मेरी शादी निबंध के लेखक कौन है - meree shaadee nibandh ke lekhak kaun hai

मैं और वे के लेखक/निबंधकार/रचयिता

मैं और वे (Main Aur Ve) के लेखक/निबंधकार/रचयिता (Lekhak/Nibandhkar/Rachayitha) "जैनेंद्र कुमार" (Jainendr kumar) हैं।

Main Aur Ve (Lekhak/Nibandhkar/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में मैं और वे के लेखक/निबंधकार/रचयिता को लेखक/निबंधकार तथा निबंध के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। मैं और वे के लेखक/निबंधकार/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/निबंधलेखक/निबंधकार/रचयिता
मैं और वे जैनेंद्र कुमार
Main Aur Ve Jainendr kumar

मैं और वे किस विधा की रचना है?

मैं और वे (Main Aur Ve) की विधा का प्रकार "निबंध" (Nibandh) है।

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मेरी असफलताएँ के लेखक/निबंधकार/रचयिता

मेरी असफलताएँ (Meree Asaphalataen) के लेखक/निबंधकार/रचयिता (Lekhak/Nibandhkar/Rachayitha) "बाबू गुलाबराय" (Babu Gulaaba Rai) हैं।

Meree Asaphalataen (Lekhak/Nibandhkar/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में मेरी असफलताएँ के लेखक/निबंधकार/रचयिता को लेखक/निबंधकार तथा निबंध के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। मेरी असफलताएँ के लेखक/निबंधकार/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/निबंधलेखक/निबंधकार/रचयिता
मेरी असफलताएँ बाबू गुलाबराय
Meree Asaphalataen Babu Gulaaba Rai

मेरी असफलताएँ किस विधा की रचना है?

मेरी असफलताएँ (Meree Asaphalataen) की विधा का प्रकार "निबंध" (Nibandh) है।

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शादी पर निबंध : शादी क्या है?

मेरी शादी निबंध के लेखक कौन है - meree shaadee nibandh ke lekhak kaun hai


1. शादी एक खुली जेल है।
2. शादी एक ऐसी साझेदारी है, जिसमें पूंजी पति लगाता है और लाभ पत्नी पाती है।
3. शादी एक ऐसी तस्वीर है जो झील के किनारे से शुरू हो कर ज्वालामुखी के लावा उगलते पहाड़ पर समाप्त होती है।

4. शादी एक ऐसी जोड़ी है जिसमें प्रेम होना अत्यंत आवश्यक है, चूंकि प्रेम अंधा होता है इसलिए यह अंधी जोड़ी है। 5. शादी एक ऐसा आयोजन है जिसमें पत्नी द्वारा पति को आजीवन लूटने का प्रावधान होता है।





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प्रेमचंद पर निबंध Eassy On Premchand In Hindi- नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है, आज का हमारे इस आर्टिकल में जिसमे हम हिंदी साहित्य के महान कथाकार और उपन्यास सम्राट कलम के सिपाही प्रेमचंद के बारे में निबंध के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे.

मेरी शादी निबंध के लेखक कौन है - meree shaadee nibandh ke lekhak kaun hai

हिंदी साहित्य के महान कथाकार और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था।

प्रेमचंद के पिता का नाम अजयबलाल और माता का नाम आनंदी देवी था। प्रेमचंद की पत्नी का नाम शिवरानी देवी है जो कि एक प्रसिद्ध लेखक थी प्रेमचंद के 2 पुत्र थे जिनका नाम अमृत रॉय व श्रीपत रॉय था और उनकी एक बेटी थी जिसका नाम कमलादेवी था।

प्रेमचंद उर्दू हिंदी भाषा में लेखनी का कार्य करते थे वह उर्दू में नवाब राय के नाम से लेखन कार्य किया करते थे उर्दू भाषा में इनका पहला कहानी संग्रह सोजे वतन [देश का दर्द] था जो 1908 में प्रकाशित हुई जिसे अंग्रेजी हुकूमत द्वारा जप्त कर लिया गया।

सोजे वतन के बाद प्रेमचंद ने हिंदी भाषा में अपना लेखन कार्य शुरू किया जिसमें उन्होंने प्रेमचंद नाम से हिंदी भाषा में लिखा हिंदी में लिखी गई उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी जो 1910 में प्रकाशित हुई।

