गंगा ने शांतनु से कहा-"राजन! क्या आप अपना वचन भूल गए?" तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा? Show Answer:सम्भवत: राजा शांतनु ने गंगा को यह वचन दिया होगा कि वे गंगा के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे तथा उसकी इच्छा का सम्मान करेंगे। Page No 97:Question 2:महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परपंरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था-युधिष्ठिर या दुर्योधन को? अपने उत्तर का कारण बताओ। Answer:पांडु भरत वंश के राजा थे। उनकी मृत्यु के पश्चात् युधिष्ठिर को राजा बनना चाहिए था परन्तु युधिष्ठिर की आयु कम होने के कारण उनके बड़े होने तक राज्य की ज़िम्मेदारी धृतराष्ट्र को दी गई थी। युधिष्ठिर के बड़े होने के पश्चात् न्यायोचित तो यही था कि युधिष्ठिर को उनका कार्य-भार सौंप दिया जाता। अत: भरत वंश की परंपरा के अनुसार राज्य पद के अधिकारी युधिष्ठिर ही थे। Page No 97:Question 3:महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों, उनके कुछ उदाहरण दो। Answer:युद्ध जीतने के लिए कौरवों तथा पांडवों दोनों ने प्रयास किए हैं। कौरवों द्वारा किए गए प्रयास :- (1) युद्ध में पितामह भीष्म तथा गुरू द्रोणाचार्य को सेना का नेतृत्व सौंपना। (2) दुर्योधन का कृष्ण के पास युद्ध के लिए सहायता मांगने जाना। (3) चक्रव्यूह की रचना करना (4) अर्जुन को दूर भेजना पांडवों द्वारा युद्ध के लिए किए गए प्रयास :- (1) कर्ण का वध। (2) दुःशासन का वध। (3) दुर्योधन के भाई युयुत्सु पर विश्वास कर युद्ध में सम्मिलित करना। (4) कृष्ण का साथ माँगना। (5) अभिमन्यु द्वारा चक्रव्यूह तोड़ना। Page No 97:Question 4:तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को कौन रूकवा सकता था? कैसे? Answer:महाराज धृतराष्ट्र उस समय भरत वंश के राजा थे। उनकी आज्ञा का पालन करना प्रजा का कर्तव्य था। यदि वे निश्चय के पक्के होते तो अपने पुत्रों को आज्ञा देकर युद्ध को टाल सकते थे। परन्तु एक राजा होते हुए भी अपने राज्य के भविष्य के हित में वे कोई दृढ़ निश्चय नहीं कर पाए। Page No 97:Question 5:इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो। Answer:पाठ पर आधारित मुहावरे :- (1) वज्र के समान गिरना - (अधिक कष्ट होना) अपमान के कटु वचन उसके हृदय पर व्रज के समान लगे। (2) जन्म से बैरी - (घोर शत्रुता होना) दोनों भाई इतना लड़ते हैं, मानो जन्म से बैरी हो। (3) खलबली मच जाना - (नियंत्रण न होना) शिक्षक के न आने से पूरी कक्षा में खलबली मच गई। (4) दंग करना - (हैरान करना) छोटे से बच्चे में इतना बल देखकर मैं दंग रह गया। (5) दग्ध-हृदय - (मन दुःखी होना) दग्ध हृदय के साथ उसने अपने पुत्र को अंतिम बार विदा किया। Page No 97:Question 6:महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे हुए नाम किसके हैं? Answer:(1) पृथा - कुंती (2) राधेय - कर्ण (3) वासुदेव - श्री कृष्ण (4) गांगेय - गंगा पुत्र 'भीष्म' (5) सैरंध्री - द्रोपदी (6) कंक - युधिष्ठर Page No 97:Question 7:इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई है। तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने बड़े लोगों से मदद ले सकते हो। Answer:Page No 97:Question 8:तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों? Answer:महाभारत की कथा में द्रौपदी के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ क्योंकि युद्ध पांडवों तथा कौरवों के बीच था। द्रौपदी की किसी के साथ शत्रुता नहीं थी। फिर भी उसे पूरी राजसभा में सबके सामने अपमानित किया गया। युद्ध में अपने पाँचों पुत्रों से हाथ धोना पड़ा तथा पाँचों पांडवों के साथ वनवास जाना पड़ा। Page No 97:Question 9:महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई? (याद रखो कि इस युद्ध में दोनों पक्षों के लाखों लोग मारे गए थे।) Answer:महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत होती है। क्योंकि दोनों पक्षों में लोगों की मृत्यु होने के बाद भी पाँचों पांडव जीवित थे। उन्हें कौरवों की अपेक्षा कम क्षति उठानी पड़ी। Page No 97:Question 10:तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीर कौन