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उत्तर गर्मियों में लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने गया था। गर्मी के कारण लेखक का भूख प्यास से बुरा हाल था। खाने की तलाश में वह रेलवे स्टेशन से आगे बसे गाँव की ओर चला गया। वहाँ तंग और गंदी गलियों से भरा बाज़ार था, वहाँ पर खाने पीने का कोई होटल या दुकान नहीं दिखाई दे रही थी और लेखक भूख प्यास से परेशान था। तभी एक दुकान पर रोटियाँ सेंकी जा रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और बढ़ गई। वह दुकान में चला गया और खाने के लिए माँगा। वहीं हामिद खाँ से परिचय हुआ। 2. 'काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।' हामिद ने ऐसा क्यों कहा? उत्तर हामिद खाँ को पता चला कि लेखक हिंदू है तो उसने पूछा कि क्या वह मुसलमानी होटल में खाएँगे। तब लेखक ने बताया कि हिंदुस्तान में हिंदू-मुसलमान में कोई भेद नहीं होता है। अच्छा पुलाव खाने के लिए वे मुसलमानी होटल में ही जाते हैं। वहाँ हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं होते। सब बराबर हैं। हामिद को एकदम विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसके यहाँ ऐसा नही था। वह यह सब अपनी आँखों से देखना चाहता था इसलिए उसने उपर्युक्त कथन को कहा। 3. हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था? उत्तर लेखक ने हामिद को कहा कि वह बढ़िया खाना खाने मुसलमानी होटल जाते हैं। वहाँ
हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं किया जाता है। सभी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। हिंदू-मुसलमान दंगे भी न के बराबर होते हैं। लेखक की इन सब बातों पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था। उत्तर हामिद खां ने लेखक को मेहमान माना था। उसे गर्व था कि एक हिन्दू ने उसके होटल का खाना खाया था। इसलिए उसने खाने का पैसा लेने से इंकार किया। 5. मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर मालाबार में हिंदू-मुसलमान मिलकर रहते हैं,उनमें आपसी दंगे भी नहीं होते हैं। दोनों के धर्मों में कोई भेदभाव नहीं होता है। बढ़िया खाना खाने के लिए हिंदू भी मुसलमानी होटल में खाने जाते हैं। वहाँ आपसी मेलजोल का माहौल है। मुसलमानों द्वारा भारत में स्थापित पहली मस्जिद भी इसी राज्य के 'कोडुंगल्लूर' नामक स्थान पर है। 6. तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है? उत्तर तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में हामिद खां का विचार कौंधा जिसके होटल में उसने तक्षशिला भ्रमण के दौरान खाना खाया था। इससे लेखक के धार्मिक सहिष्णुता, हमदर्दी जैसे स्वभाव की विशेषता का परिचय मिलता है। Here is a compilation of Free MCQs of Class 9 Hindi Sanchayan book Chapter 5 – Hamid Khan by S. K. Pottekkatt. Students can practice free MCQs as have been added by CBSE in the new Exam pattern. At the end of Multiple Choice Questions, the answer
keys have also been provided for your reference. प्रश्न 1 – लेखक को हामिद खाँ की याद क्यों आई? प्रश्न 2 – लेखक को तक्षशिला में आग लगने की खबर सुन कर किसकी याद आई? प्रश्न 3 – लेखक तक्षशिला में आग लगने की खबर सुन कर क्या प्रार्थना करने लगा? प्रश्न 4 – जब लेखक तक्षशिला के खण्डरों को देखने गया था तो लेखक किस वजह से परेशान हो गया था? प्रश्न 5 – रेलवे स्टेशन से कुछ दूर लेखक जिस गाँव में गया वहाँ लेखक को क्या नजर आ रहा था? प्रश्न 6 – लेखक के पाँव अपने आप उस दुकान की ओर क्यों मुड़ गए? प्रश्न 7 – जब लेखक
हामिद खाँ की दूकान के अंदर गया तो क्या हुआ? प्रश्न 8 – लेखक के पूछने पर की खाने को कुछ मिलेगा तो हामिद खाँ ने क्या कहा? प्रश्न 9 – लेखक ने उस दुकान के भीतर झाँककर क्या देखा? प्रश्न 10 – लेखक ने हामिद खाँ को क्या बताया कि वह कहाँ का है? प्रश्न 11 – लेखक किस धर्म का था? प्रश्न 12 – लेखक के हिन्दू होने का पता चलने पर हामिद खाँ ने लेखक से क्या पूछा? प्रश्न 13 – लेखक के शहर के मुसलमानी होटल में क्या-क्या
बढ़िया मिलता है? प्रश्न 14 – हामिद खाँ लेखक की किस बात पर विश्वास नहीं हर पाया? प्रश्न 15 – लेखक ने हामिद खाँ को कौन सी बात गर्व के साथ बताई? प्रश्न 16 – भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया था, वह कहाँ है? प्रश्न 17 – लेखक की सारी बातें सुन कर भी किस बात पर हामिद खाँ विश्वास नहीं कर पा रहा था? प्रश्न 18 – लेखक से हामिद खाँ ने भोजन के पैसे क्यों नहीं लिए? प्रश्न 19 – लेखक हामिद खाँ को भोजन के कितने पैसे देने चाहता था? प्रश्न 20 – आज भी लेखक के मन में हामिद खाँ की कौन से यादें हैं? Answer Key for Class 9 Hindi Sanchayan book Chapter 5 Hamid Khan MCQs
लेखक हामिद खान के होटल क्यों गया था?लेखक तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वहाँ वह धूप में भूख-प्यास से बेहाल होकर होटल की तलाश कर रहा था कि उसे हामिद खाँ की दुकान पर जाना पड़ा। यहाँ हामिद खाँ ने जाना कि लेखक भारत से आया है। और वह हिंदू है तो उसने लेखक से खाने का पैसा नहीं लिया और कहा, “भाई जान, माफ़ करना।
लेखक के शहर में मुसलमानी होटल में क्या क्या बढ़िया मिलता है?उत्तरः लेखक ने बताया कि हमारे यहाँ हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं और बढ़िया चाय या बढ़िया पुलाव के लिए मुसलमानी होटल में खाना खाते हैं। लेकिन लेखक की इस बात पर पठान हामिद खाँ को विश्वास न हुआ और बोला-काश मैं आपके मुल्क में आकर सब बातें अपनी आँखों से देख पाता।
भारत में लोग मुसलमानी होटल में क्यों जाते हैं?मालाबार में हिंदू-मुसलमान मिलकर रहते हैं,उनमें आपसी दंगे भी नहीं होते हैं। दोनों के धर्मों में कोई भेदभाव नहीं होता है। बढ़िया खाना खाने के लिए हिंदू भी मुसलमानी होटल में खाने जाते हैं। वहाँ आपसी मेलजोल का माहौल है।
लेखक को किसकी खुशबू आ रही थी?इसे सुनेंरोकेंवहाँ तंग और गंदी गलियों से भरा बाज़ार था, वहाँ पर खाने पीने का कोई होटल या दुकान नहीं दिखाई दे रही थी और लेखक भूख प्यास से परेशान था। तभी एक दुकान पर रोटियाँ सेंकी जा रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और बढ़ गई। वह दुकान में चला गया और खाने के लिए माँगा।
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