नेपाल में सिलेंडर की कीमत कितनी है? - nepaal mein silendar kee keemat kitanee hai?

Nepal: The data for the country and other countries in our database are obtained from official government sources, regulatory agencies, petroleum companies, and major media sources. We update the data every week.

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत में मिलने वाले घरेलू गैस सिलेंडर (LPG Cylinder Price) की कीमत दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले काफी कम है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को इसका डेटा साझा करते हुए कहा कि भारत में रसोई गैस की कीमत में होने वाली बढ़ोतरी भी दूसरे देशों के मुकाबले कम है। बता दें कि ऑयल कंपनियों ने इस महीने की शुरुआत में 14.2 किलोग्राम के एलपीजी या रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी की थी। नवीनतम बढ़ोतरी के बावजूद दिल्ली में एलपीजी की कीमत 1,053 रुपये तक पहुंच गई।

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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत में रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि वैश्विक स्तर की तुलना में काफी कम है, जबकि इनपुट लागत में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने अमेरिका, कनाडा, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया और भारत सहित सात देशों में रसोई गैस की कीमतों की तुलना भी की। पेट्रोलियम मंत्री ने सिलेंडर की कीमतों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आप ईंधन की कीमतों को अलग-अलग नहीं देख सकते। यह भी देखना जरूरी है कि वैश्विक बाजारों में क्या हो रहा है। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। पुरी ने कहा कि कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में लगभग 200 रुपये की कटौती की गई है। इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार कीमतों को स्थिर रखने में कामयाब रही है। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें प्रशासनिक मूल्य निर्धारण तंत्र के तहत तय की जाती हैं।

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किस देश में कितनी है रसोई गैस की कीमत

  • भारत- 1,053 रुपये (दिल्ली)
  • पाकिस्तान- 1,113.73 रुपये
  • नेपाल- 1,139.93 रुपये
  • श्रीलंका- 1,343.32 रुपये
  • यूएस- 1,754.26 रुपये
  • ऑस्ट्रेलिया- 1,764.67 रुपये
  • कनाडा- 2,411.20 रुपये

बता दें कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 6 जुलाई को आखिरी बार बढ़ोतरी हुई थी। बढ़ोतरी के बाद घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 1,053 रुपये, मुंबई में 1,052.50 रुपये, कोलकाता में 1,079 रुपये और चेन्नई में 1068.50 रुपये हो गई।

लोकसभा चुनावों के शोर के बीच भारत में एलपीजी गैस सिलेंडर (रसोई गैस सिलेंडर) की कीमतों में मामूली बढ़ोत्‍तरी हुई है. सब्‍सिडी वाले सिलेंडर में 25 पैसे की वृद्धि हुई है. इसके अलावा गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत में छह रुपये का इजाफा हुआ है. अब सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर 496.14 रुपए और 14.2 किलो वाले बिना सब्सिडी सिलेंडर की कीमत 712.50 रुपए हो गई है. वहीं अगर पाकिस्तान में गैस की कीमतों के बारे में जानेंगे तो आंखें खुली रह जाएंगी.

नेपाल में सिलेंडर की कीमत कितनी है? - nepaal mein silendar kee keemat kitanee hai?

पाकिस्तान में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1522.65 रुपये प्रति सिलेंडर है. वह भी तब जब सिलेंडर में केवल 11.8 किलो ही गैस आती है. भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी रसोई गैस की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं.इसी साल जनवरी में ही पाकिस्तान में एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में प्रति किलो दो रुपये का इजाफा किया गया था. तब वहां बढ़े हुए सिलेंडर की कीमत 1361 हो गई थी. मार्च से यहां सिलेंडर 1522.65 रुपये का मिलने लगा है. वर्तमान में पाकिस्तान में एक किलो रसोई गैस की कीमत 129 पाकिस्तानी रुपये प्र‌ति किलोग्राम है.

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बांग्लादेश में गैस सिलेंडर की कीमत 1100 बंग्लादेशी टका है. भारत में यह कीमत करीब सवा नौ सौ रुपये पड़ेगी. चीन के सिलेंडर में 12 किलो गैस होती है. एलपीजी सिलेंडर की सबसे ज्यादा कीमत 26 यूएस डॉलर के इर्द-गिर्द होती है. चीन के रसोईगैस सिलेंडर में आमतौर पर 12 किलो गैस भरी जाती है. यह 1820 रुपये से ज्यादा कीमत आती है.

