नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप में राष्ट्रवाद का प्रचार कैसे किया? - nepoliyan bonaapaart ne yoorop mein raashtravaad ka prachaar kaise kiya?

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राष्ट्रवाद के आजकल अलग-अलग मायने हैं। सत्तापक्ष के लिए राष्ट्रवाद देशभक्ति से जुड़ी चीज़ है और अन्य लोगों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की आज़ादी भी राष्ट्रवाद मानी गई है। राष्ट्रवाद के लिए अक्सर वाद-विवाद होते रहते हैं जिससे यह पता चलता है कि राष्ट्रवाद भी लोकतंत्र का ही एक हिस्सा है। यूरोप में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई और यह कैसे अन्य देशों में फैली यह इस ब्लॉग के द्वारा जाना जाएगा। कक्षा 10 में इस पाठ को जोड़कर छात्रों को इस मुद्दे के परिचित कराना एक बढ़िया पहल है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यूरोप में राष्ट्रवाद क्या है और कैसे यह ज़रूरी है।

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The Blog Includes:
  1. राष्ट्रवाद क्या है?
  2. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
  3. फ्रांसीसी क्रांति
  4. राष्ट्र की भावना की रचना
  5. यूरोप के अन्य भागों पर प्रभाव
  6. नेपोलियन
  7. जनता की प्रतिक्रिया
  8. भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई?
  9. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 प्रश्नोत्तर
  10. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10: MCQs
  11. FAQs

राष्ट्रवाद क्या है?

राष्ट्रवाद होता है कि जो विचारधारा किसी भी राष्ट्र के सदस्यों में एक साझा पहचान को बढ़ावा देती है उसे राष्ट्रवाद कहते हैं। राष्ट्रवाद की भावनाओं की जड़ें जमाने के लिए कई प्रतीकों का सहारा लिया जाता है; जैसे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रगान, आदि।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप में राष्ट्रवाद का प्रचार कैसे किया? - nepoliyan bonaapaart ne yoorop mein raashtravaad ka prachaar kaise kiya?
Source : Wikipedia

आज के यूरोपीय राष्ट्रों की बजाय उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप कई क्षेत्रों में बँटा हुआ था जिन पर अलग-अलग वंश के लोगों का शासन हुआ करता था। उस जमाने में राजतंत्र का बोलबाला था। लेकिन उस जमाने में कुछ ऐसे तकनीकी बदलाव हुए जिनके परिणामस्वरूप समाज में गजब के परिवर्तन हुए। उन्हीं परिवर्तनों से लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का जन्म हुआ।

1789 में शुरु होने वाली फ्रांस की क्रांति के साथ राष्ट्रवाद के आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी। हर नई विचारधारा को अपनी जड़ें जमाने में एक लंबा समय लगता है। राष्ट्रवाद को अपनी जड़ें जमाने में लगभग एक सदी का समय लग गया। इस लंबी प्रक्रिया की परिणति के रूप में फ्रांस एक प्रजातांत्रिक देश के रूप में उभरा। फिर यह सिलसिला यूरोप के अन्य भागों में फैल गया। बीसवीं सदी की शुरुआत होते होते विश्व के कई भागों में आधुनिक प्रजातंत्र की स्थापना हुई।

फ्रांसीसी क्रांति

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Source : Wikipedia

राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति: फ्रांस वह देश था जहाँ राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति हुई। फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस की राजनीति और संविधान में कई बदलाव हुए। सन 1789 में सत्ता राजतंत्र से प्रजातांत्रिक संस्था के हाथों में चली गई। इस प्रजातांत्रिक संस्था का गठन नागरिकों द्वारा हुआ था। उस घटना से लोगों को लगने लगा कि आगे से फ्रांस के लोग अपने देश का भविष्य स्वयं तय करेंगे।

राष्ट्र की भावना की रचना

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Source : Wikipedia

लोगों में एक साझा पहचान की भावना स्थापित करने के लिए क्रांतिकारियों ने कई कदम उठाए। उनमें से कुछ नीचे दिये गये हैं:

  • एक पितृभूमि और उसके नागरिकों की भावना का प्रचार किया गया ताकि एक ऐसे समाज की अवधारणा को बल मिले जिसमें लोगों को संविधान से समान अधिकार प्राप्त थे।
  • राजसी प्रतीक के स्थान पर एक नए फ्रांसीसी झंडे का इस्तेमाल किया गया जो कि तिरंगा था।
  • इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों द्वारा हुआ। इस्टेट जेनरल का नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
  • राष्ट्र के नाम पर नए स्तुति गीत लिखे गए और शपथ लिए गए।
  • शहीदों को नमन किया गया।
  • सभी नागरिकों के लिये एक जैसे कानून वाली एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था बनाई गई।
  • फ्रांस के भूभाग में प्रचलित कस्टम ड्यूटी को समाप्त किया गया।
  • भार और मापन की एक मानक पद्धति अपनाई गई।
  • क्षेत्रीय भाषाओं को दरकिनार किया गया और फ्रेंच भाषा को राष्ट्र की आम भाषा के रूप में प्रोत्साहन दिया गया।
  • क्रांतिकारियों ने घोषणा की कि यूरोप के अन्य भागों से तानाशाही समाप्त करना और उन भागों में राष्ट्र की स्थापना करना भी फ्रांस के लोगों का मिशन होगा।

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यूरोप के अन्य भागों पर प्रभाव

फ्रांस में होने वाली गतिविधियों से यूरोप के कई शहर प्रभावित हुए। इन शहरों में शिक्षित मध्यवर्ग के लोगों और छात्रों ने जैकोबिन क्लब बनाना शुरु किया। इन क्लबों की गतिविधियों के कारण फ्रांस की सेना द्वारा घुसपैठ का रास्ता साफ हुआ। इसी का नतीजा था कि 1790 के दशक में फ्रांस की सेना ने हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के एक बड़े हिस्से में घुसपैठ कर ली थी। इस तरह फ्रांसीसी सेना द्वारा अन्य देशों में राष्ट्रवाद का प्रचार करने का काम शुरु हुआ।

नेपोलियन

नेपोलियन 1804 से 1815 के बीच फ्रांस का राजा था। अपने दुस्साहसी कदमों के कारण नेपोलियन ने इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। उसने फ्रांस में प्रजातंत्र को बरबाद कर दिया और फिर से वहाँ राजतंत्र की स्थापना की। लेकिन उसने कई ऐसे सुधारवादी कदम उठाये जिसके दूरगामी परिणाम हुए। नेपोलियन ने 1804 में सिविल कोड लागू किया, जिसे नेपोलियन कोड भी कहा जाता है। इस नये सिविल कोड से जन्म के आधार पर मिलने वाली हर सुविधा समाप्त हो गई। हर नागरिक को समान दर्जा मिला और संपत्ति के अधिकार को पुख्ता किया गया। नेपोलियन ने फ्रांस की तरह अपने नियंत्रण वाले हर इलाके में प्राशासनिक सुधार को अंजाम दिया। उसने सामंती व्यवस्था को खत्म किया, जिससे किसानों को दासता और जागीर को दिये जाने वाले शुल्कों से मुक्त किया गया। शहरों में प्रचलित शिल्प मंडलियों द्वारा लगाई गई पाबंदियों को भी समाप्त किया गया। यातायात और संचार के साधनों में सुधार किए गये।

जनता की प्रतिक्रिया

एक समान कानून और मानक मापन पद्धति और एक साझा मुद्रा से व्यवसाय में होने वाले लाभ की समझ आम आदमी को आ गई थी। इसलिये इस नई आजादी का किसानों, कारीगरों और मजदूरों ने खुलकर स्वागत किया।

लेकिन जो इलाके फ्रांस के कब्जे में थे, वहाँ के लोगों की फ्रांसीसी शासन के बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया थी। शुरु में फ्रांस की सेना को आजादी के दूत के रूप में देखा गया। लेकिन जल्दी ही यह भावना बदल गई, और लोगों की समझ में आने लगा कि इस नई शासन व्यवस्था से राजनैतिक आजादी की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। टैक्स में भारी बढ़ोतरी, और फ्रांस की सेना में जबरदस्ती भर्ती होने के कारण लोगों का शुरुआती जोश जल्दी ही विरोध में बदलने लगा।

भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में कई वर्षों से असंतोष चलते आ रहा था। प्राचीन काल से ही राष्ट्रवाद जीवित रहा है। अर्थ वेद में कहां है “वरुण राष्ट्र हो अविचल करें बृहस्पति राष्ट्र को स्थिर करें इंद्र राष्ट्र को शुरू करें अग्रिम देवराष्ट्र को निश्चित रूप से धारण करें” राष्ट्रवाद एकता की भावना जागृत करता है । भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत 19वीं शताब्दी से शुरू हुई थी। ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों और उनकी चुनौतियों से भारत में राष्ट्र के रूप में सोचना शुरू किया इसका आधारशिला ब्रिटिश शासन से हुई।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 प्रश्नोत्तर

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 के लिए प्रश्नोत्तर नीचे दिए गए हैं-

प्रश्न:1 राष्ट्रवाद का क्या मतलब होता है?
उत्तर: जो विचारधारा किसी भी राष्ट्र के सदस्यों में एक साझा पहचान को बढ़ावा देती है उसे राष्ट्रवाद कहते हैं। राष्ट्रवाद की भावनाओं की जड़ें जमाने के लिये कई प्रतीकों का सहारा लिया जाता है; जैसे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रगान, आदि।

प्रश्न:2 यूरोप में राष्ट्रवाद की शुरुआत कब और कैसे हुई?
उत्तर: यूरोप में नये राष्ट्रों के निर्माण की प्रक्रिया 1789 में शुरु होने वाली फ्रांस की क्रांति के साथ शुरु हो गई थी। लेकिन किसी भी नई विचारधारा की तरह राष्ट्रवाद को भी अपनी जड़ जमाने में लगभ एक सदी लग गया।

प्रश्न:3 राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति कब और कहाँ हुई?
उत्तर: राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति फ्रांस में 1789 में हुई।

प्रश्न:4 नेपोलियन ने प्रशासन के क्षेत्र में क्या बदलाव किये?
उत्तर: नेपोलियन ने प्रशासन के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव किये और प्रशासन व्यवस्था को बेहतर और कुशल बनाया। नेपोलियन ने 1804 में सिविल कोड लागू किया। इसे नेपोलियन कोड भी कहा जाता है। इस कोड ने जन्म के आधार पर मिलने वाली हर सुविधा को समाप्त कर दिया। हर नागरिक को समान हैसियत प्रदान की गई और संपत्ति के अधिकार को पुख्ता किया गया। नेपोलियन ने फ्रांस की तरह अपने नियंत्रण वाले हर इलाके में प्राशासनिक सुधार किये। उसने सामंती व्यवस्था को खत्म किया। किसानों को दासता और जागीर को अदा होने वाले शुल्कों से मुक्त किया। उसने शहरों में प्रचलित शिल्प मंडलियों द्वारा लगाई गई पाबंदियों को भी समाप्त किया। यातायात और संचार के साधनों में सुधार किये गये।

प्रश्न:5 नेपोलियन के बारे में यूरोप के अन्य इलाकों में क्या भावना थी?
उत्तर: फ्रांस ने जिन इलाकों पर कब्जा जमाया गया था, वहाँ के लोगों की फ्रांसीसी शासन के बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया थी। शुरु शुरु में लोगों ने फ्रांस की सेना को आजादी के दूत के रूप में देखा। लेकिन जल्दी ही यह भावना बदल गई। लोगों को समझ में आने लगा कि इस नई शासन व्यवस्था से राजनैतिक आजादी की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। टैक्स में भारी बढ़ोतरी हुई। लोगों को जबरदस्ती फ्रांस की सेना में भर्ती कराया गया। इस सबके फलस्वरूप लोगों का शुरुआती जोश जल्दी ही विरोध में बदलने लगा।

