भारत का अर्द्ध-संघीय लोकतंत्र
यह एडिटोरियल 09/10/2021 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित ‘‘Reflections on the ‘quasi-federal’ democracy’’ लेख पर आधारित है। इसमें भारतीय संघवाद की विशेषताओं और हमारे लोकतंत्र के संघीय ढाँचे की खामियों के बारे में चर्चा की गई है। Show
संदर्भभारतीय राजनीतिक व्यवस्था में संसदीय व्यवधान (Parliamentary Disruption) एक सामान्य घटना है। बीते कुछ दिनों में ऐसे व्यवधानों के बीच ही संसद में बिना किसी विचार-विमर्श के बड़ी संख्या में ऐसे विधेयक (जैसे तीन कृषि कानून विधेयक) पारित किये गए है, जो देश के संघीय ढाँचे को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं । इसने भारत के संघीय लोकतंत्र में व्याप्त संरचनात्मक खामियों के संबंध में कई विषयों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। भारतीय संघवाद (Indian Federalism)
अर्द्ध-संघीय प्रणाली के लाभ
अर्द्ध-संघीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
आगे की राह
निष्कर्षसंविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर ने उपयुक्त दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए था कि, ‘‘हमारा संविधान समय और परिस्थितियों की आवश्यकताओं के अनुसार एकात्मक और संघीय दोनों होगा।’’ उनके इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारतीय संघवाद को एक अलग प्रकार के संघवाद या स्वयं में अनूठे संघवाद (Federalism Sui Generis) के रूप में देखना ही अधिक उपयुक्त होगा। अभ्यास प्रश्न: ‘भारतीय संविधान समय और परिस्थितियों की आवश्यकताओं के अनुसार एकात्मक और संघीय दोनों है।’ इस कथन के आलोक में भारतीय राज्य व्यवस्था के अर्द्ध-संघीय स्वरूप का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। क्या भारत का संविधान अर्ध संघात्मक है?भारतीय संविधान की प्रकृति
संघीय सिद्धांतकार 'के.सी. व्हेयर' (K.C. Wheare) ने भारतीय संविधान को अपनी प्रकृति में अर्द्ध-संघीय (Quasi-Federal) माना है।
भारतीय संविधान को अर्ध संघीय क्यों कहा जाता है?प्रो. के. सी. व्हेयर ने भारतीय संविधान को अर्ध संघीय बताते हुए कहा है कि भारतीय संघ सहायक संघीय लक्षणों वाला एकात्मक राज्य है न कि सहायक एकात्मक लक्षणों एक संघीय राज्य। इस प्रकार आइवर जेनिंग्स ने संविधान को केंद्र उन्मुक्त प्रवृत्ति युक्त एक संघ माना है।
एकात्मक और संघात्मक क्या है?इस अर्थ में, संघों की तुलना एकात्मक राज्यों से की जाती है। एकात्मक प्रणाली के अंतर्गत या तो सरकार का केवल एक स्तर होता है या उप-इकाइयाँ केंद्र सरकार के अधीनस्थ होती हैं। केंद्र सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकार को आदेश दे सकती है। लेकिन संघीय व्यवस्था में केंद्र सरकार राज्य सरकार को कुछ करने का आदेश नहीं दे सकती।
एकात्मक और संघात्मक शासन में क्या अंतर है?(4) संविधान की स्थिति के आधार पर अन्तर- एकात्मक शासन वाले राज्यों मे संविधान लिखित और अलिखित दोनों प्रकारों का हो सकता है, जबकि संघात्मक शासन वाले राज्यों में शासन की शक्ति केन्द्र व राज्य सरकारों में विभाजित होती है ओर उस विभाजन को स्पष्ट करने की दृष्टि से संविधान का लिखित होना अनिवार्य है।
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