सिरिमावो आर० डी० भंडारनायके (Sirimavo Ratwatte Dias Bandaranaike) (जन्म अप्रैल 17, 1916, रत्नापुरा, श्रीलंका—मृत्यु October 10, 2000, कोलंबो, श्रीलंका) को दुनिया की प्रथम महिला प्रधान मंत्री होने का गौरव प्राप्त है। पहली बार सन 1960 में उन्होने श्रीलंका के प्रधान मंत्री का पदभार संभाला था। Show सिरिमावो भंडारनायके का कार्यकालसिरिमावो भंडारनायके का विवाह 1940 में सोलोमन डायस भंडारनायके के साथ हुआ था। किन्तु अपने पति (S.W.R.D. Bandaranaike) की 1959 में हत्या के बाद उन्हे Sri Lanka Freedom Party का Leader बनाया गया। जुलाई 1960 के General Elections में उनकी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला और सिरिमावो पहली बार 21 जुलाई 1 9 60 को श्रीलंका की प्रधान मंत्री बनीं और इसी के साथ उन्हे दुनिया की प्रथम महिला प्रधान मंत्री बनने का मौका भी मिला।
भंडारनायके के प्रधान मंत्री बनने के 6 वर्ष बाद इन्दिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री बनीं थीं। सिरिमावो ने श्रीलंका के प्रधान मंत्री के रूप में तीन बार पद संभाला है। 1960-1965 में पहले कार्यकाल के बाद वे दो बार और श्रीलंका की PM बनीं।
उन्होने PM बनने के बाद अपने पति के विकासशील कार्यों को बखूबी आगे बढ़ाया। उन्होने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तटस्थता, समाजवादी आर्थिक नीतियों, और बौद्ध धर्म और सिंहली भाषा और संस्कृति के सक्रिय प्रोत्साहन के कार्यक्रम में योगदान के साथ-साथ निजी उद्यमों को राष्ट्रीयकृत करने का काम भी किया। उन्होने श्रीलंका को गणतंत्र देश बनाने का काम भी किया। भंडारनायके की पुत्री चंद्रिका कुमारतुङ्गा (जो बाद में राष्ट्रपति बनी) और पुत्र अनुर भंडारनायके भी राजनीति में सक्रिय थे। तीसरी बार PM के पद पर रहते समय खराब होती तबीयत के कारण अगस्त 2000 में उन्हे Resign देना पड़ा। ओक्टोबर 2000 में संसदीय चुनावों में वोट देने के तुरंत बाद सिरिमावो भंडारनायके की Heart Attack के कारण मृत्यु हो गयी। उनके कार्यकाल में श्रीलंका का India और China के साथ गहरे संबंध बने थे। सिरिमावो भंडारनायके वामपंथी विचारधारा से काफी प्रभावित हुई थीं तथा इन्दिरा गांधी के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध थे। अंतरिक्ष में पहली महिलावेलेंटीना टेरेशकोवासोवियत संघएक एकल उड़ान में अटलांटिक पार करने वाली पहली महिलाअमेलिया इएरहार्टअमेरिकामाउंट एवरेस्ट पर पहली महिलाजंको तबीजापानओलंपिक स्वर्ण जीतने वाली पहली महिलाचार्लोट कूपरइंगलैंडविश्व की पहली महिला प्रधानमंत्रीसिरिमावो भंडारनायकेश्रीलंकाअंतरिक्ष में पहली अमेरिकी महिलासैली राइडअमेरिकाअंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की पहली महिला कमांडरपैगी व्हिटसनअमेरिका विभिन्न राष्ट्रों की पहली महिला प्रधान मंत्री व राष्ट्रपतिनामराष्ट्रपदसिरिमावो भंडारनायकेश्री लँकाप्रधान मँत्रीगोल्डा मेयरइज्रायलप्रधान मँत्रीइँदिरा गान्धीभारतप्रधान मँत्रीमार्ग्रेट थेचरयूनाइटेड किंगडमप्रधान मँत्रीबेंनजीर भुट्टोपाकिस्तानप्रधान मँत्रीखालेदा ज्रियाबाँगलादेशप्रधान मँत्रीएडिथ क्रेसनफ्रांसप्रधान मँत्रीकिम केमप्बेलकनाडाप्रधान मंत्रीजुलिया गिलार्डआस्ट्रेलियाप्रधान मंत्रीयिनग्लक शिनावत्राथाईलैंडप्रधान मंत्रीएंजेला मेरकेलजर्मनीचांसलरकोराजोन एक्विनोफ़िलिपींसराष्ट्रपतिचंद्रिका कुमारातुंगाश्री लंकाराष्ट्रपतिमेघावती सुकरनोपुत्रीइंडोनेशियाराष्ट्रपतिएलेन जोंनसन सरलीफलाइबेरियाराष्ट्रपतिप्रतिभा पटिलभारतराष्ट्रपतिडिलमा रोस्सेफब्राजीलराष्ट्रपतिपार्क ग्यून - हायसाऊथ कोरियाराष्ट्रपतिअमिनाह गिरब-फकीममॉरीशसराष्ट्रपतिबिध्या देवी भंडारीनेपालराष्ट्रपतिreport this ad Sirimavo Bandaranaike Biography: दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री होने का गौरव श्रीलंका की सिरीमा रतवते डायस बंडरानाइक को हासिल है, जिन्हें सिरीमावो बंडरानाइक के नाम से भी जाना जाता है। वे 1960 से 1965 तक श्रीलंका की प्रधानमंत्री रही। वह श्रीलंका की फ्रीडम पार्टी की नेता थी। उन्होंने श्रीलंका के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई बेहतरीन कार्य किए। सिरिमावो भंडारनायके का जन्म व परिवार सिरिमावो भंडारनायके का जन्म 17 अप्रैल 1916 को ब्रिटिश सीलोन में रत्नापुरा के इलावाला वालवा में रहने वाले सिरिमा रवतते के यहां हुआ था। यह एक संपन्न परिवार था। उनकी मां रोशेलिंद हिल्डा महावलातें कुमारीहमी एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक चिकित्सक थीं और उनके पिता बार्न्स रवात्टे एक राजनीतिज्ञ थे। 6 बच्चों वाले परिवार में सिरिमा सबसे बड़ी थी। प्रधानमंत्री सिरीमावो ने कैथोलिक, अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाई की थी। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया था। सिरीमावो अंग्रेजी के साथ-साथ सिंहली भाषा बोलती थी। इनकी शादी सोलोमन वेस्ट रिजवे डायस भंडारनायके के साथ हुई, जो बाद में श्रीलंका के प्रधानमंत्री बनें। इसे भी पढ़ें: Savitribai Phule Biography: भारत की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले, जिनपर लोगों ने बरसाए थे पत्थर सिरिमावो भंडारनायके का सामाजिक कार्य पढ़ाई पूरी होने के बाद सिरिमावो भंडारनायके वर्ष 1941 में देश की सबसे बड़ी महिला स्वैच्छिक संस्था लंका महिला समिति (लंका महिला संघ) में शामिल हुईं। इस समिति में रहकर उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण और आपदा राहत के साथ कई सामाजिक परियोजनाओं में भाग लिया। उनकी पहली परियोजनाओं में से एक खाद्य उत्पादन की कमी को पूरा करने के लिए एक कृषि कार्यक्रम था। उन्होंने संगठन के सचिव के रूप में, चावल की फसलों की पैदावार के लिए नए तरीकों को विकसित करने के लिए कृषि विशेषज्ञों के साथ बैठक कर नई योजना बनवाने में मदद की। समय के साथ-साथ भंडारनायके ने महिला समिति के उपाध्यक्ष और महिला समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जो कि लड़कियों की शिक्षा, महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों और परिवार नियोजन के मुद्दों पर केंद्रित थी। वह ऑल सीलोन बुद्धिस्ट वुमन एसोसिएशन, कैंसर सोसाइटी, सीलोन नेशनल एसोसिएशन फॉर प्रीवेंशन ऑफ ट्यूबरकुलोसिस और नर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन की सदस्य भी थीं। उन्हें 1951 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में भी नियुक्त किया गया था। जिसके बाद उन्होंने यूनाइटेड नेशनल पार्टी से इस्तीफा देकर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी की स्थापना की। इसे भी पढ़ें: National Service Scheme Day: राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस आज, जानें क्यों और कैसे मनाते हैं NSS डे? पॉलिटिकल करियर सिरिमावो भंडारनायके ने 1952 के संसदीय चुनाव के दौरान अपने पति एसडब्ल्यूआरडी के लिए अट्टनगल्ला निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार किया और जनता का समर्थन हासिल करने के लिए देश भर में यात्राएं भी की। हालांकि उस चुनाव के दौरान फ्रीडम पार्टी केवल 9 सीटें ही जीत पाई। वहीं उनके पति संसद के लिए चुने गए और विपक्ष के नेता बने। जब 1956 में प्रधानमंत्री सर जॉन कोटेवाला द्वारा नए चुनावों की घोषणा की गई तो एसडब्ल्यूआरडी ने 1956 के चुनाव को लड़ने के लिए, चार-पक्षीय गठबंधन एमईपी का गठन किया और चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बनें । 25 सितंबर 1959 में एसडब्ल्यूआरडी की हत्या के बाद मई 1960 में, भंडारनायके को सर्वसम्मति से फ्रीडम पार्टी की कार्यकारी समिति द्वारा पार्टी अध्यक्ष चुना गया। 21 जुलाई 1960 को, फ्रीडम पार्टी के लिए एक शानदार जीत के बाद, बंदरानाइक ने दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री और साथ ही रक्षा और विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली। सितंबर 1964 में, बंदरानाइक ने सीलोन में रहने वाले 975,000 स्टेटलेस तमिलों के प्रत्यावर्तन पर चर्चा करने के लिए भारत के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। 1965 के चुनावों में, बंदरानाइक ने अटानागल्ला चुनावी जिले से प्रतिनिधि सभा में एक सीट जीती। अपनी पार्टी को 41 सीटें मिलने के साथ, वह विपक्ष की नेता बन गईं, जो यह पद भी संभालने वाली पहली महिला थी। भंडारनायके का निधन सिरिमावो भंडारनायके का निधन 10 अक्टूबर 2000 को 84 वर्ष की आयु में श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में स्थित कदवाथा में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उस समय वह अपने घर कोलंबो जा रही थी। विश्व में किसी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री कौन थी?सिरिमावो भंडारनायके दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। सिरीमा रवत्ते डायस भंडारनायके एक श्रीलंकाई राजनेता थीं। सिरीमावो भंडारनायके 1960 में श्रीलंका की प्रधानमंत्री बनी।
विश्व की पहली प्रधानमंत्री कौन थी?21 जुलाई, 1960 को श्रीलंका की सिरिमावो भंडारनायके विश्व की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त हुई थीं। भंडारनायके ने सितंबर, 1959 में अपने पति की हत्या के बाद राजनीति में प्रवेश किया था।
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