मेवाड़ प्रजामंडल के अध्यक्ष कौन थे? - mevaad prajaamandal ke adhyaksh kaun the?

मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

June 27, 2020

(A) माणिक्य लाल वर्मा
(B) भूरेलाल बया
(C) बलवंत सिंह मेहता
(D) जे.बी. कृपलानी

Answer : बलवंत सिंह मेहता

Explanation : मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे। इसकी स्थापना माणिक्य लाल वर्मा के प्रयासों से 24 अप्रैल, 1938 में हुई थी। इसके उपाध्यक्ष भूरेलाल बया और महामंत्री माणिक्यलाल वर्मा बने। इसका प्रथम अधिवेशन नवंबर 1941 को माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में उदयपुर में हुआ। जिसमें आचार्य जे.बी. कृपलानी व श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित ने भाग लिया था। जब मेवाड़ प्रजामंडल को गैर-कानूनी घोषित किया गया तथा कार्यालय पर ताला लगाकर मुख्य नेताओं को गिरफ्तार ​कर लिया गया तो उसके विरोध में 11 अक्टूबर, 1938 को नाथद्वारा से सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया जो महात्मा गांधी के परामर्श पर 3 मार्च, 1939 को स्थापित किया गया।....अगला सवाल पढ़े

Tags : आधुनिक भारत प्रश्नोत्तरी राजस्थान का इतिहास राजस्थान प्रश्नोत्तरी

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मेवाड़ प्रजा मण्डल के प्रथम अध्यक्ष थे:

This question was previously asked in

REET 2011 Level - 2 (Social Studies) (Hindi/English/Sanskrit) Official Paper

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  1. माणिक्य लाल वर्मा
  2. बलवंत सिंह मेहता
  3. भूरेलाल बया
  4. रमेश चंद्र व्यास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बलवंत सिंह मेहता

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CT 1: Growth and Development - 1

10 Questions 10 Marks 10 Mins

मेवाड़ प्रजा मंडल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक हिस्सा है। 'बलवंत सिंह मेहता' मेवाड़ प्रजा मंडल के पहले अध्यक्ष थे। इसे:

  • 1938 में 'माणिक्य लाल वर्मा' द्वारा स्थापित किया गया।
  • उपनिवेशवाद और सामंतवाद के खिलाफ लड़ने के लिए गठित किया गया।
  • यह सभी को मौलिक अधिकारों तक पहुंच प्रदान करने पर केंद्रित था।

मेवाड़ प्रजामंडल के अध्यक्ष कौन थे? - mevaad prajaamandal ke adhyaksh kaun the?

  • भूरेलाल बया: मेवाड़ प्रजा मंडल के उपाध्यक्ष।
  • रमेश चंद्र व्यास: चौथी लोकसभा सदस्य, भीलवाड़ा, राजस्थान।

अतः, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि मेवाड़ प्रजा मंडल के पहले अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे।

Last updated on Sep 29, 2022

Rajasthan 3rd Grade Teacher Recruitment for Level 1 & Level 2 will be done through REET 2022 Scores. 48,000 vacancies have been released for this recruitment. Earlier, the REET 2022 Certificate Notice is out, for candidates on 6th December 2022! Candidates can download the certification through the official certificate link. REET 2022 Written Exam Result was out on 29th September 2022! The final answer key was also out with the result. The exam was conducted on the 23rd and 24th of July 2022. The candidates must go through the REET Result 2022 to get the direct link and detailed information on how to check the result. The candidates who will be finally selected for 3rd Grade Teachers are expected to receive Rs. 23,700 as salary. Then, the candidates will have to serve a probation period which will last for 2 years. Also, note during probation, the teachers will receive only the basic salary.

