1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Show अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को क्या माना है? ‘रैदास के पद’ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 2. रैदास के आधार पर बताइए कि चंदन को पानी की आवश्यकता क्यों पड़ती है? प्रश्न 3. चन्दन की सुगंध अंग-अंग में बस जाने से रैदास का भाव क्या है? प्रश्न 4. स्वयं को बाती कहकर रैदास क्या सिद्ध करना चाहते
हैं? प्रश्न 5. सुहागे से मिलने पर सोने में क्या परिवर्तन आता है? प्रश्न 6. रैदास की भक्ति किस प्रकार की है? प्रश्न 7. ‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है? अथवा रैदास ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है? उनके स्वामी की कोई दो विशेषताएँ भी बताइए। लघु उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 2 अंक) प्रश्न 1. कवि रैदास ने भगवान और भक्त की तुलना किन-किन चीजों से की है? अथवा पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना किन-किन चीजों से की है, उनका उल्लेख कीजिए। प्रश्न 2. रैदास ईश्वर के साथ किन-किन रूपों में एकाकार हो गए हैं? रैदास की आत्मा परमात्मा के प्रेम में उसी तरह एकाकार हो गई है जिस तरह चंदन-पानी, घनवन-मोर, चाँद-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सुहागा-सोना आदि एक दूसरे के बिना अधूरे व महत्वहीन हो जाने के कारण एकाकार हो गए हैं। प्रश्न 3. रैदास की भक्ति में कौन-सा भाव उभरकर आया है? उनकी कविता से प्रमाण दीजिए। रैदास की भक्ति दास्य भाव की है। वे स्वयं को लघु, तुच्छ और दास कहते हैं। वे प्रभु को दीनदयाल, भक्तवत्सल कहते हैं व स्वयं को दास और प्रभु को उनका स्वामी बताते हुए कहते हैं-"तुम स्वामी हम दासा।" प्रश्न 4. कवि रैदास ने प्रभु को निडर क्यों कहा है? अथवा रैदास के ‘लाल’ की क्या विशेषता है? प्रश्न 5. रैदास ने ईश्वर की किस गरीब निवाज की अनोखी आदत का उल्लेख किया है? कवि ‘गरीब निवाजु’ किसे कहते हैं और क्यों? कवि रैदास ने अपने प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। इसका अर्थ है-दीन-दुखियों, गरीबों पर दया करने वाला। प्रभु ने रैदास जैसे अछूत को संत की पदवी प्रदान कर उसे आदर, सम्मान का पात्र बना दिया। प्रभु गरीब को अमीर और राजा बना देता है। प्रश्न 6. ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ - रैदास की पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 7. अनेक साधु-सन्तों के नाम लेकर कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं? कवि कबीर, नामदेव, त्रिलोचन, सधना, सैनु जैसे गरीब व निम्न कोटि के व्यक्तियों को संत का सम्मान दिलाने के ईश्वरीय कृपा के गुण को बताकर प्रभु की महिमा का वर्णन करना चाहता है। प्रश्न 8. रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए। The document Short Question Answers - रैदास के पद Notes | Study Hindi Class 9 - Class 9 is a part of the Class 9 Course Hindi Class 9. All you need of Class 9 at this link: Class 9 कवि ने स्वयं को ईश्वर का क्या बताया है?(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै। उत्तर : कवि कहते हैं कि प्रभु ही सबका कल्याण करता है। उसके बिना इस संसार में ऐसा कोई नहीं है जो गरीबों, दीन-दुखियों का उपकार करता हो और उन्हें मान देता हो । ईश्वर समदर्शी हैं।
कवि ने स्वयं को पानी क्यों कहा है?तूं मोंहि देखै, तोहि न देखूँ प्रभुजी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी । प्रभुजी तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा । प्रभुजी तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती । प्रभुजी तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सोहागा ।
कवि के ईश्वर कवि को क्या बना देते हैं?उत्तर:- इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि स्वयं को दिए की बाती और ईश्वर को दीपक मानते है। ऐसा दीपक जो दिन-रात जलता रहता है।
ईश्वर क्या कर सकते हैं class 9?Students can practice free MCQs as have been added by CBSE in the new Exam pattern.
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