राष्ट्रीय चिन्ह को क्या बोलते हैं? - raashtreey chinh ko kya bolate hain?

जानिए भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में, बड़ा रोचक है उनका इतिहास और अर्थ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Mon, 13 Aug 2018 04:47 AM IST

राष्ट्रीय चिन्ह को क्या बोलते हैं? - raashtreey chinh ko kya bolate hain?

जानिए भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में।

राष्ट्रीय प्रतीक अर्थात भारत की राष्ट्रीय पहचान का आधार। इसकी विशिष्ट पहचान और विरासत का कारण राष्ट्रीय पहचान है जो भारतीय नागरिकों के दिलों में देशभक्ति और गर्व की भावना को महसूस कराता है।

यहां बहुत सारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं जिनके अपने अलग अर्थ हैं जैसे राष्ट्रीय चिन्ह् (चार शेर) शक्ति, हिम्मत, गर्व और विश्वास आदि को दिखाता है, राष्ट्रीय पशु (बाघ) जो मजबूती को दिखाता है, राष्ट्रीय फूल (कमल) जो शुद्धता का प्रतीक है, राष्टीय पेड़ (बनयान) जो अमरत्व को प्रदर्शित करता है, राष्ट्रीय पक्षी (मोर) जो सुन्दरता को दिखाता है, राष्ट्रीय फल (आम) जो देश की उष्णकटिबंधीय जलवायु को बताता है। आप भी जानिए राष्ट्रीय प्रतीकों  के बारे में, बड़ा रोचक है उनका इतिहास और उनका अर्थ।

सबसे पहले भारत का राष्ट्रीय चिह्न 

भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर 'धर्मचक्र' रखा हुआ है।

भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी, 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- 'सत्य की ही विजय होती है'।

भारत का राष्ट्रीय संकल्प

भारत मेरा देश और सभी भारतवासी मेरे भाई और बहन है।
मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ और मैं इसकी समृद्धि और विभिन्न विरासत पर गर्व करता हूँ।
मैं अवश्य हमेशा इसके लिये योग्य मनुष्य बनने का प्रयास करुँगा।
मैं अवश्य अपने माता-पिता और सभी बड़ों का आदर करुँगा, और सभी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करुँगा।
अपने देश और लोगों के लिये, मैं पूरी श्रद्धा से संकल्प लेता हूँ, उनकी भलाई और खुशहाली में ही मेरी खुशी है।

भारतीय गणराज्य द्वारा भारत के राष्ट्रीय संकल्प के रूप में राजभक्ति की कसम को अंगीकृत किया गया था। सामान्यत: यह संकल्प भारतीयों द्वारा सरकारी कार्यक्रमों में और विद्यार्थीयों द्वारा किसी राष्ट्रीय अवसर (स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस पर) पर स्कूल और कॉलेजों में लिया जाता है। ये स्कूली किताबों के आमुख पृष्ठ पर लिखा होता है।

इसे वास्तव में पिदिमार्री वेंकटा सुब्बाराव (एक लेखक और प्रशासनिक अधिकारी) ने तेलुगु भाषा में 1962 में लिखा था। इसे पहली बार 1963 में विशाखापट्टनम् के एक स्कूल में पढ़ा गया था। बाद में इसे सुविधा के अनुसार कई क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। बैंगलोर, एम.सी चागला की अध्यक्षता में, 1964 में शिक्षा की केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड की मीटिंग के बाद इसे 26 जनवरी 1965 से ये स्कूलों में पढ़ा जाने लगा।