?राजस्थान में सर्वाधिक प्रतिष्ठित राज्य मेवाड़ का था यहां जन जागरण की पृष्ठभूमि किसान आंदोलन व जनजातिय आंदोलन से बनी थी उदयपुर में प्रजामंडल आंदोलन की स्थापना का श्रेय  माणिक्य लाल वर्मा को दिया जाता है बिजोलिया किसान आंदोलन में भाग लेने के कारण माणिक्य लाल वर्मा को उदयपुर राज्य से निष्कासित कर दिया गया था माणिक्य लाल वर्मा ने अजमेर में रहते हुए मेवाड़ प्रजामंडल स्थापित करने की योजना बनाई
?इन्होंने कुछ पर्चे, प्रजामंडल के गीत और मेवाड़ राज्य का शासन नाम से एक पुस्तिका छपवाई थी
?मेवाड़ में संगठित राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत 1938 में श्री माणिक्य लाल वर्मा द्वारा की गई जो उस समय डूंगरपुर में भीलों  के लिए रचनात्मक कार्यकर रहे थे
?हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन की घोषणा के पश्चात श्री माणिक्य लाल वर्मा डूंगरपुर का कार्य श्री भोगीलाल पांडेय को सौंपकर मेवाड़ लौट आए थे
?कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन के पश्चात माणिक्य लाल वर्मा ने बलवंत राय मेहता, भवानी शंकर वैद्य, जमुनालाल वैद्य ,परसराम ,भूरेलाल बया और दयाशंकर क्षोत्रीयके साथ मिलकर 24 अप्रैल 1938 को मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना गई  
इस संस्था का प्रथम सभापति बलवंत सिंह मेहता और उपसभापति भूरेलाल बयां को बनाया गया  माणिक्य लाल वर्मा को इसका का महामंत्री नियुक्त किया गया
?इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य 1-जनता के अधिकारों को संवैधानिक सुधारोंकी मांग करना था 2-प्रजा की आर्थिक कष्टों को दूरकरने का प्रयास करना था
?मेवाड़ प्रजामंडल का विधान बलवंत सिंह मेहता वह प्रेम नारायण माथुर द्वारा तैयार किया गया था
?प्रजामंडल की स्थापना के समाचारों से मेवाड़ की जनता में अभूतपूर्व उत्साह का संचार हुआ ?लेकिन जैसे ही मेवाड़ सरकार को इसकी सूचना मिली राज्य द्वारा प्रजामंडल की स्थापना हेतु राज्य से स्वीकृति प्राप्त करने हेतु कहा गया इसे प्रजामंडल द्वारा अस्वीकार कर दिया गया
?फलस्वरुप 24 सितंबर 1938 को उदयपुर राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री धर्म नारायण ने इस संस्था को गैरकानूनी घोषितकर दिया गया उदयपुर सरकार ने माणिक्य लाल वर्मा को मेवाड़ से निष्कासित कर दिया था
?सरकार ने आदेश दिया कि बिना सरकार की आज्ञा के सभा, समारोह करने ,संस्था बनाने और जूलुस निकालनेपर प्रतिबंध लगा दिया गया है मेवाड़ प्रजामंडल को जिस दिन गैरकानूनी घोषितकिया गया था
?उसी दिन नाथद्वारा में निषेधाज्ञा के बावजूद कार्यकर्ताओं द्वारा विशाल जुलूस निकाला गया था माणिक्य लाल वर्मा उदयपुर से निष्कासित होकर अजमेर आ गए और वहां पर उन्होंने प्रेस के माध्यम से प्रजामंडल आंदोलन का प्रचार किया
?उदयपुर से निष्कासित होने से पहले ही शंकर सहाय सक्सेना के द्वारा मेवाड प्रजामंडल का समस्त रिकार्ड गुप्त रुप से अजमेरभिजवा चुके थे
