महात्मा गाँधी जी के बचपन में उनको प्यार से क्या बुलाते थे? - mahaatma gaandhee jee ke bachapan mein unako pyaar se kya bulaate the?

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Mahatma gandhi essay in hindi

महात्मा गाँधी जी के बचपन में उनको प्यार से क्या बुलाते थे? - mahaatma gaandhee jee ke bachapan mein unako pyaar se kya bulaate the?
mahatma gandhi essay in hindi


1) महात्मा गाँधी जी का जन्म

      भारत के राष्ट्रपिता कहलाने जाने वाले श्री महात्मा गांधीजी  का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर जिले में हुआ था. उस समय वह ब्रिटिश शासन के कब्जे में हुआ करता था. उनके पिता का नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था. उनके पिता उस समय पोरबंदर के दीवान (chief minister) हुआ करते थे. उनकी माता का नाम पुतलीबाई  था. वह भगवान विष्णु की भक्त थी.

      गांधीजी अपने पिता करमचंद की चौथी पत्नी के पुत्र थे.  गाँधी जी के 2 बड़े भाई थे. जिनका नाम लक्ष्मीदास और करसनदास. और एक छोटी बहन थी जिनका नाम रलितबेन था. 

2) महात्मा गांधीजी का बचपन

महात्मा गाँधी जी के बचपन में उनको प्यार से क्या बुलाते थे? - mahaatma gaandhee jee ke bachapan mein unako pyaar se kya bulaate the?
Mahatma Gandhi ji ka bachpan


        महात्मा गाँधी जी का पचपन काफी अनोखा रहा हे. गांधीजी को बचपन में उनके मित्र मोहन नामसे बुलाते थे. जबकि घरवाले उनको प्यार से मोनिया कह कर बुलाते थे. गाँधी जी को बचपन से ही पुस्तके पढने का शौख था. वैसे मोहनदास गाँधी का जन्म एक बड़े घराने में हुआ था. कई बार जब वो अपने भाईयों के साथ खेलते थे और अगर उनके काम मरोड़ दीए जाते थे तो अपनी माता के शिकायत लेकर जाते थे तब उनकी माँ बोलती थी की तुम्हे भी कान मरोड़ना चाहिए था. तब मोहनदास का जवाब सुन कर उनकी माँ हैरान रह जाती हे! वह बोलते हे की, माँ आप ऐसा क्यों सिखा रही हो? किसी दुसरे को तकलीफ पहुचाना अच्छी बात नहीं होती. उनकी यह बात उनकी माँ को आश्चर्य में दाल देती हे क्यूंकि वह उस समय मात्र 7 साल के थे .ऐसे बहुत सारे किस्से हे. 

         सुरुआती बचपन पोरबंदर में बिता उसके बाद वह राजकोट चले गए. क्यूंकि उनके पिता दीवान की पदवी पे थे. उस समय में बाइस्कोप नामक यंत्र चलता था. जिसमे उन्होंने राजा हरीश चन्द्र की कहानी देखी और उनसे काफी प्रभावित हुए थे. वहा से उनको सच्चाई के महत्व का पता चला था.

         ईस कहानी को देखने के बाद वह इतना प्रभावित हो गए थे की, उन्होंने घरमे जितने भी झूठ बोले थे उन सभी की सच्चाई अपने पिता को बता दिया था. और तब से उन्होंने ठान लिया था की चाहे जीवन में कितनी भी बड़ी मुश्केलिया आ जाए लेकिन वो कभी झूठ नहीं बोलेंगे और हमेशा सच का साथ देंगे.

         बचपन में श्रवण की कहानी ने भी गाँधी जी के मन पर एक बड़ा प्रभाव डाला था. ईस कहानी को पढने के बाद और राजा हरीश चन्द्र की कहानी को देखने बाद गांधीजी ने हमेशा सच बोलने और माता पिता की सेवा करने का फैसला किया था.

