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जापान पर 06 अगस्त और 09 अगस्त 1945 को हुए परमाणु बम हमले में केवल जापान ही नहीं दहला बल्कि पूरी दुनिया थर्रा गई.06 अगस्त 1945 ऐसा दुखद दिन था, जब मानवता के खिलाफ एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसी दिन अमेरिका (America) ने जापानी शहर हिरोशिमा (Hiroshima) पर परमाणु बम (Atomic Bomb) गिराया था. हजारों-लाखों लोग इसमें मारे गए. लेकिन अमेरिकी ने इसके लिए हिरोशिमा और नागासाकी (Nagasaki) को ही क्यों चुना थाअधिक पढ़ें ...
06 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया. ना केवल जापान इससे दहल गया बल्कि सारी दुनिया थर्रा उठी. इसके 03 दिन बाद फिर नागासाकी पर भी बम गिराया गया. लाखों लोग एक ही झटके मारे गए. उससे भी बम के कारण हुए विकिरण से मारे जाते रहे. ये हादसा 76 साल पहले हुआ था. लेकिन ये ऐसी घटना है जो भुलाए नहीं भुलती. इस बम के बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का खात्मा औपचारिकता रह गई. जापानी सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया. करीब एक हफ्ते बाद ही जापान ने मित्र देशों के गठबंधन के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया. क्या हुआ था 6 अगस्त
को अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने लिटिल बॉय नाम का परमाणु गिराया था जिसमें 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा बल थाइस समय शहर के बहुत सारे लोग काम पर जा रहे थे. बच्चे भी स्कूल पहुंच चुके थे. एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक यह बम शहर के केंद्र के ही पास गिराया गया था, जिससे 80 हजार लोग मारे गए. इतने ही घायल हुए. तीन दिन बाद एक और बम फिर
भी यह सवाल चेतावनी भी दी गई थी हिरोशिमा पर जिस समय बम गिराया गया, वो लोगों के आफिस जाने का समय था. बम भी इस शहर के मुख्य केंद्र पर गिराया गया.लेकिन यह मत भी हैं ये दो शहर ही क्यों इसके बाद पूरी दुनिया से दूसरे विश्व युद्ध का खात्मा हो गया. लेकिन इन परमाणु बमों पर मानवीयता पर एक बदनुमा दाग लगा दिया जिसे युद्ध के कारण होने वाली तबाही के तौर पर याद किया जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी | Tags: Atom, Bomb Blast, Japan, War FIRST PUBLISHED : August 06, 2021, 10:37 IST Hiroshima Day: छह अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था. लेकिन हिरोशिमा पर ही परमाणु बम क्यों गिराया गया? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब.हिरोशिमा पर हुए हमले के बाद उठता धुंआ (Hiroshima Peace Memorial Museum/US Army) दुनिया के इतिहास में आज का दिन बेहद ही खास है, क्योंकि आज ही के दिन अमेरिका ने जापान पर पहला परमाणु बम (Nuclear Bomb) गिराया था. इसके बाद जो हुआ, हिरोशिमा (Hiroshima) की जमीन उसकी गवाह आज तक है. अगस्त 1945 तक जापान द्वितीय विश्व युद्ध हार चुका था. इस बात की जानकारी अमेरिका और जापान दोनों ही देशों को थी. ऐसे में कुछ सवाल थे, जो हर किसी के मन में लगातार उठ रहे थे. कितने दिनों तक युद्ध चलेगा, जापान कब सरेंडर करेगा और आगे क्या? जापान सरेंडर