रेडियो नाटक में नाटक की अवधि और पात्रों को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? - rediyo naatak mein naatak kee avadhi aur paatron ko lekar kya saavadhaaniyaan baratanee chaahie?

रेडियो नाटक में नाटक की अवधि और पात्रों को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? - rediyo naatak mein naatak kee avadhi aur paatron ko lekar kya saavadhaaniyaan baratanee chaahie?

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प्रश्न 1. सिनेमा, रंगमंचऔररेडियोनाटकमेंक्या-क्यासमानताएँहोतीहैं ?

उत्तर-सिनेमा, रंगमंचऔर रेडियोनाटकमेंअनेकसमानताएँहैंजोइसप्रकारहै-

सिनेमाऔररंगमंच

1. सिनेमाऔर रंगमंचमेंएककहानीहोतीहै।

2. इनमेंकहानीकाआरंभ, मध्यऔरअंतहोता

3. इनमें चरित्रहोतेहैं।

4. इनमेंपात्रोंकेआपसीसंवादहोतेहैं।

5. इनमेंपात्रोंकापरस्पर द्वंद्वहोताहैऔरअंतमेंसमाधान।

6. इनमेंपात्रोंकेसंवादोंकेमाध्यमसेकहानी काविकासहोताहै।

रेडियोनाटक

1.रेडियोनाटकमेंभीएकहीकहानीहोतीहै।

2. इसमेंभीकहानीकाआरंभ, मध्यऔरअंतहोताहै।

3. इसमेंभीचरित्रहोतेहैं।

4. इसमेंभीपात्रोंकेआपसीसंवादहोतेहैं।

5.इसमेंभीपात्रोंकापरस्परद्वंद्वहोताहै औरप्रस्तुतकियाजाताहै। समाधानप्रस्तुतकियाजाताहै।

6. इनमेंभीपात्रोंकेसंवादोंके माध्यमसेकहानीकाविकासहोताहै।

प्रश्न 2. सिनेमारंगमंचऔररेडियोनाटकमें क्या-क्याअसमानताएँहैं ?

उत्तर-सिनेमारंगमंचऔररेडियोनाटकमेंअनेकसमानताएँहोतेहुए भीकुछअसमानताएँअवश्यहोतीहैंजोइसप्रकारहै-

सिनेमा और रंगमंच 

1. सिनेमाऔररंगमंचदृश्यमाध्यमहै।

2. इनमेंदृश्यहोतेहैं।

3. इनमेंमंचसज्जाऔरवस्त्र सज्जाकाबहुतमहत्त्वहोताहै।

4. इनमेंपात्रोंकीभावभंगिमाएँविशेषमहत्त्वरखती हैं।

5. इनमेंकहानीकोपात्रोंकीभावनाओंकेद्वाराप्रस्तुतकियाजाताहै।

रेडियो नाटक

1. रेडियोनाटकएकश्रव्यमाध्यमहै।

2. इसमेंदृश्यनहींहोते।

3. इसमेंइनकाकोईमहत्त्वनहींहोता।

4. इसमेंभावभंगिमाओंकीकोईआवश्यकतानहींहोती।

5. इसमेंकहानीकोध्वनिप्रभावोंऔरसंवादोंकेमाध्यमसेसंप्रेषितकियाजाताहै।

प्रश्न 3. रेडियोनाटककीकहानीमेंकिन-किनबातोंकाध्यानरखनाआवश्यकहै ?

उत्तर-रेडियो नाटकमेंकहानीसंवादोंतथाध्वनिप्रभावोंपरहीआधारितहोतीहै।इसमेंकहानीकाचयन करतेसमयअनेकबातोंकाध्यानरखनाआवश्यकहैजोइसप्रकारहैं

1. कहानीएक घटनाप्रधानहो-रेडियोनाटककीकहानीकेवलएकहीघटनापरआधारितनहींहोनी चाहिएक्योंकिऐसीकहानीश्रोताओंकोथोड़ीदेरमेंहीऊबाऊबनादेतीहैजिसे श्रोताकुछदेरपश्चात्सुननापसंदनहींकरतेइसलिएरेडियोनाटककीकहानीमेंअनेक घटनाएँहोनीचाहिए।

