राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान विषय पर लगभग 200 शब्दों में प्रस्ताव लिखें - raashtr nirmaan mein vidyaarthiyon ka yogadaan vishay par lagabhag 200 shabdon mein prastaav likhen

Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh: राष्ट्र निर्माण का अर्थ बॉर्डर पर खड़ी आर्मी या देश में बैठे सांसद से नहीं होता। उनकी अहम भूमिका होती है देश या राष्ट्र का निर्माण लोगों से होता है और उनकी की मदद से देश का निर्माण होता है, जो छोटे-मोटे काम करके देश के व्यापार को बढ़ावा देते है और देश की जीडीपी में अपना योगदान देते है।

हम यहां पर राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान से सम्बंधित सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान विषय पर लगभग 200 शब्दों में प्रस्ताव लिखें - raashtr nirmaan mein vidyaarthiyon ka yogadaan vishay par lagabhag 200 shabdon mein prastaav likhen
Image :Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh

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  • राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (250 शब्द)
  • राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (850 शब्द)
  • अंतिम शब्द

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (250 शब्द)

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थी की एक अहम भूमिका होती है क्योंकि विद्यार्थी अपने ज्ञान का इस्तेमाल रोजगार के व्यवसाय के लिए करता है, जिससे देश आगे बढ़ता है। जितना अच्छा व्यवसाय और रोजगार एक विद्यार्थी कर पाएगा देश में उतनी ही प्रगति हो पाएगी। एक विद्यार्थी का राष्ट्र निर्माण में भूमिका उसके ज्ञान से पता चलता है।

अगर किसी देश के अधिकतर विद्यार्थी ज्ञानी है, तो वे अपने ज्ञान का इस्तेमाल किसी ने विकास रोजगार या व्यवसाय में करेंगे जिससे देश को अनेक उपलब्धियां मिलेगी। आज ज्ञान की आवश्यकता हर किसी को है क्योंकि हमारा देश किसी राजा के नहीं प्रजा के आधीन हो चुका है। इस वजह से सरकार ने शिक्षा का स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के नीति और नियम बनाए हैं।

एक विद्यार्थी के लिए विद्याआम भूमिका निभाती है। विद्या हमें विभिन्न प्रकार के विषम परिस्थिति में सही फैसला लेना अनुशासन और व्यक्तित्व को बढ़िया बनाने का ज्ञान देती है, जिससे एक राष्ट्र को सही दिशा मिल सके और राष्ट्र को अच्छी तरह की हो।

एक अच्छे देश का निर्माण तभी हो सकता है जब सरकार अच्छी नीतियों को लेकर आए और सरकार अच्छी नीतियों को तभी ला सकती है जब वहां के लोग जागरूक होंगे और उस नीति को समझने की ताकत रखते होंगे।

किसी नीति के लाभ और हानि को हम शिक्षा के आधार पर समझ सकते है और शिक्षा ग्रहण करने का काम एक विद्यार्थी का होता है इसी वजह से राष्ट्र निर्माण का भार एक विद्यार्थी के कंधों पर आता है। आपको इस बात की समझ होनी चाहिए कि देश के लिए क्या सही है और क्या गलत है इसका फैसला के आधार पर कर सकते है ।

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

किसी भी राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थी की अहम भूमिका होती है, इस बात को हम विद्यार्थी शब्द से ही समझ सकते है। विद्यार्थी उस व्यक्ति को कहते है जो विद्या ग्रहण करने का काम करता है विद्या अर्थात शिक्षा। शिक्षा ही वह ताकत है, जिसकी मदद से एक व्यक्ति विषम परिस्थिति में सही फैसला लेना सीख पाता है। साथ ही अनुशासन और व्यवहार के बारे में सीख पाता है।

आखिर समझदारी कहीं बिकती नहीं है, इस समझदारी का आधार शिक्षा ही होता है हमारे पास जितनी अधिक शिक्षा हो कि हम इतने विभिन्न प्रकार के चीजों को समझ पाएंगे और उनके बारे में बात कर पाएंगे जिससे ना केवल हमारा व्यक्तित्व बल्कि हमारा भविष्य भी निखरेगा। 

राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका

सरकार इस बात को समझती है इस वजह से शिक्षा को अहम भूमिका दिया जा रहा है। एक शिक्षित व्यक्ति देश के विकास में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति ही देश के विभिन्न परिस्थितियों में सही फैसले लेने में मदद कर सकता है साथ ही उसके द्वारा की गई नौकरी और व्यवसाय सफल होती है जिसका फायदा भी देश को होता है।

हम अपने देश के इतिहास और वर्तमान परिस्थिति को देख कर भी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि एक विद्यार्थी का देश निर्माण में कितनी अहम भूमिका होती है। आज हमारे देश का जो संविधान है उसे कुछ शिक्षित लोगों के द्वारा लिखा गया तभी जाकर आज सभी व्यक्तियों को उनका अधिकार मिल पा रहा है।

देश में कुछ भी गलत होता है तो उसके लिए कानून व्यवस्था बनाई गई, जो एक शिक्षित व्यक्ति के द्वारा किया गया तभी जाकर देश से चल पा रहा है। इस बात से हम समझ सकते हैं कि शिक्षा कितनी आवश्यक है और जो व्यक्ति शिक्षा को ग्रहण करेगा वह विद्यार्थी की श्रेणी में आ जाता है। इस वजह से इतिहास से लेकर वर्तमान और आने वाले भविष्य तक एक अच्छा विद्यार्थी अच्छे देश को निर्माण करने का श्रेय ले सकता है। 

देश निर्माण में विद्यार्थी की भूमिका

शिक्षा ग्रहण करने से एक व्यक्ति या समझ पाता है कि देश के प्रति उसके क्या कर्तव्य है और उसके क्या अधिकार है, जिसकी वजह से वह देश को आगे बढ़ाने में मदद करता है। 

