मलेरिया कितने प्रकार के होते हैं?मलेरिया एक पैरासाइटिक रोग है जो एनोफेलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह एनोफेलीज मच्छर प्लासमोडियम नामक पैरासाइट ढोती हैं। जब यह मच्छर आप को काटता है, पैरासाइट आप के खून में जा कर रेड ब्लड सेल्स को नष्ट करता है। Show यह एनोफेलीज मच्छर ट्रॉपिकल और सुब्त्रोपिकाल जगहो पे पाया जाता है। चार प्रकार के मलेरियल पैरासाइट होते है जो इंसानो को इन्फेक्ट करते है: प्लासमोडियम वाइवेक्स (P.v.) - सबसे ज्यादा मौजूद प्लासमोडियम ओवाले (P.o.) - सबसे दुर्लभ प्रकार प्लासमोडियम मलेरिया (P.m.) - हर जगह पे पाया नहीं जाता प्लासमोडियम फेल्किपेराम (P.f.) - सबसे ख़तरनाक 1. प्लासमोडियम वाइवेक्स (P.v.) – यह प्रकार पुरे दुनिया हुआ हैं और इंडिया में भी बहुत प्रचलित है। इंडिया के लगभग ६०% मलेरिया केसेस P.v द्वारा फैलाये गए है। भले ही इस मलेरिया के प्रकार में बीमारी काफी गंभीर है, परन्तु मृत्यु बहुत ही काम केसेस में होती है। इसके लक्षण दस्त, थकान और बुखार है। 2. प्लासमोडियम ओवाले (P.o.) – यह प्रकार मुख्य रूप से ट्रॉपिकल वेस्ट अफ्रीका में पायी जाती है। यह सबसे दुर्लभ प्रकार है जो कोई अनुबंध कर सकता है। यह इतनी दुर्लभ इसलिए है की मच्छर के काटने के बाद पैरासाइट इंसान के शरीर में बरसो तक रह। 3. प्लासमोडियम मलेरिया (P.m.) – यह प्रकार अमरीका, अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया के ट्रॉपिकल जगहों पे पायी जाती है। यह बाकी प्रकार जैसा जानलेवा नहीं माना जाता है। इस मलेरिया प्रकार के लक्षण ठंड और तेज बुखार है। 4. प्लासमोडियम फेल्किपेराम (P.f.) – सबसे अधिक मलेरिया के कारन मृत्यु इसी प्रकार के वजह से होती है। यह मुख्य रूप से साउथ ईस्ट एशिया, साउथ अमरीका और अफ्रीका में पाया जाता है। लक्षणों में चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, पेट दर्द, दर्दनाक पीठ, दौरे, मतली, उल्टी, बुखार, सिरदर्द आदि शामिल हैं। पैरालिसिस, कंवल्सन इत्यादि जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं। हर साल मलेरिया द्वारा अनुमानित 300-600 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं और इसमें से एक महत्वपूर्ण संख्या मारी जाती है। ऐसी ऊँचे इन्फेक्शन रेट्स के साथ, यह जरुरी है कि आप इस घातक बीमारी से बचने के लिए कुछ निवारक उपाय करें। कुछ सरल मलेरिया के उपचार काफी मदद कर सकते है : ऐसे कपडे पहने जो आपकी पूरी शरीर को ढके। खतरनाक मच्छर आप के घर के कोनो में छुपे रह सकते है। रोज काला हिट स्प्रे करे आपके और आपके परिवार के सुरक्षा के लिए। सुनिश्चित करें कि आपके घर में या उसके आस-पास स्थिर पानी नहीं है। अपने आस-पास साफ़ सफाई आवश्यक रूप से कायम रखे। अपने घर में काला हिट जैसे मच्छर स्प्रे को छिड़कना बेहद सहायक हो सकता है। Source: https://www.malarianomore.org/support/what-is-malaria/ मलेरिया विश्व में फैली हुई ऐसी बिमारी है जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं. ये बिमारी मादा मच्छर के काटने से होती है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि मलेरिया क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार का होता है और इसके क्या-क्या लक्षण हैं आदि. क्या आप जानते हैं कि मलेरिया क्या होता है, कैसे होता है, होने से पहले क्या लक्षण होते हैं, यह कितने प्रकार का होता है इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं. मलेरिया शब्द इटालियन भाषा शब्द "माला एरिया" से बना है जिसका मतलब है 'बुरी हवा'. यह ऐसी बिमारी है जो परजीवी प्लास्मोडियम के कारण होती है. क्या आप जानते है कि मलेरिया का सबसे पुराना वर्णन चीन (2700 ईसा पूर्व) से मिलता है. मलेरिया को