मंगल की पत्नी का क्या नाम है? - mangal kee patnee ka kya naam hai?

मंगल की पत्नी का क्या नाम है? - mangal kee patnee ka kya naam hai?

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख मंगल ग्रह की पत्नी का नाम (Mangal grah ki Patni ka Naam) में।दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप मंगल ग्रह की पत्नी का नाम, मंगल ग्रह के जन्म की कथा, मंगल ग्रह की उत्पति की कथा पड़ेंगे। तो आइये दोस्तों करते है, शुरू आज का यह लेख मंगल ग्रह की पत्नी का नाम:- मंगल ग्रह की जानकारी हिंदी में

मंगल ग्रह की पत्नी का नाम Mangal grah ki patni ka Naam 

मंगल ग्रह को अशुभ और बुरा ग्रह माना जाता है, जो कई गुणों के कारक होते है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं तथा महाभारत के उल्लेख के अनुसार यह बताया जाता

है, कि मंगल ग्रह की पत्नी का नाम मेघा (Megha) है, किंतु कुछ धर्म ग्रंथों में मंगल ग्रह की पत्नी ज्वालिनी देवी (Jvalini Devi) को माना जाता है।

मंगल ग्रह के जन्म की कथा Mangal Grah ki Janm Katha 

मंगल ग्रह हमारे सौरमंडल का ही एक ग्रह है, जो सूर्य से बढ़ती दूरी के क्रम में चौथे स्थान पर आता है। इसकी सतह पर आयरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने के कारण यह लाल रंग का दिखाई देता है।

मंगल ग्रह के स्वामी को मंगल देव कहा जाता है, इसके साथ ही उन्हें युद्ध का देवता अंगारक देव के नाम से भी जाना जाता है। इनका रंग लाल होता है,

मंगल देव का वाहन भेड़ है और वह अपने हाथों में त्रिशूल, भाला, गदा, पदम धारण किये हुए सुशोभित होते हैं। मंगल ग्रह की उत्पत्ति की दो कथा प्रचलित है जो यहाँ पर बताई गई है।

मंगल ग्रह की उत्पत्ति की प्रथम कथा Mangal Grah ki utpatti ki pratham katha 

यह कथा स्कन्द पुराण में वर्णित है। बहुत समय पहले महाकाल नगरी उज्जैन पर एक असुर जिसका नाम अंधकासुर था राज्य करता था।

(वर्तमान में उज्जैन नगरी मध्य प्रदेश राज्य में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है) यह असुर बड़ा ही क्रूर प्रवृति था जो अपने राज्य की प्रजा को बहुत ही कष्ट दिया करता था,

जो ऋषि मुनि भगवान की आराधना करते थे, यज्ञ हवन करते थे, यह उनको परेशान करता था और उनको मृत्यु के घाट उतार दिया करता था। उस आदतायी राक्षस का एक बड़ा ही क्रूर प्रवृति का बेटा था

जिसका नाम कनक था। कनक भी अपने पिता अंधकासुर के समान शक्तिशाली और पराक्रमी था। एक बार कनक ने अपनी शक्ति के मद में चूर होकर इंद्रदेव पर आक्रमण कर दिया।

इंद्रदेव और कनक के बीच में भयंकर युद्ध हुआ और अंततः इंद्रदेव ने कनक को पराजित करके उसकी हत्या कर दी। कनक की हत्या करने के बाद इंद्रदेव को अपने राज्य की चिंता सताने लगी,

क्योंकि इंद्रदेव कनक के पिता अंधकासुर की शक्ति से भलीभांति परिचित थे और अंधकासुर स्वर्ग पर अधिकार करके स्वर्ग को तहस-नहस कर सकता था।

इसीलिए भगवान इंद्र महादेव शिव शंकर की शरण में चले गए और उन्होंने अंधकासुर से स्वर्ग की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की। आशुतोष भगवान महाशिव शंकर ने देवराज इंद्र की इस प्रार्थना को स्वीकार किया

और भगवान शिव शंकर तथा अंधकासुर के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ। दोनों ओर से महाशक्तियों का प्रयोग किया गया और युद्ध ने एक विकराल रूप ले लिया और युद्ध लंबे समय तक चला।

