कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं कविता के बहाने काव्य के आधार पर बताइए? - kavita aur bachche ko samaanaantar rakhane ke kya kaaran ho sakate hain kavita ke bahaane kaavy ke aadhaar par bataie?

कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?


कविता और बच्चे को समानांतर रखने के ये कारण हो सकते हैं-

- बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है।

- बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता। शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। कविता और बच्चे में निस्वार्थ भाव की भी समानता है।

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प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढकर पढ़ें।


विद्यार्थी पुस्तकें लेकर इन पाठों को पढ़ें।

‘नागार्जुन’ की कविता - बातें।

बातें-

हँसी में धुली हुई

सौजन्य चंदन में बसी हुई

बातें-

चितवन में घुली हुई

व्यंग्य बंधन में कसी हुई

बातें-

उसाँस में झुलसी

रोष की आँच में तली हुई

बातें-

चुहल से हुलसी

नेह साँचे में ढली हुई।

बातें-

विष की फुहार सी

बातें-

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बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें -

A. बात की चूड़ी मर जाना (i) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
B. बात की पेंच खोलना (ii) बात का पकड़ में न आना
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iii) बात का प्रभावहीन हो जाना
D. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iv) बात में कसावट का न होना
E. बात का बन जाना (v) बात को सहज और स्पष्ट करना


A.

बात की चूड़ी मर जाना

(i)

बात का प्रभावहीन हो जाना

B.

बात की पेंच खोलना

(ii)

बात को सहज और स्पष्ट करना

C.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iii)

बात का पकड़ में न आना

D.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iv)

बात में कसावट का न होना

E.

बात का बन जाना

(v)

कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

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आधुनिक युग की कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।


छात्र कक्षा में इस विषय पर चर्चा करें। आधुनिक युग की कविता में निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:

□ विषयवस्तु में परिवर्तन।

□ कविता कै शिल्प में परिवर्तन।

□ जीवन के यथार्थ कै साथ जुड़ाव।

□ अभिव्यक्ति का सहज रूप।

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चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित कीजिए।


भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय होना ही चाहिए तभी उसका अपेक्षित प्रभाव पड़ता है। इस कार्य में बिंब और उपमान बहुत सहायक है। इनके प्रयोग से कथ्य स्पष्ट एवं प्रभावी बनता है। इनसे काव्य-सौंदर्य निखर उठता है।

- काव्य-बिंब का संबंध भाषा की सर्जनात्मक शक्ति से है तथा इसका निर्माण मनुष्य के ऐन्द्रिक बोध का ही प्रतिफल है। ये शब्द, भाव, विचार के अमूर्त संकेत तो हैं, लेकिन इन अमूर्त संकेंतों में भी वह शक्ति होती है। कि इनके माध्यम से एक मूर्त चित्र निर्मित हो जाता है। यही बिंब निर्माण की प्रक्रिया है।

उपमानों के माध्यम से रचनाकार पाठक के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे वह सरल, बोधगम्य, शब्दांडबर रहित होकर अपनी रचना के लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो जाता है।

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इस ‘कविता के बहाने’ बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?


‘कविता के बहाने’ में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते। वे खेलते हुए सारे घरों में घुस सकते हैं और उन्हें एक कर देते हैं। कविता भी यही करती है, वह समाज को बाँधती है, एक करती है।

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कविता और बच्चे को समांतर रखने के क्या कारण है?

कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं? - बच्चे के सपने असीम होते हैं और कवि की कल्पना भी असीम होती है। - बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और इसमें कोई बधन नहीं होता।

उडने और खेलने का कविता से क्या संबंध है कविता के बहाने कविता के आधार पर बताइए?

'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है? उत्तर: कवि ने बताया कि चिड़िया एक जगह से दूसरी जगह उड़ती है। इसी प्रकार कविता भी हर जगह पहुँचती है

कविता के बहाने काव्य में कविता की उड़ान तथा चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?

कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है? कवि की उड़ान में व्यापकता होती है जबकि चिड़िया की उड़ान में सीमा का बंधन है। चिड़िया यह जान ही नहीं पाती कि कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं है।

कविता रचने और फूल के खिलने में क्या समानता है?

फूल और कविता में कोई समानता नहीं है। फूल के खिलने की सीमा नहीं है परंतु कविता की है। फूल और कविता दोनों ही क्षणिक हैं। फूल के खिलने की सीमा है परंतु कविता शाश्वत है।