केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक संबंध - kendr aur raajyon ke beech prashaasanik sambandh

निम्न विषय पर आधारित एक श्रृंखला का हिस्सा
भारत का संविधान
केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक संबंध - kendr aur raajyon ke beech prashaasanik sambandh
उद्देशिका

भाग

मूल अधिकार
भाग
1 ∙ 2 ∙ 3 ∙ 4 ∙ 4क ∙ 5 ∙ 6 ∙ 7
8 ∙ 9 ∙ 9क ∙ 9ख ∙ 10 ∙ 11 ∙ 12 ∙ 13 ∙ 14
15 ∙ 16 ∙ 16क ∙ 17 ∙ 18 ∙ 19 ∙ 20 ∙ 21
22

अनुसूचियाँ

पहली ∙ दूसरी ∙ तीसरी ∙ चौथी ∙ पांचवीं
छठवीं ∙ सातवीं ∙ आठवीं ∙ नौवीं
दसवीं ∙ ग्यारहवीं ∙ बारहवीं

परिशिष्ट

I ∙ II ∙ III ∙ IV ∙ V

संशोधन

सूची ∙ 1 ∙ 2 ∙ 3 ∙ 4 ∙ 5 ∙ 6 ∙ 7 ∙ 8 ∙ 9 ∙ 10 ∙ 11 ∙ 12 ∙ 13 ∙ 14 ∙ 15 ∙ 16 ∙ 17 ∙ 18 ∙ 19 ∙ 20 ∙ 21 ∙ 22 ∙ 23 ∙ 24 ∙ 25 ∙ 26 ∙ 27 ∙ 28 ∙ 29 ∙ 30 ∙ 31 ∙ 32 ∙ 33 ∙ 34 ∙ 35 ∙ 36 ∙ 37 ∙ 38 ∙ 39 ∙ 40 ∙ 41 ∙ 42 ∙ 43 ∙ 44 ∙ 45 ∙ 46 ∙ 47 ∙ 48 ∙ 49 ∙ 50 ∙ 51 ∙ 52 ∙ 53 ∙ 54 ∙ 55 ∙ 56 ∙ 57 ∙ 58 ∙ 59 ∙ 60 ∙ 61 ∙ 62 ∙ 63 ∙ 64 ∙ 65 ∙ 66 ∙ 67 ∙ 68 ∙ 69 ∙ 70 ∙ 71 ∙ 72 ∙ 73 ∙ 74 ∙ 75 ∙ 76 ∙ 77 ∙ 78 ∙ 79 ∙ 80 ∙ 81 ∙ 82 ∙ 83 ∙ 84 ∙ 85 ∙ 86 ∙ 87 ∙ 88 ∙ 89 ∙ 90 ∙ 91 ∙ 92 ∙ 93 ∙ 94 ∙ 95 ∙ 96 ∙ 97 ∙ 98 ∙ 99 ∙ 100 ∙ 101

सम्बन्धित विषय

  • संघ सूची
  • राज्य सूची
  • समवर्ती सूची
  • मूलभूत संरचना उपदेशन

  • दे
  • वा
  • सं


केंद्र-राज्य संबंध से अभिप्राय किसी लोकतांत्रिक राष्ट्रीय-राज्य में संघवादी केंद्र और उसकी इकाइयों के बीच के आपसी संबंध से होता है। विश्व भर में लोकतंत्र के उदय के साथ राजनीति में केंद्र-राज्य संबंधों को एक नई परिभाषा मिली है।

परिचय[संपादित करें]

भारत में स्वतंत्रता उपरांत केंद्र-राज्य संबंध का मसला अत्याधिक संवेदनशील मामला रहा है।[1] विषय चाहे अलग भाषाओं की पहचान, असमान विकास, राज्यों के गठन का हो, पुनर्गठन का हो या फिर विशेष राज्य का दर्जा देने से जुड़ा हो। ये सब केंद्र-राज्य संबंधों की सीमा में आते हैं। इनके अलावा देश में शिक्षा, व्यापार जैसे विषयों पर नीति निर्माण के सवाल उठने पर भी उसके केन्द्र में है केंद्र और राज्य के बीच में इनको लेकर क्या आपसी समझ है, यही महत्त्वपूर्ण होता है।

