प्रेगनेंसी के 8 महीने में क्या क्या प्रॉब्लम होती है? - preganensee ke 8 maheene mein kya kya problam hotee hai?

प्रेगनेंसी के 8 महीने में क्या क्या प्रॉब्लम होती है? - preganensee ke 8 maheene mein kya kya problam hotee hai?

LEAKSIN

आठवें और नौवें महीने में घर के यह काम करें और यह काम नहीं करें

  • 1075d
  • 13 shares

आठवें और नौवें महीने में घर के यह काम करें और यह काम नहीं करें, प्रेगनेंसी का आठवां और नौवां महीना महिला के लिए बहुत अहम होता है। क्योंकि इस दौरान महिला का वजन बढ़ने, शिशु का विकास बढ़ने के साथ महिला की शारीरिक परेशानियां भी बढ़ सकती है। जैसे की प्रेग्नेंट महिला को सांस लेने में तकलीफ, पेट में और पेट के निचले हिस्से में दर्द, पीठ में दर्द, कब्ज़ की समस्या, ब्रेस्ट में दूध का रिसाव आदि की परेशानी हो सकती है।

और इस दौरान बरती गई थोड़ी सी लापरवाही न केवल गर्भवती महिला की परेशानियों को बढ़ा सकती है। बल्कि इसके कारण समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी का सामना भी महिला को करना पड़ सकता है। ऐसे में घर के किसी भी काम को करते समय पूरी सावधानी का ध्यान रखना जरुरी होता है, और इस बात का ध्यान रखना भी जरुरी होता है की प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में क्या करें और क्या नहीं करें।


In this article

  • क्या ऐसे कुछ खान-पान हैं जो मूड को बेहतर बना सकते हैं?
  • एसिडिटी और सीने में जलन की स्थिति में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
  • उर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ कौन से हैं?
  • आपके लिए कॉम्प्लेक्स कॉर्बोहाइड्रेट्स से भरपूर मेन्यू

क्या ऐसे कुछ खान-पान हैं जो मूड को बेहतर बना सकते हैं?

उचित भोजन खाने से शायद आपकी सभी समस्याएं दूर न हों, मगर ये आपको बेहतर महसूस करवाने में काफी हद तक मदद कर सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान मनोभावों में उतार-चढ़ाव (मूड स्विंग) होना आम है। अक्सर तनाव और हॉर्मोन संबंधी बदलावों की वजह से ऐसा होता है।

मगर कई बार आपके चिड़चिड़ेपन या ऊर्जा में कमी का कारण कुछ और भी हो सकता है।

एनीमिया या विटामिन  बी12 की कमी की वजह से आपको थकान और निरुत्साहित महसूस हो सकता है।

यदि आपके साथ भी ऐसा हो, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने रोजाना के खाने में आयरन और विटामिन बी12 से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। आपकी डॉक्टर ने शायद आपको इनके अनुपूरक (सप्लीमेंट) भी दिए होंगे, मगर इन पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाने की आदत बनाने से आपके शरीर में इनका स्वस्थ स्तर बना रहेगा।

विटामिन बी12 के अच्छे स्त्रोतों में शामिल हैं गाय का दूध और डेयरी उत्पाद, अंडे, तैलीय मछली और चिकन। आयरन के समृद्ध स्त्रोत हैं मीट, चिकन, दाल-दलहन, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित दलहन।

नींद पूरी न होने का भी आपके मूड पर असर हो सकता है। गर्भावस्था में होने वाली आम असहजताएं और नींद न आना (इनसोमनिया) की वजह से शायद आपको रात में आराम न मिल पाए। नींद आने के लिए आप लेटने से पहले एक कप हल्का गर्म दूध पी सकती हैं। आरामदायक नींद पाने के लिए बहुत सी माएं इसे मददगार मानती हैं। गर्भावस्था मे अच्छी नींद पाने के कुछ उपाय यहां जानें।

संतुलित भोजन और स्नैक्स खाने से आपके रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर स्थिर रहेगा जिससे आपको अधिक ऊर्जावान महसूस होगा। इसके लिए आपको रिफाइंड और जल्दी पचने वाले सीरियल्स की जगह पर कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स वाले विकल्प चुनने होंगे, जो धीरे-धीरे ऊर्जा जारी करते रहते हैं।

अच्छे कार्बोहाइड्रेट्स में जई (ओट्स), मक्का, मोटे अनाज (मिलेट्स), आलू, साबुत अनाज, ब्राउन राइस, ब्राउन ब्रेड, दाल-दलहन, मेवे और बीज शामिल हैं।