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पड़ोसी देश श्रीलंका में एलपीजी गैस की कीमत पाकिस्तान से ज्यादा है. यहां के रसोई गैस के सिलेंडर में 12.5 किलोग्राम गैस होती है. वहां एक सिलेंडर की कीमत 1733 है. वहीं नेपाल में रसाई गैस सिलेंडर की कीमत 1400.0 रुपये प्रति सिलेंडर है. जबकि भूटान में इसकी कीमत 1393 प्रति सिलेंडर है.

भारत-नेपाल सीमा पर तीन महीने से नाकेबंदी के कारण आम नेपाली लोगों की ज़िंदगी का शायद ही कोई पहलू हो, जो इसके असर से अछूता रहा हो.

नेपाल में नए संविधान को मंज़ूरी मिलने के बाद से मधेसी समुदाय आंदोलन कर रहा है और तीन महीने से नाकेबंदी का नेपाल में व्यापक असर दिख रहा है क्योंकि जमाखोरी, कालाबाज़ारी चरम पर है.

नेपाली मुद्रा भारत की ओर बह रही है. पलायन और ग़ुस्सा दोनों बढ़ रहे हैं. अर्थशास्त्रियों, बैंकरों और आम लोगों का कहना है कि इसका असर इस साल आए दो भूकंपों से भी भयानक है. आने वाले दिनों में ग़रीबी और बढ़ेगी.

राजधानी काठमांडू में गैस के डिपो के आगे खाली सिलेंडरों की क़तारें हैं.

जो बहुत थोड़ी सी गैस पहुँचती है, वह कैसे प्रभावशाली लोगों के घरों में चली जाती है, इसके भी बहुत सारे क़िस्से हैं.

होटलों से लेकर घरों तक में खाना छत पर या खुली जगह में लकड़ी जलाकर पकाया जा रहा है.

लकड़ी की क़ीमत 10 रुपए किलो थी, जो अब 40-70 प्रति किलो के बीच कुछ भी हो सकती है. ब्लैक मार्केट में एक सिलेंडर की क़ीमत 10 हज़ार नेपाली रुपए तक जा पहुँची है. गलियों में बोली लगाने वाले घूम रहे हैं.

होटलों में स्टाफ़ की बड़े पैमाने पर छंटनी कर दी गई है. ग्रामीण इलाक़ों में गैस की किल्लत का असर नहीं है लेकिन क़स्बों और शहरों में खाने की क़ीमत तीन से पांच गुनी हो गई है.

भैरहवां एयरपोर्ट से काठमांडू के लिए विमान पकड़ने वाले अधिकांश नेपाली ब्रीफ़केस की जगह सोनौली या गोरखपुर से खरीदे इंडक्शन चूल्हे लाते मिलते हैं.

गोरखपुर के एक व्यापारी का कहना है कि सितंबर से पहले रोज़ दो ट्रक गैस के चूल्हे नेपाल भेजे जाते थे, अब दो भी नहीं जा रहे हैं. अलबत्ता 75 रुपए क़ीमत वाले हीटर की प्लेट एक-एक हज़ार रुपए में बिक रही है.

गोरखपुर में बजाज के इलेक्ट्रिक उपकरणों के बड़े थोक डीलर आनंद रूंगटा ने बताया कि पहले जितने इंडक्शन चूल्हे और कुकर साल भर में बिकते थे, उतने सिर्फ़ अक्तूबर-नवंबर में बिक गए.

गोरखपुर के बाज़ारों और सोनौली बॉर्डर पर इंडक्शन चूल्हों के लोकल ब्रांड भी क़ीमत से दो हजार रुपये अधिक मूल्य पर बिक रहे हैं लेकिन काठमांडू सहित नेपाल के शहरों में 10 घंटे या अधिक की नियमित बिजली कटौती के कारण इनका सीमित इस्तेमाल ही हो पा रहा है.

पेट्रोल पंपों के आगे दोपहिया वाहनों और कारों की दो किलोमीटर से भी अधिक लंबी क़तारें हैं. पुलिसकर्मी एक-एक कर वाहनों को आगे जाने देते हैं. राशनिंग लागू है.

थमेल में टूर एजेंसी चलाने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें तीन महीने में सिर्फ़ एक बार पेट्रोल पंप से 15 लीटर पेट्रोल मिल पाया. गलियों में बॉर्डर से तस्करी कर लाए गए जेरीकेनों के कालाबाज़ार आबाद हो चुके हैं, जहां उपलब्धता के आधार पर तीन से पांच गुनी क़ीमत पर ईंधन मिल रहा है.

ईंधन में मिलावट इतनी है कि मज़ाक चल गया है कि जल्द ही मिलावट के काम आने वाली चीज़ों की भी कालाबाज़ारी होगी. सड़कों पर गाड़ियां बहुत कम हो गई हैं. सवारियां बसों की छतों पर भी दिखने लगी हैं. टैक्सी का किराया असाधारण रूप से बढ़ गया है. डीज़ल की किल्लत के कारण बसों के फेरे कम हो गए हैं.