         वास्तविकता में उनका बचपन आम भारतीय बच्चो जैसा ही था लेकिन उन पर पुस्तकों ने बहुत बड़ा प्रभाव डाला था, उनके महात्मा वाले चरित्र को उजागर करने के लिए.

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3) महात्मा गाँधी की पढाई

      (1)प्राथमिक शिक्षा

         महात्मा गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था इसीलिए उनकी प्राथमिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई. सुरुआती दौर में वह पढने में उतने अच्छे नहीं थे. और ना ही वह खेल कूद में अच्छे थे.

     (2)हाई स्कूल की पढाई 

          प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे राजकोट चले गए थे इसीलिए उनकी हाई स्कूल की पढाई वही हुई. राजकोट में अल्फ्रेड हाई स्कूल में उन्होंने दाखिला लिया और अपनी हाई स्कूल की पढाई ख़तम की. आजादी के बाद उस स्कूल का नाम बदल कर मोहनदास करमचंद गाँधी कर दिया गया था. और 2017 में स्कूल को म्यूजियम बनाने हेतु बंध कर दिया गया.

      (3) कोलेज की पढाई

           सन 1887 में नवम्बर महीने में गांधीजी ने अहमदाबाद से हाई-स्कूल की पढाई ख़तम की और सन 1888 में जनवरी महीने में भावनगर गए और वहा पर उस समय की उच्च स्तर की कॉलेज मने जाने वाली सामलदास कॉलेज में एडमिशन लिया. लेकिन उन्होंने पढाई पूरी नहीं की और कॉलेज ड्रॉपआउट किया था.

           उसके बाद सन 1888 में वकालत की पढाई पूरी करने के लिए वह भारत से लंडन गए और 1891 में पढाई ख़तम कर के भारत वापस लौटे. 

4) महात्मा गाँधी द्वारा किए गए 5 बड़े आन्दोलन

       (1) चंपारण सत्याग्रह

            चंपारण सत्याग्रह महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में पहला सत्याग्रह था. इसकी सुरुआत बिहार राज्य के चंपारण जिले से हुई जहाँ पर वहां रहने वाले किसानो द्वारा नील की खेती के विरोध में आन्दोलन चल रहा था. लेकिन उसके बाद सन 1917 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में आन्दोलन आगे बढा. भारत को आजाद करने लिए ये हमारी पहली पहल थी.

       (2) असहयोग आंदोलन 

            असहयोग आन्दोलन 1 अगस्त 1920 में महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजो द्वारा होने वाले अत्याचारों को बांध करने के लिए असहयोग आन्दोलन छेड़ा गया था. उनके मुताबिक ब्रिटिश शासन में उचित न्याय संभव नहीं था, इसीलिए ब्रिटिश शासको के खिलाफ असहयोग बताने के लिए कोई भी भारतीय उनके कामो में सहयोग न करने और और अंग्रेजो द्वारा लिए जाने वाले मुआवजों को न भरने की पहल की गई थी.

        (3) नमक आंदोलन

             भारत को आज़ाडी दिलवाने में गाँधी जी द्वारा किए गए नमक आंदोलन का महत्व काफी अधिक हे. इसकी शुरुआत 12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती से हुई. वह आज अहमदाबाद में स्थित हे. गाँधीजी ने साबरमती से लेकर दांडी  तक लगभग 24 दिन तक चल चाकर आन्दोलन किया था. यह आन्दोलन अंग्रेजो द्वारा लगे गए अधिक मुवावजे को हटाने के लिए किया गया था.

        (4) दलित आंदोलन

              भारत उन दिनों छुआ छुट का माहोल हुआ करता था. लोग एक दुसरे से बाद करने से पहले उनकी जाती और धर्म जानते थे. यहाँ तक की ऊँची जाती के लोग नीची जाती के लोगो के साथ बात तो क्या उन्हें छूते तक नहीं थे. बस फिर क्या था, महात्मा गांधीजी को यह बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती थी.  इसीलिए ईस छुआछुत को ख़तम करने के लिए गांधीजी ने दलित आन्दोलन चलाया था.

