निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: Show (क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल। 647 Views (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए- आशय - आशय यह है कि समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों, कानूनों व परम्पराओं का पालन करना पड़ता है तभी वह सामाजिक प्राणी कहलाता है। क्योंकि समाज में अपनी दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्यों को दिया जाता है। इस कहानी में बुढ़िया को घर की मजबूरी फुटपाथ पर खरबूज़े बेचने के लिए विवश कर देती है। वह दिल पर पत्थर रखकर लोगों के ताने सहन करती है। लोग ताना देते हुए कहते है कि इनके लिए बेटा-बेटी, पति-पत्नी और धर्म-ईमान सभी कुछ रोटी ही होती है। लोग किसी की विवशता पर हँस तो सकते है परन्तु उनका सहारा नहीं बन सकते। पेट की आग उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर देती है। दूसरों से सहानुभूति के स्थान पर ताने सुनने पड़े तो मन फूट-फूटकर रोने को चाहता है ऐसा ही कहानी में उस बुढ़िया के साथ हुआ था। 260 Views (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए- आशय-प्रस्तुत कहानी देश में फैले अंधविश्वासों और ऊँच-नीच के भेदभाव का पर्दाफाश करती है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि दुःख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है। कहानी धनी लोगों की अमानवीयता और गरीबों की विवशता को उजागर करती है। लेखक पोशाक के विषय में वर्णन करते हुए कहता है कि जिस प्रकार पतंग को डोर के अनुसार नियंत्रित किया जाता है तथा जब डोर पतंग से अलग हो जाती है, तब पतंग हवा के साथ बहती हुई उड़ती है। और हवा के कारण अचानक ही धरती पर नहीं आ गिरती। किसी न किसी वस्तु में अटक कर रह जाती है। वैसी ही स्थिति हमारी पोशाक के कारण उत्पन्न होती है। खास पोशाक के कारण व्यक्ति आसमानी बातें करने लगता है। उसकी पोशाक उसे अपनी अमीरी का आभास कराती है। वह गरीबों को अपने बराबर स्थान नहीं देना चाहता। उसकी स्थिति त्रिशंकु जैसी हो जाती है। वह चाहते हुए भी किसी के दुःख दर्द में शामिल नहीं हो सकता। इसी तरह लेखक भी नीचे झुककर उस गरीब स्त्री का दुःख बाँटना चाहता था। किन्तु उसकी पोशाक उसमें बाधा उत्पन्न करती है। 352 Views पाठ के सदंर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए - बंद दरवाजे खोल देना –इसका अर्थ है कि जहाँ पहले सुनवाई नहीं होता थी, वहाँ अब बात सुनी जाती है। जहाँ पहले अपमान होता था, वहाँ अब मान-सम्मान होता है। यदि आदमी की पोशाक अच्छी होती है तो लोग उसका आदर सत्कार करते है। उसे कही भी आने-जाने से रोका नहीं जाता उसके लिए सभी रास्ते खुले होते है। निर्वाह करना-पेट भरना, घर का खर्च चलाना, कमाकर परिवार का पालन पोषण करना। भगवाना सब्जी तरकारी बोकर परिवार का निर्वाह करता था। भूख से बिलबिलाना-भूख के कारण तड़पना, भूख से रोना खाने-पीने की सामग्री न होने के कारण बुढ़िया के पोते-पोतियाँ भूख से व्याकुल हो रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगती है तो बच्चे भूख से बिलबिलाने लगते हैं। कोई चारा न होना- कोई उपाय न होना। भगवाना की माँ के पास अपने पोता-पोती को पेट भरने के लिए तथा बहू की दवा-दारु करने के लिए पैसे नहीं थे। कोई उधार भी नहीं देता था। घर में जब कमाई का कोई उपाय नहीं रहता तो दुख भरे क्षणों में भी कमाई के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। बुढ़िया के पास इसके अतिरिक्त कोई साधन नहीं था कि वह बाजार में खरबूजे बेचने जाती। शोक से द्रवित हो जाना- दुख से हृदय पिघल जाना लेखक खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया के रोने से दुःखी था। किसी के दुःख को देखकर स्वयं भी दुःखी होने का भाव प्रकट होता है। प्रतिष्ठित लोगों के दुःख को देखकर लोगों के हृदय पिघलने लगते है। उन लोगों के दुःख को प्रकट करने का तरीका अत्यन्त मार्मिक होता है। 421 Views निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए- (क) 1. छन्नी -ककना-बुढ़िया माँ ने अपने पुत्र को बचाने के लिए छन्नी-ककना तक बेच दिया। (ख) 1. फफक-फफककर-अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनते ही बुढ़िया फफक-फफकर रोने लगी। 340 Views (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए- आशय-इस पंक्ति का आशय यह है कि आज के इस समाज में दुःख मनाने का अधिकार भी केवल धनी वर्ग को होता है। यह सत्य है कि दुःख सभी को तोड़कर रख देता है। दुख में मातम सभी मनाना चाहते है चाहे वह अमीर हो या गरीब। दुःख का सामना होने पर सभी विवश हो जाते है। गरीब व्यक्ति के पास न तो दुख मनाने की सुविधा है न समय है वह तो रोजी-रोटी के चक्कर में ही उलझा रहता है। सम्पन्न वर्ग शोक का दिखावा अवश्य करता है। परन्तु वे अभागे लोग जिन्हें न दुख मनाने का अधिकार है और न अवकाश। जो परिस्थतियों के सामने घुटने टेक देते है, उन्हें पेट की ज्वाला को शांत करने के लिए दुखी होते भी काम करना पड़ता है। इस प्रकार निचली श्रेणी के लोगों को रोटी की चिन्ता दुःख मनाने के अधिकार से वंचित कर देती है। 783 Views लेखक के अनुसार बुढ़िया को कोई उधार क्यों नहीं देता?उत्तर: उस स्त्री के लड़के की मृत्यु साँप के डसने के कारण हुई थी। Question 5: बुढ़िया को कोई भी उधार क्यों नहीं देता? उत्तर: बुढ़िया के घर का इकलौता कमाऊ सदस्य अब इस दुनिया में नहीं था, इसलिए उसे कोई भी उधार नहीं दे रहा था।
लेखक ने क्यों कहा है कि दुःख मनाने का भी अधिकार होता है स्पष्ट कीजिए?दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दु:ख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार।
बुढ़िया को दुअन्नी उधार मिलने की समस्या क्यों थी?Answer: स्त्री का कमाऊ बेटा मर चुका था। अतः पैसे वापस न मिलने की आशंका के कारण कोई उसे इकन्नी-दुअन्नी भी उधार नहीं देता।
लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया?लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा कैसे लगाया? लेखक ने बुढ़िया के दु:ख का अंदाजा लगाने के लिए अपने पड़ोस में रहने वाली एक संभ्रांत महिला को याद किया। उस महिला का पुत्र पिछले वर्ष चल बसा था। तब वह महिला ढाई मास तक पलंग पर पड़ी रही थी।
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