प्रेमचंद की मुख्य रचनाओं में मंगलसूत्र, सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला प्रमुख है जिसमें मंगलसूत्र प्रेमचंद का एक अधूरा उपन्यास था जिसे बाद में उनके पुत्र द्वारा पूर्ण किया गया।  प्रेमचंद हंस पत्रिका, माधुरी पत्रिका,  मर्यादा पत्रिका तथा जागरण पत्रिका के संपादक थे।

चरक चंद्र उपाध्याय ने प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट की उपाधि दी और प्रेमचंद के नाम पर ही हिंदी साहित्य में काल नामकरण भी किया गया है प्रेमचंद को '' कलम का सिपाही'' भी कहा जाता है।

प्रेमचंद निबंध Eassy On Premchand In Hindi

भारत के नवाबराय के नाम से जाने जाते है। इस महान लेखक का नाम है। मुंशी प्रेमचंद। इन्हे प्रेमचंद के नाम से पुकारा करते थे। इन्होने अपने देश(India) के सभी लोगो को अंग्रेज़ो(British) के खिलाफ लड़ने के लिए जागरूक करने के कई प्रयास किये। जिसमे इन्होने अंग्रेज़ो के खिलाफ कई लेख तथा रचनाए लिखी।

भारत के महान लेखक प्रेमचंद ने अपने सम्पूर्ण जीवन मे अंग्रेज़ो के विरोध(against'sBritish) किया। उन्होने अपनी प्रथम रचना ''सोजे वतन'' जिसकी रचना 1907 मे अंग्रेज़ो के खिलाफ की थी। जिसके बाद अंग्रेज़ो ने इस रचना को अधिहृत कर दिया था। 

प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1980 को उतरप्रदेश के बनारस जिले के लमही गाँव मे इस महान लेखक प्रेमचंद  (Great writer premchand) का जन्म हुआ था। प्रेमचंद के माता-पिता (Premchand's parents) का नाम आनंदी देवी तथा अजाइब राय था। इन्हे पिताजी एक पोस्ट ऑफिस मे कार्यरत थे।

प्रेमचंद का मूल नाम (Premchand's original name) धनपतराय था। ये बचपन से ही एक महान लेखक बनाना चाहते थे। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति तथा इनके लेखन के लग्न से इन्होने पढ़ाई को B. A. तक करने के बाद छोड़ दिया तथा अपने जीवन को लेखक की और अग्रसर किया था।

पारिवारिक जीवन

प्रेमचंद का परिवार संयुक्त परिवार था। संयुक्त परिवार के होने के बाद भी उनके पास मे मात्र लगभग छह बीघे ज़मीन थी। इनके सम्पूर्ण परिवार की मासिक आय 30 रुपये के तकरीबन थी।

प्रेमचंद की माता आनन्द देवी को 6 अलग-अलग बीमारिया होने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। उस समय प्रेमचंद आठवी कक्षा मे पढ़ते थे। 

प्रेमचंद के पिता जी ने दूसरी शादी की तथा प्रेमचंद के जीवन मे विमाता (पिता की दूसरी पत्नी) का अवतरण हुआ। प्रेमचंद ने अपनी विमाता पर कई वर्णन भी किये जिसमे उन्होने बताया है। कि माँ के अभाव को विमाता पूर्ण नहीं कर सकती है।

प्रेमचंद प्रथम का विवाह

प्रेमचंद का विवाह 15 वर्ष की छोटी-सी उम्र मे ही हो गया था। (छोटी उम्र का विवाह बाल विवाह होता है।) उनका विवाह सौतेले नाना ने करवाया था। प्रेमचंद से विवाहित लड़की स्वभाव की शीलवती तथा झगड़ालू थी। 

यह प्रेमचंद के जीवन का पहला विवाह था। प्रेमचंद ने अपने पहले विवाह को छोड़ दिया तथा किसी विधवा लड़की से विवाह करने का निश्चिय कर लिया। इसके पीछे परम्पराग्रस्त विवाह-प्रणाली का दोष माना जाता है।

प्रेमचन्द का दूसरा विवाह

प्रेमचंद अपने निश्चिय पर खरे उतरे उन्होने सन दिसम्बर 1905 मे शिवरानी से शादी कर ली। शिवरानी एक बाल-विधवा थीं। शिवरानी भी अपनी दूसरी शादी करना चाहती थी। माना जाता है। कि उनकी शादी दूसरी के बाद इनके जीवन में की परिस्थितियों मे आय की आर्थिक तंगी कम हुई। 

