परिवार के प्रति क्या कर्तव्य हैं? - parivaar ke prati kya kartavy hain?

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परिवार के प्रति कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से करें

आर्यसमाजके मासिक सत्संग का आयोजन रविवार को दयानंद मठ में किया गया। इसमें कहा कि इंसान को हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, तभी वह इंसान कहलाता है और पशुओं से अलग पहचान बताना है। माता-पिता, बच्चों गुरु आदि के कर्तव्य का ठीक से पालन करना चाहिए।

जिस प्रकार माता-पिता अपना पूरा जीवन अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने में लगा देते हैं और उनका एकमात्र यही उद्देश्य होता है कि उनका बच्चा कुछ भी बनने से पहले एक अच्छा और सच्चा इंसान बने। तभी समाज में उसकी छवि हमेशा साफ बनी रहेगी। ठीक उसी प्रकार बच्चों को भी अपने माता-पिता और परिवार के प्रति अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और लगन से पूरा करना चाहिए। इसके साथ ही इस मौके पर भजन और सत्संग हुआ। कार्यक्रम में जितेंद्र शास्त्री, हनुमंत प्रसाद, रामपाल आर्य, प्रो. राजेंद्र विद्यालंकार, डॉ. सतपाल, कर्ण सिंह मोर, आचार्य उपस्थित रहे।

रोहतक. दयानंदमठ में आयोजित मासिक सत्संग के दौरान प्रवचन करते कुरूक्षेत्र से आए प्रो.राजेंद्र। (इनसेट)सत्संग के दौरान प्रवचन सुनते श्रद्धालु।

परिवार के प्रति हमारा कर्तव्य क्या है?

माता-पिता, बच्चों गुरु आदि के कर्तव्य का ठीक से पालन करना चाहिए। जिस प्रकार माता-पिता अपना पूरा जीवन अपने बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने में लगा देते हैं और उनका एकमात्र यही उद्देश्य होता है कि उनका बच्चा कुछ भी बनने से पहले एक अच्छा और सच्चा इंसान बने। तभी समाज में उसकी छवि हमेशा साफ बनी रहेगी।

परिवार की भूमिका क्या है?

परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है। जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, परिवार द्वारा प्रदान की जाती है। परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है।

हमारा कर्तव्य क्या है?

सभी युगों में समस्त संप्रदायों और देशों के मनुष्यों द्वारा मान्य कर्तव्य का सार्वभौमिक भाव यही है- 'परोपकारः पुण्याय, पापाय, परपीड़नम्‌ अर्थात परोपकार ही पुण्य है और दूसरों को दुख पहुंचाना पाप है। अतः अपनी सामाजिक अवस्था के अनुरूप एवं हृदय तथा मन को उन्नत बनाने वाला कार्य ही हमारा कर्तव्य है।

मनुष्य का पहला कर्तव्य क्या है?

व्यक्ति सर्वप्रथम, सामाजिक व पारिवारिक प्राणी न होकर एक राष्ट्रीय नागरिक होता है। उसका पहला कर्तव्य अपने राष्ट्र के प्रति होता है। अत: हम सभी सभी को अपने राष्ट्र धर्म का पालन सर्वप्रथम करना चाहिए।