मधुआ कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए - madhua kahaanee ke mukhy paatr ka charitr chitran keejie

गद्यजीवितम्

प्रश्न :- कहानी कला की दृष्टि से ‘मधुआ’ कहानी की समीक्षा करें।
अथवा मधुआ का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर : – प्रस्तुत कहानी में प्रसाद जी ने मानव में निहित स्नेह, करूणा, उदारता जैसे भाव की प्रबलता दिखायी है। इसके संदर्भ में उन्होंने मानव स्वभाव के कुछ दुर्गुणा पर भी प्रकाश डाला है। कहानी के प्रारम्भ में जिन दो पात्रों को उपस्थित किया गया है उनके माध्यम से कहानीकार ने सामान्य मनुष्य की सीमाओं को उद्घाघाटित करना चाहा है और साधारण मनुष्य इसी सत्य का साक्षात्कार कर या स्थिति विशेष से प्रभावित होकर किस प्रकार महान गुणों से युक्त हो जाता है। इस तथ्य को शराबी के चरित्र के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। वस्तृतः शराबी का जीवन एक आम आदमी का जीवन है जो दोष के साथ-साथ गुणों से युक्त है।

‘मधुआ एक चरित्र प्रधान कहानी है। शराबी की प्रकृति है, कि वह पीने के पीछे बावला बना फिरता है। गरीबी की गंध ने शराबी में यह बू भर दी है। गरीब दो में एक ही बन पाता है-लायक या नालायक ! या तो वह अच्छा बन जाता है, अन्यथा बिगड़ कर बदबू बन जाता है। समाज के सामंत अपने को ही लायक मानकर ऐसे नालायको की खोज कर लेते हैं।
जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ पाठक के मन पर एक गंभीर प्रभाव छोड़ जाती है। प्रसाद जी अपनी कहानियां का कथा-पट कुछ इस प्रकार बुनते है कि उनका सम्पूर्ण प्रभाव करूणा, त्याग, भक्ति आदि की उच्च भावनाओं से ओत-प्रोत होता है। प्रस्तुत कहानी का प्रभाव भी करुणा-मिश्रित है। प्रसाद जी ने सिद्ध किया है कि शराब पीने जैसी बुरी आदत पर जहां किसी के उपदेश आदि का नाममात्र भी प्रभाव नही पड़ता, वही करुणा में इतनी शक्ति होती है कि वह शराबी के हृदय में भी परिवर्तन लाने में सफल होती है।

मधुआ कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए - madhua kahaanee ke mukhy paatr ka charitr chitran keejie

1. कथावस्तु :-  ठाकुर सरदार सिंह को कहानी सुनने का बहुत शौक है। उनके मन बहलाने के साधनों में से कहानी सुनना भी एक है। अपनी इस आदत के कारण उन्हें एक शराबी मिलता है जो अपनी रोचक कहानी सुनाकर ठाकुर का मनोरंजन करता है और बदले में उसे पीने के लिए रुपया देता है।

जब एक दिन दोनों की भेंट होती है तो ठाकुर पूछते हैं-‘तो आज पीयोगे न?’ वह उत्तर देता है ‘झूठ कैसे कहूँ, आज तो जितना मिलेगा सबकी पीऊंगा। सात दिन बड़ी मुश्किल से बिताये है, किसलिए। ठाकुर साहब जिस वातावरण में साँस लेते हैं उन्हें उसी वातावरण के प्रति सहानुभूति है। उन्हे शहजादे के दुखड़े और रंग महल की बेग़मों की असफल प्रणय-गाथाओ में ही शान्ति मिलती है। उन्हें गड़ेरिये की क्षुधा-पीड़ित बच्चों के आचरण पर बहुत हँसी आती है। कारण, उन्होंने इस क्षुधा-पीड़ित बच्चों के मन:स्थिति का साक्षात्कार कभी नही किया है, उन्होंने कभी जीवन के उस कष्ट को भोगा नही है। केवल देखने और सुनने से उसका गलत मूल्यांकन ही किया जा सकता है, उससे यथार्थ तक पहुँच पाना सम्भव नही है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि जिस बात की पीड़ा पागल जैसे व्यक्तियों को दर-दर भटकने को बाध्य करती है, उसका ठाकुर जैसे व्यक्तियों पर कोई प्रभाव नही पड़ता। उन्हे ये बातें सुनकर अब और नींद आने लगीं अत: उन्होंने उसे रूपया देकर विदा कर दिया। ठाकुर साहब से निपटकर जब वह जमादार के पास पहुँचा तो उसकी कोठरी से एक सुन्दर बालक को जाड़े की रात में सिसकिया भरते हुए बाहर निकलते देखा। यह बालक मधुआ था। प्रसाद जी ने इस अवस्था का कितना सुंदर वर्णन किया है कि-“भयभीत बालक बाहर चला आ रहा था।