ऐसे कुछ भोजन भी हैं, जिन्हें आमतौर पर मूड बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है, जैसे कि:

ओमेगा 3 फैट्टी एसिड
ओमेगा 3 फैट्टी एसिड मूड बेहतर करने वाला एक मुख्य पोषक तत्व है, जिसका उत्पादन हमारा शरीर नहीं करता। तैलीय मछलियों जैसे कि चूरा (ट्यूना), बांगड़ा (मैकेरल), भिंग (हेरिंग), पेड़वे (सा​र्डीन), सीपी मछली (मसल्स) आदि से आपको ओमेगा 3 फैट्टी एसिड मिल सकता है। इसके शाकाहाारी स्त्रोत हैं अखरोट, अल्सी के बीज, दाल-दलहन, सोया और हरी पत्तेदार सब्जियां।

केसर
यह एक लोकप्रिय मसाला है और इस बात के कुछ प्रमाण भी हैं कि केसर मूड स्विंग और अवसाद (डिप्रेशन) कम करने में मदद करता है। मगर जैसा कि अन्य हर्ब और मसालों के लिए कहा जाता है, उसी तरह जरुरी है कि केसर का इस्तेमाल भी गर्भावस्था में सीमित मात्रा में किया जाए।

तरल पदार्थ
निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से आपकी अवसाद की स्थिति और ज्यादा गंभीर हो सकती है। थकान और बेचैनी वास्तव में हल्के डिहाइड्रेशन के संकेत हैं। पानी सबसे बेहतर विकल्प है, मगर इसके अलावा भी कई अन्य सेहतमंद और ताजगीपूर्ण पेय हैं जो आपकी प्यास बुझा सकते हैं।

यदि आपको अवसाद महसूस हो, बैचनी या बहुत ज्यादा तनाव लगे तो अपनी डॉक्टर से बात करें। यदि इसका उपचार न किया जाए तो डिप्रेशन और बेचैनी की वजह से आप शायद अपना और गर्भस्थ शिशु की उचित देखभाल नहीं कर सकेंगी। अभी से इसका उपचार शुरु कर देना आप दोनों के लिए बेहतर है।

यह भी जरुरी है कि आप उत्तेजित करने वाली चीजों से दूर रहें जैसे कि अत्याधिक कैफीन, शराब और सिगरेट। ये न केवल आपके शिशु के लिए खतरनाक हैं, बल्कि इनकी वजह से आपको घबराहट के दौरे (पैनिक अटैक) हो सकते हैं। इससे दीर्घकाल में आपके लिए अपनी चिंता व बेचैनी को नियंत्रित करना मुश्किल होगा।

एसिडिटी और सीने में जलन की स्थिति में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

बहुत सी गर्भवती महिलाओं को एसिडिटी या सीने में जलन (हार्टबर्न) और अपचता की शिकायत रहती है। आपका खान-पान आपको बेहतर महसूस भी करा सकता है या आपके लक्षणों को और बढ़ा सकता है।

एसिडिटी के सबसे आम कारणों में मसालेदार, वसायुक्त या अम्लीय भोजन शामिल है। इसलिए आपको तले हुए भोजन या टमाटर की ग्रेवी वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए। मीठे और कैफीन की उच्च मात्रा वाले भोजन से भी आपके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

एसिडिटी से तुरंत राहत के लिए आप एक चौथाई कप ठंडा दूध बिना चीनी मिलाए पिएं। इससे आपकी जलन कम हो सकती है। अन्य खाद्य पदार्थ जो एसिडिटी कम करने में सहायक माने जाते हैं, उनमें शामिल हैं केले, बिना भिगोए हुए बादाम, सौंफ, पुदीने की पत्तियां और बिना चीनी की ठंडी छाछ।

आपकी खानपान की आदतों का भी एसिडिटी की स्थति पर असर हो सकता है। इससे बचने के लिए आप निम्नांकित कुछ उपाय आजमा सकती हैं:

  • तीन बड़े भोजन करने की बजाय, दिनभर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कुछ खाएं।
  • दिन का मुख्य भोजन लंच के समय करें। अपना डिनर शाम के समय जल्दी कर लें, ताकि सोने से पहले शरीर को इसे पचाने का समय मिल सके।
  • धीरे-धीरे खाएं, निवाला उतना ही लें जो आराम से मुंह में आ जाए और अच्छी तरह चबाकर खाएं।
  • भोजन के साथ तरल पदार्थ न लें, क्योंकि इससे पाचन रस जलमिश्रित हो जाता है, और ये इतने प्रभावशाली नहीं रहते। इसकी बजाय एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच पानी पीएं, ताकि जलनियोजित रह सकें।
  • खाना खाते समय सीधा बैठें, और खाना खाने के कम से कम दो से तीन घंटे बाद ही लेटें।
  • यदि आप कुछ और उपाय जानना चाहती हैं, तो एसिडिटी और हार्टबर्न पर हमारा लेख पढ़ें!

