मौलाना अबुल कलाम आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उनका कार्यकाल शिक्षा मंत्री के रूप में 15 अगस्त 1947 से शुरू होकर 2 फरवरी 1958 तक रहा। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने शिक्षा मंत्री के रूप में जिन संस्थानों की नींव रखी वहीं संस्थान आज भारत को विकास की तरफ ले जाने का काम कर रहे हैं । इन संस्थानों में प्रमुख हैं आई आई टी, आई आई एम और कई केंद्रीय एवं Autonomous University।
भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। मक्का उस समय ऑटोमन साम्राज्य के अंतर्गत आता था , और आज सऊदी अरेबिया के अंतर्गत आता है। आप भले ही उन्हें मौलाना आजाद के नाम से जानते हैं परंतु उनका यह नाम नहीं था उनका नाम था अबुल कलाम गुलाम महिउद्दीन । उनके पिता का नाम मौलाना मोहम्मद खैरउद्दीन एवं उनकी माता का नाम जुलेखा बेगम था।बचपन में ही उनके माता-पिता छोड़ कर चले गए थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई उनके घर में ही हुई, उन्होंने लगभग सब कुछ खुद ही पढ़ लिखकर सीखा।
- भारत के वर्तमान शिक्षा मंत्री कौन है –
उनके ज्ञान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बचपन से ही उन्हें उर्दू, हिंदी , पारसी, बंगाली एवं अंग्रेजी का अच्छा खासा ज्ञान था। वह इन सभी भाषाओं में लिख सकते थे और बोल सकते थे। उन्होंने ज्ञान वर्धन के लिए अफगानिस्तान, इराक, इजिप्ट, सीरिया एवं टर्की की यात्रा की। इन यात्राओं से अबुल कलाम को ब्रिटिश राज के बाहर की दुनिया देखने को मिली और इसके पश्चात उनका रुख राजनीति की तरफ होना तय हो गया था।
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने एक उर्दू समाचार पत्र की स्थापना की जिसका नाम था अल हिलाल। इस समाचार पत्र में वे ब्रिटिश सरकार की जमकर खिलाफत करते थे, और इससे परेशान होकर तत्कालीन ब्रिटिश राज ने उनके Newspaper अल हिलाल पर प्रतिबंध लगा दिया। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद और भारतीय राजनीति
एक धार्मिक Scholar होने के बावजूद उन्होंने बंगाल के विभाजन का भारी विरोध किया। उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वे अब तक कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्यों में गिने जाने लगे थे। 1923 आते आते अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। 1940 में भी एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और 1946 तक इस पद पर बने रहे। उनके कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए ही अत्यंत महत्वपूर्ण भारत छोड़ो आंदोलन पूरे देश में चलाया गया। तत्कालीन मुस्लिम लीग के नेता कांग्रेस को हिंदू पार्टी का दर्जा देने की भरसक कोशिश करते रहे पर ऐसी कोशिश तब कहां सफल हो पाती जब इस पार्टी का अध्यक्ष ही मुसलमान हो। अबुल कलाम आजाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के इस तर्क से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते थे कि हिंदू एवं मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते। आजाद भारत में अबुल कलाम आजाद को उनके ज्ञान को ध्यान में रखकर शिक्षा मंत्री बनाया गया।
मौलाना अबुल कलाम आजाद की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से 22 फरवरी 1958 को हुई। मौलाना आजाद को 1995 में मरणोपरांत भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया । प्रसिद्ध बॉलीवुड एक्टर आमिर खान उन्हीं के खानदान से आते हैं।
पाकिस्तान के विषय में First शिक्षा मंत्री “अबुल कलाम आजाद ” की भविष्यवाणियां
मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त थे। वे बंटवारे के सख्त खिलाफ थे और आखरी दम तक इसके खिलाफ कोशिशें करते रहे। जब गांधी जी , अबुल कलाम जैसे कांग्रेसियों की पार्टीशन को रोक पाने की कोशिशें नाकाम हो गई और जब यह साफ हो गया कि पाकिस्तान एक अलग मुल्क बनने वाला है तब किसी ने मौलाना आजाद से पूछा की वे किधर जाएंगे, मौलाना आजाद ने जवाब दिया” मैं एक हिंदुस्तानी था एक हिंदुस्तानी हूं और एक हिंदुस्तानी रहूंगा, और एक हिंदुस्तानी होने के नाते मेरा यही घर है और मेरी कब्र भी यही बनेगी”। मौलाना आजाद पाकिस्तान के अस्तित्व को ही नहीं मानते थे। 1946 के आसपास उनका एक इंटरव्यू लिया गया उस इंटरव्यू में उन्होंने जो बातें कही वह पाकिस्तान के लिए भविष्य में सही साबित हुई। उन्होंने इस इंटरव्यू में कुछ भविष्यवाणियां की थी वह इस तरह है :
- पाकिस्तान के पास कांग्रेस जैसा राजनीतिक नेतृत्व नहीं होगा इस कारण Military धीरे-धीरे हावी हो जाएगी और वहां की सत्ता पर आर्मी का कब्जा हो जाएगा।
- पाकिस्तान के भारत एवं अफगानिस्तान के साथ Friendly संबंध नहीं रहेंगे इसलिए भविष्य में बहुत ही जल्दी युद्ध की संभावना बनती है ।
- पाकिस्तान मुस्लिम लीग की कोई अपनी आईडियोलॉजी नहीं है इसीलिए वहां पर वर्गों का संघर्ष रोकने का कोई समाधान नहीं होगा इसी कारण अमीर और अमीर होते जाएंगे और गरीब और गरीब होते जाएंगे।
- शिक्षा में धर्म के प्रभाव के कारण विज्ञान का प्रसार नहीं हो पाएगा।
- वैसे तो पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा पंजाबी है परंतु यह मुल्क जो धर्म के नाम पर बनाए जा रहा है उर्दू को अपनी भाषा बता रहा है, और वहां के भविष्य के हुक्मरान इस उर्दू भाषा को बंगाल के इलाके में थोपने की कोशिश करेंगे इसका जवाब बंगाल विद्रोह करके देगा।
- पाकिस्तान मुल्क भले ही मजहब के नाम पर बना हो परंतु मजहब के नाम पर इसे हमेशा के लिए इकट्ठा रख पाना बहुत मुश्किल होगा।
- क्योंकि यह मुल्क मजहब के नाम पर बनाया जा रहा है इसमें बाद में मजहब के अंदर ही मजहब के अलग अलग हिस्सों के बीच में संघर्ष होना तय है।
आप अगर पाकिस्तान के आजादी के बाद के इतिहास में नजर डालेंगे तो आप यह पाएंगे कि मौलाना अबुल कलाम आजाद की सारी भविष्यवाणियां सही साबित हुई। आजादी के इस नायक का सही सम्मान तभी होगा जब भारत धर्मनिरपेक्षता के रास्ते में आगे बढ़ता जाए और अबुल कलाम जैसे मुस्लिमों को यह बात कहने पर गर्व महसूस हो कि वे भारतीय हैं। अबुल कलाम आजाद भारत की गंगा जमुनी तहजीब के एक Symbol है। अबुल कलाम आजाद इस बात के द्योतक हैं कि पाकिस्तान एक धर्म के नाम पर बना मुल्क है परंतु भारत धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बना एक मुल्क है और भारत की आत्मा इसी धर्मनिरपेक्षता में है। एक सच्चा देशभक्त बनना और एक सच्चा धर्मनिरपेक्ष बनना ही मौलाना अबुल कलाम आजाद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।