लेकिन, कभी-कभी इन दालों के सेवन से पेट में एसिड (Acidity) और गैस (Gas) बनने लगती है। इसलिए विशेषज्ञ अधिकांश दालों का सेवन रात के खाने के बजाय केवल दोपहर के भोजन में शामिल करने की सलाह देते हैं। आज हम आपको ऐसे ही 4 दाल और उनसे होने वाली
गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने के उपायों को बता रहें हैं। अधिकांश स्ट्रीट फूड में सफेद मटर या मटर को तले हुए कुलचे के साथ खाने के लिए परोसा जाता है। वैसे तो मटर दाल की सबसे स्वास्थ्यप्रद किस्मों में से एक है और प्रोटीन और फाइबर से भरी हुई है। लेकिन जब पाचन की बात आती है तो इसमें अधिक समय लगता है। मटर दाल बनाने से पहले करें ये काममटर दाल को बनाने से पहले इसे 8-12 घंटे के लिए भिगोकर रखें। इसके साथ ही इसे हींग और बेकिंग सोडा के साथ पकाएं। उड़द दालउड़द की दाल सबसे भारी दालों
में से एक है। जिसके कारण इसके सेवन से बहुत अधिक गैस बनती है और पचने में काफी समय लगता है। इसलिए कहा जाता है कि जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। चूंकि, यह एक गैसीय दाल है, इसलिए यह सलाह दी
जाती है कि जिन लोगों को पैर के दर्द से संबंधित समस्या है, उन्हें निश्चित रूप से इसके सेवन से बचना चाहिए। उड़द दाल बनाने से पहले करें ये कामइस दाल को पकाने से पहले कम से कम 8-10 घंटे के लिए भिगो दें। इस दाल को भिगोने के लिए इस्तेमाल किया गया पानी फेंक दें और धनिये के पाउडर के साथ अच्छी मात्रा में हींग का इस्तेमाल करें इसे पकाएं। साथ ही इसमें प्याज का भी कम इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इससे गैस बनती है। चना दालयह दाल प्रोटीन और फाइबर का भंडार होती है। लेकिन, यह दाल पेट में गैस बनाने का काम भी करता है। ऐसे में जिन लोगों को गैस की समस्या होती है उन्हें इस दाल को कम खाने की सलाह दी जाती है। चना दाल बनाने से पहले करें ये कामइस दाल को हमेशा मसूर दाल के साथ मिलाकर बनाए। इसके अलावा, इस दाल को
पकाने से कम से कम 4-6 घंटे पहले भिगो दें और इसे भिगोने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी को फेंक दें। इसे उबालते समय इसमें कुछ मेथी दाना मिला सकते हैं जो न केवल बेहतर स्वाद लाते हैं बल्कि इस दाल के गैस्ट्रिक गुणों को भी कम करते हैं। या इस दाल को पकाते समय हींग, धनिया पाउडर और थोड़ी सी सौंफ पाउडर का उपयोग भी कर सकते हैं। अरहर दालअरहर दाल जीरा पकाए जाने पर अक्सर स्वाद में तीखी होती है और पोषक तत्वों से भरी होती है। लेकिन, बहुत से लोग इसे अकेले पकाने की गलती करते हैं जिससे गैस्ट्रिक की बहुत सारी समस्याएं होती हैं। अरहर दाल बनाने से पहले करें ये कामयह दाल बना रहे हों तो उसमें उतनी ही मात्रा में मसूर की दाल मिला
लें, इससे यह आसानी से पच जाती है। साथ ही, अरहर दाल को पकाने से पहले 30-60 मिनट के लिए भिगो दें क्योंकि यह दाल के गैस पैदा करने वाले गुणों को दूर करने में मदद करती है। आप इस दाल से होने वाली गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने के लिए हींग, धनिया के बीज और मेथी के बीज जैसे मसालों का तड़का भी मिला सकते हैं। इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें मसूर की दाल खाने से गैस बनती है क्या?कई लोगों को दाल खाने की वजह से पेट में गैस की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से एसिड रिफ्लक्स की समस्या भी हो सकती है। उड़द, राजमा, मसूर, सफेद चने और मूंग आदि की दाल खाने से कुछ लोगों में पेट में गैस (Kaun Si Dal Khane Se Gas Banti Hai) बन सकती है। ऐसे लोगों को रात के समय भी दाल खाने से मना किया जाता है।
कौन सी दाल से गैस नहीं बनती है?इसलिए मटर की दाल कम मात्रा में और दिन में ही खानी चाहिए. उड़द की दाल गैस करती है और पचाने में समय लगता है. इसलिए कमजोर पाचन वालों को उड़द की दाल नहीं खानी चाहिए. इससे गैस हो सकती है.
मसूर की दाल कब नहीं खाना चाहिए?ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, रविवार को मसूर की दाल, अदरक या फिर कोई लाल रंग का भोज्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
पेट के लिए सबसे अच्छी दाल कौन सी है?मूंग की दाल- Moong Dal
मूंग की पीली दाल पेट के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। अन्य दालों की तुलना में इसे पचाना बेहद आसान होता है और इसका सेवन पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदेमंद माना जाता है।
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