?माणिक्य लाल वर्मा ने अजमेर से मेवाड़ का वर्तमान शासन नामक एक छोटी सी पुस्तिका प्रकाशित की थी इस पुस्तिका के  प्रकाशन से राज्य सरकार अत्यंत क्रुद्धहुई
?माणिक्य लाल वर्मा लगातार मेवाड प्रजामंडल से प्रतिबंध हटाने की मांग करते रहे मेवाड़ राज्य के बाहर रहने वाले मेवाड़ीयोंने मेवाड़ प्रजामंडल की चार शाखाएं मुंबई नागपुर जलगांव और अकोलामें स्थापित की थी
?प्रजामंडल कार्यकर्ताओं ने उदयपुर सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर 4 अक्टूबर 1938तक प्रजामंडल से प्रतिबंध नहींहटाया गया तो सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया जाएगा
?इसके साथ ही प्रजामंडल को कानूनी संस्था माना जाए और माणिक्य लाल वर्मा को पुन:उदयपुर में प्रवेश दिया जाए
?लेकिन मेवाड़ शासन के असहयोगी रवैये के कारणयह निर्णय लिया गया कि महात्मा गांधी के आशीर्वाद से 4 अक्टूबर 1938 को विजयदशमी के दिन सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया जाएगा महात्मा गांधी जी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्री भूरेलाल बयांको भेजा गया था भूरेलाल बयां को दिल्ली से लौटते समय उदयपुर स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया भूरेलाल बयां को सराड़ा के किले में नजर बंदकर दिया गया 
सराडा के किले को मेवाड़ का काला पानी कहा जाता है 
?विजयादशमी के दिन 4 अक्टूबर 1938 को मेवाड़ प्रजामंडल द्वारा व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ किया गया  जिसके पहले सत्याग्रही श्री रमेश चंद्र व्यास थे सत्याग्रहियों पर पुलिस दमन चक्र प्रारंभ हो गया इसकी परवाह किए बिना सत्याग्रहीयो ने जगह-जगह जुलूस निकाले ,आमसभाए,और सरकार की आलोचना की गयी
?इस सत्याग्रह में जो महिलाएं जेल गई थी उनमें प्रमुख महिलाएं श्री माणिक्य लाल वर्मा की पत्नी श्रीमती नारायणी देवी वर्मा, उनकी पुत्री श्रीमती स्नेह लता वर्मा, श्रीमती भगवती देवी विश्नोई और श्रीमती रमा देवी ओझा थी 24 जनवरी 1939 को माणिक्य लाल वर्मा की पत्नी नारायणी देवी, उनकी पुत्री स्नेहलता वर्मा,और प्यार चंद बिश्नोई की पत्नी भगवती देवी को मेवाड़ प्रजामंडल के आंदोलन में भाग लेने के कारण राज्य से निष्कासितकर दिया गया था
?माणिक्य लाल वर्मा की पत्नी उदयपुर से निष्काषित होने के बाद अजमेर चली गई वे मेवाड़ प्रजामंडल की आर्थिक स्थिति सुधार कर रचनात्मक कार्यआरंभ करना चाहते थे सर्वप्रथम उन्होंने गणपत लाल वर्मा के साथ मिलकर प्रत्येक गांव से दो से तीन प्रमुख व्यक्ति बुला कर चंदा इकट्ठाकरना प्रारंभ किया गया दयाशंकर क्षोत्रीय ने वर्धा आश्रम से चंद्रकांता कुमारी को उदयपुर आ कर उनकी पत्नी कमला देवी के साथ रचनात्मक कार्य करनेके लिए आमंत्रित किया
?प्यार चंद बिश्नोई की पत्नी भगवती देवी और रमेश चंद्र की पत्नी रमा देवी ने भी प्रजामंडल की रचनात्मक कार्यमें सहयोग किया प्रजा मंडल के कार्यकर्ताओं ने डूंगरपुर सेवा संघ के भेरु लाल वर्माको मेंवाड मे रचनात्मक कार्यकरने के लिए आमंत्रित किया माणिक्य लाल वर्मा को 2 फरवरी 1939 को उदयपुर सीमा के पास देवली के निकट ऊँजा गांवसे धोखे से घसीटकर गिरफ्तार कर लिया गया और उनकी पिटाईकी गई वर्मा जी पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया
?जिसमें उंहें 2 वर्ष की सजा सुनाकर कुंभलगढ़ के किले में बंद कर दिया गया इस आंदोलन का सर्वाधिक जोर नाथद्वारामें रहा वहां पर नरेंद्र पाल सिंह और नारायण दास को गिरफ्तारकर लिया गया था वर्मा जी को गिरफ्तार कर पीटनेकी घटना की गांधी जी ने  फरवरी 1939 के हरिजन अंक में कड़ी भत्सर्नाकी थी
?इसी वर्ष मेवाड़ में भयंकर अकाल पड़ने के कारण प्रजामंडल ने गांधीजी के आदेश पर 3 मार्च 1939 को सत्याग्रह स्थगितकर दिया गया मेवाड़ में अकाल पड़ने के कारण प्रजा मंडल के कार्यकर्ताओं ने अकाल सेवा समिति की स्थापना की और अभूतपूर्व कार्य किए वर्मा जी के स्वास्थ्य से चिंतित होकर जवाहर लाल नेहरू ने मेवाड सरकार को पत्रलिखा और 8 जनवरी 1940 को माणिक्य लाल वर्मा को जेल से रिहाकिया गया
?माणिक्य लाल वर्मा ने प्रजा मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर बेगार और बलेठा प्रथा के विरुद्ध अभियान चलाया फलस्वरुप मेवाड़ सरकार को विवश होकर इन दोनों प्रथाओ पर रोक लगानी पड़ी
?यह मेवाड़ प्रजामंडल की पहली नैतिक विजय थी 6अप्रैल से 13 अप्रैल 1940 के बीच जलियांवाला बाग कांड की जयंती के अवसर पर मेवाड़ में राष्ट्रीय सप्ताहमनाया गया
?इस राष्ट्रीय सप्ताहमें प्रतिदिन सभाए होती थी जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते थे इस सभा में खादी-प्रचारकिया जाता था इस समारोह में महिलाओं ,लड़कियों ने भी उत्साह से भाग लिया वर्ष 1940 में गांधी जयंती समारोह 15 दिनों तक चला
?29 सितंबर 1940 को भीलवाड़ा में मिडिल स्कूल के हेडमास्टर की पत्नी सुभद्रा देवी की अध्यक्षतामें एक सभा हुई जिसमें कृष्णा कुमारी ,निर्मला और कमला कुमारी चौधरी ने भाषण दिया सुभद्रा देवी ने अपने भाषण में महिला शिक्षा और स्वदेशी के प्रयोगपर बल दिया
?प्रजामंडल मेवाड सरकार से निरंतर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहा था मेवाड़ सरकार के प्रधानमंत्री दीवान धर्मनारायण के स्थान पर सर टी विजय राघवाचार्य 1940 में मेवाड़ सरकार के दीवाननियुक्त हुए जो प्रगतिशील विचारों के थे
?मेवाड़ के नए प्रधानमंत्री श्री टी विजय राघवाचार्य के सहयोगी दृष्टिकोण के कारण महाराजा के जन्मदिन के अवसर पर 22 फरवरी 1941 को प्रजामंडल से प्रतिबंध हटा दिया गया यह मेवाड़ प्रजामंडल की पहली जीत थी
?सरकार ने अपेक्षा कि शीघ्र ही प्रजामंडल का पंजीकरण करा लिया जाएगा
?प्रतिबंध हटते ही नवम्बर 1941 में मेवाड़ प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में उदयपुर में शाहपुरा हवेली में हुआ
?इस अधिवेशन में कांग्रेस के दो बड़े नेताओंने भाग लिया
?इस अधिवेशन का उद्घाटन आचार्य जे बी कृपलानी ने किया और श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित ने इस अधिवेशन में भाग लिया इस अवसर पर खादी और ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित ने किया था
