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निर्गुण भक्ति के प्रमुख कवि कौन हैं?भक्तिकाल में सगुणभक्ति और निर्गुण भक्ति शाखा के अंतर्गत आने वाले प्रमुख कवि हैं - कबीरदास,तुलसीदास, सूरदास, नंददास, कृष्णदास, परमानंद दास, कुंभनदास, चतुर्भुजदास, छीतस्वामी, गोविन्दस्वामी, हितहरिवंश, गदाधर भट्ट, मीराबाई, स्वामी हरिदास, सूरदास मदनमोहन, श्रीभट्ट, व्यास जी, रसखान, ध्रुवदास तथा चैतन्य महाप्रभु, रहीमदास।
निर्गुण पंथ के प्रवर्तक कौन है?रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है, “निर्गुण मार्ग' के निर्दिष्ट प्रवर्तक कबीरदास ही थे।” वहीं गणपति गुप्त और रामकुमार वर्मा 'नामदेव को संत काव्य धारा का प्रथम कवि मानते हैं।
कबीर की निर्गुण भक्ति धारा?कबीर की भक्ति अध्यात्मिक कोटि की थी, जहाँ ज्ञान और भक्ति अभिन्न बन जाते हैं । निर्गुण काव्यधारा में ब्रह्म के निराकार स्वरूप की उपासना की जाती है । कबीर के राम निर्गुण ब्रह्म है – वह कण-कण में रमने वाली वह शक्ति है, जो निर्गुण निराकार परम सत्ता के अर्थ में राम के अस्तित्व को स्वीकार किया है ।
निर्गुण काव्य धारा में कबीर का स्थान?उनके शिष्य सगुण और निर्गुण दोनों प्रकार के भक्त थे। संत मत के अनुसार संत कबीर भी रामानंद के बारह शिष्यों में से एक प्रमुख शिष्य थे। संत मत में विशेषकर कबीर का काव्य प्रमुख विषय है। ज्ञानपूर्ण भक्ति और वह भी निर्गुण सत्ता के प्रति है, जिन्हें कबीर राम, सत्यपुरुष, अलख निरंजन, स्वामी और शून्य आदि से पुकारते हैं।
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