प्रथम आंचलिक उपन्यास कौन सा है? - pratham aanchalik upanyaas kaun sa hai?

         हिन्दी के प्रमुख आंचलिक उपन्यास

1. देहाती दुनिया - 

शिवपूजन सहाय 1925 (गोपाल राय के अनुसार हिन्दी का पहला आंचलिक उपन्यास) 

2. मैला आंचल -1954

फणीश्वर नाथ रेणु (मैला अंचल को विभिन्न विद्वानों द्वारा हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास माना गया है)

3. परती परिकथा- 1957

फणीश्वर नाथ रेणु

4. रतिनाथ की चाची 1948-

बाबा नागार्जुन( मिथिला अंचल की सामाजिक समस्याओं का यथार्थ चित्रण)

5. अलग अलग वैतरणी 1967-

शिवप्रसाद सिंह (इसमें स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के गांव में आने वाले बदलाव का यथार्थ चित्र खींचा गया है कथा के केंद्र में 'करैता' गांव हैं जो आधुनिक भारत के सभी गांव का प्रतिनिधित्व करता है)

6. राग दरबारी 1968-

श्रीलाल शुक्ल (राग दरबारी व्यंगात्मक शैली में लिखा गया हिंदी का पहला उपन्यास है जिसकी कथा का केंद्र शिवपाल गंज नामक गांव है)

7. पानी के प्राचीर 1961

रामदरश मिश्र (पानी के प्राचीर उपन्यास गोरखपुर जिले के पांडे पुरवा गांव को केंद्र में रखकर लिखा गया है। जिसमें पानी के दीवारों से घिरे इस गांव की गरीबी का चित्र लेखक ने बड़े ही कुशलता पूर्वक खींचा है)

8. कोहबर की शर्त

केशव प्रसाद मिश्र (इस उपन्यास में बलिया जिले के 2 गांव बलिहार और चौबेपुर को केंद्र में रखा गया है। उल्लेखनीय है कि लोकप्रिय चलचित्र 'नदिया के पार' इसी उपन्यास पर फिल्मांकन किया गया है।)

9. बोरीवली से बोरीबंदर तक 1959

शैलेश मटियानी (मुंबई के भागदौड़ और यांत्रिक जीवन का अंकन)

10. रथ के पहिए 1953

देवेंद्र सत्यार्थी (इस उपन्यास में मध्य प्रदेश के गौड़  जातियों के रहन सहन, वहां की संस्कृति आदि का चित्रण किया गया है) 


हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास कौन है?

जनपद के एक अंचल का मनोहारी चित्रण हुआ है। इस अर्थ में 'देहाती दुनिया को भी हिंदी का प्रथम आंचलिक उपन्यास कहा जा सकता है। इसी परंपरा में शिवप्रसाद रूद्र का 1952 में प्रकाशित उपन्यास 'बहती गंगा ' को भी आंचलिकता के चित्रण के कारण आंचलिक उपन्यासों में गिना जा सकता है।

आंचलिक उपन्यास का कौन है?

आंचलिक उपन्यासः प्रमुख मत आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के अनुसार, ''आंचलिक उपन्यास वे हैं, जिनमें अविकसित अंचल विशेष के आदिवासियों अथवा आदिम जातियों का विशेष रूप से चित्रण किया गया हो।'' डाॅ. रामदरश मिश्र के शब्दों में, ''आंचलिक उपन्यास तो अंचल के समग्र जीवन का उपन्यास है।

नागार्जुन का आंचलिक उपन्यास कौन सा है?

आत्मवृत्तात्मक शैली में लिखा गया 'बलचनमा' नागार्जुन का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है और कुछ विद्वान आलोचकों के अनुसार यह हिंदी का पहला अंचलिक उपन्यास है। यह हिंदी में 1952 में और अनूदित होकर मैथिली में 1967 में छपा।

हिंदी के आंचलिक उपन्यासकार कौन है?

फणीश्वर नाथ 'रेणु' (४ मार्च १९२१ औराही हिंगना, फारबिसगंज - ११ अप्रैल १९७७) एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी , जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।