? इस अधिवेशन में मेवाड़ में उत्तरदायी शासन की स्थापना और जनता द्वारा चुनी गई विधानसभास्थापित करने की मांग की गई
?इस अवसर पर मेवाड़ की राजनैतिक क्षितिज पर एक नया सितारा मोहनलाल सुखाडया के रूपमें सामने आया
?जिसने बाद में राजस्थान की राजनैतिक क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया इस अधिवेशन में हरिजनों की सेवा के लिए मेवाड़ हरिजन सेवक संघ की स्थापना की गई  हरिजन सेवक संघ का कार्यभार फरवरी 1942 में ठक्कर बाबा ने मोहनलाल सुखाड़िया को सौंपा गया भील मीणा व आदिवासी की सेवा का कार्य बलवंत सिंह मेहताको दिया गया
?माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाड़ प्रजामंडल के प्रतिनिधि के रूप में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के 7 अगस्त 1942 के मुंबई के ऐतिहासिक सत्र में भाग लिया
?यह अधिवेशन रियासती कार्यकर्ताओं की बैठकका था  इस समय महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन 1942 सारे देश में फैला हुआ था
?मेवाड़ राज्य प्रजामंडल ने भी कांग्रेस द्वारा 9 अगस्त 194 को शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया उदयपुर आते ही माणिक्य लाल वर्मा ने 20 अगस्त 1942 को महाराणा को ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेद करने के लिए पत्र भेजा महाराणा ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेद नहींकरता है तो आंदोलन प्रारंभ करनेकी धमकी दी गई  21 अगस्त को वर्मा जी को गिरफ्तार कर लिया गया
?राजधानी में पूर्ण हड़ताल के साथ ही राज्य में आंदोलन प्रारंभ हो गया इस आंदोलन के प्रमुख केंद्र उदयपुर नाथद्वारा चित्तौड़ और भीलवाड़ा थे 1942 का यह आंदोलन राजस्थान के अन्य भागों में चल रहे आंदोलन से अलगथा
?यहां के नेता इस आंदोलन को अखिल भारतीय स्तर पर चल रहे आंदोलन का भागमानते थे मेवाड सरकार ने 23 अगस्त 1942को प्रजामण्डल पर प्रतिबंध लगा दिया
?2 सितंबर 1942 को कानोड निवासी वीरभद्र जोशी और रोशन लालने उदयपुर उच्च न्यायालय की बालकोनी मे तिरंगा झंडा फहराया सरकारी दमन प्रारंभ हो गया बहुत बड़ी संख्या में सत्याग्रह गिरफ्तार कर लिए गएमाणिक्य लाल वर्मा की पत्नी नारायणी देवी अपने छह माह के पुत्र दिनबंधुको अपने साथ लेकर जेल गई उनकी बड़ी पुत्री सुशीला और प्यार चंद बिश्नोई की पत्नी भगवतीने भी अपनी गिरफ्तारी दी
?छात्र वर्ग भी अपना उत्तरदायित्व जानता था लगभग 600 छात्रों को आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया
 एक छात्र शिवचरण माथुर (जो बाद में राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे) ने उन दिनों अपने साथियों के साथ गुना कोटा के बीच एक रेलवे पुल उड़ा दिया था 
?मेवाड़ प्रजामंडल को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया मोहनलाल सुखाड़िया माणिक्य लाल वर्मा की गिरफ्तारीके बाद नाथद्वारा में भी हड़ताल हुई मेवाड सरकार येन-केन-प्रकारेण आंदोलन को कुचल देना चाहती थी ग्वालियर महाराजा ने कुछ समय पहले ही उत्तरदायी शासन की स्थापना का आश्वासन देकर आंदोलन शांत कर दिया था
?