जब एक विद्यार्थी विद्या ग्रहण करता है और खुद को इतना सजग बनाता है कि वह देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ सके और उसे सफलतापूर्वक पूरा कर सके, तो इस सफर में उसका कर्तव्य होता है कि वह इतनी शिक्षा ग्रहण करें कि वह अपने अधिकार को समझ सके। साथ ही इसके बारे में समाज में जागरूकता फैला सके। शिक्षा के जरिए इतनी समझदारी पा सके कि ना केवल अपने जीवन बल्कि समाज में हो रहे हो प्रथाओं को बंद करने में सरकार की मदद भी कर सके। 

एक विद्यार्थी का कर्तव्य यहीं खत्म नहीं होता, ऐसा माना जाता है कि जब तक शिक्षा का लाभ है व्यक्ति को और देश को ना हो तब तक वह शिक्षा व्यर्थ है। इस वजह से एक विद्यार्थी का यह भी कर्तव्य होता है कि वह अच्छा व्यवसाय या नौकरी करें, जिससे उसके परिवार को अच्छी सुविधा मिल सके ताकि उसके बाद वह समाज के लिए कुछ अच्छा करें और एक यह अंततः देश को आगे बढ़ाने में उसकी भूमिका होगी। 

विद्यार्थी जीवन किस प्रकार देश को समर्थन करता है

विद्यार्थी का जीवन काफी मुसीबतों से भरा होता है। उसे अपने जीवन में शिक्षा को ग्रहण करना होता है ताकि वह विभिन्न प्रकार के नजरिए को उत्पन्न कर सके और उसके जीवन में आने वाली परेशानियों को वह एक अलग नजरिए से देख सके। एक विद्यार्थी जीवन देश को तब समर्थन देता है, जब उसके ज्ञान की वजह से वह कोई अच्छा व्यवसाय या नौकरी कर पाता है क्योंकि इसका टैक्स देश को जाता है।

इसके अलावा एक विद्यार्थी देश को तब समर्थन देता है, जब वह अपने परिवार के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं को लेकर आता है और परिवार की कुशलता के बात अपने आसपास के समाज के बारे में सोचता है और समाज में हो रहे कुप्रभाव को बंद करता है या विभिन्न प्रकार के बदलाव को लाता है। 

आखिर हमारे आस पास जो भी प्रगति हुई है, वह एक शिक्षित व्यक्ति के द्वारा की गई है।उसने अपने जीवन में शिक्षा को पाया और लोगों की समस्या का समाधान ढूंढा तब जाकर हमें आज विभिन्न प्रकार के अविष्कार देखने को मिले।

कुछ शिक्षित व्यक्तियों को अपने अधिकार की समझ हुई और उन्होंने इसकी जागरूकता देशभर में फैलाई पर आज हमारा देश आजाद होकर अपना स्वयं का कानून बना पा रहा है। यह सब एक शिक्षित व्यक्ति की वजह से हुई, जो एक विद्यार्थी जीवन जीकर अपनी विद्या को ग्रहण कर पाया। 

निष्कर्ष 

विद्यार्थी जीवन हमें अनुशासन सिखाता है। एक नया नजरिया सिखाता है। साथ ही कड़ी मेहनत करके किस प्रकार किसी चीज को पाया जाता है यह बताता है, जिसका इस्तेमाल हम अपने जीवन में करके ना केवल देश को बल्कि अपने जीवन को भी सफल बना पाते हैं। राष्ट्र की रक्षा करना और उनकी उन्नति में योगदान देना हर विद्याथियों का कर्त्तव्य है।

अंतिम शब्द

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर किया गया यह  राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध (Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh) आपको पसंद आया होगा। यदि आपको इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही कमेंट में यह भी बताएं कि आपको यह निबंध कैसा लगा।

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एक विद्यार्थी देश के लिए क्या योगदान दे सकता है?

विद्यार्थी ही होते हैं जो देश को प्रगति के मार्ग पर चलाते हैं, विद्यार्थी ही बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, कलेक्टर, शिक्षक या अन्य उच्च पदों पर आश्रित होते हैं जिन पर देश का भविष्य निर्भर करता है। यदि विद्यार्थी चाहे तो देश को बहुत ही तेजी से प्रगति की ओर आगे बढ़ा सकता है और देश का नाम रोशन कर सकता है।

राष्ट्र के विकास में एक छात्र के रूप मे आप क्या योगदान दे सकते है?

आज का बालक कल का विद्यार्थी, कुशल चिकित्सक, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, इंजीनियर, शिक्षक, समाजसेवी, उद्योगपति, समर्पित नेता बन कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देगा। हमें इनके स्वास्थ्य तथा बौद्धिक विकास की ओर विशेष ध्यान देना होगा। इन्हीं में से अब्दुल कलाम, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, डॉ.

निबंध लिखिए :

विद्यार्थियों को चरित्र निर्माण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें सादगी और सरलता से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें संन्यास ले लेना चाहिए, बल्कि शिक्षा को शिक्षा की तरह ग्रहण करना चाहिए। उन्हें मात्र किताबी कीड़ा न होकर सच्ची शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, जो उनके सर्वांगीण विकास में सहायक हो।

विद्यार्थियों के क्या कर्तव्य है?

विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने राष्ट्र के प्रतीकों, राष्ट्रगान तथा संविधान का सम्मान करें। राष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंँचे, ऐसा कार्य कभी नहीं करना चाहिए। हमेशा राष्ट्र की हित की चिंता कर देश के लिए कुछ करना चाहिए। जिससे अपने देश का नाम रोशन हो सके।