2. अवधिसीमा-सामान्यरूपसेरेडियोनाटककीअवधिपंद्रहसेतीस मिनटतकहोसकतीहै।रेडियोनाटककीअवधिइससेअधिकनहींहोनीचाहिएक्योंकि रेडियोनाटककोसुननेकेलिएमनुष्यकीएकाग्रताकीअवधि 15से30मिनट तककीहोतीहै, इससेज्यादानहीं।दूसरेरेडियोएकऐसामाध्यमहैजिसेमनुष्यअपने घरमेंअपनीइच्छाअनुसारसुनताहै।इसलिएरेडियोनाटककीअवधिसीमितहोनीचाहिए।

3. पात्रोंकीसीमितसंख्या-रेडियोनाटकमेंपात्रोंकीसंख्यासीमितहोनीचाहिए।इसमेंपात्रोंकी संख्या 5-6 सेअधिकनहींहोनीचाहिएक्योंकिइसमेंश्रोताकेवलध्वनिकेसहारेही पात्रोंकोयादरखपाताहै।यदिरेडियोनाटकमेंअधिकपात्रहोंगेतोश्रोता उन्हेंयादनहींरखसकेंगे।इसलिएरेडियोनाटकमेंपात्रोंकीसंख्यासीमितहोनीचाहिए।

प्रश्न 4. रेडियोनाटकमेंध्वनिप्रभावोंऔरसंवादोंकाक्यामहत्त्वहै ? 

अथवा

रेडियोनाटककी विशेषताओंकोस्पष्टकीजिए।

उत्तर-रेडियोनाटकमेंध्वनिप्रभावोंऔरसंवादोंकाविशेषमहत्त्व हैजोइसप्रकारहैं-

1. रेडियोनाटकमेंपात्रोंसेसंबंधितसभीजानकारियाँसंवादोंके माध्यमसेमिलतीहैं।

2. पात्रोंकीचारित्रिकविशेषताएँसंवादोंकेद्वाराहीउजागरहोतीहैं।

3. नाटककापूराकथानकसंवादोंपरहीआधारितहोताहै।

4. इसमेंध्वनिप्रभावोंऔरसंवादों केमाध्यमसेहीकथाकोश्रोताओंतकपहुँचायाजाताहै।

5. संवादोंकेमाध्यमसेही रेडियोनाटककाउद्देश्यस्पष्टहोताहै।

6. संवादोंकेद्वाराहीश्रोताओंकोसंदेशदिया जाताहै।

प्रश्न 5. रेडियोपररेडियोनाटककाआरंभकिसप्रकारहुआ ?

उत्तर-आजसे कुछदशकपहलेरेडियोहीमनोरंजनकाप्रमुखसाधनथा।उससमयटेलीविज़न, सिनेमा, कम्प्यूटरआदिमनोरंजनकेसाधनउपलब्धनहींथे।ऐसेसमयमेंघरबैठेहीरेडियोही मनोरंजनकासबसेसस्ताऔरसुलभसाधनथा।रेडियोपरखबरेंआतीथींइसकेसाथ-साथ अनेकज्ञानवर्धककार्यक्रमभीप्रसारितकियेजातेथे।रेडियोपरसंगीतऔरखेलोंकाआँखोंदेखा हालप्रसारितकियाजाताथा।एफ०एम०चैनलोंकीतरहगीत-संगीतकीअधिकताहोती थी।धीरे-धीरेरेडियोपरनाटकभीप्रस्तुतकियेजानेलगेतबरेडियोनाटकटी०वी० धारावाहिकोंतथाटेलीफिल्मोंकीकमीकोपूराकरनेकेलिएशुरूहुएथे।ये नाटकलघुभीहोतेथेऔरधारावाहिककेरूपभीप्रस्तुतकिएजातेथे।

हिन्दी साहित्यकेसभीबड़े-बड़ेलेखकसाहित्यरचनाकेसाथ-साथरेडियोस्टेशनोंकेलिएनाटक भीलिखतेथे।उससमयरेडियोकेलिएनाटकलिखनाएकसम्मानजनकबातमानीजाती थी।इसप्रकाररेडियोनाटककाप्रचलनबढ़नेलगा।रेडियोनाटकोंनेहिंदीऔरअन्य भारतीयभाषाओंकेनाट्यआंदोलनकेविकासमेंमहत्त्वपूर्णभूमिकाअदाकी।हिंदीकेअनेक नाटकजोबादमेंमंचपरबहुतप्रसिद्धरहेवेमूलतःरेडियोकेलिएहीलिखे गएथे।धर्मवीरभारतीयद्वारारचित 'अंधायुग' औरमोहनराकेशद्वारारचित 'आषाढ़काएक दिन' इसकाएकश्रेष्ठउदाहरणहै।