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भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अर्थात् भारत के राष्ट्रीय पहचान का आधार। इसके विशिष्ठ पहचान और विरासत का कारण राष्ट्रीय पहचान है जो भारतीय नागरिकों के दिलों में देशभक्ति और गर्व की भावना को महसूस कराता है। ये राष्ट्रीय प्रतीक दुनिया से भारत की अलग छवि बनाने में मदद करता है। यहाँ बहुत सारे राष्ट्रीय प्रतीक है जिनके अपने अलग अर्थ है जैसे राष्ट्रीय पशु (बाघ) जो मजबूती को दिखाता है, राष्ट्रीय फूल (कमल) जो शुद्धता का प्रतीक है, राष्टीय पेड़ (बनयान) जो अमरत्व को प्रदर्शित करता है, राष्ट्रीय पक्षी (मोर) जो सुन्दरता को दिखाता है, राष्ट्रीय फल (आम) जो देश की उष्णकटिबंधीय जलवायु को बताता है, राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रीय गान प्ररणा का कार्य करता है, राष्ट्रीय चिन्ह् (चार शेर) शक्ति, हिम्मत, गर्व और विश्वास आदि को दिखाता है।

देश की खास छवि की योजना के लिये कई सारे राष्ट्रीय प्रतीकों को चुना गया, जो लोगों को इसके संस्कृति की ओर ले जाए साथ ही साथ दुनिया को इसके सकारात्मक विशेषता को प्रदर्शित करें। नीचे राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ उनका पूरा विवरण दिया गया है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज

बराबर अनुपात (इसे तिरंगा भी कहते है) के तीन रंगों की पट्टी में विभाजित आयताकार क्षैतिज भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। सबसे ऊपरी पट्टी गहरे केसरिया रंग (हिम्मत को प्रदर्शित करता है) का है, बीच मे सफेद रंग (शुद्धता को दिखाता है) है और सबसे नीचे की हरी पट्टी (उर्वरता को दिखाता है)। बीच की सफेद पट्टी में एक नौसैनिक नीला चक्र है (जिसे धर्म चक्र या कानून का पहिया भी कहते है) जिसके केन्द्र में 24 तिलीयाँ है। इसको अशोक चक्र कहते है। स्वराज ध्वज के आधार पर पिंगाली वैंकैया द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तैयार किया गया।
22 जुलाई 1947 के एक मीटिंग में संवैधानिक सभा द्वारा भारत के प्रभुत्व के सरकारी ध्वज के रुप में आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया गया था। कानून के तहत तिरंगे का निर्माण हाथ से काते हुए कपड़े से हुआ है जिसे ख़ादी कहा जाता है। भारतीय ध्वज कानून इसके उपयोग और प्रदर्शनी को नियंत्रण करता है और राष्ट्रीय दिवस को छोड़कर किसी भी निजी नागरिक द्वारा तिरंगे का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। तिरंगे का निर्माण 2009 से कर्नाटक ख़ादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ द्वारा अकेले ही किया जा रहा है। 1968 में इसके निर्माण के मानक को तय किया गया जबकि 2008 में इसमें बदलाव किया गया, कानून के द्वारा ध्वज के नौ मानक आकार बनाये गये है।

राष्ट्रीय चिन्ह को क्या बोलते हैं? - raashtreey chinh ko kya bolate hain?

भारत का राष्ट्रीय चिन्ह्

राष्ट्रीय चिन्ह को क्या बोलते हैं? - raashtreey chinh ko kya bolate hain?
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह्

सारनाथ में अशोक के स्तंभ शिखर पर मौजूद शेर को भारत के राष्ट्रीय चिन्ह् के रुप में भारतीय सरकार द्वारा स्वीकार किया गया। 26 जनवरी 1950 में इसे अंगीकृत किया गया था जब भारत गणराज्य बना। अशोक के स्तंभ शिखर पर देवनागरी लिपी में “सत्यमेव जयते” लिखा है (सच्चाई एकमात्र जीत) जो मुनडका उपनिषद (पवित्र हिन्दू वेद का भाग) से लिया गया है।

