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२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। प्रौद्योगिकी का प्रभाव[संपादित करें]समाज[संपादित करें]1) प्रौद्योगिकी, व्यापार के माध्यम से लोगों तक पहुँचती हैआदमी को व्यापार से नई खोजों की उम्मीद है। समाज या राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि लाभ के लिए व्यापार पर निर्भर करता है। 2) उपभोक्ताओं की उच्च उम्मीदजब प्रौद्योगिकी बढ़ता है तब उपभोक्ताओं की उम्मीद भी उत्पादों की विविधता, अच्छी गुणवत्ता और सुरक्षा की तरह बढ़ जाती है। प्रौद्योगिकी जटिलता का कारण है। आधुनिक तकनीक बेहतर है और तेजी से काम करते हैं। लेकिन अगर वे बिगड़ जाते है तो उन्हें मरम्मत करने के लिए विशेषज्ञों की सेवाओं की जरूरत है। 4) सामाजिक परिवर्तनकोई नया आविष्कार, नए रोजगार के अवसर खोल सकता है। इस के कारण श्रमिकों के लिए अवकाश के समय बढ़ जाती है। अर्थव्यवस्था[संपादित करें]1) बढ़ती उत्पादकताप्रौद्योगिकी, उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है। 2) अनुसंधान और विकास पर खर्च करने की जरूरतअनुसंधान और विकास के लिए धन का आवंटन करते समय, समय एक महत्वपूर्ण कारक है। 3) जॉब अधिक बौद्धिक हो जाते हैंनौकरियां अधिक बौद्धिक और उन्नत हो गई हैं। नौकरियों के लिए अब शिक्षित या कुशल श्रमिकों के सेवाओं की आवश्यकता है। 4) उत्पादों और संगठनों के बीच प्रतियोगिताएक नए उत्पाद की शुरूआत एक और संगठन की गिरावट का कारण है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की शुरूआत सबसे अच्छा उदाहरण है। शिक्षा[संपादित करें]1) एक कमरे कक्षाओं की गिरावटशिक्षा प्रक्रिया विशाल होता जा रहा है। 2) केंद्रीकृत दृष्टिकोण से पारीशिक्षा के क्षेत्र में शक्तियों का समान वितरण। 3) ई-शिक्षाइंटरनेट का उपयोग करके सीखने की प्रणाली शुरू की गई है। वातावरण[संपादित करें]1) पारिस्थितिक संतुलनप्रौद्योगिकी से पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ते हैं। 2) प्रदूषणवायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के कारण बढ़ गए हैं। प्रौद्योगिकी के कारण नए रोग फैल जाते है। 4) प्राकृतिक संसाधनों की कमीतकनीकी क्रांति के कारण प्राकृतिक संसाधनों दुर्लभ होते जा रहे हैं। 5) पर्यावरण का विनाश और वन्यजीवनवन्यजीव प्रजातियों के विलुप्त होना पर्यावरण के लिए खतरा है। कारखाना स्तर[संपादित करें]1) संगठनात्मक संरचनाउदाहरण: लाइन ऑफ़ कमांड, स्पान ऑफ़ कण्ट्रोल आदि। 2) जोखिम का डरउदाहरण: तकनीक में परिवर्तन का डर 3) परिवर्तन के लिए प्रतिरोधकर्मचारी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तन का विरोध करते हैं। 4) सम्पूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन (टोटल क्वालिटी कन्ट्रोल)उदाहरण: दोष के बिना उत्पादन 5) लचीला विनिर्माण प्रणालियाँउदाहरण: असेंबली लाइन इंडस्ट्री सन्दर्भ[संपादित करें]इन्हें भी देखें[संपादित करें]
भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका निभाई?वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को 'देशी' कहा जाता था। कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है। वैदिक काल में सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था।
भारतीय संगीत कन िनकहप्रय बनाने में प्रौद्यनहगकी ने क्या भूहमका हनभाई ै?भारतीय संगीत कन िनकहप्रय बनाने में प्रौद्यनहगकी ने क्या भूहमका हनभाई ै? उदा रण सह त स्पष्ट कीहजए। 3.
कौन सा संगीत?गाना कौन से राग में गाया गया और ताल कौन-सा था.
संगीत का निर्माण कैसे हुआ?संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा हुई। ब्रह्मा ने आध्यात्मिक शक्ति द्वारा यह कला देवी सरस्वती को दी। सरस्वती को 'वीणा पुस्तक धारणी' कहकर और साहित्य की अधिष्ठात्री माना गया है। इसी आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सरस्वती ने नारद को संगीत की शिक्षा प्रदान की।
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