यदि आपको सीने में बहुत ज्यादा जलन हो और साथ में अन्य लक्षण जैसे कि सिरदर्द, दृष्टि संबंधी समस्या या चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सूजन हो तो तुरंत अपनी डॉक्टर से बात करें। ये एक संभावित गंभीर स्वास्थ्य स्थिति प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण हो सकते हैं।

उर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ कौन से हैं?

प्रेगनेंसी के अंतिम चरण में आपको ज्यादा कैलोरी की जरुरत होती है, ताकि आपके शिशु का वजन बढ़ सके और आपको अपना वजन वहन करने और डिलीवरी के लिए ऊर्जा मिल सके।

इसके लिए आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले सेहतमंद खाद्य पदार्थों की जरुरत होती है। जब आपके शरीर की ऊर्जा कम होती है, तो आपका कैफीन, मीठे और तले हुए भोजन के सेवन का मन कर सकता है, मगर यह जरुरी है कि आप सेहतमंद विकल्प चुनें।

कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स जिन्हें सेहतमंद कार्ब या स्लो बर्निंग कार्ब भी कहा जाता है, उनमें प्रसंस्कृत सीरियल्स और शुगर की तुलना में फाइबर, विटामिन और खनिज ज्यादा होते हैं। ये आपको लंबे समय तक रहने वाली ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे आपका पेट ज्यादा समय तक भरा रहता है और आपके शरीर में शर्करा का स्तर स्थिर रहता है।

वहीं दूसरी तरफ साधारण कार्ब जैसे कि शक्कर, मैदा या सफेद चावल आदि के सेवन से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है और फिर घट सकता है, जिससे आपको सुस्ती सी महसूस हो सकती है।

कॉम्प्लेक्स कार्ब के अच्छे उदाहरणों में शामिल हैं साबुत अनाज के सीरियल्स, ओटमील, होल व्हीट ब्रेड, फाइबर से भरपूर भोजन, किनोआ, जौ, ब्राउन राइस, वाल्ड राइस, मक्का, बल्गर, दाल-दलहन, राय, सोयाबीन, सूजी, साबुदाना, पास्ता, आलू, और शकरकंदी आदि।

इन कार्बोहाइड्रेट्स को अपने आहार में शामिल करने का सबसे आसान तरीका है कि आप अलग-अलग तरह के मोटे अनाज (मिलेट्स) को अपने आटे में मिलाकर रोटी बनाएं। आप रागी, बाजरा, ज्वार और कंगनी और कोदरा आदि में से चुन सकते हैं।

आपके लिए कॉम्प्लेक्स कॉर्बोहाइड्रेट्स से भरपूर मेन्यू

सेहतमंद कार्बोहाइड्रेट्स को अपने आहार में शामिल करने के लिए निम्नांकित व्यंजनों के विकल्पों में से चुनें।

ब्रेकफास्ट

  • सूजी और मिक्स्ड वेजिटेबल चीला और एक गिलास छाछ
  • अंडे की भुर्जी, होलव्हीट टोस्ट, आम का मिल्कशेक
  • मूंगफली डालकर बनाया साबुदाना उपमा और अमरूद
  • साबुत हरी मूंग से बना डोसा (पेसरत्तू), पुदीना चटनी, नारियल पानी

स्नैक

  • केले और अनार के साथ छोटी कटोरी ओटमील
  • मुरमुरे
  • सेब और अखरोट की सलाद
  • एक कटोरी सूजी का उपमा

लंच

  • गट्टे की तरी, लौकी की सब्जी और ज्वार की रोटी
  • सोयाबीन की ​बड़ियां (सोया चंक) डालकर बनाया वेजिटेबल पुलाव, चुकंदर का सलाद और दही
  • मूसर की दाल, पत्ता गोभी की सब्जी, पुदीने का रायता और बाजरे की रोटी
  • मटन करी, मिक्स्ड वेजिटेबल और मल्टी ग्रेन रोटी/ब्राउन राइस

स्नैक

  • नारियल पानी और शकरकंदी की चाट
  • भाप में पकाए कॉर्न और नींबू पानी
  • सत्तू का पेय और कुरकुरी कमल ककड़ी
  • साबुदाना पायासम, मेवे और किशमिश

डिनर

  • राजमा, मशरूम मटर की सब्जी, मिस्सी रोटी
  • वेजिटेबल कोठू परोठा, नींबू का अचार और दही
  • चिकन करी और रागी की रोटी
  • पालक और मसूर की दाल, वाइल्ड राइस और भूने हुए पापड़

आप कुछ और सुझाव ढूंढ़ रही हैं? हमारी तिमाही-दर-तिमाही डाइट प्लान में वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन आहार के बहुत से विकल्प पाएं।

Click here to see the English version of this article!

