क्या द्वादशी को चावल खाना चाहिए? - kya dvaadashee ko chaaval khaana chaahie?

पारण एकादशी: एकादशी व्रत का नियम दशमी से द्वादशी तक चलता है. द्वादशी को पारण करते समय चावल जरूर खाना चाहिए. तामसिक चीजों का पारण में भूल कर भी प्रयोग न करें एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के निमित्त रखा जाता है. हर मास में एकादशी आती है और मास के अनुसार एकादशी व्रत का महात्मय भी बढ़ जाता है. एकादशी व्रत करने के लिए दशमी के दिन से व्रत के नियम लग जाते हैं जो द्वादशी तक चलते हैं.

दशमी से लेकर द्वादशी तक व्रत के नियमों का पालन मनुष्य नहीं करते तो इससे उन्हें व्रत का पूरा पुण्य लाभ नहीं मिलता. ऐसे में हर किसी को यह पुण्य लाभ नहीं मिलता. सभी को यह जानना चाहिए कि व्रत के अगले दिन पारण करते हुए क्या गलतियां न करें. एकादशी पर नियम और संयम के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण में खास चीजों का ही सेवन करने का विधान है.

इस व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से आपको व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवतागण भी प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं चीजें.

1- भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहण नहीं करते, इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादशी व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं.

2- आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है. एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है. 

3- एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है . मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है. 

4- सेम की सब्जी को कफ और पित्त नाशक माना गया है और व्रत पारण के लिहाज से भी यह उत्तम माना गया है. ऐसे में सेम धार्मिक और स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर पारण भोज्य माना गया है.

5- व्रत पारण में जो भी भोजन पकाया जाता है उसमें घी का प्रयोग करना चाहिए. गाय के शुद्ध घी से ही व्रत के पारण का भोजन बनाना चाहिए. घी को सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है और ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है. 

किन चीजों को न करें शामिल :

इन चीजों का प्रयोग पारण करते समय भूल कर भी नहीं करना चाहिए. मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का पारण में प्रयोग निषेध है. बैंगन पित्त दोष को बढ़ाता है और उत्ताजनावर्द्धक होता है, तो वहीं मसूर की दाल को अशुद्ध माना गया है. मूली की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह व्रत के ठीक बाद सेहत के लिए सही नहीं होती. लहसुन-प्याज तामसिक भोजन होता है, इसलिए इसका प्रयोग भी वर्जित है. माना जाता है कि इसे खाने से उत्तेजना, क्रोध, हिंसा और अशांति की भावना मन में आती है.

महाशिवरात्रि पर ही खुलता है भगवान शिव का ये मंदिर, मनोकामना पूरी होने पर करना पड़ता है ये काम, जानें मंदिर से जुड़ी बातें

नाम का पहला अक्षर बताएगा आपके पार्टनर का स्वभाव, जानें कितना रोमांटिक, केयरिंग और क्यूट होगा आपका साथी

द्वादशी को चावल क्यों खाना चाहिए?

एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है . मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है.

द्वादशी के दिन क्या क्या नहीं खाना चाहिए?

द्वादशी को पोई, त्रयोदशी को बैंगन नहीं खाना चाहिए

द्वादशी के दिन क्या करना चाहिए?

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने का उल्लेख मिलता है। अतः एकादशी की रात्रि में न सोएं। बल्कि भगवान विष्णु जी का भजन-कीर्तन करें। अगले दिन अर्थात द्वादशी के दिन पूजा-दान एवं ब्राह्मणों को भोजन कराने के पश्चात व्रत खोलें।

एकादशी को चावल दान करने से क्या होता है?

एकादशी के दिन किसी को भी चावल नहीं खाने चाहिए और न ही किसी को चावल दान करने चाहिए। अगर आपके द्वार पर कोई याचक आता है तो इस दिन चावल छोड़कर अन्‍य चीजों का दान कर सकते हैं। माना जाता है कि इस दिन चावल खाने वाले व्‍यक्ति को रेंगने वाले जीव की योनि में जन्‍म मिलता है।