मेवाड़ के चतुर और अनुभवी दीवान सर टी.विजय राघवाचार्य भी इसी युक्ति से मेवाड़ प्रजामंडल को पंगु बना देना चाहते थे लेकिन सफल नहीं हुए मेवाड़ में प्रधानमंत्री सर tv विजय राघवाचार्य को यह अफसोस था कि जयपुर और ग्वालियर की तरह मेवाड़ में इस आंदोलन को रोकानहीं जा सकता था
?1943 में उनके निमंत्रण पर श्री राजगोपालाचारी उदयपुर आए इसके बाद भी वर्मा जी को जेलसे रिहा किया गया राजगोपालाचारी ने वर्मा जी से उत्तरदायी शासन स्थापित करने के एवज में भारत छोड़ो आंदोलन को वापसलेने को कहा वर्मा जी ने इस शर्त को अस्वीकारकर दिया था
?जब भारत के अन्य भागों में भारत छोड़ो आंदोलन समाप्तहो गया तो मेवाड़ सरकार ने धीरे-धीरे प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया
?21 नवंबर 1943 को 3000 भीलो ने नांदेश्वर महादेव के मंदिर में एकत्र होकर जंगलात के नियमों के उल्लंघन की शपथ ली प्रजामंडल ने भील सेवा कार्य भील छात्रावासअादि कार्यों को पुन्: प्रारंभ किया
?ठक्कर बापा की सलाह से उचित योजना बनाकर मेवाड़ हरिजन सेवक संघ के कार्य को पुनर्गठित कर वहां गृह उद्योगों का विकास किया गया भारतीय राजनीति का परिदृश्य बदलने पर प्रजामंडल नेताओं को छोड़दिया गया
?1945 में प्रजामंडल पर लगा प्रतिबंध हटादिया गया राजनीतिक चेतना को विकसित करने के लिए प्रभातफेरियां और राष्ट्रीय नेताओं की जयंती मनाई जाने लगी 31दिसंबर 1945 और 1 जनवरी 1946 को उदयपुर के सलोटिया मैदान में अखिल भारतीय देशी लोक सेवा  परिषदका छठा अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया
?इस अधिवेशन में शेर-ए-कश्मीर शेख अब्दुल्ला समेत अनेक रियासतों के नेता शामिल हुए इस सम्मेलन में देशी रियासतों की 435 प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें प्रस्ताव पारित कर देशी रियासतों के शासको से बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरुप अविलम्ब उत्तरदायी शासन की स्थापना करवाना था
?यह पहला अधिवेशन था जो किसी रियासत में हुआ और जिसे राज्य की तरफ से सुविधाएं प्रदान की गई इसी अधिवेशन के दौरान श्री मोहनलाल सुखाड़िया जैसे व्यक्तित्वका उदय हुआ था इस सम्मेलन से रियासतों में अभूतपूर्व जागृति आयी इसी संदर्भ में मेवाड सरकार ने विधान निर्मात्री समिति का निर्माण किया इस समिति में प्रजा मंडल के सदस्य भी शामिल किए गए
?मेवाड़ सरकार के द्वारा 8 मई 1946 को ठाकुर गोपाल सिंह की अध्यक्षता में सविधान निर्मात्री समिति का गठन किया गया जिसमें प्रजा मंडल के पांच सदस्य शामिल किए गए
?समिति ने 29 सितंबर 1946 को राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना और शासन जनता की निर्वाचित प्रतिनिधियों को सौपनेऔर एक 50 सदस्य सविधान सभा का गठन करने का सुझाव दिया गया परंतु इस सुझाव को सरकार ने  समिति की रिपोर्ट अस्वीकार कर दी गई
?बदलती हुई परिस्थितियोंको देखकर महाराणा ने अक्टूबर 1946 में मेवाड़ प्रजामंडल के सदस्य मोहनलाल सुखाड़िया और हीरालाल कोठारी को कार्यकारी परिषद का सदस्य नियुक्त किया और शीघ्र ही संवैधानिक सुधार करनेका आश्वासन दिया