भारतीय संविधान में भारत को 'राज्यों का संघ' कहा गया है न कि संघवादी राज्य। भारतीय संविधान में विधायी, प्रशासिनिक और वित्तीय शक्तियों का सुस्पष्ट बंटवारा केंद्र और राज्यों के बीच किया है।[1]
विधायी शक्ति के विषयों को तीन सूचियों में बांटा गया है।

  • (१) केंद्रीय सूची (100 विषय समाविष्ट)
केंद्रीय सूची में वे विषय शामिल किए गए हैं जिन पर सिर्फ केंद्र सरकार कानून बना सकती है। इस सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय शामिल किए गए है जैसे कि प्रतिरक्षा, विदेश संबंध, मुद्रा, संचार और वित्तीय मामले आदि।
  • (२) राज्य सूची (६१ विषय समाविष्ट)
राज्य सूची में कानून और व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, प्रशासन जैसे स्थानीय महत्व के विषयों को शामिल किया गया है।
  • (३) समवर्त्ती सूची (४७ विषय समाविष्ट)
समवर्त्ती सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है जिनपर केंद्र ओर राज्य दोनों ही कानून बना सकते हैं। कोई राज्य सरकार केंद्र के द्वारा बनाए गए कानूनों व नीति के विरोध में या फिर विपरीत कानून नहीं बना सकती है।


संविधान के अनुच्छेद 256 व 255 में केंद्र को शक्तिशाली बनाया गया है।

विधायिका स्तर पर केन्द्र-राज्य सम्बन्ध[संपादित करें]

संविधान की सातंवी अनुसूची विधायिका के विषय़ केन्द्र राज्य के मध्य विभाजित करती है संघ सूची में महत्वपूर्ण तथा सर्वाधिक विषय़ है
राज्यों पर केन्द्र का विधान संबंधी नियंत्रण

  • 1. अनु 31[1] के अनुसार राज्य विधायिका को अधिकार देता है कि वे निजी संपत्ति जनहित हेतु विधि बना कर ग्रहित कर ले परंतु ऐसी कोई विधि असंवैधानिक/रद्द नहीं की जायेगी यदि यह अनु 14 व अनु 19 का उल्लघंन करे परंतु यह न्यायिक पुनरीक्षण का पात्र होगा किंतु यदि इस विधि को राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु रखा गया और उस से स्वीकृति मिली भी हो तो वह न्यायिक पुनरीक्षा का पात्र नहीं होगा
  • 2. अनु 31[ब] के द्वारा नौवीं अनुसूची भी जोड़ी गयी है तथा उन सभी अधिनियमों को जो राज्य विधायिका द्वारा पारित हो तथा अनुसूची के अधीन रखें गये हो को भी न्यायिक पुनरीक्षा से छूट मिल जाती है लेकिन यह कार्य संसद की स्वीकृति से होता है
  • 3. अनु 200 राज्य का राज्यपाल धन बिल सहित बिल जिसे राज्य विधायिका ने पास किया हो को राष्ट्रपति की सहमति के लिये आरक्षित कर सकता है
  • 4. अनु 288[2] राज्य विधायिका को करारोपण की शक्ति उन केन्द्रीय अधिकरणों पर नहीं देता जो कि जल संग्रह, विधुत उत्पादन, तथा विधुत उपभोग, वितरण, उपभोग, से संबंधित हो ऐसा बिल पहले राष्ट्रपति की स्वीकृति पायेगा
  • 5. अनु 305[ब] के अनुसार राज्य विधायिका को शक्ति देता है कि वो अंतराज्य व्यापार वाणिज़्य पर युक्ति निर्बधंन लगाये परंतु राज्य विधायिका में लाया गया बिल केवल राष्ट्रपति की अनुशंसा से ही लाया जा सकता है

केन्द्र-राज्य प्रशासनिक संबंध[संपादित करें]