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शराबी ने उसके सुन्दर छोटे से गोरे मुहं को देखा। आंसू की बूंदे लुढ़क रही थी। बड़े दुलार से वह उसके मुँह को पोछते हुए उसे लेकर फाटक के बाहर चला आया। दस बज रहे थे। कड़ाके की सर्दी थी। दोंनो चुपचाप चलने लगे। शराबी की मौन सहानुभूति को उस छोटे से सरल हदय ने स्वीकार कर लिया।’ यहीं से कहानी का घटनाक्रम दूसरा मोड़ लेता है। शराबी भूखे बालक को खाना खिलाता है और फिर भाग जाने के लिए कहता है लेकिन बालक जा भी कहाँ सकता था? उसका इस संसार मे था ही कौन! तभी तो वह शराबी बता देता है कि उसके बाप तो कब के मर गये। अन्त मे शराबी के हृदय में बालक के प्रति करूणा एवं प्रेम का भाव जाग जाता है। वह सोचने लगता है कि किसने ऐसे सुकुमार फूल को कष्ट देने के लिए निर्दयता से सृष्टि की है। शराबी मन ही मन यह निश्चय कर लेता है कि अब इसके कारण उसे घरवारी बनना ही पड़ेगा। एक दिन दोनों पीठ पर गठरी लादे कोठरी छोड़कर किसी अज्ञात स्थान की ओर चल देते है। यही आकर कहानी समाप्त हो जाती है।

मधुआ कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए - madhua kahaanee ke mukhy paatr ka charitr chitran keejie
कथाकार :- जय शंकर प्रसाद

2. शीर्षक : मधुआ कहानी का नामकरण जयशंकर प्रसाद ने बालक मधुआ के नाम पर किया है इसी मधुआ के चारों तरफ कहानी का तानाबाना बुना गया है मधुआ हमारी सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा व्यंग्य है जहाँ नन्हे-नन्हें बालको को क्रूर अपराधियों की भाँति प्रताड़ित किया जाता है। मधुआ उन सभी बच्चों का प्रतिनिधित्व करता है जो अनाथ होकर इधर-उधर भटकते फिरते हैं। इन सुकुमार बच्चों की तरफ किसी की नजर नहीं उठती। प्रसाद जी ने इसका कारण नियति और समाज दोनो को माना है। एक तरफ तो वह जमीदार है जो कठोर प्रकृति होने के कारण बच्चों पर दया नही कर सकता और दूसरी ओर वह शराबी है जो मधुआ के लिए अपना शेष जीवन लगा देता है। कहानी का शीर्षक कथानक को ध्यान
में रखते हुए सार्थक प्रतीनत होता है।