शिक्षा (Education)

प्रेमचंद ने गरीब परिवार मे जन्म लिया था। इन्होने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने गाँव से दूर वाराणसी मे की इसी बीच उनके पिता का भी निधन हो गया था। प्रेमचंद बचपन से ही पढ़ने के लिए उत्सुक रहते थे।

उन्होने वकील बनने का अपना लक्ष्य बनाया था। परंतु उनकी परिवार की स्थिति ने उनके इस लक्ष्य को तोड़ दिया। फिर प्रेमचंद एक कमरा लेकर उसमे ट्यूसन पढ़ाते थे। उन्हे ट्यूसन के पाँच रुपये मिलते थे। जिससे ये अपने तथा अपने परिवार का गुजारा करते थे। इस प्रकर उन्होने अपनी मैट्रिक शिक्षा को पूर्ण किया था।

प्रेमचंद की प्रथम रचना

1908 मे अपनी प्रथम रचना ''सोजे वतन की रचना''की थी। कई बार इस प्रकार के प्रश्न भी पूछे जाते है। कि प्रेमचंद की प्रथम रचना किस भाषा मै लिखी गई? ये रचना उन्होने उर्दू भाषा मे लिखी थी।  इसके बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने इस लक्ष्य की और आगे बढ़ने लगे।

प्रेमचंद की सबसे सर्वश्रेष्ठ कहानी

प्रेमचंद की सबसे सर्वश्रेष्ठ कहानी का नाम (Name of the best story of Premchand) ''बड़े घर की बेटी'' है। इस कहानी को प्रेमचंद ने अपनी सर्वश्रेष्ठ कहानी के रूप मे बताया था।

प्रेमचंद द्वारा लिखी गई प्रथम कहानी

भारत मे सबसे लोगप्रिय कहानी ''पंच परमेश्वर''(Panch Parmeshwar) के रचनाकर (Composed by Panch Parmeshwar) प्रेमचंद है। इन्होने अपने जीवन की प्रथम कहानी पंच परमेश्वर के रूप मे 1916 को हिन्दी भाषा मे लिखी थी। उसके बाद प्रेमचंद ने एक से बढ़ाकर एक कहानियो का निर्माण किया था। जिसमे मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां निम्नलिखित है-

  • दुनिया का सबसे अनमोल रत्‍न 
  • शेख़ मख़मूर · यही मेरा वतन 
  • शोक का पुरस्कार 
  • सांसारिक प्रेम और देश प्रेम 
  • लेखक · जुरमाना 
  • रहस्य 
  • मेरी पहली रचना
  • कश्मीरी सेब
  • जीवनसार
  • तथ्य
  • दो बहनें
  • आहुति
  • होली का उपहार
  • पण्डित मोटेराम की डायरी
  • यह भी नशा तथा वह भी नशा
  • प्रेम की होली

प्रेमचंद की लघु कहानियाँ (Premchand's short stories)

  • बंद दरवाजा
  • राष्ट्र का सेवक

  • देवी
  • कश्मीरी सेब | लघु-कथा
  • बाबाजी का भोग
  • यह भी नशा, वह भी नशा

  • गुरु मंत्र

  • जादू | प्रेमचंद की लघुकथा

प्रेमचंद के जीवन की अंतिम कहानी कफ़न थी। कफन शब्द का अर्थ क्या होता है?  कफन एक अंत्येष्टि में प्रयोग किया जानेवाला श्वेतवस्त्र, जो मृत व्यक्ति के शरीर पर डाला जाता है।

प्रेमचंद के नाम के आगे मुंशी कहा से आया?

प्रेमचंद के बचपन नाम धनपत राय था। उनका असली नाम प्रेमचंद था। उन्होने उर्दू भाषा मे अपना नाम बदलकर नवाब राय बना दिया परंतु मुंशी कहा से आया?

