हिंदू धर्म शास्त्रों में हर समस्या से निपटने के लिए एक मंत्र बताया गया हे, ये मंत्र देवी-देवताओं से संबंधित होते हैं इसीलिए इनका सही प्रयोग आपको किसी भी समस्या से बाहर निकाल सकता है ।New Delhi, Jan 23 : क्या आप जानते हैं मंत्र का प्रयोग कब किया जाता है । जब आपको कुछ समझ ना आ रहा हो, मन निराशा से घिर गया हो तब आप इन मंत्रों का प्रयोग कर जीवन पथ पर आगे बए़ सकते हैं । मंत्रों के साथ एक बात जिसका ध्यान रखना जरूरी है वो है इनका सही उच्चारण । ये मंत्र संस्कृत भाषा में कहे जाते हैं इसलिए इसका उच्चारण जानकर ही इनका प्रयोग करें । मंत्र तीन प्रकार के बताए गए हैं सात्विक, तांत्रिक और साबर मंत्र । आपकी आवश्यकतानुसार इन मंत्रों के जाप की सलाह दी जाती है, आगे जानिए उन मंत्रों के बारे में जो आपको मृत्यु पर भी विजय दिला सकते हैं । Show
मृत्यु पर विजय के लिए महामृंत्युजय मंत्र शुद्ध और पवित्र होकर करें मंत्र का जाप मोक्ष प्रदान करता है यह मंत्र मंत्र का अचूक प्रभाव गायत्री मंत्र से नुकसान! समृद्धि के लिए करें इस मंत्र का जाप विपत्ति विनाशक कालिका मंत्र दरिद्रता को दूर करने वाला मंत्र मोक्ष मंत्र क्या है?शिव का पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय का जप करने से मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह प्रवचन हनुमान गढ़ी कड़री आश्रम में संत ने दिए। आश्रम में भगवान भगवतेश्वर महादेव व रुद्रावतार हनुमानजी के विभिन्न रूपों के पूजन के बाद सात दिवसीय शिव सहस्त्रनाम जप शुरू हो गया।
कलयुग में मोक्ष कैसे प्राप्त करें?कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा श्रवण को मोक्ष के द्वार का रास्ता माना है। कलयुग में आयु कम है। इसलिए भागवत कथा श्रवण से मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। राजा पारीक्षित को कथा श्रवण के सात दिन बाद मोक्ष मिला था।
मोक्ष पाने के लिए क्या करना चाहिए?हिंदू सनातन धर्म में एकादशी के व्रत को सभी व्रतो में श्रेष्ठ बताया है। शास्त्रों में भी एकादशी व्रत की महिमा बताई गई है। एकादशी व्रत के विषय में उल्लेख मिलता है कि यदि कोई मनुष्य निष्ठा और नियम के साथ एकादशी व्रत करता है, तो उसे जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आत्मा को मोक्ष कब मिलता है?कर्म करते हुए व उन कर्मों को मन से परम सत्ता को अर्पण करते हुए यदि कोई पुरूषार्थ करता है तो वह मोक्ष इसी जीवन में पा लेता है। कर्म करते हुए व्यक्ति को अनेकानेक बंधनों को काटना पड़ता है, जिनमें लोभ प्रधान, मोह प्रधान व अहं प्रधान तीनों प्रमुख हैं। बंधन सदा दुष्प्रवृत्तियों के ही होते हैं।
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