की कोई सहायता नहीं की थी।
  • उन्होंने सुदामा की कोई सहायता नहीं की थी।


C.

उन्होंने सुदामा की कोई सहायता नहीं की थी।

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कृष्ण के द्वारपालों ने सुदामा को अंदर क्यों न आने दिया?

  • कृष्ण ने सुदामा को अंदर आने से मना किया था।
  • कृष्ण छोटे लोगों से बात नहीं करते थे।
  • सुदामा की हालत जीर्ण-शीर्ण थी, द्वारपाल सोच भी न सके कि वे कृष्ण के मित्र होंगे।
  • सुदामा की हालत जीर्ण-शीर्ण थी, द्वारपाल सोच भी न सके कि वे कृष्ण के मित्र होंगे।


C.

सुदामा की हालत जीर्ण-शीर्ण थी, द्वारपाल सोच भी न सके कि वे कृष्ण के मित्र होंगे।

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सुदामा ने कृष्ण का स्वागत कैसे किया?

  • खूब पकवान खिलाकर
  • फूलों की वर्षा करके
  • बड़ा सा समारोह करके
  • बड़ा सा समारोह करके

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सुदामा का मन कृष्ण के प्रति कृतज्ञ क्यों हो उठा?

  • सुदामा को गाँव तक छोड़ने आने पर।
  • अप्रत्यक्ष रूप से सुदामा की अपार आर्थिक सहायता करने पर।
  • सुदामा को आते समय अपार तोहफे देने पर।
  • सुदामा को आते समय अपार तोहफे देने पर।


B.

अप्रत्यक्ष रूप से सुदामा की अपार आर्थिक सहायता करने पर।

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सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने क्यों गया?

  • सुदामा कृष्ण से मिलने गया।
  • सुदामा अपनी पत्नी के अनुरोध पर कृष्ण से सहायता हेतु गया।
  • सुदामा कृष्ण के बुलाने पर उनसे मिलने गया।
  • सुदामा कृष्ण के बुलाने पर उनसे मिलने गया।


B.

सुदामा अपनी पत्नी के अनुरोध पर कृष्ण से सहायता हेतु गया।

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नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-कै वह टूटी-सी छानी हती, कहाँ कंचन के अब धाम सुहावत।कै पग में पनही न हती, कहाँ लै गजराजहु ठाढ़े महावत।।भूमि कठोर पै रात कटै, कहाँ कोमल सज पै नींद न आवत।।कै जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।। कृष्ण ने सुदामा को सब कुछ बिना बताए क्यों दिया? क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे। किसी के सामने अपने महल में न देना चाहते थे। सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे। सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे।


A.

क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे।

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सुदामा चरित

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 सुदामा चरित are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for सुदामा चरित are extremely popular among Class 8 students for Hindi सुदामा चरित Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 8 Hindi Chapter 12 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 8 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 71:

Question 1:

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

सुदामा की दीनदशा को देखकर श्रीकृष्ण को अत्यन्त दुख हुआ। दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए। उनसे कहने लगे तुम इतने दिन कहाँ रहे?

Page No 71:

Question 2:

''पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।'' पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer:

प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने अपने बालसखा सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मंगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर उनको इतना कष्ट हुआ कि आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।

Page No 71:

Question 3:

''चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।''

() उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?

() इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

() इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

Answer:

() यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं।

() सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे। संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को यह भेंट नहीदे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

() इस उपालंभ के पीछे एक पौरोणिक कथा है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जाते हैं। गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा को दोष देते हैं।

Page No 72:

Question 4:

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।

Answer:

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था। क्या वह सब दिखावटी था? वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि केवल आदर सत्कार करके ही श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ भेज दिया था। वे तो कृष्ण के पास जाना ही नहीं चाहते थे। परन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें भेज दिया। उन्हें इस बात का पछतावा भी हो रहा था कि माँगे हुए चावल भी हाथ से निकल गए और कृष्ण ने कुछ दिया भी नहीं।

Page No 72:

Question 5:

अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधर पर स्पष्ट कीजिए।

Answer:

द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीचला आया। फिर सबसे पूछते फिरते हैतथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं। परन्तु ढूँढ नहीं पाते हैं।

Page No 72:

Question 6:

निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

निर्धनता के बाद श्रीकृष्ण की कृपा से सुदामा को धन-सम्पदा मिलती है। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोपड़ी रहा करती थी, वहाँ अब स्वर्ण भवन शोभित है। कहाँ पहले पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी और अब पैरों से चलने की आवश्यकता ही नहीहै। क्योंकि अब घूमने के लिए हाथी घोड़े हैं, पहले सोने के लिए केवल यह कठोर भूमि थी और आज कोमल सेज पर नींद नहीआती है, कहाँ पहले खाने के लिए कोदो (चावल) भी नहीं मिलते थे और आज प्रभु की कृपा से खाने को दाख (किशमिश-मुनक्का) भी उप्लब्ध हैं। परन्तु वे अच्छे नहीलगते।