अशोक के स्तंभ शिखर पर चार शेर खड़े है जिनका पिछला हिस्सा खंभों से जुड़ा हुआ है। संरचना के सामने इसमें धर्म चक्र (कानून का पहिया) भी है। वास्तव में इसका चित्रात्मक प्रदर्शन सम्राट अशोक के द्वारा 250 बी.सी. में बुद्धिष्ठ कार्यस्थल पर किया गया था, गौतम बुद्ध के महान स्थलों में सारनाथ को चिन्हित किया जाता है जहाँ उन्होंने धर्म का पहला पाठ पढ़ाया था। भारत का प्रतीक शक्ति, हिम्मत, गर्व, और विश्वास को प्रदर्शित करता है। पहिये के हर एक तरफ पर एक अश्व और बैल बना है। इसके उपयोग को नियंत्रित और प्रतिबंधित करने का कार्य राज्य प्रतीक की भारतीय धारा, 2005 के तहत किया जाता है। वास्तविक अशोक के स्तंभ शिखर पर मौजूद शेर वाराणसी के सारनाथ संग्राहालय में संरक्षित है।

भारत का राष्ट्रगान

जनगणमन-अधिनायक जय है भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
तब शुभ नामे जागे, तब शुभ आशिष मागे,
गाहे तब जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय है, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

24 जनवरी 1950 में संवैधानिक सभा द्वारा भारत के राष्ट्रगान ‘जनगणमन’ को आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया गया था। इसको रविन्द्रनाथ टैगोर (प्रसिद्ध बंगाली कवि, कलाकार, नाट्यकार, दर्शनशास्त्री, संगीतकार और उपन्यासकार) द्वारा लिखा गया था। 27 दिसंबर 1911 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकत्ता सत्र में इसे पहली बार गाया गया था। कुछ राजनीतिक कारणों की वजह से “वन्दे मातरम्” की बजाय “जनगणमन” देश के राष्ट्रगान के रुप में अंगीकृत करने का फैसला किया गया। भारत के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान इसे गाया जाता है। इसके पूरे प्रस्तुतिकरण में 52 सेकेंड का समय लगता है हालाँकि इसका लघु संस्करण (पहली और अंतिम पंक्ति) को पूरा करने में केवल 20 सेकेंड का समय लगता है। बाद में इसे रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बंगाली से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और मदनपल्लै में इसका संगीत दिया गया।

भारत का राष्ट्रगीत

वन्दे मातरम्
“वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
शश्य श्यालालां मातरं
वन्दे मातरम्
सुब्रज्योत्स्ना
पुलकित यामिनीम्
पुल्ल कुसुमित
द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीं
सुमधुर भाषिनीम्
सुखदां वरदां मातरं
वन्दे मातरम्”

वास्तविक वन्दे मातरम् के शुरुआत के दो छंद को आधिकारिक रुप से 1950 में भारत के राष्ट्रगीत के रुप में अंगीकृत किया गया था। वास्तविक वन्दे मातरम् में छ: छंद है। इसको बंकिमचन्द्र चैटर्जी द्वारा बंगाली और संस्कृत में 1882 में उनके अपने उपन्यास आनन्दमठ् में लिखा गया था। इस गीत को उन्होंने चिनसुरा (पश्चिम बंगाल का एक शहर, हुगली नदी पर अवस्थित, कोलकाता से 35 कि.मी. उत्तर, भारत) में लिखा था। इसे पहली बार सन 1896 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के राजनीतिक संदर्भ में रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था। 1909 में श्री अरविन्दों घोष द्वारा इसका छंद से अनुवाद किया गया था जो जाना जाता है “मातृभूमि मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ ”।

भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर

month(sanskrit) Length start date Tropical zodiac Tropical zodiac (sanskrit)
1.चैत्र 30/31 march 22* Aries मेष
2.वैशाख 31 april 21 Taurus वृषभ
3.ज्येष्ठ 31 may 22 Gemini मिथुन
4.आषाढ़ 31 june 22 Cancer कर्क
5.श्रावण 31 july 23 Leo सिंह
6.भाद्रपद 31 august 23 Virgo कन्या
7.अश्विन 30 september 23 Libra तुला
8.कार्तिक 30 october 23 Scorpio वृश्चिक
9.अग्रहायण 30 november 22 Sagitarius धनु
10.पौष 30 december 22 Capricom मकर
11.माघ 30 january 21 Aquarius कुंभ
12.फाल्गुन 30 february 20 Pisces मीन

22 मार्च 1957 में भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर के रुप में साका कैलेंडर को अंगीकृत किया गया था जब ये कैलेंडर सुधार कमेटी द्वारा नेपाल संबत से प्रस्तुत हुआ था। ये कैलेंडर साका युग पर आधारित है। इस कैलेंडर की तारीख़ ज्यादातर ग्रेगोरियन कैलेंडर तारीख़ से मिलती-जुलती है। साका कैलेंडर को पहली बार आधिकारिक रुप से चैत्र 1, 1879, साका काल, या 22 मार्च 1957 को इस्तेमाल हुआ था। कैलेंडर सुधार कमेटी के प्रमुख (तारा भौतिकविद् मेघनाद साह) और दूसरे सहयोगियों को एकदम सही कैलेंडर बनाने के लिये कहा गया था जिसे पूरे देश के लोग अंगीकृत करें।

भारत का राष्ट्रीय संकल्प

भारत मेरा देश और सभी भारतवासी मेरे भाई और बहन है।
मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ और मैं इसकी समृद्धि और विभिन्न विरासत पर गर्व करता हूँ।
मैं अवश्य हमेशा इसके लिये योग्य मनुष्य बनने का प्रयास करुँगा।
मैं अवश्य अपने माता-पिता और सभी बड़ों का आदर करुँगा, और सभी के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करुँगा।
अपने देश और लोगों के लिये, मैं पूरी श्रद्धा से संकल्प लेता हूँ, उनकी भलाई और खुशहाली में ही मेरी खुशी है।

भारतीय गणराज्य द्वारा भारत के राष्ट्रीय संकल्प के रुप में राजभक्ति के कसम को अंगीकृत किया गया था। सामान्यत: ये कसम भारतीयों द्वारा सरकारी कार्यक्रमों में और विद्यार्थीयों द्वारा किसी राष्ट्रीय अवसरों (स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस पर) पर स्कूल और कॉलेजों में लिया जाता है। ये स्कूली किताबों के आमुख पृष्ठ पर लिखा होता है।

इसे वास्तव में पिदिमार्री वेंकटा सुब्बाराव (एक लेखक और प्रशासनिक अधिकारी) ने तेलुगु भाषा में 1962 में लिखा था। इसे पहली बार 1963 में विशाखापट्टनम् के एक स्कूल में पढ़ा गया था। बाद में इसे सुविधा के अनुसार कई क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। बैंगलोर, एम.सी चागला की अध्यक्षता में, 1964 में शिक्षा की केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड की मीटिंग के बाद इसे 26 जनवरी 1965 से ये स्कूलों में पढ़ा जाने लगा।

भारत का राष्ट्रीय फूल

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भारत का राष्ट्रीय फूल – कमल

कमल (वानस्तिक नाम नील्यूम्बो न्यूसीफेरा) एक पावन भारतीय फूल है जिसे भारत के राष्ट्रीय फूल के रुप में अंगीकृत किया गया। भारतीय कला और पुराणों में प्राचीन समय से ही एक अलग प्रतिष्ठा बनायी है इस फूल ने। पूरी दुनिया में ये भारत के पारंपरिक मुल्यों और संस्कृतिक गर्व को प्रदर्शित करता है। ये उर्वरता, ज्ञान, समृद्धि, सम्मान, लंबी आयु, अच्छी किस्मत, दिल और दिमाग की सुंदरता को भी दिखाता है। इसका प्रयोग देश भर में धार्मिक अनुष्ठानों आदि के लिये भी होता है।