फ़ैडरेशन ऑफ़ नेपाली चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का कहना है कि सीमेंट, लोहा, प्लास्टिक और खाने का सामान बनाने वाले दो हज़ार से अधिक उद्योग ईंधन की कमी के कारण बंद हो चुके हैं और 25 हज़ार से अधिक मज़दूरों के पास कोई काम नहीं है.

नेपाल सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता त्रिलोचन पांगेनी का कहना है कि खेती, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में भीषण घाटे के कारण अनुमान है कि आठ से 10 लाख नए लोग ग़रीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे. इस नाकेबंदी के नतीजे दूरगामी होने वाले हैं.

गोरखा ज़िले के एक गांव के प्रवीण थापा थमेल के एक होटल में रसोइया हैं. उनके पिता दो माह पहले गंभीर रूप से बीमार पड़े. इलाज के दौरान एक दवा खरीदने के लिए उन्हें नाकों चने चबाने पड़े. यह दवा 6000 रुपए में मिलती है पर उन्हें काफ़ी भटकने के बाद 10 हज़ार रुपए में मिली. पिता की जान भी नहीं बच पाई.

नाकेबंदी के कारण काठमांडू में दवाओं का अभाव है. पुराना स्टॉक बेहद ऊंचे दाम में बिक रहा है. अस्पतालों में ऑपरेशन टाले जा रहे हैं. कुछ अस्पताल बंद भी हुए हैं.

मेडिकल स्टोर चलाने वालों का कहना है कि डायबिटीज़, ब्लडप्रेशर, दिल और किडनी की बीमारियों की दवाएं, सिरिंज और खून की गंभीर किल्लत है.

नेपाल में 60 प्रतिशत से अधिक दवाएं भारत से आती हैं. गरम कपड़ों और खाने की कमी के कारण बीमार बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

नेपाल में हर साल आठ लाख से अधिक पर्यटक आते हैं, जिनसे होने वाली आमदनी का देश की अर्थव्यवस्था में चार फ़ीसदी योगदान है, लेकिन इस बार सन्नाटा है.

काठमांडू की गलियों में शाम को दिखने वाले चंद विदेशी सैलानियों को छोड़ दें, तो कसीनो और बार तक़रीबन खाली हैं. भारतीय पर्यटक तो बिल्कुल नहीं हैं क्योंकि तराई में मधेसियों के आंदोलन में हिंसा और नाकेबंदी से पैदा हुई किल्लत से वो बखूबी वाकिफ़ हैं.

ट्रैवल एजेंसियों के मालिक कहते हैं कि जब खिलाने के लिए खाना न हो और घुमाने के लिए डीज़ल-पेट्रोल, तो ऐसे में पर्यटक यहां क्यों आएंगे.

नाकेबंदी, राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता का नतीजा यह है कि दूसरे देशों की ओर पलायन करने वाले नेपालियों की संख्या बढ़ रही है.

हर दिन क़रीब 1500 नेपाली युवा काम करने के लिए खाड़ी देशों की ओर और मलेशिया की तरफ़ जा रहे हैं. पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ी है. पासपोर्ट विभाग के मुताबिक़ हर दिन नए पासपोर्ट के लिए औसतन पांच हज़ार आवेदन मिल रहे हैं.

नेपाल में गैस सिलेंडर कितने का है?

लक़डी की कीमत 10 रूपए किलो थी, जो अब 40-70 प्रति किलो के बीच है। ब्लैक मार्केट में एक गैस सिलेंडर की कीमत 10 हजार नेपाली रूपए तक है।

पाकिस्तान में गैस का क्या भाव है?

अभी पाकिस्तान में घरेलू गैस 196.70 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि पिछले साल जनवरी में पाकिस्तान में गैस की कीमत 147.51 रुपये प्रति किलो थी। यानी साल भर में पाकिस्तान में घरेलू गैस की कीमतों में करीब 33 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

सिलेंडर कितने का है इंडिया में?

किस देश में कितनी है रसोई गैस की कीमत बढ़ोतरी के बाद घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 1,053 रुपये, मुंबई में 1,052.50 रुपये, कोलकाता में 1,079 रुपये और चेन्नई में 1068.50 रुपये हो गई।

श्रीलंका में एलपीजी सिलेंडर कितने का है?

श्रीलंका की राजधानी कोलंंबो में मंगलवार को एलपीजी गैस के ल‍िए कतार में लगे लोगा, मौजूदा समय में गैस की कीमत 5 हजार रुपये प्रत‍ि स‍िलेंडर पहुंच गई है.