Page No 72:

Question 1:

द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।

Answer:

सुदामा निर्धन थे तथा श्रीकृष्ण राजा थे। उसी प्रकार महाराज द्रुपद तथा गुरू द्रोणाचार्य भी आश्रम में एक ही साथ शिक्षा ग्रहण करते थे तथा परम मित्र थे। सुदामा के द्वारका जाने पर श्रीकृष्ण ने उनका आदर-सत्कार किया था। परन्तु गुरू द्रोणाचार्य के अपने मित्र राजा द्रुपद के पास जाने पर राजा द्रुपद ने उनका अपमान किया और महाभारत के युद्ध में एक दूसरे के विपरीत युद्ध करके दुश्मनी का परिचय दिया।

Page No 72:

Question 2:

उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।

Answer:

उच्च पद पर पहुँच कर लोग अक्सर अपने सगे-संबधियों, अपने मित्रों को भूल जाते हैं, ऐसे लोगोको सुदामा चरित से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। यह रचना ऐसे लोगोके लिए एक सबक है। जिससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि अधिक समृद्ध हो जाने पर हमें अहंकार वश किसी को तुच्छ नहीं समझना चाहिए।

Page No 72:

Question 1:

अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

Answer:

यदि कोई मित्र बहुत वर्षों के बाद हमसे मिलने आए तो हमें बहुत खुशी होगी। उसके प्रति हमारा यह कर्तव्य है कि हमें उसका आदर-सत्कार करना चाहिए तथा उसका कुशल-मंगल पूछना चाहिए।

Page No 72:

Question 2:

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।

विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत||

इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्रा की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

Answer:

प्रस्तुत दोहे में रहीम दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि जो हमारे विपत्ति की घड़ी में हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। सुदामा चरित्र को पढ़ते हुए हम यह कह सकते हैकि श्रीकृष्ण ने भी सच्ची मित्रता का परिचय देते हुए विपत्ति के समय अपने मित्र सुदामा की आर्थिक सहायता की। अत: हम यह कह सकते हैं कि रहीम द्वारा दिए गए सच्चे मित्र की परिभाषा तथा श्रीकृष्ण के अपने मित्र की सहायता करने में काफी समानता है।

Page No 72:

Question 1:

''पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए''

ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।

Answer:

''कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।''

यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार है। टूटी सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना अतिश्योक्ति है।

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कृष्ण ने सुदामा को क्या दिया?

कहानी में उन्होंने सुदामापुरी से बेयत द्वारका की यात्रा की। सुदामा और कृष्ण ने उज्जयिनी के सांदीपनि आश्रम में एक साथ अध्ययन किया था। सर्वशक्तिमान राजा कृष्ण ने अपने पुराने सहपाठी सुदामा को धन और एक सुसज्जित घर उपहार में दिया, जब सुदामा एक उपहार के साथ आए और कृष्ण को उनकी गरीबी के बारे में बताया।

सुदामा श्री कृष्ण को लाया गया उपहार देने में संकोच क्यों कर रहे थे?

उत्तर: द्वारका आते समय सुदामा की पत्नी ने कृष्ण के लिए उपहारस्वरूप थोड़े-से चावल एक पोटली में बाँधकर दिए थे। द्वारका पहुँचकर जब सुदामा ने कृष्ण का शाही वैभव तथा एशो-आराम देखा तो उन्होंने कृष्ण जैसे बड़े राजा के लिए चावल जैसा तुच्छ उपहार देना उचित न समझा। इसलिए वे संकोच कर रहे थे

श्रीकृष्ण ने सुदामा की प्रत्यक्ष रूप में सहायता क्यों नहीं की?

श्रीकृष्ण सुदामा की प्रत्यक्ष रूप में सहायता नहीं करना चाहते थे क्योंकि देने का भाव आते ही मित्रता बड़े-छोटे की भावना में बदल जाती है जबकि कृष्ण ऐसा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सुदामा की सहायता प्रत्यक्ष रूप में न करके अप्रत्यक्ष रूप में की। द्रुपद और द्रोणाचार्य भी मित्र थे एक साथ आश्रम में पढ़ते थे।

कृष्ण ने सुदामा को सब कुछ बिना बताए क्यों दिया?

कृष्ण ने सुदामा को सब कुछ बिना बताए क्यों दिया? क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे। किसी के सामने अपने महल में न देना चाहते थे। सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे।