पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों में से लगभग कितनी विलुप्त हैं? - prthvee par rahane vaalee sabhee prajaatiyon mein se lagabhag kitanee vilupt hain?

पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों में से लगभग कितनी विलुप्त हैं? - prthvee par rahane vaalee sabhee prajaatiyon mein se lagabhag kitanee vilupt hain?

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया

संरक्षण स्थिति
विलुप्त होने का जोखिम
विलुप्त

विलुप्त
जंगल से विलुप्त

संकटग्रस्त

गंभीर रूप से विलुप्तप्राय
विलुप्तप्राय
असुरक्षित

कम जोखिम

संरक्षण पर निर्भर
संकटासन्न
खतरे से बाहर

यह भी देखें

प्रकृति संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय संघ
IUCN लाल सूची

पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों में से लगभग कितनी विलुप्त हैं? - prthvee par rahane vaalee sabhee prajaatiyon mein se lagabhag kitanee vilupt hain?

जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है।

अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियां दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियां प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियां पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।[1] मानवों के आगमन के बाद उसने बहुत सी जातियों को शिकार या अन्य गतिविधियों से विलुप्त कर दिया है और बहुत सी जातियों को विलुप्ति की कगार पर ला खड़ा किया है।

सामूहिक विलुप्ति एक विशेष प्रकार की घटना होती है जिसमें एक छोटे से काल में बहुत सी जातियां विलुप्त हो जाती हैं और पूरी पृथ्वी के सम्पूर्ण जीवन में कमी आती है।[2] सामूहिक विलुप्ति पृथ्वी पर असाधारण है लेकिन जातियों में छिट-पुट विलुप्ति होती रहती है। बहुत से वैज्ञानिक आधुनिक काल में मानवों द्वारा किए गए बदलावों (जैसे की वनों का नाश, प्रदूषण और वातावरण में बदलाव) के कारण तेज़ी से हो रही विलुप्तियों को लेकर चिंतित हैं।[3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Inheritance and Evolution, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5, ... When a whole species dies out, we say that it has become extinct. Extinction is usually a natural process and it is estimated that 99.9 per cent of all species that have ever lived are now extinct ...
  2. Mass Extinctions and Their Aftermath, A. Hallam, P. B. Wignall, Oxford University Press, 1997, ISBN 978-0-19-854916-1, ... He defines mass extinction as any substantial increase in the amount of extinction (that is, lineage termination) suffered by more than one geographically widespread higher taxon during a relatively short interval of geological time, resulting in at least temporary decline in their standing diversity ... more concise one offered here is that a mass extinction is an extinction of a significant proportion of the world's biota in a geologically insignificant period of time ...
  3. Encyclopedia of Time: Science, Philosophy, Theology, & Culture, Edited by H. James Birx, SAGE, 2009, ISBN 978-1-4129-4164-8, ... There have been five mass extinctions in geological time. It is believed that a sixth mass extinction is currently in progress, the first since the advent of humankind ...

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • जीवाश्म
  • जाति (जीवविज्ञान)
  • विलुप्त प्राणियों की सूची
  • नरसंहार
  • जीन पूल

भारत में कितनी प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा है?

On: Wednesday 01 September 2021. भारत में पेड़ों की करीब 18 फीसदी यानी 469 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। यह जानकारी हाल ही में बॉटनिक गार्डनस कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्डस ट्रीज में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में पेड़ों की 2,603 प्रजातियां हैं।

पृथ्वी पर जीव जंतु की लगभग कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं?

वैज्ञानिकों के एक नए अनुमान के अनुसार दुनिया में जीव जंतुओं की क़रीब 87 लाख प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से कई की पहचान अभी भी बाकी है. वैज्ञानिकों ने पेड़ पौधों की पत्तियों और शाखाओं के अध्ययन के बाद ये निष्कर्ष निकाला है और कहा है कि सभी प्रजातियों की पहचान करने में कम से कम एक हज़ार साल और लगेंगे.

विलुप्त प्रजातियां कौन कौन से हैं?

देश में विलुप्त हो रही 15 प्रजातियां.
उत्तरी भारतीय नदियों का कछुआ ... .
लाल ताज और सिर वाला कछुआ ... .
संकरे सिर और नर्म कवच वाला भारतीय कछुआ ... .
बेडडोम टोड ... .
हैमरहेड शार्क ... .
घाट वार्ट मेंढक ... .
ऊंचाई पर रहने वाला कस्तूरी मृग ... .
एशियाई बड़ा नर्म खोल वाला कछुआ.

लगभग कितने जीव विलुप्त हो चुके हैं?

आईयूसीएन के मूल्यांकन में इनमें लगभग 50 फीसदी विलुप्ति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से लगभग 873 पहले से ही विलुप्त हो चुके हैं जबकि 6,127 ऐसे हैं, जो विलुप्ति के कगार पर हैं