भारत में क्रॉनिक किडनी रोग (सीकेडी) से पीड़ित रोगियों की संख्या का अभी तक सही-सही पता नहीं चल पाया है, लेकिन उपलब्ध स्रोतों के अनुसार पिछले 15 सालों में क्रॉनिक किडनी रोग से पीड़ित भारतीयों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। अनुमान के अनुसार, भारत में हर सौ में से 17 लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं, जो उच्च रक्तचाप, डायबिटीज या किडनी फेल्योर के पारिवारिक इतिहास के कारण होता है। Show अपशिष्ट पदार्थों से मुक्त करती है किडनी पहचानें संकेत बायोप्सी से
सटीक जांच संभव बच्चे भी हो सकते हैं
प्रभावित ऐसे करें किडनी की सुरक्षा जांच कराएं नियंत्रित करें रक्तचाप और रक्त शर्करा का स्तर वजन नियंत्रित रखें धूम्रपान छोड़ दें शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं अपने खान-पान पर नजर रखें दर्दनिवारक दवा लेने पर सावधानी बरतें (फरीदाबाद स्थित क्यूआरजी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी व किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार से की गई बातचीत पर आधारित) पेशाब में प्रोटीन आने के क्या क्या कारण हो सकते हैं?यदि लगातार प्रोटीन का स्तर ऊँचा बना रहता है तब किडनी खराब होने की संभावना रहती है. ग्लोमेरूलोनेफाइटिस (Glomerulonephritis) – इस बीमारी में किडनी के उन कोशिकाओं में सूजन हो जाती है जो रक्त से अपशिष्ट को फिल्टर करते हैं. अतः इस बीमारी में प्रोटीन का फिल्टर नहीं हो पाता है जिस कारण से पेशाब में प्रोटीन आने लगता है.
पेशाब में प्रोटीन की जांच कैसे करें?यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है क्योंकि यह इंगित करता है कि गुर्दे के फ़िल्टर क्षतिग्रस्त हैं। कभी-कभी यह पुरुषों में कुछ मूत्र संक्रमण या बढ़े हुए पौरुष ग्रंथि का संकेत भी हो सकता है। झागदार पेशाब या इसमें खून का आना: पेशाब में अत्यधिक झाग इसमें में प्रोटीन कि ओर इशारा करता है।
क्या पानी पीने से पेशाब में प्रोटीन कम होगा?पेशाब में प्रोटीन आने का मुख्य कारणः
दरअसल होता यूं है कि जब हम कम मात्रा में पानी पीते हैं तो हमारी किडनी या गुर्दे कम पानी के कारण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ रहते हैं। ध्यान रहे कि आप जितना ज्यादा पानी पीते हैं किडनी उतनी ही ज्यादा हमारे रक्त को साफ करने का काम करती है।
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