नागराज का पूरा नाम क्या था? - naagaraaj ka poora naam kya tha?

नागराज एक संस्कृत शब्द है जो कि नाग तथा राज (राजा) से मिलकर बना है अर्थात नागों का राजा। यह मुख्य रूप से तीन देवताओं हेतु प्रयुक्त होता है - अनन्त (शेषनाग), तक्षक तथा वासुकी। अनन्त, तक्षक तथा वासुकी तीनों भाई महर्षि कश्यप, तथा उनकी पत्नी कद्रू के पुत्र थे जो कि सभी नागों के जनक माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार नाग का वास पाताललोक में है।

सबसे बड़े भाई शेषनाग भगवान विष्णु के भक्त हैं एवं नागों का मित्रतापूर्ण पहलू प्रस्तुत करते हैं क्योंकि वे चूहे आदि जीवों से खाद्यान्न की रक्षा करते हैं। भगवान विष्णु जब क्षीरसागर में योगनिद्रा में होते हैं तो अनन्त उनका आसन बनते हैं तथा उनकी यह मुद्रा अनन्तशयनम् कहलाती है। अनन्त ने अपने सिर पर पृथ्वी को धारण किया हुआ है। उन्होंने भगवान विष्णु के साथ रामायण काल में भगवान विष्णु के राम अवतार के समय राम के छोटे भाई लक्ष्मण तथा महाभारत काल में भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के समय कृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतार लिया। इसके अतिरिक्त रामानुज तथा नित्यानन्द भी उनके अवतार कहे जाते हैं।

छोटे भाई वासुकी भगवान शिव के भक्त हैं, भगवान शिव हमेशा उन्हें गर्दन में पहने रहते हैं। तक्षक नागों के खतरनाक पहलू को प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि उनके जहर के कारण सभी उनसे डरते हैं।

गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के थानगढ़ तहसील में नाग देवता वासुकी का एक प्राचीन मंदिर है। इस क्षेत्र में नाग वासुकी की पूजा ग्राम्य देवता के तौर पर की जाती है। यह भूमि सर्प भूमि भी कहलाती है। थानगढ़ के आस पास और भी अन्य नाग देवता के मंदिर मौजूद है।

देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकी नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकी नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है ।

तमिलनाडु के जिले के नागरकोइल में नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। इसके अतिरिक्त एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर मान्नारशाला मन्दिर केरल के अलीप्पी जिले में है। इस मन्दिर में अनन्त तथा वासुकि दोनों के सम्मिलित रूप में देवता हैं।

केरल के तिरुअनन्तपुरम् जिले के पूजाप्पुरा में एक नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। यह पूजाप्पुरा नगरुकावु मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इस मन्दिर की अद्वितीयता यह है कि इसमें यहाँ नागराज का परिवार जिनमें नागरम्मा, नागों की रानी तथा नागकन्या, नाग राजशाही की राजकुमारी शामिल है, एक ही मन्दिर में रखे गये हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  • H.Oldenberg: TheVinaya Pitakam. London 1879, pp.24-25

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • सेममुखेम नागराज
  • डाण्डा नागराज
  • नागराजम्
  • ड्रैगन किंग
  • en:Kuzuryu

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • मन्नारशाला श्रीनागराजा मन्दिर आधिकारिक जालस्थल

नागराज राव हवलदार का जीवन परिचय एवं उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए नागराज राव हवलदार से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Nagaraja Rao Havaldar Biography and Interesting Facts in Hindi.

नागराज राव हवलदार का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

नाम नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar)
जन्म की तारीख 17 जुलाई 1959
जन्म स्थान होसपेट शहर, बेल्लारी जिला, कर्नाटक
पिता का नाम ओमकारनाथ
उपलब्धि 1983 - मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय पुरुष
पेशा / देश पुरुष / गायक / भारत

नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar)

डॉ॰ नागराज राव हवलदार भारत के एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक हैं। नागराज राव मूर्ति देवी पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय व्यक्ति है। वे नियमित रूप से विप्रो, कंप्यूटर एसोसिएट्स, बिरला 3M और खोडेज जैसे कंपनियों के लिए संगीत पर व्याख्यान और वर्कशॉप का आयोजन करते हैं, साथ ही वे कर्नाटक पाठ्यपुस्तक निदेशालय के लिए हिन्दुस्तानी संगीत के लिए पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।

नागराज राव हवलदार का जन्म

डॉ॰ नागराज राव हवलदार का जन्म 17 जुलाई 1959 को कर्नाटक के होसापेटा शहर में हुआ था।