भारत का राष्ट्रीय फल

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भारत का राष्ट्रीय फल – आम

आम (वानस्पतिक नाम मैनजीफेरा इंडिका) को सभी फलों में राजा का दर्जा प्राप्त है। इसकी उत्पत्ति भारत में हुई और 100 से ज्यादा किस्मों के विभिन्न आकार, माप और रंग के उपलब्ध है। इस रसदार फल को भारत के राष्ट्रीय फल के रुप में अंगीकृत किया गया है। इसकी जुताई भारत के लगभग हर क्षेत्र में होती है। भारत के कई पौराणिक कथाओं में इसकी ऐतिहासिक मान्यता और महत्व रहा है। कई प्रसिद्ध भारतीय कवियों द्वारा उनकी अपनी भाषा में इसकी तारीफ की गई है। ये विटामिन A, C, और D से युक्त है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिये बेहतर होता है।

इसके स्वाद को एलेक्जेंडर और ह्यून सांग द्वारा पसंद किया गया था। ऐसा माना जाता है कि दरभंगा (आधुनिक बिहार) के लगभग सभी क्षेत्र में महान मुगल सम्राट, अकबर के द्वारा लगभग एक लाख आम के पेड़ लखी बाग में लगाये गये थे। दिल्ली में हर साल अंतर्राष्ट्रीय आम दिवस आयोजित होता है जहाँ पर विभिन्न प्रकार के आमों को देखा जा सकता है।

भारत की राष्ट्रीय नदी

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भारत की राष्ट्रीय नदी – गंगा

भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी गंगा है (2510 कि.मी. के पहाड़ी, घाटी और मैदानी इलाकों तक फैली)। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी इस नदी के किनारे बसी है। प्राचीन समय से ही हिन्दूओं के लिये गंगा नदी बहुत बड़ा धार्मिक महत्व रखता है। हिन्दू धर्म के लोगों द्वार इसे ईश्वर के समान पूजा जाता है और इसके पवित्र जल को कई अवसरों पर इस्तेमाल किया जाता है। हिमालय में गंगोत्री ग्लेशियर के हिमक्षेत्र में भगीरथी नदी के रुप में गंगा की उत्पत्ति हुई। भारतीय महासागर के उत्तर-पूर्वी भाग, बंगाल की खाड़ी में मलत्याग और गंदगी छोड़ने में इसे तीसरी सबसे लंबी नदी के रुप में गिना जाता है।

भारत का राष्ट्रीय पेड़

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भारत का राष्ट्रीय पेड़ – बरगद

भारतीय बरगद का पेड़ (वानस्पतिक नाम फिकस बेंगालेंसिस) को भारत के राष्ट्रीय पेड़ के रुप में अंगीकृत किया गया है। इसे अविनाशी पेड़ माना जाता है क्योंकि ये अपने जड़ों से बहुत बड़े क्षेत्र में नए पौधों को विकसित करने की क्षमता रखता है। भारत में प्राचीन समय से ही ये लंबी आयु का अभिलक्षण और महत्व रखता है। इसकी विशाल शाखाएँ अपने पड़ोसियों को छाँव प्रदान करती है, जबकि इसकी जड़े कई एकड़ों में विस्तारित होती है। इसकी लंबी शाखाएँ, गहरी जड़ें और मजबूत तना एक उलझाव का रुप ले लेता है जिससे किसी दूसरे पेड़ की अपेक्षा लंबे समय तक अस्तित्व में बने रहता है। ये अपनी लंबी आयु और विशाल छाया के लिये प्रसिद्ध है। कई प्राचीन कहाँनियों में इसके महत्वता का वर्णन किया गया है। ये पूरे राष्ट्र में हर जगह पाया जाता है और सामान्यत: मंदिरों के आसपास और सड़क के किनारों पर लगाया जाता है।

