Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 12 बाज़ार दर्शन. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board
exams. प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 1. लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा उन्हें दरकार नहीं है। बस खुद पैसे के जुड़ा होने पर उनका मन गर्व से भरा फूला रहता है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 2. मैंने मन में कहा, ठीक। बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखीं। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे चाह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफ़ी नहीं है और चाहिए, और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह! (C.B.S.E. Delhi 2008) अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 3. बाज़ार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है। वह रूप का जादू है पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुँच जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भरी तब तो फिर वह मन किसकी माननेवाला है। (C.B.S.E. Delhi 2017, Set-I, II, III) मालूम होता है यह भी लूँ, वह भी लूँ। सभी सामान ज़रूरी और आराम को बढ़ानेवाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है। जादू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैंसी चीज़ों की बहुतायत आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती है। थोड़ी देर को स्वाभिमान को ज़रूर सेंक मिल जाता है पर इससे अभिमान की गिल्टी को और खुराक ही मिलती है। जकड़ रेशमी डोरी की हो तो रेशम के स्पर्श के मुलायम के कारण क्या वह कम जकड़ होगी? (AI. C.B.S.E. 2009, C.B.S.E., 2014 Set-A,B,C, C.B.S.E. 2018) अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 4. यहाँ एक अंतर चीन्ह लेना बहुत जरूरी है। मन खाली नहीं रहना चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए। जो बंद हो जाएगा, वह शून्य हो जाएगा। शून्य होने का अधिकार बस परमात्मा का है जो सनातन भाव से संपूर्ण है। शेष सब अपूर्ण है। इससे मन बंद नहीं रह सकता। सब इच्छाओं का निरोध कर लोगे, यह झूठ है और अगर ‘इच्छानिरोधस्तपः’ का ऐसा ही नकारात्मक अर्थ हो तो वह तप झूठ है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 5. हममें पूर्णता होती तो परमात्मा से अभिन्न हम महाशून्य ही न होते? अपूर्ण हैं, इसी से हम हैं। सच्चा ज्ञान सदा इसी अपूर्णता के बोध को हममें गहरा करता है। सच्चा कर्म सदा इस अपूर्णता की स्वीकृति के साथ होता है। अतः उपाय कोई वही हो सकता है जो बलात् मन को रोकने को न कहे, जो मन को भी इसलिए सुने क्योंकि वह अप्रयोजनीय रूप में हमें नहीं प्राप्त हुआ है। हाँ, मनमानेपन की छूट मन को न हो, क्योंकि वह अखिल का अंग है, खुद कुल नहीं है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 1. क्या पूर्णता होने पर मनुष्य की सत्ता होती? यदि नहीं तो क्यों? 6. पैसे की व्यंग्य-शक्ति की सुनिए। वह दारुण है। मैं पैदल चल रहा हूँ कि पास ही धूल उड़ाती निकल गई मोटर। वह क्या निकली मेरे कलेजे को कौंधती एक कठिन व्यंग्य की लीक ही आर-से-पार हो गई। जैसे किसी ने आँखों में उँगली देकर दिखा दिया हो कि देखो, उसका नाम है मोटर और तुम उससे वंचित हो! यह मुझे अपनी ऐसी विडंबना मालूम होती है कि बस पूछिए नहीं। मैं सोचने को हो आता हूँ कि हाय, ये ही माँ-बाप रह गए थे जिनके यहाँ मैं जन्म लेने को था! क्यों न मैं मोटरवालों के यहाँ हुआ। उस व्यंग्य में इतनी शक्ति है कि जरा में मुझे अपने सगों के प्रति कृतघ्न कर सकती है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर । 1. गद्यांश के लेखक और पाठ का नाम बताएँ। 7. यहाँ मुझे ज्ञात होता है कि बाजार को सार्थकता भी वही मनुष्य देता है जो जानता है कि वह क्या चाहता है। और जो नहीं जानते कि वे क्या चाहते हैं, अपनी ‘पर्चेजिंग पावर’ के गर्व में अपने पैसे से केवल एक विनाशक शक्ति-शैतानी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति ही बाजार को देते हैं। न तो वे बाज़ार से लाभ उठा सकते हैं, न उस बाज़ार को सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे लोग बाज़ार का बाज़ारूपन बढ़ाते हैं। जिसका मतलब है कि कपट बढ़ाते हैं। कपट की बढ़ती का अर्थ परस्पर में सद्भाव की घटी। इस सद्भाव के ह्रास पर आदमी आपस में भाई-भाई और सुहृद और पड़ोसी फिर रह ही नहीं जाते हैं और आपस में कोरे ग्राहक और बेचक की तरह व्यवहार करते हैं। (C.B.S.E. 2010, Set-III, A.I.C.B.S.E. Set-I, 2012 Set-1) अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न वह कौन सी शक्ति है जो अपने सगों के प्रति भी कृतघ्न कर सकती है?2. पैसे की व्यंग्य-शक्ति दारुण है। 3. लेखक को बुढ़ापे में मोटर न होने का व्यंग्य अपने सगों के प्रति कृतघ्न कर सकता है।
संयमी व्यक्ति अपने पैसे की पावर को कैसे दिखते हैं?4, संयमी लोग 'पर्चेजिंग पावर' के नाम पर अपनी शान नहीं दिखाते। वे धन को जोड़कर बुद्धि और संयम से अपनी पावर बनाते हैं, प्रसन्न रहते हैं, और फ़िजूल खर्च नहीं करते।
मन खाली हो तब आ जाना आओ जैनेंद्र कुमार ने ऐसा क्यों कहा है?Answer: 'मन खाली होने' से अभिप्राय यह है की मन में यह विचार का आना कि मेरे पास बहुत सिमित एवम कम चीजें हैं और मुझे बाजार में प्रदर्शित चीजों को खरीदना चाहिए। यह खाली मन सदैव बाजारवाद को बढ़ावा देता है। मन के खाली होने पर बाजार की चीजों का आमंत्रण मिल जाता है अर्थात् मन हमेशा उन चीजों को खरीदने का करता है।
बाजार को सार्थकता देने का क्या आशय है यह कौन कर सकता है?लेखक का मानना है कि बाजार को सार्थकता वह मनुष्य देता है जो अपनी जरूरत को पहचानता है। जो केवल पर्चेजिंग पॉवर के बल पर बाजार को व्यंग्य दे जाते हैं, वे न तो बाजार से लाभ उठा सकते हैं और न उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं। ये कपट को बढ़ाते हैं जिससे सद्भाव घटता है।
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