        (5) भारत छोडो आंदोलन

              यही से सुरु होती हे असली जंग भारत को आजाद करवाने के लिए. महात्मा गांधीजी ने सन 1942 में भारत छोडो आन्दोलन की शुरुआत की और अंत में जाकर हमें 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली.

          हमारे राष्ट्रियपिता महात्मा गाँधी जी द्वारा किए गए उनके काम और सभी आंदोलन के लिए उनकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम ही हॉगी. क्योंकि अगर वह नहीं होते तो शायद आज हम खुले आशमान में ताज़ी हवा नहीं खा पाते.

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5) महात्मा गाँधीजी की मृत्यु

महात्मा गाँधी जी के बचपन में उनको प्यार से क्या बुलाते थे? - mahaatma gaandhee jee ke bachapan mein unako pyaar se kya bulaate the?
Mahatma gandhi death in hindi

      भारत देश को आज़ादी दिलाने के बाद महात्मा गाँधीजी काफी ज्यादा व्यस्त हो गए. क्योंकि रोज बहोत सारे लोग उनसे मिलने आते थे. इसके साथ ही देश के हुए बटवारे की वजह से भी देश स्थिति सामान्य नहीं. गांधीजी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी. यह दिन दुसरे दिन की तरह एकदम सामान्य था. लेकिन शायद यह कोई नहीं जनता था की यह उनका आखरी दिन होने वाला था. उस दिन महात्मा गांधीजी से बहोत सारे लोग ने मुलाकात किया था. उन लोगो में भारत के लोखंडी पुरुष माने जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल भी थे.

    आखिर में सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ 5 बजे मीटिंग ख़तम होने के बाद वह आरती के लिए जाते हे. और हर बार की तरह लोग उन्हें प्रणाम और धन्यवाद दे रहे होते हे. और उसी वख्त नाथूराम गोडसे भी वहां पर पहोच जाते हे और गाँधी जी को प्रणाम करके रिवोल्वर निकाल कर के महात्मा गाँधीजी की हत्या कर देते हे.

     इसीलिए हर साल 30 जनवरी को सहीद दिवस के नाम से मनाया जाता हे. और महात्मा गाँधी जी की अद्भुत वीरता और निडरता की वजह से ही आज हम आजादी में जी रहे हे. 

     और अंत में, महात्मा गाँधी जी द्वारा कहा गया एक वाक्य लिख कर हम उनके बड़े विचार की एक झलक देख सकते हे.  

     " व्यक्ति अपने विचारो से निर्मित प्राणी हे, वह जो सोचता हे वाही बन जाता हे! "- महात्मा गाँधी

   mahatma gandhi essay in hindi                        

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महात्मा गांधी जी के बचपन में उनके प्यार से क्या बुलाते थे?

बचपन में दोस्त महात्मा गांधी को मोहन के नाम से पुकारते थे, लेकिन उनके घर में उन्हें मोनिया नाम से पुकारा जाता था. गांधी जी पर शोध कर जीवन प्रभात किताब लिखने वाले प्रभुदास गांधी ने लिखा है कि उनके पिता और दादा के भी निकनेम्स की परंपरा के चलते उन्हें मोनिया नाम दिया गया था.

महात्मा गांधी को प्यार से क्या कहा जाता है?

बापू जब चंपारण पहुंचे तो यहां एक कमरे वाले रेलवे स्टेशन पर अपना कदम रखा उस वक्त किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि इस धरती से मिलने वाला प्यार उन्हे देशभर में बापू के नाम से मशहूर बना देगा। दरअसल राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी।

गांधी जी क्या पसंद नहीं करते थे *?

गांधी जी साथियों की मदद करते थे और उनका काम भी स्वयं कर देते थे, पर वे अपनी कामे दूसरों से करवाना पसंद नहीं करते थे