था/थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ। Answer:महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीरता अर्जुन पुत्र अभिमन्यु में देखी गई क्योंकि पूरे युद्ध में सबसे छोटा बालक होते हुए भी उसने अपनी वीरता का परिचय देते हुए अकेले ही छ: महारथियों के साथ युद्ध किया, चक्रव्यूह तोड़ने का प्रयास किया तथा अस्त्र समाप्त होने के बाद भी रथ के पहिए को अस्त्र बना कर लड़ता रहा। Page No 97:Question 11:यदि तुम युधिष्ठिर की जगह होते, तो यक्ष के प्रश्नों के क्या उत्तर देते? Answer:उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं करें। Page No 97:Question 12:महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या विचार आते हैं- (क) शांतनु ने केवटराज से कहा- "जो माँगोगे दूँगा, यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो।" (ख) दुर्योधन ने कहा- "अगर बराबरी की बात है, तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता हूँ।" (ग) धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा-"बेटा, मैं तूम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पाँडवों से वैर न करो। वैर दुख और मृत्यु का कारण होता है।" (घ) द्रोपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा-"रथवान! जाकर उन हारने वाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे या मुझे?" Answer:(क) शांतनु सत्यवती से बहुत प्रेम करते थे। इसलिए उसे पाने के लिए वे केवटराज, को कुछ भी देने के लिए तैयार थे, शांतनु विवेकशील थे इसलिए उन्होंने उचित अनुचित का भी ध्यान रखा। (ख) दुर्योधन महत्वकाँक्षी था उसने अर्जुन को नीचा दिखाने के लिए कर्ण से मित्रता करने का निश्चय किया। (ग) यहाँ धृतराष्ट्र के दूरदर्शी होने की प्रवृति का पता चलता है तथा उन्हें पांडवों से बहुत स्नेह था। (घ) यहाँ राजा युधिष्ठिर के प्रति द्रोपदी के मन में आक्रोश की भावना है। Page No 98:Question 13:युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा-"अश्वत्थामा मारा गया, मनुष्य नहीं, हाथी।" युधिष्ठिर सच बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। तुम्हारे विचार से उन्होंने द्रोण से सच कहा था या झूठ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ। Answer:युधिष्ठिर का यह कथन अधूरा सच है। युधिष्ठिर के मन में उस समय गुरू द्रोणाचार्य को धोखा देने की बात चल रही थी। वह झूठ बोलना चाहते थे, परन्तु सच बोलने के लिए बाध्य थे। युधिष्ठिर के मुख से निकले हुए शब्दों का अर्थ कुछ और था, यह वे जानते थे। Page No 98:Question 14:महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों को बहुत हानि पहुँची। इस युद्ध को ध्यान में रखते हुए युद्धों के कारणों और परिणामों के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो। शुरूआत हम कर देते हैं - (1) युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं। (2) ............................................. (3) ............................................. (4) ............................................. (5) ............................................. (6) ............................................. Answer:(1) युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं। (2) युद्ध में हमारी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। (3) केवल अपने स्वार्थ के विषय में सोचकर युद्ध का फैसला लिया जाता है। (4) युद्ध में प्रतिशोध की भावना प्रबल होती है। (5) युद्ध से केवल विनाश होता है। (6) युद्ध में जीत केवल एक व्यक्ति की होती है। परन्तु हार दोनों पक्षों की होती है। (7) युद्ध में केवल स्वजीत की भावना रह जाती है। Page No 98:Question 15:मान लो तुम भीष्म पितामह हो। अब महाभारत की कहानी अपने शब्दों में लिखो। जो घटनाएँ तुम्हें ज़रूरी न लगें, उन्हें तुम छोड़ सकते हो। Answer:स्वयं को भीष्म मानकर अपनी इच्छानुसार कहानी की रचना करें। Page No 98:Question 16:(क) द्रोपदी के पास एक 'अक्षयपात्र' था, जिसका भोजन समाप्त नहीं होता था। अगर तुम्हारे पास ऐसा ही एक पात्र हो, तो तुम क्या करोगे? (ख) यदि ऐसा कोई पात्र तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे मित्र के पास हो, तो तुम क्या करोगे? Answer:(क) यदि ऐसा