पारस पत्थर का रहस्य क्या है? - paaras patthar ka rahasy kya hai?

इस दुनिया में कई ऐसी चमत्कारी चीजें मौजूद हैं, जिनके बारे में आप लोगों ने बस किस्से और कहानियां ही सुनी होंगी. लेकिन क्या आपने पारस पत्थर के बारे में सुना या पढ़ा है अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताएंगे जहां इस पत्थर के होने का दावा किया जाता है.

भारत में मौजूद आज भी कई ऐसे किले है जो अपनी-अपनी किसी ना किसी खासियत के कारण सारी दुनिया में विश्व विख्यात है. यहां कई किले ऐसे है जहां अरबो का खजाना है तो वहीं कई किले ऐसे भी है जिसके रहस्य से अभी तक कोई पर्दा नहीं उठा पाया. आज हम आपको एक ऐसे ही किले की कहानी बताने जा रहे हैं.

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इस दुनिया में कई ऐसी चमत्कारी चीजें मौजूद हैं, जिनके बारे में आप लोगों ने बस किस्से और कहानियां ही सुनी होंगी. लेकिन क्या आपने पारस पत्थर के बारे में सुना या पढ़ा है अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताएंगे जहां इस पत्थर के होने का दावा किया जाता है.

चमत्कारी पत्थर को लेकर कई युद्ध भी हुए

हम बात कर रहे हैं भोपाल से 50 किलोमीटर दूर रायसेन किले के बारे में,  लोगों की माने तो इस किले के राजा के पास पारस पत्थर मौजूद था. इस पत्थर को लेकर कई बार भी युद्ध हुए, लेकिन जब इस किले के राजा को लगा कि वह युद्ध हार जाएंगे तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में मौजूद तालाब के अंदर फेंक दिया. ताकि ये कीमती पत्थर किसी के हाथ ना लग सके.

इस पत्थर की खोज में हर साल लोग खुदाई के लिए पहुंच जाते हैं लेकिन किले से पत्थर को निकालना कोई आम बात नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों का मानना है कि किले में पत्थर की रखवाली जिन्न करता हैं! यहां पत्थर को ढूंढ़ने आने वाले कई लोग अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं.

हालांकि जिन्न है भी या नहीं इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है लेकिन लोग यहां पत्थर की तलाश में आते हैं. इस बात का सबूत मौजूद है क्योंकि किले में खुदाई किए गए कई गड्ढे हैं. लोग यहां पत्थर को तलाशने के लिए तान्त्रिकों का सहारा भी लेते हैं. इस किले को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल है. क्या सच है और क्या झूठ इस पर से आज तक पर्दा नहीं उठ सका है.

भोपाल। पारस पत्थर से जुड़ी कई कहानियां पूरे देश में प्रसिद्ध हैं, लेकिन ये कहा है कैसा है या किसके पास है, यह आज तक रहस्य ही बना हुआ है। यहीं नहीं कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के बीचों बीच से गुजरने वाले नाले स्वर्ण रेखा का नाम भी इसी पारस पत्थर की देन रहा है।

भोपाल। मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर dainikbhaskar.com प्रदेश के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, कला, विकास और सुनी-अनसुनी कहानियों से आपको अवगत करा रहा है। इस कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं भोपाल से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित रायसेन किले के बारे में। कहा जाता है कि इस किले में पारस पत्थर है, जिसकी रखवाली जिन्न करते हैं।

1200 ईस्वी में निर्मित यह किला रायसेन, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख आकर्षण है। पहाड़ी की चोटी पर इस किले के निर्माण के बाद रायसेन को इसकी पहचान बलुआ पत्थर से बना हुआ यह किला प्राचीन वास्तुकला एवं गुणवत्ता का एक अद्भुत प्रमाण है जो इतनी शताब्दियां बीत जाने पर भी शान से खड़ा हुआ है। इसी किले में दुनिया का सबसे पुराना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। इस किले पर शेरशाह सूरी ने भी शासन किया था। कहा जाता है यहां के राजा के पास पारस पत्थर था, जिसे किसी भी चीज को छुलाभर देने से वह सोना (GOLD) हो जाती थी। कहा जाता है कि इसी पारस पत्थर के लिए कई युद्ध भी हुए, जब यहां के राजा राजसेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले पर ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया।