दलदली बुखार (Marsh Fever) भी कहा जाता है. सन 1880 में मलेरिया का सबसे पहला अध्ययन चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन वैज्ञानिक द्वारा किया गया था. मलेरिया रोग क्या है? मलेरिया बुखार मादा मच्छर एनोफेलीज़ के काटने से होता है. इस मच्छर में प्लास्मोडियम नाम का परजीवी पाया जाता है जिसके कारण मच्छर के काटने से ये रक्त में फैल जाता है. उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्ण क्षेत्रों में मलेरिया काफी गंभीर रोग के रूप में माना जाता है. इसके लक्षण हैं बुखार, कँपकँपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना. कई बार बुखार पसीना आने से उतर जाता है परन्तु कुछ घंटों बाद फिर हो सकता है. परन्तु यह निर्भर करता है कि किस परजीवी के कारण मलेरिया हुआ है. अल्जाइमर रोग के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य मलेरिया रोग कैसे फैलता है? जैसा की हमने ऊपर अध्ययन किया कि मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी जो कि मादा मच्छर एनोफेलीज़ के काटने से होता है. जब ये किसी व्यक्ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते है. ये परजीवी हीमोजॅाइन टॅाक्सिन को मानव शरीर में उत्पादित करता है. जब ये कलेजे (Liver) तक पहुंचते है तब ये काफी संख्या में बढ़ जाते है. जैसे ही कलेजे (Liver) की कोशिका फटती है तो ये रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में पहुँच जाते हैं और वहां भी इनकी संख्या बढ़ जाती हैं. मलेरिया कितने प्रकार के परजीवी के कारण होता है? मानव शरीर में मलेरिया विभिन्न प्रकार की प्लास्मोडियम की प्रजातियों के कारण होता है: 1. प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम (P. Falciparum): इस परजीवी के कारण काफी खतरनाक मलेरिया बुखार होता है जिससे मरीज की म्रत्यु भी हो सकती है. इससे पीड़ित रोगों को मालूम ही नहीं चलता है की वो क्या-क्या बोल रहे है. इसमें बहुत तेज़ ठण्ड लगती है, सिर में काफी दर्द और उल्टियाँ भी होती हैं.
मलेरिया रोग के लक्षण
तो हमने देखा कि मलेरिया रोग मादा मच्छर के काटने से होता है जिसके कारण रक्त में प्लास्मोडियम नामक परजीवी फैल जाता है और इससे जान भी जा सकती है. 'हाई ग्रेड' मेटास्टैटिक कैंसर क्या है? वायरस के बारे में रोचक तथ्य मलेरिया कितने प्रकार के होता है?क्या है मलेरिया-
जो फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है. इस मादा मच्छर में एक खास प्रकार का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में प्लाज्मोडियम नाम से जाना जाता है. इस रोग से पीड़ित लोग शायद ही इस बात को जानते होंगे कि मलेरिया फैलाने वाली इस मादा मच्छर में जीवाणु की 5 जातियां होती हैं.
मलेरिया के 4 प्रकार क्या हैं?4. प्लासमोडियम फेल्किपेराम (P.f.) – सबसे अधिक मलेरिया के कारन मृत्यु इसी प्रकार के वजह से होती है। यह मुख्य रूप से साउथ ईस्ट एशिया, साउथ अमरीका और अफ्रीका में पाया जाता है। लक्षणों में चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, पेट दर्द, दर्दनाक पीठ, दौरे, मतली, उल्टी, बुखार, सिरदर्द आदि शामिल हैं।
मलेरिया का दूसरा नाम क्या है?मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है।
मलेरिया में कौन सी जांच होती है?मलेरिया को जांचने के लिए भी ब्लड टेस्ट करवाए जाते हैं। मलेरिया परजीवी के कौन से कण रोगी में मौजूद हैं इसका पता भी मलेरिया सूक्ष्मदर्शी परीक्षण से लगता है। ञ्चबुखार होने पर क्लोरोक्विन की गोलियां देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्यक है। रक्त की जांच से ही यह पता चलता है कि बुखार मलेरिया है या नहीं।
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