नागराज राव हवलदार की शिक्षा

उन्होंने कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में “संगीता रत्न” डिग्री प्राप्त की है। साथ ही इतिहास और पुरातत्व में वे स्वर्ण पदक स्नातकोत्तर हैं।

नागराज राव हवलदार का करियर

डॉ॰ हवलदार) पूर्व में म्यूज़िक अराइव्स, ऑल इंडिया रेडियो, हुबली में (1988-1991) में प्रोग्राम एक्जिक्यूटीव के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने पूरे भारत में प्रदर्शन किया है जिसमें प्रतिष्ठित स्थान जैसे हम्पी उत्सव, मैसूर दशहरा दरबार महोत्सव और वाराणसी में संकट मोचन संगीत समारोह शामिल हैं। साथ ही उन्होंने बड़े पैमाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में भी दौरा किया है। वे कर्नाटक पाठ्यपुस्तक निदेशालय के लिए हिन्दुस्तानी संगीत के लिए पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। संगीतकार के रूप में डॉ॰ हवलदार ने कई नाटक और टेलीविजन शो के लिए संगीत रचना की है। वे नियमित रूप से विप्रो, कंप्यूटर एसोसिएट्स, बिरला 3M और खोडेज जैसे कंपनियों के लिए संगीत पर व्याख्यान और वर्कशॉप का आयोजन करते हैं, जिसमें स्ट्रेस मेनेजमेंट थ्रु म्यूज़िक और एप्रिसिएसन ऑफ हिन्दुस्तानी क्लासिकल म्यूज़िक जैसे विषय होते हैं। संगीतकार के रूप में डॉ॰ हवलदार ने कई नाटक और टेलीविजन शो के लिए संगीत रचना की है, जिसमें गिरीश कर्नाड के तलेडंडा, पी. लंकेश के गुनामुखा जिसका मंचन रूपांतरा थिएटर समूह द्वारा किया गया था, मास्टर हिरान्नया के लंचावतार जैसे टेलीविजन संस्करण और टी.एन सीथाराम के टेलीसिरीयल मुखामुखी शामिल हैं।[4][6] साथ ही उन्होंने इंडियानापोलिस में एक थिएटर ग्रुप के साथ आध्यात्मिक धुन के साथ नाटक के संगीत पर काम भी किया है। वे सुनादा आर्ट फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार के लिए एक समर्पित संगठन है। डॉ॰ हवलदार ने हिंदुस्तानी संगीत का प्रशिक्षण दिया है और आज भी देते हैं, स्थानीय रूप से बंगलुरू जारी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्कशॉप और टेलीफोनिक सत्रों के माध्यम से संयुक्त राज्य और ब्रिटेन के छात्रों को भी शिक्षा देते हैं। उनके कई छात्र, प्रमुख संगीतकार बन गए हैं, जिसमें ओमकारनाथ हवलदार और कन्नड पार्श्व गायक चैत्रा एचजी उल्लेखनीय हैं।

नागराज राव हवलदार के पुरस्कार और सम्मान

वर्ष 1983 में उन्हें मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, वे इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय थे।

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नागराज का क्या नाम है?

नागराज एक संस्कृत शब्द है जो कि नाग तथा राज (राजा) से मिलकर बना है अर्थात नागों का राजा। यह मुख्य रूप से तीन देवताओं हेतु प्रयुक्त होता है - अनन्त (शेषनाग), तक्षक तथा वासुकी। अनन्त, तक्षक तथा वासुकी तीनों भाई महर्षि कश्यप, तथा उनकी पत्नी कद्रू के पुत्र थे जो कि सभी नागों के जनक माने जाते हैं।

नागराज का जन्म कब हुआ था?

नागराज राव हवलदार का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान.

नागों का राजा कौन है?

हिंदू धर्म ग्रंथों में वासुकि को सभी नागों का राजा बताया गया है. बता दें, यह वहीं नाग बताया जाता है जिसे भगवान शिव अपने गले में धारण करके रखते हैं. वासुकि की पत्नी का नाम शतशीर्षा है. शेषनाग को अनंत के नाम से भी पहचाना जाता है.

नागराज की पत्नी कौन है?

नागों के दूसरे राजा वासुकी की पत्नी का नाम शतशीर्षा था। भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण वासुकी का उनके शरीर पर निवास था। जब वासुकी को ज्ञात हुआ कि नागकुल का नाश होने वाला है और उसकी रक्षा केवल उसकी भगिनी के पुत्र द्वारा ही होगी, तब इसने अपनी बहन का विवाह जरत्कारु से कर दिया।