पितृ दोष के लक्षण क्या होते हैं? - pitr dosh ke lakshan kya hote hain?

पितृदोष के संबंध में ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणा है लेकिन यह तय है कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है। पितृदोष के कारण हमारे सांसारिक जीवन में और आध्यात्मिक साधना में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। हमारे पूर्वज कई प्रकार के होते हैं, क्योंकि हम आज यहां जन्में हैं तो कल कहीं ओर। 

पितृ दोष के कई कारण और प्रकार होते हैं। पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है ऐसा नहीं है और भी कई कारणों से यह दोष प्रकट होता है। इसे पितृ ऋण भी कह सकते हैं। आओ जानते हैं कि पितृदोष और ऋण क्या होता है। जानने में ही समाधान छुपा हुआ है। > ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है। इसके अलावा भी अन्य कई स्थितियां होती है।> हालांकि इसके अलावा व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष निर्मित कर लेता है। विद्वानों ने पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है। 

लाल किताब के अनुसार पितृ ऋण : पितृ ऋण कई प्रकार का होता है जैसे हमारे कर्मों का, आत्मा का, पिता का, भाई का, बहन का, मां का, पत्नी का, बेटी और बेटे का। आत्मा का ऋण को स्वयं का ऋण भी कहते हैं। जब कोई जातक अपने जातक पूर्व जन्म में धर्म विरोधी कार्य करता है तो वह इस जन्म में भी अपनी इस आदत को दोहराता है। ऐसे में उस पर यह दोष स्वत: ही निर्मित हो जाता है। धर्म विरोधी का अर्थ है कि आप भारत के प्रचीन धर्म हिन्दू धर्म के प्रति जिम्मेदार नहीं हो। पूर्व जन्म के बुरे कर्म, इस जन्म में पीछा नहीं छोड़ते। अधिकतर भारतीयों पर यह दोष विद्यमान है। स्वऋण के कारण निर्दोष होकर भी उसे सजा मिलती है। दिल का रोग और सेहत कमजोर हो जाती है। जीवन में हमेशा संघर्ष बना रहकर मानसिक तनाव से व्यक्ति त्रस्त रहता है।

इसी तरह हमारे पितृ धर्म को छड़ने या पूर्वजों का अपमान करने आदि से पितृ ऋण बनता है, इस ऋण का दोष आपके बच्चों पर लगता है जो आपको कष्ट देकर इसके प्रति सतर्क करते हैं। पितृ ऋण के कारण व्यक्ति को मान प्रतिष्ठा के अभाव से पीड़ित होने के साथ-साथ संतान की ओर से कष्ट, संतानाभाव, संतान का स्वास्थ्य खराब रहने या संतान का सदैव बुरी संगति में रहने से परेशानी झेलना होती है। पितर दोष के और भी दुष्परिणाम देखे गए हैं- जैसे कई असाध्य व गंभीर प्रकार का रोग होना। पीढ़ियों से प्राप्त रोग को भुगतना या ऐसे रोग होना जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे। पितर दोष का प्रभाव घर की स्त्रियों पर भी रहता है।

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है ? ( परिवार में एकता नहीं होती. अक्सर घर में क्लेश होते है, मानसिक शांति नहीं मिलती, बिना बात के घर में लड़ाई होना पितृ दोष के लक्ष्ण हैं. पितृ दोष होने पर विवाह में बाधाएं उत्पन्न होती है. शादी में तमाम तरह की परेशानियां आती है.

पितृ दोष से क्या हानि होती है?

पितृ दोष से हानि- (1) संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन अथवा होकर मर जाना। (2) नौकरी, व्यवसाय में हानि, बरकत न हो। (3) परिवार में ऐक्य न हो, अशांति हो। (4) घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना।

पितृ दोष क्यों होता है?

पितृ दोष क्यों लगता है | Reason of Pitra Dosh 1. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब मृत्यु के बाद मृतक के अंतिम संस्कार में किसी प्रकार की कोई कमी रह जाती है तो ऐसे में पितृ दोष लगता है. 2. कहा जाता है कि अकाल मौत हो जाने पर परिवार के सदस्यों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है.

पितृ दोष के लिए क्या उपाय करें?

पितृ दोष उपाय.
श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करें। ... .
मृत्युतिथि नहीं मालूम है तो श्राद्ध पक्ष की अमावस्या के दिन तर्पण करें।.
सोमवाती अमावस्या को पितृभोग दें। ... .
सूर्योदय के समय भास्कर को जल अर्पित करें। ... .
पीपल के पेड़ पर जल, फूल, दूध व काले तिल चढ़ाकर पूर्वजों को याद करें।.
गाय को गुड़ खिलाएं।.