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Ans: केन्द्रस्थ नगर के इर्द-गिर्द का स्थान।
Ans: ‘a’ और ‘b’ दोनों सत्य हैं
Ans: उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।
Ans: वे थककर सो गए।
Ans: ‘a’ और ‘b’ कथन सत्य हैं।
Ans: अपने प्रति नवाब की अरुचि देखकर।
Ans: मिलने पर
Ans: पतनशील सामंती वर्ग पर
Ans: 1903 हिमाचल के काँगड़ा जिले में।
Ans: लाहौर के नेशनल कालेज से।
Ans: जंजीरें और दीवारें
Ans: सेकंड क्लास।
Ans: वे एकांत में बैठकर नई कहानी के विषय में सोचना चाहते थे।
Ans: नवाब साहब के चिंतन में विघ्न पड़ गया था
Ans: लेखक ने सोचा कि शायद ये भी किसी कहानी के बारे में सोच रहे हैं।
Ans: डिब्बे को खाली देखकर।
Ans: लखनऊ के
Ans: अचानक डिब्बे में लेखक के आ जाने पर।
Ans: खीरे जैसी वस्तु का शौक करते देखे जाने के कारण।
Ans: नवाब साहब ने संगति के लिए कोई उत्सुकता नहीं दिखाई थी। Question लेखक ने नवाब के हावभाव देखकर क्या सोचा?लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया तथा लेखक के प्रति नवाब साहब ने संगति के लिए कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।
नवाब के व्यवहार को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?(ख) नवाब साहब की भाव-भंगिमा देखकर लेखक के मन में यह विचार आया कि नवाब साहब का मुँह खीरे के स्वाद की कल्पना से ही भर गया है।
लेखक ने नवाब साहब के बारे में क्या कल्पना की?<br> (ख) लेखक ने नवाब साहब के बारे में सोचा कि वे शायद इस डिब्बे में अकेले यात्रा करना चाहते थे। उन्होंने सोचा होगा कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली मिलेगा। इसीलिए उन्होंने किराया बचाने के लिए इस दर्जे का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु अब वे नहीं चाहते कि कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे।
लेखक कनखियों से देखकर क्या सोच रहे थे?हम कनखियों से देखकर सोच रहे थे, मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं। नवाब साहब ने फिर एक बार हमारी ओर देख लिया, 'वल्लाह, शौक कीजिए, लखनऊ का बालम खीरा है! ' दिया, 'शुक्रिया, इस वक्त तलब महसूस नहीं हो रही, मेदा भी ज़रा कमज़ोर है, किबला शौक फरमाएँ ।
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