Show राजभाषा अधिनियम, 1963(यथासंशोधित,1967)(1963 का अधिनियम संख्यांक 19)उन भाषाओं का, जो संघ के राजकीय प्रयोजनों, संसद में कार्य के संव्यवहार, केन्द्रीय और राज्य अधिनियमों और उच्च न्यायालयों में कतिपय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जा सकेंगी,उपबन्ध करने के लिए अधिनियम । भारत गणराज्य के चौदहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित होः-
राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3 3 से क्या अभिप्राय है?अधिनियम की धारा 3 की उपधारा ( 3 ) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों के लिए हिंदी और अंग्रजी- दोनों का प्रयोग किया जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसी दस्तावेजें हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही में तैयार की जाती हैं, निष्पादित की जाती हैं और जारी की ...
धारा 3 3 के अंतर्गत कौन कौन से दस्तावेजों आते है?संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है {संविधान का अनुच्छेद 343 (1)} । परन्तु हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है (राजभाषा अधिनियम की धारा 3) ।
राजभाषा अधिनियम की धारा 3 3 कब से प्रवृत्त हुई?यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम, 1963 कहा जा सकेगा। धारा 3, जनवरी, 1965 के 26 वें दिन को प्रवृत्त होगी और इस अधिनियम के शेष उपबन्ध उस तारीख को प्रवृत्त होंगे जिसे केन्द्रीय सरकार,शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे और इस अधिनियम के विभिन्न उपबन्धों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।
राजभाषा की धारा 3 3 का अनुपालन कितना प्रतिशत करना है *?अकादमी में राजभाषा के अधिनियम की धारा 3(3) का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है जिसके तहत सामान्य आदेश, ज्ञापन, संकल्प, अधिसूचनाएँ, नियम, करार, संविदा, टेंडर नोटिस, संसदीय प्रश्न आदि द्विभाषी रूप में जारी किए जाते हैं। अकादमी में हिन्दी में प्राप्त सभी पत्रों का उत्तर अनिवार्य रुप से हिन्दी में ही दिया जाता है।
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