अक्षयपात्र हो तो हमें ज़रूरतमंदो को भोजन कराकर उनकी सहायता करनी चाहिए। (ख) अपने मित्रों को भी इसी प्रकार से गरीबों की सहायता करने को प्रेरित करना चाहिए। Page No 98:Question 17:नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची गई है, उनके अर्थ क्या हो सकते हैं? (क) गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो गया। (ख) द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा-"जब तुम राजा बन गए, तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए।" (ग) दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा-"पिता जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं।" (घ) स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ है। (ङ) चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं। Answer:(क)विरक्त − ऊब जाना (ख) मद − नशा, अहंकार (ग)पुरवासी − नगरवासी (घ) वृहदाकार − बड़े आकार का (ङ)ईजाद − खोज (आविष्कार) Page No 98:Question 18:लाख के भवन से बचने के लिए विदुर ने युधिष्ठर को सांकेतिक भाषा में सीख दी थी। आजकल गुप्त भाषा का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ होता होगा? तुम भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गुप्त भाषा बना सकते हो। इस भाषा को केवल वही समझ सकेगा, जिसे तुम यह भाषा सिखाओगे। ऐसी ही एक भाषा बनाकर अपने दोस्त को एक संदेश लिखो। Answer:छात्र स्वयं अपने मित्रों के सहयोग से गुप्त भाषा में संदेश लिखें, जैसे - कुछ लोग हर शब्द या वर्ण जोड़कर, कुछ आगे पीछे शब्द लगाकर बोलते हैं आदि। Page No 98:Question 19:महाभारत कथा में तुम्हें जो कोई प्रसंग बहुत अच्छा लगा हो, उसके बारे में लिखो। यह भी बताओ कि वह प्रसंग तुम्हें अच्छा क्यों लगा? Answer:महाभारत में अज्ञातवास का प्रसंग बहुत अच्छा लगता है। इसमें अर्जुन ने अकेले ही दुर्योधन की सेना से युद्ध कर उन्हें परास्त किया था। इससे अर्जुन की वीरता का पता चलता है। Page No 98:Question 20:तुमने पुस्तक में पढ़ा कि महाभारत कथा कंठस्थ करके सुनाई जाती रही है। कंठस्थ कराने की क्रिया उस समय इतनी महत्वपूर्ण क्यों रही होगी? तुम्हारी समझ से आज के ज़माने में कंठस्थ करने की आदत कितनी उचित है? Answer:समय के साथ-साथ तकनीकी सुविधाओं का आविष्कार हुआ, जैसे - छापाखाना। पहले ऐसी कोई सुविधा नहीं थी इस कारण महाभारत की कथा कंठस्थ करके सुनाई जाती थी। उस समय ज्ञान बाँटने का यही एक मात्र सरल तथा सुलभ साधन था। समय के साथ-साथ धीरे-धीरे हस्तलिपियों का प्रयोग किया जाने लगा। मनुष्य एक सुविधाभोगी प्राणी है, सुविधा की कमी होने के कारण कंठस्थ करने की कला धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। कुंती ने कर्ण को अपना क्या परिचय दिया?तब कर्ण कहता है कि मांगने से पहले क्या आप अपना परिचय देंगी? कुंती कहती हैं कि मैं वो अभागी हूं जिसे अपना पहला पुत्र त्यागना पड़ा था। कर्ण को इस बात का अंदेशा हो जाता है कि कुंती निश्चित ही किसी स्वार्थवश उसके पास आई है। जब कुंती, कर्ण को पुत्र कहती है तो कर्ण कहता है पुत्र कहकर ना मांगे।
कुंती ने कर्ण से क्या कहा class 7?कर्ण ने कुंती से क्या कहा? उत्तर: कर्ण माता कुंती की बात सुनकर बोला- माँ यदि इस समय मैं दुर्योधन का साथ छोड़कर पांडवों की तरफ़ चला गया तो लोग मुझे कायर कहेंगे। आज जब युद्ध होना निश्चित हो गया है तो मेरा कर्तव्य हैं कि मैं पांडवों के विरुद्ध लड़ें।
कुंती ने कर्ण को क्या सुझाव दिया था?Explanation: कुंती ने कहा, 'कर्ण तुम यह कभी मत समझना कि तुम सूत-पुत्र हो। न तो राधा तुम्हारी मां हैं और न ही अधिरथ तुम्हारे पिता। तुम्हें जानना चाहिए कि तुम राजकुमारी पृथा( पांडु से विवाह के पहले कुंती का नाम) यानी तुम कुंती पुत्र हो, मेरे अविवाहित रहते हुए सूर्य के अंश मेरी कोख में आ गए और तुम पैदा हुए।
कर्ण ने पांडवों के बारे में दुर्योधन से क्या कहा class 7?कर्ण ने कहा- 'अज्ञातवास' की अवधि अभी पूरी नहीं हुई है। पांडवों को पुनः बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष अज्ञातवास करना होगा। आश्चर्य है कि सेना भय से काँप रही है। मैं अकेला ही युद्ध करूँगा और दुर्योधन को दिए वचन को पूरा करूँगा।
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