प्रश्न:6 फ्रांसीसी क्रांति के पहले यूरोप की क्या स्थिति थी?
उत्तर: अठारहवीं सदी के मध्यकाल में यूरोप में वैसे राष्ट्र नहीं हुआ करते थे जैसा हम आज जानते और समझते हैं। आधुनिक जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैंड कई सूबों, प्रांतों और साम्राजयों में बँटे हुए थे। हर शासक अपने आप में स्वतंत्र हुआ करता था। पूर्वी और मध्य यूरोप में कई शक्तिशाली राजा थे जिनके अधीन विभिन्न प्रकार के लोग रहा करते थे। इन लोगों की कोई साझा पहचान नहीं होती थी। उनमें यदि कोई समानता थी तो वह थी किसी एक खास शासक के प्रति समर्पण।

प्रश्न:7 अठारहवीं सदी के यूरोप का कुलीन वर्ग कैसा था?
उत्तर: यूरोपीय महाद्वीप में जमीन से संपन्न कुलीन वर्ग हमेशा से ही सामाजिक और राजनैतिक तौर पर प्रभावशाली हुआ करता था। कुलीन वर्ग के लोगों की जीवन शैली एक जैसी होती थी जिसका इस बात से कोई लेना देना नहीं था कि वे किस क्षेत्र में रहते थे। शायद इसी जीवन शैली के कारण वे एक सूत्र में बंधे रहते थे। उनकी जागीरें ग्रामीण इलाकों में होती थीं और उनके आलीशान बंगले शहरी इलाकों में होते थे। आपस में संबंध बनाये रखने के लिये उनके परिवारों के बीच शादियाँ भी होती थीं। वे फ्रेंच भाषा बोलते थे ताकि अपनी एक खास पहचान बनाये रखें और कूटनीतिक संबंध जारी रखें।

प्रश्न:8 यूरोप में मध्यम वर्ग का उदय कैसे हुआ?
उत्तर: पश्चिमी और केंद्रीय यूरोप के कुछ भागों में उद्योग धंधे में वृद्धि होने लगी थी। इससे शहरों का विकास हुआ और उन शहरों में एक नये व्यावसायिक वर्ग का उदय हुआ। इस नये वर्ग का जन्म बाजार के लिये उत्पादन की मंशा से हुआ था। इस परिघटना ने समाज में नये समूहों और वर्गों को जन्म दिया। इस नये सामाजिक वर्ग में एक वर्ग मजदूरों का था और दूसरा मध्यम वर्ग का। उस मध्यम वर्ग के मुख्य हिस्सा थे उद्योगपति, व्यापारी और व्यवसायी। इसी मध्यम वर्ग ने राष्ट्रीय एकता की भावना को एक रूप प्रदान किया।

प्रश्न:9 यूरोप में उन्नीसवीं सदी में आर्थिक क्षेत्र में कौन से सुधार हुए?
उत्तर: 1834 में प्रसिया की पहल पर जोवरलिन के कस्टम यूनियन का गठन हुआ। बाद में अधिकाँश जर्मन राज्य भी इस यूनियन में शामिल हो गये। चुंगी की सीमाएँ समाप्त की गईं और मुद्राओं के प्रकार को तीस से घटाकर दो कर दिया गया। इसी बीच रेल नेटवर्क के विकास ने आवगमन को और सरल बना दिया। इससे एक तरह के आर्थिक राष्ट्रवाद का विकास हुआ।

प्रश्न:10 ग्रीस की आजादी पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: ग्रीस की आजादी का संघर्ष 1821 में शुरु हुआ था। ग्रीस के राष्ट्रवादियों को ग्रीस के ऐसे लोगों से भारी समर्थन मिला जिन्हे देशनिकाला दे दिया गया था। इसके अलावा उन्हें पश्चिमी यूरोप के अधिकाँश लोगों से भी समर्थन मिला जो प्राचीन ग्रीक संस्कृति का सम्मान करते थे। मुस्लिम साम्राज्य के विरोध करने वाले इस संघर्ष का समर्थन बढ़ाने के लिए कवियों और कलाकारों ने भी जन भावना को इसके पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की। यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि ग्रीस उस समय ऑटोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। आखिरकार 1832 में कॉन्स्टैंटिनोपल की ट्रीटी के अनुसार ग्रीस को एक स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी गई। ग्रीस की आजादी की लड़ाई ने पूरे यूरोप के पढ़े लिखे वर्ग में राष्ट्रवाद की भावना को और मजबूत कर दिया।

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प्रश्न:11 इटली के एकीकरण में कैवर का क्या योगदान था?
उत्तर: इटली के विभिन्न क्षेत्रों को एक करने के आंदोलन की अगुवाई मुख्यमंत्री कैवर ने की थी। उसने फ्रांस से एक कूटनीतिक गठबंधन किया और इसलिए 1859 में ऑस्ट्रिया की सेना को हराने में कामयाब हो गया। उस लड़ाई में सेना के जवानों के अलावा, कई सशस्त्र स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था जिनकी अगुवाई जिउसेपे गैरीबाल्डी कर रहा था। 1860 के मार्च महीने में वे दक्षिण इटली और टू सिसली के राज्य की ओर बढ़ चले। उन्होंने स्थानीय किसानों का समर्थन जीत लिया और फिर स्पैनिश शासकों को उखाड़ फेंकने में कामयाब हो गए। 1861 में विक्टर इमैंयुएल (द्वितीय) को एक समग्र इटली का राजा घोषित किया गया।

प्रश्न:12 मेटरनिक युग क्या है ?
उत्तर:- आस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक के 1815 से 1848 ई० तक के काल को मेटरनिक युग कहते हैं। मेटरनिक निरंकुश राजतंत्र में विश्वास रखता था और क्रांति का घोर विरोधी था वह क्रांति का कट्टर शत्रु तथा क्रांति-विरोधी भावनाओं का समर्थक था। वह राजा के दैवी अधिकार में विश्वास रखता था ।

प्रश्न:13 मेजिनी कौन था ?
उत्तर:- मेजिनी इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल कार्बोनरी’ का सदस्य था| वह सेनापति होने के साथ-साथ, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक तथा साहित्यकार भी था। 1830 ई० में नागरिक आन्दोलनों द्वारा उसने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया किन्तु असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा। 1845 ई० में मेटरनिक की पराजय के बाद मेजिनी पुनः इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया। किन्तु इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा।

प्रश्न:14 लौह एवं रक्त की नीति क्या है ?
उत्तर-लौह एवं रक्त की नीति का प्रतिपादन बिस्मार्क ने किया था। इस नीति के अनुसार सैन्य शक्ति की सहायता से जर्मनी का एकीकरण करना था।

प्रश्न:15. यूरोपिय इतिहास में ‘घेटो’ का क्या अर्थ है ?
उत्तरः- ‘घेटो’ शब्द का व्यवहार मूलतः मध्यकालीन यूरोपीय शहरों में यहूदियों की बस्ती के लिए किया गया। परंतु वर्तमान संदर्भ में यह विशेष धर्म, प्रजाति, जाति या सामान्य पहचान वाले लोगों के एकसाथ रहनेवाले स्थान को इंगित करता है।

प्रश्न:16 फ्रांस की जुलाई 1830 की क्रान्ति का फ्रांस की शासन व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:- चार्ल्स-X के प्रतिक्रियावादी शासन का अंत हो गया। बूर्वो वंश के स्थान पर आर्लेयंस वंश को सत्ता सौंपी गई। इस वंश के शासक ने उदारवादियों।तथा पत्रकारों के समर्थन से सत्ता हासिल की। अतः, उसने इन्हें तरजीह दी।

प्रश्न:17 जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थी ?
उत्तरः- जर्मनी के एकीकरण में निम्नलिखित प्रमख बाधाएँ थी-
(i) लगभग 300 छोटे-छोटे राज्य,
(ii) इन राज्यों में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक विषमताएँ,
(iii) राष्ट्रवाद की भावना का अभाव,
(iv) आस्ट्रिया का हस्तक्षेप तथा
(v) मेटरनिक की प्रतिक्रियावादी नीति।

प्रश्न:18 1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर: 1830 की क्रांति के बाद लुई फिलिप फ्रांस का राजा बना। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए ‘स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति’ अवलंबन करते हुए सन् 1840 में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। फिलिप के पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में कोई सफलता हासिल हो रही थी। उसके शासनकाल में देश में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त हो गई। सुधारवादियों ने 22 फरवरी, 1848 ई० को पेरिस में थियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। राजा ने इस पर रोक लगा दी। अतः पेरिस में विरोध प्रदर्शन हुए और जुलूस निकाले गए। इस पर पुलिस ने गोली चला दी। जिसमें अनेक लोग मारे गए। अतः दमनकारी नीति अपनाए जाने के कारण 1848 ई० की क्रान्ति आरम्भ हो गई।

प्रश्न:19 बिस्मार्क के कार्यों की चर्चा करें?
उत्तर: जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की, महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। वह विख्यात राष्ट्रवादी और कूटनीतिज्ञ थे। फ्रैंकफर्ट संसद में उसने भाग लिया। वे रूस और फ्रांस में राजदूत भी रहे। 1862 में वह प्रशा का चांसलर बना। सर्वप्रथम बिस्मार्क ने प्रशा की आर्थिक और सैनिक शक्ति सुदृढ़ की। तत्पश्चात उसने डेनमार्क (1864), आस्ट्रिया (1866-सेडोवा का युद्ध) तथा फ्रांस (1870-सीडान का युद्ध) को पराजित कर जर्मनी का एकीकरण किया।

प्रश्न: 20 मेटरनिख युग क्या है?
उत्तर: मेटरनिख ऑस्ट्रिया का चांसलर था। वियना कांग्रेस (सम्मेलन) के द्वारा यूरोप में नेपोलियन युग का अंत हुआ और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई। मेटरनिख घोर प्रतिक्रियावादी था तथा राष्ट्रवाद एवं गणतंत्र का विरोधी था। 1848 की क्रांति के द्वारा मेटरनिख युग की समाप्ति हो गयी।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10: MCQs

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कक्षा 10 के लिए MCQs इस प्रकार हैं:

[ 1 ] ऐक्ट ऑफ यूनियन’ किस वर्ष पारित हुआ ?
(A) 1688 में
(B) 1707 में
(C) 1788 में
(D) 1807 में

Answer :- (A) 1688 में

[ 2 ] 1789 की फ्रांसीसी क्रांति के समय वहाँ किस राजवंश का शासन था ?
(A) टयूडर
(B) स्टुअर्ट
(C) बुर्बो
(D) रोमोनोव

Answer :- (C) बुर्बो

[ 3 ] नेपोलियन संहिता किस वर्ष लागू की गई ?
(A) 1789 में
(B) 1791 में
(C) 1801 में
(D) 1804 में

Answer :- (D) 1804 में

[ 4 ] जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने कितने युद्ध किए?
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार

Answer :- (C) तीन

[ 5 ] वियना काँग्रेस में कौन राष्ट्र सम्मिलित नहीं था ?
(A) ब्रिटेन
(B) रूस
(C) फ्रांस
(D) जर्मनी

Answer :- (D) जर्मनी

[ 6 ] वियन काँग्रेस में पवित्र संघ की योजना किसने प्रस्तुत की ?
(A) रूस ने
(B) ब्रिटेन ने
(C) फ्रांस ने
(D) ऑस्ट्रिया ने

Answer :- (A) रूस ने

[ 7 ] यंग इटली के संस्थापक कौन था ?
(A) जियोबर्टी
(B) कावूर
(C) मेजिनी
(D) गैरीबाल्डी

Answer :- (C) मेजिनी

[ 8 ] फ्रांस के किस राजा ने कहा था, अंगरेजी राजा की भाँति शासन करने की अपेक्षा लकड़ी काटना अधिक पसंद करूंगा।
(A) लुई सोलहवाँ ने
(B) नेपोलियन पापा ने
(C) लूई नेपोलियन ने
(D) चार्ल्स दशम ने