?16 फरवरी 1947 को महाराणा ने अपने जन्मदिवस पर घोषणा की कि वे शीघ्र ही राज्य में विधान सभा की स्थापना करेंगे और जनता के प्रतिनिधियों को सरकार में शामिल करेंगे 2 मार्च 1947 को मेवाड़ के भावी सविधान की रूपरेखा की घोषणा की गई
?इसके अनुसार 46 सदस्य की धारा सभा में 18 स्थान विशिष्ट वर्गों हेतु सुरक्षित रखे गए हैं सिर्फ 28 स्थान सयुक्त चुनाव प्रणाली द्वारा जनता से चुने जाएंगे
?इनमे से कुछ सदस्य की विधानसभा की स्थापनाकी जानी थी और राज्य के लिए कानून का निर्माण करती महाराणा द्वारा किए गए सुधार अपूर्णथे और जन आकांक्षाओंके अनुरूप नहीं थे इस कारण प्रजामंडल ने इन सुधारों को ठुकरा दिया
?इसी बीच प्रधानमंत्री विजय राघवाचार्य राज दरबार के षडयंत्रों का शिकार हो गए जिन्होंने मार्च 1947 में इस्तीफा देकर यहां से चले गए राघवाचार्य के स्थान पर बेदला ठाकुर राव मनोहर सिंहराज्य के नए प्रधानमंत्री बने उनके परामर्श से महाराणा ने  के.एम. मुंशी को उदयपुर राज्य का वैधानिक सलाहकार नियुक्त किया
? मुंशी ने सुधारों की एक नई योजना प्रस्तुत की जिसकी महाराणा ने 23 मई 1947 को जनता के समक्ष घोषणा की इस सुधार को प्रताप जयंती के अवसर पर राज्य में लागू किया गया इस योजना में 56 सदस्य विधान सभा के गठन का प्रावधान था
?इसमे कुछ विषयों को छोड़कर शेष पर कानून बनानेका अधिकार था और राज्य में प्रथम विश्व विद्यालय की स्थापनाका प्रावधान था महाराणा में संविधान लागू करने के साथ ही विधान सभा के चुनाव तक प्रजामंडल के 2 प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में लेने की घोषणा की थी
?इस कारण श्री मोहनलाल सुखाड़िया व श्री हीरालाल कोठारी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी मेवाड़ प्रजामंडल ने मुंशी योजना को जन विरोधी बताते हुए अस्वीकार कर दिया क्योंकि इसमें जागीरदारों और पूंजी पतियों को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया इस योजना में संशोधन की मांग की गई
?मेवाड़ में नए दीवान एसपी राममूर्तिकी नियुक्ति के बाद उनके परामर्श से महाराणा ने मोहन सिंह मेहता को मुंशी संविधान में संशोधन करने हेतु नियुक्तकिया 11 अक्टूबर 1947को संशोधन प्रस्तुत किए गए इसके पश्चात मेवाड़ प्रजामंडल के विधानसभा चुनाव में भाग लेने का निश्चय किया गया
?मई 1947 से फरवरी 1948 के मंत्रिमंडल में प्रजामंडल के केवल दो ही सदस्य रहे फरवरी 1948 में विधानसभा के चुनावों की प्रक्रिया शुरु हुई जिसमें प्रजा मंडल के 8 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए  6 मई 1948 को महाराणा ने अंतिम सरकार बनाने और विधानसभा निर्वाचन के बाद उत्तरदायी सरकार का गठन करने की घोषणा की
?इसी दौरान 
18 अप्रैल 1948 को उदयपुर राज्य का राजस्थान में विलय हो गया उदयपुर का राजस्थान में विलय होने के कारण यह योजना लागू नहीं हो सकती इस प्रकार मेवाड़ प्रजामंडल के प्रयासों के आगे वहॉ की सरकार को झुकना पड़ा धीरे धीरे उत्तरदायी शासन की स्थापना के कदम उठाने पडे

