मातृभाषा शिक्षण के कौन-कौन से प्रमुख उद्देश्य हैं? जूनियर हाईस्कूल तथा माध्यमिक स्तर पर मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्यमातृभाषा-शिक्षण के उद्देश्यों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है- (1) सामान्य उद्देश्य- मातृभाषा शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(2) विशिष्ट उद्देश्य- विशिष्ट शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्न हैं-
विद्यालयों के विभिन्न स्तरों के अनुसार उद्देश्य(क) प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5 तक)प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा शिक्षण के विभिन्न उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(ख) जूनियर माध्यमिक स्तर पर (कक्षा 6 से 8 तक)जूनियर माध्यमिक स्तर पर मातृभाषा शिक्षण के विभिन्न उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(ग) उच्चतर माध्यमिक स्तरउच्चतर माध्यमिक स्तर पर मातृभाषा शिक्षण के विभिन्न उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
उद्देश्यों की प्राप्ति के माध्यममातृभाषा शिक्षण के विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित माध्यमों को प्रयोग में लाया जा सकता है- (क) वाचन द्वारा- बालकों को वाचन कला में निपुण बनाने के लिए सस्वर वाचन तथा भौनवाचन कराया जाये। काव्य-पाठ में बालकों से आरोह-अवरोह का विशेष रूप से ध्यान देने को कहा जाये। (ख) मौन पाठ द्वारा- लेखन कला के द्वारा बालकों को विचार अभिव्यक्ति का उचित अवसर दिया जाये तथा उन्हें स्वयं वाक्य विन्यास करने का शिक्षण प्रदान किया जाये। (ग) लेखन कला द्वारा- लेखन कला के द्वारा बालकों को विचार अभिव्यक्ति का उचित अवसर दिया जाये तथा उन्हें स्वयं वाक्य विन्यास करने का शिक्षण प्रदान किया जाये। (घ) प्रश्नों के द्वारा- बालकों से उनके बोध ज्ञान का पता लगाने के लिए अध्यापक परिस्थिति के अनुसार प्रश्न करें। बालकों के द्वारा दिये गये उत्तरों में उनके बोध ज्ञान का पता लगाने के साथ ही उनके शुभ बोलने की शक्ति का भी पता लगाया जाये। (ङ) व्याकरण शिक्षा द्वारा- बालकों को भाषा की शुद्धता तथा अशुद्धता का ज्ञान कराने के लिए व्याकरण का ज्ञान प्रदान किया जाये। (च) काव्य शिक्षण द्वारा- बालकों की सौन्दर्यानुभूति को जाग्रत तथा विकसित करने में काव्य-शिक्षा का विशेष महत्त्व होता है। अध्यापक कक्षा में स्वयं काव्य पाठ करके वातावरण को सरल तथा सौन्दर्यात्मक बना सकते हैं। (छ) विभिन्न क्रियाओं के द्वारा- भाषण, वाद-विवाद, नाटक तथा सुलेख आदि प्रतियोगिताओं की सहायता से भी छात्रों की सृजनात्मक तथा रचनात्मक प्रवृत्तियों का विकास किया जा सकता है। इससे छात्रों को आत्माभिव्यक्ति का भी उचित अवसर मिलता है।
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Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorइस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद.. मातृ भाषा शिक्षण क्या है?'भाषा शिक्षण' के तीन आयाम हैं:–
जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। मातृभाषा यानी जिस भाषा मे माँ सपने देखती है या विचार करती है वही भाषा उस बच्चे की मातृभाषा होगी। इसलिए इसे मातृभाषा कहते है, पितृभाषा नहीं।
मातृभाषा से आप क्या समझते हैं इसके महत्व का वर्णन करें?मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है।
शिक्षण में मातृभाषा का क्या महत्व है?मातृभाषा का महत्व
मातृभाषा से बच्चों का परिचय घर और परिवेश से ही शुरू हो जाता है। इस भाषा में बातचीत करने और चीज़ों को समझने-समझाने की क्षमता के साथ बच्चे विद्यालय में दाख़िल होते हैं। अगर उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल पढ़ाई के माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव करके किया जाये तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
मातृभाषा क्या है pdf?-मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ है माँ से सीखी हुई भाषा ! बालक यदि माता-पिता के अनुकरण से किसी विभाषा को सीखता है तो वह विभाषा ही उसकी मातृभाषा कही जाती है !
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