प्रश्न 6. रेडियोनाटककेतत्वोंकासंक्षिप्तविवेचनकीजिए।

उत्तर-रेडियोनाटककामूलआधारध्वनिमानीजातीहै।यहमानवीयभावोंकोसरलता-सहजता सेव्यक्तकरदेनेकीक्षमतारखतीहै।रेडियोतत्वोंकेतीनतत्वमानेजातेहैं।

उनकेतत्वहैं-(1) भाषा (2) ध्वनिप्रभाव (3) संगीत।

1. भाषा-भाषाहीरेडियोनाटककीमूलआधार होतीहै।यहीसुननेऔरबोलनेकाकार्यकरतीहै।इसीसेकठिनएवंजटिल रेडियोनाटकऔरसंवादजटिलहोजातेहैं।इसेजिनतीनभागोंमेंस्वीकारकियाजाता है, वेहैं-

() कथोपकथन () नरेशन (वक्ताकाकथन) () कथन।

() कथोपकथन-रेडियोसेदोप्रमुखसंबंधिततत्वहोतेहैं-कथोपकथनऔरप्रवक्ताकाकथन कथोपकथनरेडियोकोपात्रोंकीमानसिकस्थितियोंकोप्रकटकरातेहैंऔरकथानकउसेगति प्रदानकरताहै।यहीरेडियोकेनाटककेपात्रोंऔरउनकीमानसिकस्थितियोंका परिचयकरातेहैं।इन्हींसेकथानककोगतिप्राप्तहोतीहैऔरश्रोताकोअपनी ओरआकृष्टकरतीहै।नरेशनहीपाठकोंकेक्रिया-कलापोंकानिर्माणप्रदानकरताहैऔर विभिन्नघटनाओं/विवशताओंश्रृंखलामेंबांधनेकाकार्यकरताहै।

() ध्वनिप्रभाव-ध्वनि तरह-तरहकीवातावरणोंकोबनानेमेंसहायकबनातीहै।तूफान, बादल, बाज़ारआदिइन्हीं सेप्रसारणकेमाध्यमसेइधर-उधरप्रसारितकरतीहै।इनकीसहायतासेरेडियोनाटकोंकी वातावरणकीसृष्टिहोतीहै।

() संगीत-यहरेडियो-नाटककोसंजीवताप्रदानकरनेका कार्यकरताहैजिससेप्रभावितकीसृष्टिहोतीहै।संगीतसेप्रभाविताकीक्षमताबढ़ती है।

रेडियो नाटक के लिए किन तीन मुख्य बातों का विचार करना चाहिए और क्यों?

तो हमने देखा कि रेडियो नाटक के लिए कहानी का चुनाव करते समय हमें तीन मुख्य बातों का खयाल रखना है - कहानी सिर्फ़ घटना प्रधान न हो, उसकी अवधि बहुत ज्यादा न हो (धारावाहिक की बात दीगर है) तथा पात्रों की संख्या सीमित हो । अब आती है बारी रेडियो नाटक लिखने की।

रेडियो नाटक में समय के अनुसार पात्रों की संख्या कितनी होनी चाहिए?

कथावस्तु और युग के अनुरूप ही पात्रों की साज सज्जा होती है जिससे अभिनय में जीवन्तता आती है। रेडियो नाटक में आंगिक , सात्विक , आहार्य अभिनय की कोई संभावना नहीं होती , मात्रा वाचिक अभिनय द्वारा ही नाटक का प्रसारण होता है , ये शब्दों द्वारा ही अभिनय पक्ष को उजागर करता है।

रेडियो नाटक की अवधि कितनी होती है?

रेडियो नाटक की अवधि छोटी इसलिए रखी जाती है, क्योंकि रेडियो पूरी तरह से श्रव्य माध्यम है। रेडियो नाटक का लेखन सिनेमा व रंगमंच के लेखन से थोड़ा भिन्न तथा मुश्किल भी होता है। इसमें संवादों को ध्वनि प्रभावों के माध्यम से संप्रेषित करना होता है।

II रेडियो नाटक की अवधि छोटी क्यों रखी जाती है?

इसे सुनेंरोकेंरेडियो नाटक की अवधि इससे अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि रेडियो नाटक को सुनने के लिए मनुष्य की एकाग्रता की अवधि 15 से 30 मिनट तक की होती है, इससे ज्यादा नहीं। दूसरे रेडियो एक ऐसा माध्यम है जिसे मनुष्य अपने घर में अपनी इच्छा अनुसार सुनता है।