प्रेमचंद से मुंशी प्रेमचंद बनने कि कहानी बहुत ही मजेदार है। सन 1930 मे राजनेता कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी(केएम मुंशी) ने महात्मा गांधी जी के मार्ग दर्शन से उन्होने प्रेमचंद के साथ मिलकर एक पत्रिका का निर्माण किया। इस पत्रिका का नाम ''हंस था। उनका ये पत्रिका अंग्रेज़ो के विरोध मे था।

उन्होने अपने इस पत्रिका के प्रथम पृष्ठ के संपादक के रूप मे मुंशी-प्रेमचंद लिखा था। अंग्रेज़ो ने इस पत्रिका (Indian News Paper) को कई दिनो के लिए बंद कर दिया था। उस समय प्रेमचंद बहुत  प्रसिद्ध थे। उनके उपन्यास, कहानिया तथा लेख लोगो के मनमोहक कर देने वाले थे।

लोगो ने पत्रिका के लेखक के रूप मे मुंशी-प्रेमचंद को गलत फहमी से मुंशी प्रेमचंद नाम का एक ही व्यक्ति माना तथा प्रेमचंद को मुंशी प्रेमचंद कहने लगे थे। ज़्यादातर लोग ये नहीं समझ सके कि मुंशी-प्रेमचंद एक व्यक्ति का नाम है। या दो लोगों के नाम का संयोग है।

वर्तमान मे स्थिति विपरीत है। मुंशी का नाम लेते ही प्रेमचंद अपने आप ही प्रकट हो जाता है। लोगो की गलत फहमी आज सच्चाई बनी हुई है।

प्रेमचंद के निबंध (Essays of Premchand) 

प्रेमचंद ने अपने सम्पूर्ण जीवन मे 300 से अधिक निबंधो का निर्माण किया तथा अनेक कहानियो का निर्माण भी किया था।  जिसका सम्पूर्ण संग्रह मानसरोहर के 8 भागो मे विद्यमान है।

प्रेमचंद के उपन्यास (Premchand's novels)

प्रेमचंद मे न केवल कहानियो तथा निबंधो का लेखन किया। बल्कि उन्होने कई बहुत बड़े उपन्यास (कल्पित और लंबी कहानी जो अनेक पात्रों एवं घटनाओं से युक्त हो) का भी निर्माण किया था। मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां उपन्यास निम्न लिखित है।-

  • सेवासदन 
  • प्रेमाश्रम 
  • रंगभूमि 
  • कर्मभूमि 
  • गोदान 
  • गबन 
  • निर्मला 
  • रूठिरानी 
  • अलंकार
  • प्रतिज्ञा 
  • कायाकल्प 
  • मंगलसूत्र (अपूर्ण)

प्रेमचंद के ऊपर लिखे गए। उपन्यासों मे गोदान उपन्यास किसानो तथा गाँव के बारे मे लिख गया था। प्रेमचंद जी का मंगलसूत्र उपन्यास  अधूरा तथा उनका अंतिम उपन्यास था।

मुंशी प्रेमचंद की अंतिम निबंध कौन सा है?

महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध था। 

मुंशी प्रेमचंद की अंतिम कहानी कौन सी है?

महान कहानीकार प्रेमचंद की अंतिम कहानी का नाम है। कफन। इनके जीवन के ये अंतिम कहानी थी।

प्रेमचंद का अंतिम व्याख्यान कौनसा था?

प्रेमचंद के कार्यकाल का अंतिम साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान मुंशी प्रेमचंद की अंतिम था। 

प्रेमचंद का अंतिम तथा अधूरा उपन्यास कौनसा था?

प्रेमचंद के जीवन का अंतिम पूर्ण उपन्यास गोदान था। तथा अंतिम अपूर्ण उपन्यास मंगलसूत्र था। जो कि प्रेमचंद का अधूरा उपन्यास था, जिसे उनके पुत्र द्वारा पूरा किया गया. 

भाषा-शैली

भाषा- प्रेमचन्द्र जी ने अपने सम्पूर्ण लेखक जीवन मे हिन्दी तथा उर्दू भाषा का प्रयोग किया था। ज़्यादातर वे हिन्दी भाषा का उपयोग करते थे। इसका कारण है। हिन्दी एक सरल, सहज,बोधगम्य एवं व्यवहारिक भाषा के रूप मे है। 

इन्होने खासकर अपनी रचनाओ मे उर्दू भाषा का पेयतोग किया। प्रेमचंद को लोग कहते थे। कि आपकी कहानियो का अध्ययन करने पर लगता है। जैसे की ये सत्य घटना का वर्णन किया जा रहा है। 

