परशुराम ने अपने पशु की क्या विशेषता बताइए? - parashuraam ne apane pashu kee kya visheshata bataie?

प्रश्न 2-4: परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए -
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।

उत्तर 2-4: परशुराम ने अपने विषय में ये कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और अतिक्रोधी स्वभाव के हैं। सारा संसार उन्हें क्षत्रियकुल के नाशक के रूप में जानता है। उन्होंने कई बार भुजाओं की ताकत से इस धरती को क्षत्रिय राजाओं से मुक्त किया है और ब्राह्मणों को दान में दिया है। लक्ष्मण वे अपना फरसा दिखाकर कहते हैं कि इस फरसे से उन्होंने सहस्त्रबाहु के बाहों को काट डाला था। इसलिए वह अपने माता-पिता चिंतित ना करे। उनका फरसा गर्भ में पल रहे शिशुओं का नाश कर देता है।

प्रश्न 2-5: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?

उत्तर 2-5: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई है -
• वीर योद्धा स्वयं अपनी वीरता का बखान नहीं करते अपितु दूसरे लोग उसकी वीरता का का बखान करते हैं।
• वे युद्धभूमि में अपनी वीरता का परिचय साहसपूर्वक देते हैं।
• वीर योद्धा शांत, विनम्र, क्षमाशील, धैर्यवान, बुद्धिमान होते हैं।
• वे खुद पर अभिमान नहीं करते हैं।
• वह दूसरों को आदर देते हैं।

प्रश्न 2-6: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर 2-6: साहस और शक्ति द्वारा हम अनेक काम पूरा कर सकते हैं। हालांकि इसमें अगर विनम्रता भी जुड़ जाए तो बेहद कारगर साबित होता है। विनम्रता हमें संयमित बनाती है जिससे व्यक्ति को आंतरिक ख़ुशी मिलती है। विनम्रता के भाव से विपक्षी भी उस व्यक्ति का आदर करते हैं। यह व्यक्ति कार्य को और सुगम बनती है।

परशु की क्या विशेषता थी?

परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए- बाल ब्रह्मचारी अति कोही । बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही || भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही । बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ।। सहसबाहुभुज छेदनिहारा।

परशुराम जी ने अपने फरसे की क्या विशेषता बताई है?

परशुराम के अनुसार उनका फरसा अत्यंत कठोर और तीव्र है। यह दुश्मन पर निर्ममता से वार करता है। परशुराम कहते हैं कि यह फरसा गर्भ में पल रहे शिशु का भी वध कर डालता है और उन्होंने ऐसा किया भी है। परशुराम कहते हैं कि इसी फरसे से उन्होंने 21 बार इस पृथ्वी से क्षत्रियों का सफाया किया था।

परशुराम जी ने अपने बारे में क्या कहा है?

वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए।

परशुराम के पुत्र का क्या नाम था?

दो पुत्र च्यवन और ऋचीक तथा एक पुत्री हुई जिसका नाम रेणुका था