गाँवों में पंचायत और दूसरे सम्मेलनों के लिये ये एक बेहतर जगह बनती है। हिन्दू धर्म में ये एक पावन पेड़ है और इसका उपयोग कई सारी बीमारियों के इलाज के लिये किया जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, ये भगवान शिव का आसन है और इसी पर बैठ कर वो संतो को उपदेश देते है, इसी वजह से हिन्दू धर्म के लोग इसकी पूजा करते है। इस वृक्ष की पूजा की परंपरा खासतौर से हिन्दू शादी-शुदा महिलाओं द्वारा अपनी लंबी और खुशहाल शादी-शुदा जीवन की कामना के लिये होता है। एक बनयान पेड़ बहुत बड़ा हो सकता है, लगभग 656 फीट चौड़ और 98 फीट लंबा। ये चिपचिपे दूध से रबर पैदा करता है जिसका इस्तेमाल बागबानी के लिये होता है।

भारत का राष्ट्रीय पशु

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भारत का राष्ट्रीय पशु – शाही बंगाल बाघ

शाही बंगाल बाघ (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम पैंथेरा तिगरीस़ तिगरीस़), भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला एकमात्र सबसे बड़े माँसाहारी पशु को भारत के राष्ट्रीय पशु के रुप में अंगीकृत किया गया है। इसके शरीर पर चमकदार पीली पट्टी होती है। ये बड़े आराम से वायुशिफ के जंगलों में दौड़ सकता है और अत्यंत शक्तिशाली, मज़बूती और भारत के गर्व का प्रतीक है। ये भारत (आठ नस्ल के) के हर क्षेत्र में पाया जाता है केवल उत्तर-पश्चिम क्षेत्र को छोड़कर। पूरी दुनिया के बाघों के आधी से ज्यादा जनसंख्या केवल भारत में पायी जाती है। भारतीय सरकार ने शाही खेल शिकार को प्रतिबंधित कर दिया है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर इनकी संख्या में कमी आ रही थी। अप्रैल 1973 में, बाघों की सुरक्षा और उनको बचाने के लिये भारतीय सरकार ने “प्रोजेक्ट टाईगर” की शुरुआत की। इनके विलुप्तप्राय होने से बचाव और सुरक्षा के लिये भारत में 23 टाईगर आरक्षित क्षेत्र बनाया गया है। बाघों की अधिकतम उम्र लगभग 20 साल होती है।

भारत का राष्ट्रीय जलचर

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भारत का राष्ट्रीय जलचर – गंगा की डॉलफिन

गंगा की डॉलफिन (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम प्लैटानिस्ता गैंगेटिका) को राष्ट्रीय जलचर पशु के रुप में अंगीकृत किया गया है। ये पावन गंगा की शुद्धता को प्रदर्शित करती है क्योंकि ये केवल साफ और शुद्ध पानी में ही जिंदा रह सकती है। डॉलफिन एक स्तनधारी जीव है अर्थात् ये बच्चों को जन्म देती है। इसकी लंबी नुकीली नाक और दोनों जबड़ों पर दिखायी देने वाले दाँत बेहद साफ है। इसकी आँखों में कोई लेंस नहीं है। इसका शरीर ठोस और चमड़ा हल्के भूरे रंग का है। मादा डॉलफिन नर डॉलफिन से ज्यादा बड़ी होती है। ये साँस लेने के दौरान आवाज करती है इसलिये इन्हें सुसु भी कहा जाता है। सामान्यत: ये भारत में गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र जैसी नदीयों में पाया जाता है साथ ही भूटान और बांग्लादेश (करनाफूली नदी) में भी पाया जाता है। दिनों-दिन डॉलफिन की संख्या घटती जा रही है (2000 से कम क्योंकि मछली पकड़ने से और पानी के कम बहाव के कारण, गंदगी, डैम निर्माण, कीटनाशक, भौतिक अवरोध आदि की वजह से इनके निवास-स्थान में कमी आ रही है) और ये नाजुक रुप से भारत के विलुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल होते जा रहे है। इन्हें दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक माना जाता है। इनको सुरक्षित करने के लिये अभयारण्य क्षेत्रों संरक्षण कार्य शुरु हो चुका है।