कहा जाता है कि पारस पत्थर के लिए युद्ध में राजा की मौत हो गई पर उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने पारस पत्थर कहां रखा है। इसके बाद किला वीरान हो गया। तरह-तरह की बातें होने लगीं। कहा जाता है कि ये पारस पत्थर अब भी किले में मौजूद है और इसकी रखवाली जिन्न करते हैं। जो लोग पारस पत्थर की तलाश में किले में गए उनकी मानसिक हालत खराब हो गई।

रात में होती है अभी भी खुदाई

कहा जाता है कि किले के खजाने का आज तक पता नहीं लग पाया है। इसकी तलाश में आज भी किले में रात में गुनियां (एक तरह से तांत्रिक) की मदद से खुदाई होती है। दिन में जो लोग यहां घूमने आते हैं उन्हें कई जगह तंत्र क्रिया और खोदे गए बड़े-बड़े गड्ढ़े दिखाई देते हैं।

पारस पत्थर क्या हैं | पारस पत्थर की पहचान क्या है | पारस पत्थर बनाने की विधि |Paras pathar kya hai– हमारी दुनिया अनेक रहस्यों से भरी पड़ी हैं. दुनिया में कही ऐसी घटना हुई हैं जिसकी वजह आज तक कोई खोज नहीं पाया हैं. संसार में कही सारी ऐसी वस्तुए हैं जिनका जिक्र समय-समय पर मिलता हैं. लेकिन उनकी उपस्थिति हमेशा रहस्य रही हैं. ऐसी ही एक वस्तु पारस पत्थर हैं. पारस पत्थर का जिक्र संचार के शुरुआत से मिलता हैं. लेकिन वास्तव में पारस पत्थर कहां मिलता है. इसकी पहचान क्या हैं. यह सब हम इस आर्टिकल में पढेगे. इस आर्टिकल में आप जानेगे की पारस पत्थर क्या हैं.

पारस पत्थर का रहस्य क्या है? - paaras patthar ka rahasy kya hai?
पारस पत्थर का रहस्य क्या है? - paaras patthar ka rahasy kya hai?

अनुक्रम

  • पारस पत्थर क्या हैं | पारस पत्थर की पहचान क्या है
  • पौराणिक कथाओ में उल्लेख
  • पारस पत्थर कहां मिलता है | पारस पत्थर कहा मिल सकता हैं
  • पारस पत्थर बनाने की विधि
  • निष्कर्ष

पारस पत्थर क्या हैं | पारस पत्थर की पहचान क्या है

पारस पत्थर का संस्कृत नाम स्पर्श मणि हैं. और अंग्रेजी नाम फिलोसोफर स्टोन (Philosopher’s stone) हैं. पारस पत्थर एक पहेली हैं. जिसे आज तक कोई नहीं सुलझा पाया हैं. अगर किसी ने सुलझाया भी हैं. तो वह इस दुनिया में नहीं हैं. या अनजान हैं. पारस पत्थर की एटॉमिक सरचना इस प्रकार की हैं जिससे अगर इसे लोहे को स्पर्श कराए तो लोहा सोना बन जाता हैं. बहुमूल्य पारस पत्थर का रंग काला होता हैं. जिसमे से सुगन्धित खुशबु आती हैं.

ऐसा माना जाता हैं की 13 वी सदी के वैज्ञानिक और दार्शनिक अल्बर्टस मानुस (Albertus Manu) पारस पत्थर की खोज की थी.

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पौराणिक कथाओ में उल्लेख

हिन्दुधर्म के ग्रन्थ महाभारत के किरदारों में से एक मुख्य किरदार अश्वधामा था. जिन्हें हमेशा अमर रहने का वरदान मिला था. ऐसा माना जाता हैं की अश्वधामा के पास एक ऐसी मणि थी. जिससे वह इतना बलशाली और प्रभावशाली बना था. ज्योतिषी में अनेक प्रकार की मणियो का जिक्र होता हैं. ज्योतिष में व्यक्ति के जन्म के नक्षत्र और ग्रहो की स्थिति के अनुसार मणि धारण करने की सलाह दी जाती हैं. पारस पत्थर भी एक मणि ही हैं.

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पारस पत्थर का रहस्य क्या है? - paaras patthar ka rahasy kya hai?
पारस पत्थर का रहस्य क्या है? - paaras patthar ka rahasy kya hai?

