माता यशोदा अपने ललना श्रीकृष्ण को तरह-तरह के संकेत देकर जगाती है। वह अपने पुत्र से कहती है कि हे वंशीवाले प्यारे कन्हा! जागो रात बीत चुकी है। सुबह हो गई है। घरों के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियाँ दही बिलो रही हैं। ग्वाल बाल द्वार पर खड़े होकर तुम्हारी जयकार कर रहे हैं। यानी वे गायों को लेकर जाने की तैयारी में हैं। Students can Download Hindi Lesson 14 सूर-श्याम Questions and Answers, Summary, Notes Pdf, Activity, KSEEB Solutions for Class 10 Hindi helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams. Show
Karnataka State Syllabus Class 10 Hindi वल्लरी Chapter 14 सूर-श्यामसूर-श्याम Questions and Answers, Summary, Notesअभ्यास I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. अतिरिक्त प्रश्नोत्तर : प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अतिरिक्त प्रश्नोत्तर: प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. III. चार-छ:/सात-आठ वाक्यों में उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. अतिरिक्त प्रश्नोत्तर: प्रश्न 2. भावार्थ लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. IV. पद्यभाग पूर्ण कीजिए : 1) गोरे नंद ___________ सरीर। 2) सुनहु कान्ह ___________ । V. अनुरूपता:
उत्तरः
VI. जोड़कर लिखिए : अ – ब VII. सही शब्द चुनकर लिखिए : (चुगलखोर, गोरी, श्याम, चुटकी, बाल-लीला)
उत्तरः
VIII. आधुनिक रूप लिखिए : उदाः मैया – माता
उत्तरः
पद से आगे I. चित्र देखकर एक कहानी रचिए और उसके लिए एक उचित शीर्षक दीजिए। उत्तर: शीर्षक : बाल-हठ। कहते हैं बच्चे बड़े हटवादी होते हैं। उठने, बैठने, खाने-पीने, नहाने, सोने आदि के लिए भी बच्चों का हठ माता को बड़ा ही परेशान करनेवाला होता है। फिर भी माता बेचारी बच्चों का पालन-पोषण बड़े ही मनोयोग से करती है। एक दिन की बात है। रागिनी अपने पुत्र मनोहर को भोजन कराना चाहती थी। मनोहर मात्र किसी भी हालत में भोजन करने के लिए तैयार नहीं है। रागिनी उसे जैसे-तैसे समझाने की कोशिश करती है, पर मनोहर टस-से-मस नहीं होता। वह हाथ-पैर पटकता है, रोता है, चिल्लाता है; पर खाता कुछ नहीं। रागिनी गाना गाती है, खिलौना दिखाती है, गेंद देती है। फिर भी मनोहर एक कौर भी खाने को तैयार नहीं। रागिनी प्रति दिन की भाँति आज भी प्रांगण में आ गई। आकाश में चाँद दिखाई दिया। उसने मनोहर से कहा – “देखो, चंदामामा! कितना अच्छा लग रहा है।’ सुनते ही मनोहर ने रोना बंद कर दिया। फिर रागिनी गाने लगी – “चंदा आ जा रे, मेरे मन्नु को खिला जा रे, चंदा आ जा रे।” कहते-कहते मनोहर को खिचड़ी खिलाने लगी और मनोहर भी अब धीरे-धीरे एक-एक कौर ‘चंदा’ की ओर देखते हुए खाने लगा। यह क्रम कुछ समय चलता रहा। इस प्रकार बच्चों के हठ को मिटाने की कोशिश करनी पड़ती है। सूर-श्याम Summary in Hindiसूर-श्याम कवि परिचय : पद का आशय : पद का सारांश : कृष्ण की इन मीठी-मीठी और भोली बातों को सुनकर माता यशोदा को हँसी आ जाती है। वह अपने लाल को गले से लिपटाकर कहती है – “मैं गौमाता की सौगंध खाकर कहती हूँ कि मैं ही तुम्हारी माता हूँ और तू ही मेरा पुत्र है।” सूर-श्याम Summary in Kannadaसूर-श्याम Summary in EnglishThe devotional poet Surdas is one of the leading figures of medieval Hindi poetry. He is considered the leading exponent of the Krishna-Bhakt sect, from the Bhakti era in Hindi poetry. In this following poem, Surdas beautifully describes the childhood of Lord Krishna, and the complaints he makes to his mother Yashoda. The first