करने और आखिर तक युद्ध लड़ने के बीच बंट चुका था. ऐसे में जापान ने युद्ध लड़ना जारी रखा. साल 1945 के मध्य जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमन को परमाणु बम के सफलतापूर्वक परीक्षण की जानकारी मिली. उन्होंने इसे दुनिया के इतिहास का सबसे खतरनाक बम बताया. हजारों घंटे रिसर्च और विकास के साथ-साथ अरबों डॉलर ने इसे तैयार करने में योगदान दिया था. ये कोई सैद्धांतिक शोध परियोजना नहीं थी. इसे बड़े पैमाने पर नष्ट करने और मारने के लिए बनाया गया था. राष्ट्रपति के रूप में, ये हैरी ट्रूमैन का निर्णय था कि क्या युद्ध को समाप्त करने के लक्ष्य के लिए हथियार का उपयोग किया जाएगा. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति के पास चार ऑप्शन थे, जिनके जरिए युद्ध को खत्म करने के लिए बम का इस्तेमाल किया जाना था. आइए इन विकल्पों के बारे में जाना जाए. विकल्प 1: जापानी द्वीपों पर पारंपरिक बमबारीपरमाणु हमले के बाद तबाह हुए घर (Hiroshima Peace Memorial Museum) अमेरिका ने 1942 की शुरुआत में जापान पर पारंपरिक बमबारी की शुरुआत कर दी थी. मगर 1944 के मध्य तक ये बड़े स्तर पर शुरू नहीं हुआ था. अप्रैल 1944 से लेकर अगस्त 1945 के बीच अमेरिकी हवाई हमलों में 3,33,000 जापानी मारे गए और 4,73,000 से अधिक लोग घायल हुए. मार्च 1945 में टोक्यो पर हुए एक बम हमले में 80 हजार से अधिक लोग मौत की नींद सो गए. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमन ने भी देखा कि टोक्यो पर हुए हमले के बाद भी जापान ने सरेंडर से इनकार कर दिया. इस तरह अगस्त 1945 में मान लिया गया कि पारंपरिक बमबारी से जापान को झुकाया नहीं जा सकता है. विकल्प 2: जापानी द्वीपों पर जमीनी हमलापरमाणु हमले के बाद रेडिएशन की जांच करता एक कर्मचारी (Hiroshima Peace Memorial Museum) अमेरिका के पास जापान पर जमीनी हमला का विकल्प भी मौजूद था. मगर इतिहास गवाह था कि जापानियों ने जमीनी आक्रमण में जल्दी हथियार नहीं डाले थे. जापानी अपने द्वीपों को बचाने के लिए जान की कुर्बानी देने को तैयार थे. 1945 में इवो जीमा युद्ध के दौरान अमेरिका के 6200 सैनिक मारे गए. उसी साल ओकिनावा युद्ध में 13 हजार सैनिकों और नाविक मारे गए. ओकिनावा में मरने वाले 35 फीसदी अमेरिकी थे. ऐसे में जमीनी हमला करने पर अमेरिका को बड़ा नुकसान हो सकता था. इस तरह ऐसा लगने लगा कि जापान को हराने के लिए बड़ा हमला करने की जरूरत है. विकल्प 3: गैर आबादी वाले इलाके पर परमाणु बमों का शक्ति प्रदर्शनहिरोशिमा में स्थित रेड क्रास अस्पताल के पास से गुजरते लोग (Hiroshima Peace Memorial Museum) अमेरिका के पास परमाणु बमों की शक्ति प्रदर्शन करने और इसके जरिए जापानियों को सरेंडर के लिए डराने का विकल्प भी था. मगर इस विकल्प को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए. पहला सवाल ये था कि अगर किसी द्वीप को बम के जरिए निशाना बनाया जाएगा तो जापान को इस बम की शक्ति को लेकर कौन सलाह देगा. क्या ये राजनेतओं की एक कमिटी होगी या फिर सिर्फ एक नेता होगा. जापान को सरेंडर के लिए निर्णय लेने में कितना समय लगेगा. क्या जापान एक कमिटी के फैसले पर सरेंडर का निर्णय लेया. हमले के