प्राचीन भारत में अनेक ऋषि मुनि हुए. जिन्होंने संसार में अनेक रचनाए की इस ऋषि मुनि में एक रसायनकार नागार्जुन भी हुए जिन्होंने पारे को सोने में बदलने की तरकीब निकाली थी. पारस मणि जहा कही भी हैं. पारस मणि सिर्फ रसायन विज्ञान का ही अविष्कार हैं. माना जाता हैं की हिमालय के घने जंगलो में पारस मणि की खोज की जा सकती हैं. लेकिन पारस मणि को पहचानना किसी के बस की बात नहीं हैं.

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पिछले दस साल के अखबारों की खबरों पर हमारे शोध से हमे ज्ञात होता हैं की मध्य प्रदेश के भोपाल से करीबन 50 किलोमीटर दुरी पर राजसेन किले में पारस पत्थर हैं. रायसेन का किला पहाड़ी चोटियों पर स्थित हैं. यह किला बलुआ पत्थर से बना हैं. रायसेन का किला प्राचीन वास्तुकला और गुणवत्ता का उत्कर्ष प्रमाण हैं. माना जाता हैं की इस किले में पारस पत्थर हैं. जिसकी रखवाली जिन्न करते हैं.

पारस पत्थर बनाने की विधि

प्राचीन भारत में अनेक ऋषि मुनि हुए जिन्होंने रसायन विज्ञान में अनेक शोध और प्रयोग किये. यह रसायनशास्त्री दो या दो से अधिक धातुओ को पिघला कर आपस में मिलाते थे. और एक अन्य नई धातु बनाने का प्रयत्न करते थे. इसी कड़ी में इन्होने सोने को भी अन्य धातु को मिलाकर बनाने के प्रयत्न किये थे.

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प्राचीन भारत के ग्रंथो में सोना बनाने की रसायनिक विधिया दी गई हैं. रसायनिक विधि से सोना बनाने के लिए आठ महारसो का इस्तेमाल होता हैं. सोना बनाने के लिए पीले रंग के गंधक को पलाश की गोंद से शोधित किया जाता था. फिर चाँदी की धातु को पिघला कर गंधक के साथ तीन बार आग के अन्दर पकाया जाता था. इस प्रकार से कृत्रिम सोने को बनाया जाता था.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (पारस पत्थर की पहचान क्या है | पारस पत्थर बनाने की विधि |Paras pathar kya hai ) में हमने जाना हैं पारस पत्थर क्या हैं. तथा इसकी पहचान क्या हैं. पारस पत्थर एक बहुमूल्य काले रंग का सुगन्धित पत्थर हैं. पारस पत्थर की एटॉमिक सरचना इस प्रकार की हैं जिससे अगर इसे लोहे को स्पर्श कराए तो लोहा सोना बन जाता हैं. पारस पत्थर की खोज अभी भी जारी हैं. लेकिन इसकी वास्विकता का प्रमाण अभी तक किसी के पास नहीं हैं. धन्यवाद.

पारस पत्थर कौन लाता है?

अपने बच्चो को बाहर निकालने के लिए टिटहरी पक्षी पारस पत्थर की खोज करती है और अपने अंडो को इसी पारस पत्थर से फोड़कर अपने बच्चो को बाहर लाती है। शास्त्रो की कहानिया बताती है कि हिमालय के जंगलो में बड़ी आसानी से पारस पत्थर मिल जाता है बस कोई व्यक्ति उनकी पहचान करना जानता हो ।

पारस पत्थर का खासियत क्या है?

पारस पत्थर (अंग्रेज़ी: Philosopher's Stone; फिलॉसोफ़र्स स्टोन) एक मिथकीय पत्थर है जिसके बारे में यह मान्यता है कि यह धातुओं को सोने में बदल सकता है।

पारस पत्थर की रखवाली कौन करता है?

जिन्न करते है रखवाली कहा जाता है कि पारस पत्थर के लिए युद्ध में राजा की मौत हो गई पर उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने पारस पत्थर कहां रखा है। इसके बाद किला वीरान हो गया। तरह-तरह की बातें होने लगीं। कहा जाता है कि ये पारस पत्थर अब भी किले में मौजूद है और इसकी रखवाली जिन्न करते हैं।

पारस पत्थर से सोना कैसे बनाया जाता है?

सचमुच ऐसा कोई पारस पत्थर नहीं होता जिसे छुलाने से लोहा या ऐसी कोई धातु सोने जैसी धातु में तब्दील हो जाती हो। परन्तु प्रचलित मान्यता यह है कि पारस पत्थर कुदरती तौर पर धरती में कहीं पाया जाता है। इस पत्थर से किसी धातु को छुआने पर वह धातु सोने में तब्दील हो जाती है।