हमारे लेख पढ़ें:

  • गर्भावस्था के नौंवे महीने में पौष्टिक आहार
  • मैं गर्भवती हूं और मेरा वजन सामान्य से ज्यादा है। क्या मेरी डिलीवरी आसानी से हो सकेगी?
  • क्या गर्माहट प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से गर्भपात या समय से पहले प्रसव का खतरा रहता है?

References

Agha-Hosseini M et al. (2008). ' Crocus sativus L. (saffron) in the treatment of premenstrual syndrome: a double-blind, randomised and placebo-controlled trial', BJOG. 2008 Mar;115(4):515-9. doi: 10.1111/j.1471-0528.2007.01652.x.

Akbaraly TN et al (2009). 'Dietary pattern and depressive symptoms in middle age', Br J Psychiatry. 2009 November; 195(5): 408–413.

Benton D and Donohoe RT (1999) 'The effects of nutrients on mood', Public health nutrition,2(3a): 403-409.

Brinkworth GD et al. (2009). 'Long term effects of a very low- carbohydrate diet and a very low-fat diet on mood and cognitive function', Arch Intern Med. 2009;169(20):1873-1880. doi:10.1001/archinternmed.2009.329.

Martin et al. 2012, 'Everyday eating experiences of chocolate and non-chocolate snacks impact postprandial anxiety, energy and emotional states', Nutrients, 4: 554-567; doi:10.3390/nu4060554

Mezzacappa ES et al. (2010). 'Coconut fragrance and cardiovascular response to laboratory stress: results of pilot testing', Holist Nurs Pract. 2010 Nov-Dec;24(6):322-32. doi: 10.1097/HNP.0b013e3181fbb89c.

Murakami K et al. (2008). 'Dietary intake of folate, other B vitamins, and omega-3 polyunsaturated fatty acids in relation to depressive symptoms in Japanese adults.', Nutrition. 2008 Feb;24(2):140-7. Epub 2007 Dec 3.

NCT. nda. Emotions during pregnancy. National Childbirth Trust. www.nct.org.uk

NICE. 2012. Dyspepsia - pregnancy-associated. National Institute for Health and Care Excellence, Clinical Knowledge Summaries. www.nice.org.uk

आठवें महीने में क्या क्या लक्षण होते हैं?

अपनी प्रेग्‍नेंसी के आठवें महीने में आप अपनी गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैं। इस समय बच्‍चे का आकार ऐसा है कि उसने आपके गर्भाशय को घेर रखा है इसलिए वह अब पहले की तरह आपके पेट में उछलकूद नहीं कर सकता। अब उसके करवट लेने या हाथ-पैरों को हिलाने-डुलने की गतिविधियां होती रहेंगी। अब आपको उसके मूवमेंट पर पूरा ध्‍यान रखना है।

प्रेगनेंसी के 8 महीने में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

प्रेगनेंसी का आठवां महीना आपके लिए बहुत ही खूबसूरत होता है। इस दौरान आपको किसी भी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए। साथ ही आपको कम से कम काम और ज्यादा से ज्यादा आराम करनी चाहिए। अगर आप किसी भी तरह की कोई गंभीर समस्या को महसूस करें तो बिना समय गंवाए तुरंत डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए

8 महीने का बच्चा पेट में कैसे रहता है?

अब जब शिशु आठ महीने का हो गया है, वह आराम से घुटनों के बल चल रहा होगा। या फिर हो सकता है वह नितंबों के बल हिलना-डुलना, पेट के बल सरकना (कमांडो क्रॉलिंग) या पलटना शुरु कर रहा हो। आपका शिशु फर्नीचर को पकड़कर खुद खड़ा होने का प्रयास भी कर सकता है।

प्रेगनेंसी के आठवें महीने में कमजोरी क्यों आती है?

गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण को ज्‍यादा खून और पोषण की जरूरत होती है। इस वजह से भी आखिरी महीनों में थकान बढ़ जाती है। इसके अलावा मेटाबोलिज्‍म बढ़ने, तनाव, दर्द, अनिद्रा, ब्‍लड प्रेशर या किसी अन्‍य स्थिति के कारण भी तीसरे सेमेस्‍टर में थकान हो सकती है।