अनु 256 के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ इस तरह प्रयोग लायी जाये कि संसद द्वारा पारित विधियों का पालन हो सके। इस तरह संसद की विधि के अधीन विधिंयों का पालन हो सके। इस तरह संसद की विधि के अधीन राज्य कार्यपालिका शक्ति आ गयी है। केन्द्र राज्य को ऐसे निर्देश दे सकता है जो इस संबंध में आवश्यक हो।

अनु 257 कुछ मामलों में राज्य पर केन्द्र नियंत्रण की बात करता है। राज्य कार्यपालिका शक्ति इस तरह प्रयोग ली जाये कि वह संघ कार्यपालिका से संघर्ष न करे। केन्द्र अनेक क्षेत्रों में राज्य को उसकी कार्यपालिका शक्ति कैसे प्रयोग करे इस पर निर्देश दे सकता है। यदि राज्य निर्देश पालन में असफल रहा तो राज्य में राष्ट्रपति शासन तक लाया जा सकता है।

अनु 258[2] के अनुसार संसद को राज्य प्रशासनिक तंत्र को उस तरह प्रयोग लेने की शक्ति देता है जिनसे संघीय विधि पालित हो केन्द्र को अधिकार है कि वह राज्य में बिना उसकी मर्जी के सेना, केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात कर सकता है

अखिल भारतीय सेवाएँ भी केन्द्र को राज्य प्रशासन पे नियंत्रण प्राप्त करने में सहायता देती हैं। अनु 262 संसद को अधिकार देता है कि वह अंतराज्य जल विवाद को सुलझाने हेतु विधि का निर्माण करे संसद ने अंतराज्य जल विवाद तथा बोर्ड एक्ट पारित किये थे। अनु 263 राष्ट्राप्ति को शक्ति देता है कि वह अंतराज्य परिषद स्थापित करे ताकि राज्यों के मध्य उत्पन्न मत विभिन्ंता सुलझा सके।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ↑ अ आ केन्द्र राज्य संबंध। हिन्दुस्तान लाइव। २५ दिसम्बर २००९

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत में संघवाद
  • सरकारिया आयोग

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • केन्द्र-राज्य सम्बन्ध

केंद्र और राज्य के बीच क्या संबंध है?

केन्द्र-राज्य प्रशासनिक संबंध इस तरह संसद की विधि के अधीन राज्य कार्यपालिका शक्ति आ गयी है। केन्द्र राज्य को ऐसे निर्देश दे सकता है जो इस संबंध में आवश्यक हो। अनु 257 कुछ मामलों में राज्य पर केन्द्र नियंत्रण की बात करता है। राज्य कार्यपालिका शक्ति इस तरह प्रयोग ली जाये कि वह संघ कार्यपालिका से संघर्ष न करे।

भारतीय संविधान में केंद्र एवं राज्यों के बीच विधायी अधिकारों को कितने भागों में बांटा गया है?

केंद्र और राज्यों के बीच सभी शक्तियों को विधायी, कार्यकारी और वित्तीय तीन भागों में बांटा गया है लेकिन प्रणाली एकीकृत है। इसलिए केंद्र-राज्य संबंधों का अध्ययन 3 भागों विधायी संबंधों, प्रशासनिक संबंधों और वित्तीय संबंधों में भी किया जा सकता है।

प्रशासनिक सम्बन्ध क्या है?

(II) प्रशासनिक सम्बन्ध :- (2) संविधान के अनुच्छेद 257 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग इस प्रकार होना चाहिए कि संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में बाधा या प्रतिकूल प्रभाव न पड़े तथा इस सम्बन्ध में संघ की कार्यपालिका द्वारा राज्य को निर्देश दिए जा सकेंगे।

भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण कैसे किया गया?

एक संघात्मक संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन देता है तथा प्रत्येक सरकार संविधान द्वारा सीमा में ही कार्य करती है पर इसका यह अर्थ नहीं है कि उनका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं होता है क्योंकि दोनों सरकारें एक ही नागरिक पर प्रशासन करती है और उनके कल्याण के लिए कार्यों को संपादित करती है, इसलिए इनमें ...