भारत का राष्ट्रीय पक्षी

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भारत का राष्ट्रीय पक्षी – मोर

भारतीय मोर (प्राणी शास्त्र से संबंधित नाम पावो क्रिसटेट्स) को भारत के राष्ट्रीय पक्षी के तौर पर मनोनीत किया गया है। ये भारतीय उपमहाद्वीप का देशीय पक्षी है, जो एकता के सजीव रंगों और भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है। ये सुन्दरता, गर्व और पवित्रता को दिखाता है। इसके पास एक बड़े पंखों के आकार में फैले पंख है और लंबा पतला गर्दन है। मादा मोर की अपेक्षा (बिना पूँछ के) नर मोर ज्यादा रंगीन और सुंदर होते है (200 लंबित पंख)। जब भी मानसून का आगमन होता है तब वो खुश हो जाते है और आकर्षक तरीके से अपने पंखों को फैला लेते है। मादा मोर रंग में भूरी होती है और नर मोर से आकार में छोटी होती है। अपने पंखों को फैलाने के द्वारा नर मोर आकर्षक नृत्य करते है और बेहद सुन्दर दिखायी देते है। इनकी अपनी अलग धार्मिक महत्वता है और भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) की धारा 1972 के तहत संसदीय आदेश पर सुरक्षा प्रदान की गयी है। ये देश के हर क्षेत्र में पाया जाता है। हिन्दू धर्म में इसे भगवान मुरुगा का वाहन माना जाता है जबकि ईसाईयों के लिये ये “पुनर्जागरण” का प्रतीक है। भारत में मोर का शिकार प्रतिबंधित है।

भारत की राष्ट्रीय मुद्रा

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भारत की राष्ट्रीय मुद्रा – रुपया

भारतीय रुपया (ISO code: INR) आधिकारिक रुप से भारत के गणराज्य की करेंसी है। भारतीय करेंसी से संबंधित मुद्दों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नियंत्रित करता है। भारतीय रुपये को “र” (देवनागरी व्यंजन) और लातिन अक्षर “R” से चिन्हित किया जाता है जो 2010 में अंगीकृत किया गया। 8 जुलाई 2011 को रुपये के चिन्हों के साथ भारत में सिक्कों की शुरुआत हुई थी। नकली करेंसी के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये आर.बी.आई ने “पैसा बोलता है” नाम से एक वेबसाइट की भी शुरुआत की थी।

भारत का राष्ट्रीय खेल

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भारत का राष्ट्रीय खेल – हॉकी

भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। सन् 1928 से 1956, भारत के लिये एक सुनहरा समय था जब भारत ने छ: लगातार जीत के साथ आठ ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते थे। अभी तक के भारतीय हॉकी इतिहास में ध्यानचंद सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी है। उन्हें अभी भी असाधारण गोल करने के कौशल के लिये याद किया जाता है। हॉकी खेलने के दौरान उन्होंने तीन गोल्ड मेडल (1928, 1932, और 1936 में) जीते। 1948 में, उन्होंने अपना अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला और पूरे खेल काल में 400 से ज्यादा गोल किये।

भारत का राष्ट्रीय दिवस

स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती और गणतंत्र दिवस को भारत के राष्ट्रीय दिवस के रुप में घोषित किया गया है। स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1947 में भारतीयों को ब्रिटीश शासन से आजादी मिली थी। 26 जनवरी 1950 को भारत को अपना संविधान प्राप्त हुआ था इसलिये इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनायी जाती है क्योंकि इसी दिन गाँधी का जन्म हुआ था। सभी राष्ट्रीय दिवस को राजपत्रित अवकाश के रुप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।