शैली- शैली का अर्थ होता है। लिखने का तरीका (The style)।प्रेमचंद के लिखने का तरीका बहुत ही सरल था। जिसे कोई अनपढ़ भी सुनकर उसका सार समझ सकता है। 

प्रेमचंद की शैली हिन्दी तथा उर्दू भाषा मे मिश्रित थी। इन्होने अपने रचनाओ मे अनेक शैलियो का प्रयोग किया था। इन्होने प्रमुख रूप से विश्लेषणात्मक, अभिनयात्मक एवं व्यंगात्मक शैलियों  का भी उपयोग किया है।    

साहित्य में स्थान

हिन्दी साहित्य के इतिहास मे कई साहित्यकार हुए। जिन्होने साहित्य मे अपना जीवन न्योसावर कर दिया था। उसमे प्रेमचंद जी का एक विशिष्ट स्थान रहा है। इन्हे कहानी-कला को अक्षुण्ण बनाने मे श्रेष्ठ माना जाता है। 

प्रेमचंद को युग प्रवर्तक कहानीकार भी कहा जाता है। इन सभी उदाहरणो से हम अनुमान लगा सकते है। कि प्रेमचंद का हिन्दी साहित्य मे क्या स्थान था।

प्रेमचंद के नाटक

प्रेमचंद महाकवि, रचनाकर, लेखक तथा एक नाटककार का भी रोल अदा कर दिया था। इन्होने अपने जीवन मे 3 नाटको का निर्माण किया था। जिसे मानसरोहर भाग 3 मे रखा गया है। जिसमे इन्हे दृशया गया है। 

  • संग्राम 
  • कर्बला 
  • प्रेम की वेदी 

इनके सम्पूर्ण लेखन मे आदर्शोन्मुखी यथार्थवादी का भाव प्रकट होता है। 

प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन

प्रेमचंद ने अपने सम्पूर्ण साहित्यिक जीवन मे देश के विकास तथा तथा देशवासियों को अंग्रेज़ो के खिलाफ अपने आकर्षित करने के अपने विचारो को सामने रखा था। उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। कि अपने देश का विकाश खुद भारतीय करे।

उन्होने देश के लिए 10 से ज्यादा उपन्यास, 300 से अधिक कहानिया, माधुरी तथा मर्यादा पत्रिका, हंस तथा जागरण पत्र का भी लेखन किया था। उन्होने अपने लेखन के कार्य से समाज सुधारक तथा सच्ची देशभक्ति के लिए सभी को प्रेरित करने के प्रयास किया था।

मुंशी प्रेमचंद की मृत्यु

प्रेमचंद जी अपने जीवन पर बीमारियो के संकट को अनदेखा करके अपने कार्य मे व्यस्त रहते थे। उन्होने अपने जीवन के अंतिम दिनो मे मंगलसूत्र उपन्यास को शुरू किया जो कि उनके जीवन का एकमात्र अधूरा उपन्यास (The only unfinished novel) रहा था।

भारत के महान लेखक के रूप मे हुए। प्रेमचंद 56 वर्ष की आयु मे 8 अक्टूबर 1936 वाराणसी, उत्तर प्रदेश मे इस महान लेखक का निधन हो गया था।

मुंशी प्रेमचंद डाक टिकट और सम्मान

प्रेमचंद जी ने देश के नागरिकों को देश के लिए लड़ने के लिए जागरूक किया था। मुंशी प्रेमचंद का देखान्त होने के बाद उनकी यादों को ताजा करने के लिए उन्होने जिस विद्यालय मे शिक्षण किया.

वहाँ पर उनकी स्मृति में प्रेमचंद साहित्य संस्थान का निर्माण किया गया था। भारतीय डाक विभाग द्वारा प्रेमचंद को 31 जुलाई 1980 को जन्मशती पर एक डाक टिकट जारी किया गया था।

निष्कर्ष 

प्रेमचंद ने जीवन पर्यन्त तक हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये। इनके कार्यो से हम भारतीय खुद को गर्वन्वित मानते है। इनके जीवन से हमे कई प्रकार की सीख मिलती है।

हमे इनका अनुसरण करना चाहिए। हमे भी हमारे देश के बिछड़े वर्ग के लोगो की आर्थिक सहायता करनी चाहिए। हमे हमारे देश हित के लिए सभी नागरिकों को जागरूक करना चाहिए।

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