☘?मेवाड़ प्रजामंडल से संबंधित तथ्य?☘ 
?11 अक्टूबर 1938 को नाथद्वारा से सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया जिसे महात्मा गांधी के परामर्श से 3 मार्च 1939 को यह आन्दोलन  स्थगित किया
? मेवाड़ प्रजामंडल द्वारा भील मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के लिए फरवरी 1945 में भीलवाड़ा जिले के गोपालगंज में विद्यालय प्रारंभ किया गया था इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री रमेश चंद्र व्यास को नियुक्त किया गया था
?मेवाड़ में भीम सिंह के बाद जवान सिंह, सरदार सिंह ,स्वरूप सिंह ,शंभू सिंह, सज्जन सिंह, फतेह सिंह व भोपालसिह शासक बने थे इन सभी शासकों में सरदार सिह , स्वरूप सिंह ,सज्जन सिंह और शंभू सिंह को बागौर (भीलवाड़ा) से गोद लिया गया था 
शंभू सिंह ने इतिहास विभाग की स्थापना करी थी
 ?श्यामलदास को मेवाड़ का इतिहास लिखने का कार्य सौंपा गया था 
?क्योंकि शम्भूसिह की मृत्युके कारण यह कार्य नहीं हो सका था सज्जन सिंह ने भी श्यामलदास को यह कार्य सौंपा था इस कारण उसने वीर विनोद ग्रंथ की रचना की थी 
सज्जन सिंह ने श्यामलदास को कविराजा और मेवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट कर्नल इम्पी ने केसर ए हिंद की उपाधिदी थी 
?मेवाड़ में मालगुजारी लाग बाघ और बेगार आदि समस्याओं को लेकर कहीं शक्तिशाली आंदोलनहो चुके थे
?इन आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार को ही नहीं बल्कि वहां पर संगठित राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत कर दी माणिक्य लाल वर्मा ने प्रजामंडल आंदोलन की जिम्मेदारी डोगरा शूटिंग अभी योग के ख्याति प्राप्त क्रांतिकारी आमली (भीलवाड़ा) निवासी श्री रमेश चंद्र व्यास को दी थी
?वर्मा जी साइकिल की सहायता से सारे मेवाड़ में घूमें और राजनीतिक चेतना का बिगुल बजा कर राजनीति संगठन के लिए उचित वातावरण तैयार किया
?बलवंत सिह मेहता के निवास स्थान साहित्य कुठीर पर भूरेलाल बयां भवानीशंकर वेद दयाशंकर छत्रिय हीरालाल कोठारी रमेशचंद्र बिहार यमुना लाल वैद्यआदि को राजनीतिक संगठन के लिए बुलाया गया इस बैठक में प्रजामंडल की स्थापना का निर्णय लिया गया

मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

अतः, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि मेवाड़ प्रजा मंडल के पहले अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे।

मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक कौन थे?

सही उत्‍तर माणिक्यलाल वर्मा है। उनका जन्म 4 दिसंबर 1887 को राजस्थान के बिजोलिया में हुआ था। वह मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक थेमेवाड़ प्रजा मण्डल के प्रथम अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे

मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना कब और किसने की?

मेवाड़ प्रजा मंडल की स्थापना का श्रेय माणिक्यलाल वर्मा को जाता है। उन्हीं के प्रयासों से 24 अप्रैल 1938 को उदयपुर में बलवंत सिंह मेहता की अध्यक्षता में मेवाड़ पराज मंडल की स्थापना हुई।

प्रजामंडल का प्रथम अध्यक्ष कौन था?

राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन माणिक्य लाल वर्मा द्वारा (उदयपुर में) ; प्रथम अध्यक्ष - बलवन्त सिंह मेहता ; प्रथम अधिवेशन - उदयपुर में (1941) ; विजयलक्ष्मी पंडित और जे.पी. कृपलानी ने भाग लिया।