3. चरित्र : – इस कहानी में वस्तुत: दो ही पात्र है-शराबी और बालक मधुआ। तीसरे पात्र के रूप में ठाकुर सरदार सिंह आते है। मधुआ और शराबी दोनो पात्रों का चरित्र -चित्रण प्रसाद जी ने बड़े ही मार्मिक ढंग से किया है । मधुआ का कम, पर शराबी का चित्रण आकर्षक है। वह शराब पीने में ही अपना सब कुछ बर्बाद कर चुका है। खाने के लिए उसे कुछ भी न हो, पर पीने के लिए अवश्य चाहिए ? प्राय: हर शराबी के चरित्र में एक समानता पायी जाती है। लखनऊ का वह शराबी जिसका चरित्र- चित्रण प्रसाद जी ने किया है, मात्र शराबी नही है। उसने मानवीय भावनाओ को शराब के नशे में भुला नहीं दिया है। यद्यपि वह जो कुछ पाता है सबकी शराब पी जाता है, पर जिस दिन मधुआ से मुलाकात हुई उसकी जेब में  मात्र एक रूपया था। वह पहले एक अद्धा शराब खरीदने की सोच रहा था परन्तु उसका हृदय बदल गया और वह बालक मधुआ के लिए पूड़ी-मिठाई खरीद ले आया। प्रसाद जी ने कहानी के दोनो पात्रो का चरित्र- चित्रण मनोवैज्ञानिक ढ़ंग से किया है।

4. उद्देश्य :-  प्रसाद जी की कहानियाँ आदर्श से अनुप्राणित होती है। उन्होने मधुआ कहानी के माध्यम से यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया है कि मानव मन का रहस्य कितना गहन है। शराबी और मधुआ का मिलन एक घटना मात्र है। लेकिन इस घटना ने शराबी के दिल में सहानुभूति पैदा कर दी। शराबी का त्याग और वह भी एक अज्ञात बालक के लिए-कहानी का उद्देश्य महान प्रतीत होता है।

5. समीक्षा : इस कहानी में प्रसाद जी ने शराबी के चरित्र के दोनो भागो का कलात्मक चित्रण किया है। उसके चरित्र का एक भाग ठाकुर के सम्पर्क में आने के बाद से लेकर लड़के को अपने साथ लेकर शराब लाने हेतु बाजार जाने का है। इसके आधार पर उसके वरित्र अर उसकी चिन्तन शक्ति के विषय मे कोई प्रभावशाली धारणा नहीं बनती।

मधुआ कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए - madhua kahaanee ke mukhy paatr ka charitr chitran keejie
Dr. Prashant
Msc. Bed,
(Psychologist)
मधुआ कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए - madhua kahaanee ke mukhy paatr ka charitr chitran keejie

मधुआ कहानी का प्रमुख चरित्र कौन है?

मधुआ कहानी के आधार पर मधुआ का चरित्र चित्रण करें। उत्तर: मधुआ ठाकुर सरदार सिंह के बेटे के बंगले पर लखनऊ में नौकरी करता है। वह कुंवर साहब का ओवर कोट उठाए दिनभर खेल में उनके साथ रहा करता था।

मछुआ कहानी का मुख्य चरित्र क्या है?

अनुवाद उपन्यास : टक्कर (चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक), अजनबी (कामू)- ये सारे उपन्यास 'कथा शिखर' के नाम से दो खण्डों में- 1994, नरक ले जाने वाली लिफ्ट: 2002, स्वस्थ आदमी के बीमार विचार: 2012।

मधुआ कहानी का उद्देश्य क्या है?

उनको कहानी सुनने का चसका था। खोजने पर यही शराबी मिला। वह रात को, दोपहर में, कभी-कभी सवेरे भी आता। अपनी लच्छेदार कहानी सुनाकर ठाकुर साहब का मनो-विनोद करता।

मधुआ कहानी का नायक कौन है?

ईदगाह हामिद नाम के एक चार साल के अनाथ की कहानी है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। कहानी के नायक हामिद ने हाल ही में अपने माता-पिता को खो दिया है; हालाँकि उसकी दादी उसे बताती है कि उसके पिता पैसे कमाने के लिए चले गए हैं, और उसकी माँ उसके लिए सुंदर उपहार लाने के लिए अल्लाह के पास गई है।