verse describes the complaint that little Krishna makes to his mother. He tells his mother, Yashoda, that his brother Balram teases him a lot. Balram teases Krishna telling him that he was not born to Yashoda, but actually adopted by her. In the second verse, Krishna says that he does not go out to play with Balram because he is angered by Balram’s taunts. Balram keeps asking him who his mother and father are. Krishna feels insulted by this and complains to Yashoda. In the third verse, Krishna says that Balram asks him how he is dark-skinned when both Yashoda and Nanda (Krishna’s parents) are fair-skinned. Balram tries to imply that Krishna was not born to Yashoda and Nanda. Krishna complains that Balram has taught all the other young boys to tease him in this manner. In the fourth verse, Krishna tells Yashoda that she has only learned to punish him, but does not ever get angry at Balram. While she observes Krishna’s angry face and hears him speak thus, Yashoda secretly feels happy. In the fifth verse, Yashoda finally replies to Krishna’s complaints. She asks Krishna to listen and tells him that Balram has been a backbiter right from his childhood. She swears on her cattle, that she is his mother and that he is her son. पद का भावार्थ : 1) मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो। इस पंक्तियों में भाई बलराम के प्रति कृष्ण की शिकायत का मोहक वर्णन किया गया है। कृष्ण अपनी माँ यशोदा से शिकायत करता है कि भाई मुझे बहुत चिढ़ाता है। वह मुझसे कहता है कि तुम्हें यशोदा माँ ने जन्म नहीं दिया है बल्कि मोल लिया है। 2) कहा कहौं इहि रिस के मारे, खेलन हौं नहिं जात। इसी गुस्से के कारण उसके साथ मैं खेलने नहीं जाता। वह मुझसे बार-बार पूछता है कि तुम्हारे माता-पिता कौन हैं? 3) गोरे नंद जसोदा गोरी, तुम कत स्याम सरीर। वह यह भी कहता है कि नंद और यशोदा तो गोरे हैं, लेकिन तुम्हारा शरीर क्यों काला है? उसकी ऐसी हँसी-मज़ाक सुनकर मेरे सब ग्वाल मित्र चुटकी बजा-बजाकर हँसते हैं। उन्हें बलराम ने ही ऐसा करना सिखाया है। 4) तू मोहिं को मारन सीखी दाउहि कबहुँ न खीझै। माँ, तुमने केवल मुझे ही मारना सीखा है और भाई पर कभी गुस्सा नहीं करती। (अपने भाई के प्रति क्रोधित और सखाओं द्वारा अपमानित) कृष्ण के क्रोधयुत मुख को देखकर और उसकी बातों को सुनकर यशोदा खुश हो जाती है। कृष्ण अपनी माँ यशोदा से क्या शिकायत करते हैं?उत्तर- कृष्ण माता यशोदा से शिकायत करते है कि बलदाऊ मुझे बहुत चिढाते है । मुझे यह कहते है कि तुझे माता यशोदा ने जन्म नही दिया है, बल्कि तुझे किसी से मोल लिया है । मै इस गुस्से में खेलने भी नही जाता हूँ ।
यशोदा से कौन शिकायत करती है?गोपियाँ माँ यशोदा से कृष्ण की शिकायत क्यों करती हैं? कृष्ण उनके वस्त्र चुरा लेते हैं। कृष्ण उनकी मटकियाँ फोड़ देते हैं। कृष्ण उनके लिए बाँसुरी नहीं बजाते।
श्री कृष्ण किस से शिकायत कर रहे हैं और क्या शिकायत कर रहे हैं?श्री कृष्ण यशोदा मैया से शिकायत कर रहे हैं। वह यशोदा मैया से अपने बालों के न बढ़ने को लेकर शिकायतें करते हैं। श्रीकृष्ण चाहते हैं कि उनकी चोटी बढ़े लेकिन उनकी चोटी बढ़ नहीं रही।
श्री कृष्ण की बातें सुनकर मां यशोदा क्या करती हैं?कृष्ण की बातें सुनकर माँ यशोदा क्या करती हैं? उन्हें रोटी-माखन दे देती हैं। उन्हें कच्चा दूध और पिला देती हैं। उन्हें सांत्वना देती है।
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