बाद बर्बाद हुए घरों के पास से गुजरते लोग (Hiroshima Peace Memorial Museum) इसके अलावा, अमेरिका को इस बात का भी डर था कि कहीं ये बम प्रदर्शन के दौरान फटे ही नहीं. वहीं जापान बम की शक्ति देखकर कहीं अधिक आक्रामक होकर युद्ध न लड़ने लगे. इन सब के इतर ये भी सवाल उठ खड़ा हुआ कि अमेरिका के पास सिर्फ दो परमाणु बम हैं और बाकी पर निर्माण कार्य जारी है. ऐसे में क्या देश को अपने आधे परमाणु हथियार का प्रदर्शन करना चाहिए. ऐसे में गैर आबादी वाले इलाके पर परमाणु बम गिराने के आइडिया को रद्द कर दिया गया. विकल्प 4: आबादी वाले इलाके पर परमाणु बम गिरानाहमले में बर्बाद हुआ ‘हिरोशिमा प्रीफेक्चुरल इंडस्ट्रियल प्रमोशन हॉल’ (Hiroshima Peace Memorial Museum) राष्ट्रपति ट्रूमन और उनके सहयोगियों ने निर्णय लिया कि शहर पर बमबारी करना ही ठीक रहेगा. वहीं, शहर को खाली करने की चेतावनी जारी करने से बम गिराने वाले जहाज का क्रू खतरे में पड़ सकता है. इसके अलावा, जापान जहाजों को मार भी सकता है. वहीं, बम गिराने के लिए जापानी शहर का चुनाव बेहद ही ध्यान से किया. इसके लिए ऐसा शहर चुना गया, जिसे पहले की गई पारंपरिक बमबारी से कम नुकसान पहुंचा हो. टार्गेट एक ऐसा शहर भी होना चाहिए था, जहां सैन्य प्रोडक्शन किया जाता होगा. इसके अलावा, अमेरिका ने इस बात का भी ख्याल रखा कि टार्गेट ऐसा शहर नहीं होना चाहिए, जो जापानी संस्कृति का हिस्सा रहा हो. इस तरह हिरोशिमा का चुनाव किया गया और फिर छह अगस्त 1945 को पहला परमाणु बम शहर पर गिरा दिया गया. ये भी पढ़ें: तेज रोशनी…फिर जोरदार धमाका, शमशान बन गया शहर, परमाणु हमले में बचे शख्स की जुबानी सुनें तबाही की कहानी अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम क्यों गिराया?आखिर बम क्यों गिराया गया
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जपान के दो बड़े शहर नागासाकी और हिरोशिमा पर बम गिराया था। इस बम की ताकत इतनी ताकत थी कि दोनों शहरों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
हिरोशिमा नागासाकी में परमाणु बम क्यों गिराया?हिरोशिमा और नागासाकी के चुने जाने के पीछे कई कारण थे. ट्रूमन चाहते थे कि शहर ऐसे हों जिन पर बम गिराने का पर्याप्त असर हो, सैन्य उत्पादन इनमें प्रमुख था जिससे कि जापान की युद्ध क्षमता को सबसे बड़ा नुकसान हो सके. हिरोशिमा इसके लिए उपयुक्त था.
जापान में परमाणु बम से कितनी मौतें हुई?आज के ही दिन 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम (Atom Bomb) गिराया था। इससे काफी जन धन की हानि हुई थी। आज भी इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि इस हमले में एक लाख 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
जापान ने अमेरिका पर हमला क्यों किया?क्या था डिप्लोमेटिक बैकग्राउंड? - जापान ने यूएस पेसिफिक फ्लीट (बेड़े) को बेअसर करने का इरादे से पर्ल हार्बर पर हमला किया था। - अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 7 दिसंबर, 1941 को 'कलंक का दिन' कहा। - हमले के दूसरे ही दिन 8 दिसंबर, 1941 को अमेरिका भी सेकंड वर्ल्ड वॉर में कूद पड़ा।
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