Show
पुरुषों की भाँति स्त्रियों को भी वेदमाता गायत्री की साधना का अधिकार है। गतिहीन व्यवस्था को गतिशीलता में परिणत करने के लिये दो भिन्न जाति के पारस्परिक आकर्षक करने वाले तत्त्वों की आवश्यकता होती है। ऋण (निगेटिव) और धन (पोजेटिव) शक्तियों के पारस्परिक आकषर्ण- विकर्षण द्वारा ही विद्युत् गति का सञ्चार होता है। परमाणु के इलेक्ट्रोन और प्रोटोन भाग पारस्परिक आदान- प्रदान के कारण गतिशील होते हैं। शाश्वत चैतन्य को क्रियाशील बनाने के लिये सजीव सृष्टि को नर और मादा के दो रूपों में बाँटा गया है, क्योंकि ऐसा विभाजन हुए बिना विश्व निश्चेष्ट अवस्था में ही पड़ा रहता। ‘रयि’ और ‘प्राण’ शक्ति का सम्मिलन ही तो चैतन्य है। नर- तत्त्व और नारी- तत्त्व का पारस्परिक सम्मिलन न हो, तो चैतन्य, आनन्द, स्फुरणा, चेतना, गति, क्रिया, वृद्धि आदि का लोप होकर एक जड़ स्थिति रह जाएगी। << | < | | > | >> गायत्री मंत्र का जाप महिलाओं को क्यों नहीं करना चाहिए?मान्यता है कि स्त्री द्वारा गायत्री मंत्र का जाप करने से महिलाएं पुरुष की तरह व्यवहार करने लगती हैं और इस मंत्र की शक्ति और प्रभाव से उनके शारीरिक अंगों और त्वचा पर भी इसका असर पड़ने लगता है। चेहरे पर अनचाहे बाल आना और मासिक धर्म में दिक्कत आना गायत्री मंत्र का ही अशुभ प्रभाव माना जाता है।
गायत्री मन्त्र सुनने से क्या होता है?गायत्री मंत्र जाप के फायदे
-कहते हैं कि गायत्री मंत्र के जाप से दुख और दरिद्रता का नाश होता है, संतान की प्राप्ति होती है. -मान्यता है कि गायत्री मंत्र जाप से मन शांत और एकाग्र रहता है. मुखमंडल पर चमक आता है. -किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता है.
स्त्री गायत्री मंत्र क्या है?गायत्री मंत्र- ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री मन्त्र कैसे बोले?Gayatri mantra: गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
|