Answer :- (D) चार्ल्स दशम ने

[ 9 ] प्रशा का शासक कौन था ?
(A) नेपोलियन बोनापार्ट
(B) नेपोलियन-III
(C) विक्टर इमैनुएल
(D) विलियम प्रथम

Answer :- (D) विलियम प्रथम

[ 10 ] युरोप का मरीज कस कहा जाता था ?
(A) रूस को
(B) जर्मनी को
(C) तुर्की को
(D) यूनान को

Answer :- (C) तुर्की को

[ 11 ] इटली तथा जर्मनी वर्तमान में किस महादेश के अंतर्गत आते हैं ?

(A) उत्तरी अमेरिका
(B) दक्षिणी अमेरिका
(C) यूरोप
(D) पश्चिमी एशिया

उत्तर: C

[ 12 ] फ्रांस में किस शासन वंश की पुन: स्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी?

(A) हैप्सबर्ग
(B) आर्लिया वंश
(C) बूर्बो वंश
(D) जारशाही

उत्तर: C

[ 13 ] मेजिनी का संबंध किस संगठन से था ?

(A) लाल सेना
(B) कार्बोनरी
(C) फिलिक हेटारिया
(D) डायट

उत्तर: B

[ 14 ] इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध निम्न में कौन था?

(A) इंग्लैण्ड
(B) रूस
(C) आस्ट्रिया
(D) प्रशा

उत्तर: C

[ 15 ] काउंट काबूर’ को विक्टर इमैनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया?

(A) सेनापति
(B) फ्रांस में राजदूत
(C) प्रधानमंत्री
(D) गृहमंत्री

उत्तर: C

FAQs

राष्ट्रवाद क्या है 10th क्लास?

जो विचारधारा किसी भी राष्ट्र के सदस्यों में एक साझा पहचान को बढ़ावा देती है उसे राष्ट्रवाद कहते हैं। राष्ट्रवाद की भावनाओं की जड़ें जमाने के लिये कई प्रतीकों का सहारा लिया जाता है; जैसे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रगान, आदि।

राष्ट्रवाद को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

राष्ट्रवाद को इंग्लिश में नेशनलिज्म (nationalism) कहते हैं।

यूरोप में राष्ट्रवाद की शुरुआत कब हुई थी?

यूरोप में राष्ट्रवाद की शुरुआत 1789 में फ्रांस की क्रांति के साथ राष्ट्रवाद के आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी।

आशा है कि इस ब्लॉग से आपको यूरोप में राष्ट्रवाद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें।

यूरोप में राष्ट्रवाद के क्या कारण है?

विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग वंश के लोग राज करते थे। इन इलाकों में राजतंत्र का शासन हुआ करता था। उस काल में कई ऐसे तकनीकी परिवर्तन हुए जिनके कारण समाज में अभूतपूर्व बदलाव आये। समाज में आये इन परिवर्तनों ने लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।

21 नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप में राष्ट्रवाद का प्रसार कैसे किया?

नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) ने विजित राज्यों में राष्ट्रवादी भावना जागृत कर दी। फ्रांसीसी आधिपत्य वाले राष्ट्रों में नेपोलियन संहिता, फ्रांसीसी शासन और अर्थव्यवस्था समान रूप से लागू की गई। नेपोलियन के इन कार्यों से इटली एवं जर्मनी के एकीकरण का मार्ग सुगम हो गया। वहाँ राष्ट्रवाद का विकास हुआ।

यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट की क्या भूमिका थी?

नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की सुधारवादी नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा।

यूरोपीय देशों में राष्ट्रवाद का विकास कैसे हुआ?

19 वीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में राष्ट्रवाद (nationalism) की एक लहर चली जिसने यूरोपीय देशों का कायाकल्प कर दिया। जर्मनी, इटली, रोमानिया आदि नवनिर्मित देश कई क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बने जिनकी राष्ट्रीय पहचान 'समान' थी। यूनान, पोलैण्ड, बल्गारिया आदि स्वतन्त्र होकर राष्ट्र बन गये।