अंततः महादेव शिव शंकर ने अंधकासुर का वध कर दिया, किन्तु भगवान शिव शंकर के माथे से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर जाकर उज्जैन नगरी पर गिरी,

जिससे वहाँ की धरती को फाड़कर अंगारे के समान एक पुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम मंगल रखा गया। ब्राह्मणों ने उसकी स्तुति की और उसको गुण रूप आदि

के कारण सौरमंडल के आठ ग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान दिया। उज्जैन नगरी के जिस स्थान से मंगल ग्रह का जन्म हुआ था उस स्थान पर स्वयं भगवान ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर शिवलिंग की स्थापना की,

जिसे आज के समय मंगलेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है और मंगलवार को यहाँ दर्शन करने के लिए हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मंगल ग्रह की उत्पत्ति की दूसरी कथा Mangal grah ki utpatti ki doosri katha 

ब्रम्हाबर्त पुराण के अनुसार यह कथा इस प्रकार है, कि एक बार हिरणकश्यप और हिरण्याक्ष नाम के दो भयंकर असुर थे, जिनके प्रकोप के कारण तीनों लोक थरथर कांपते थे। एक समय हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुरा लिया और पृथ्वी को सागर में जाकर कहीं छुपा दिया।

तब भगवान श्री हरि विष्णु ने वराह अवतार धारण किया और हिरण्याक्ष को मार कर माँ पृथ्वी को फिर से सागरतल पर स्थापित किया।

इसके पश्चात परमपिता ब्रह्मा ने पृथ्वी पर जीवन की रचना की। माँ भगवती पृथ्वी देवी ने भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना की और

उनसे पुत्र प्राप्ति के लिए विनती की। भगवान श्रीहरि विष्णु की आज्ञा और आशीर्वाद के फलस्वरूप माँ भगवती के गर्भ से एक पुत्र की उत्पत्ति हुई जिसे मंगल ग्रह के नाम से जाना जाता है।

दोस्तों आपने इस लेख में मंगल ग्रह की पत्नी का नाम (Mangal grah ki Patni ka Naam) के साथ उनके उत्पत्ति की कथा पढ़ी। आशा करता हुँ, आपको यह लेख पसंद आया होगा।

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  1. मंगल ग्रह से सम्बंधित व्यवसाय और नौकर
  2. मंगल देव के 108 नाम

मंगल की पत्नी का नाम क्या है?

भारतीय ज्योतिष में मंगल इसी नाम के ग्रह के लिये प्रयोग किया जाता है। इस ग्रह को अंगारक (यानि अंगारे जैसा रक्त वर्ण), भौम (यानि भूमि पुत्र) भी कहा जाता है। मंगल युद्ध का देवता कहलाता है और कुंवारा है। यह ग्रह मेष एवं वृश्चिक राशियों का स्वामी कहलाता है। ... मंगल (ज्योतिष).

पांडे की पत्नी का नाम क्या था?

मंगल पाण्डेय
जन्म
नगवा, बलिया, भारत
मृत्यु
8 अप्रैल 1857 बैरकपुर, भारत
व्यवसाय
बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की ३४वीं रेजीमेण्ट में सिपाही
प्रसिद्धि कारण
भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी
मंगल पांडे - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › मंगल_पांडेnull

मंगल ग्रह की माता का नाम क्या है?

मंगल
उपनाम
युग J2000
उपसौर
२४,९२,०९,३०० कि॰मी॰ (१.६६५८६१ ख॰इ॰)
अपसौर
२०,६६,६९,००० कि॰मी॰ (१.३८१४९७ ख॰इ॰)
अर्ध मुख्य अक्ष
२२,७९,३९,१०० कि॰मी॰ (१.५२३६७९ ख॰इ॰)
मंगल ग्रह - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › मंगल_ग्रहnull

मंगल ग्रह किसका पुत्र है?

भगवान शिव के अंश हैं मंगल देव इन्द्र का वचन सुनकर शरणागत वत्सल शिव ने इंद्र को अभय प्रदान किया और अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते-लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के समान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल का जन्म हुआ।