रात के समय पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए? - raat ke samay ped ke neeche kyon nahin sona chaahie?

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रात के समय पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए? - raat ke samay ped ke neeche kyon nahin sona chaahie?

Ped ke niche kyon nahi sona chahiye – आज के इस लेख में हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं कि रात के समय पेड़ों के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए.

अगर आप गांव में रहते हैं या मकान वाले घरों में रहते हैं तो आपने अक्सर अपने बड़ों से सुना होगा कि रात के समय पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए. लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं?

जैसा कि हमने स्कूल में सीखा है कि जानवरों और इंसानों की तरह पेड़-पौधे भी सांस (Breathe) लेते हैं. मनुष्य और जानवर अपनी नाक से सांस लेते हैं लेकिन पेड़ों में श्वसन (Respiration) के लिए कोई विशेष अंग नहीं होता है.

पेड़-पौधों में श्वसन पत्तियों में मौजूद स्टोमेटा (Stomata) नामक  छोटे-छोटे छिद्रों से होता है. पौधों की जड़ें, तना और पत्तियां श्वसन के लिए वायु का अलग-अलग आदान-प्रदान करती हैं, यानी पूरे पेड़ में श्वसन क्रिया लगातार चलती रहती है.

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजनस्वयं तैयार करते हैं. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में, पौधे कार्बन डाइऑक्साइड और पानीका उपयोग सूर्यके प्रकाश में ग्लूकोज बनाने के लिए करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिससे वे अपना भोजन बनाते हैं.

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पेड़ दिन में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) लेते हैं और ऑक्सीजन (Oxygen) छोड़ते हैं, इसलिए दिन में पेड़ों के नीचे सोना फायदेमंद होता है क्योंकि आपको पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है.

पौधों में श्वसन क्रिया रात में भी चलती रहती है, लेकिन प्रकाश संश्लेषण रात में नहीं होता, इसलिए पेड़ रात में ऑक्सीजन नहीं बना पाते.

इस दौरान पौधों द्वारा श्वसन के लिए ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होता है और पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं.

ऐसे में अगर आप रात को पेड़ों के नीचे सोते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से आपका दम घुट सकता है और मौत भी हो सकती है, इसलिए रात को पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए.

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हमारे जीवन में पीपल जैसे पेड़ पौधों का काफी महत्व है. इनके बिना पृथ्वी में जीवन की कल्पना करना बेमानी होगा. हम सभी जानते है कि पेड़ हमारी कई जरूरतों को पूरा करते है जिनमें सबसे महत्वपूर्ण चीज ऑक्सीजन है. इतना ही नहीं पेड़ प्रदूषित हो रहे वातावरण को रहने लायक बनाते हैं. यही वजह है कि आधुनिक से आधुनिक सिटी में भी सड़क के किनारे पेड़ लगाये जाते है ताकि ये वातावरण को प्रदूषण से बचा सके और हमें ताजी ऑक्सीजन मिल सके. आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे कि रात को पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए ? आपने इस बारे में कई बार सुना होगा खासकर घर के बड़े लोगो से जो कहते है कि रात में पेड़ के नीचे सोना खतरे की निशानी होता है. यह जान भी ले सकता है.

रात के समय पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए? - raat ke samay ped ke neeche kyon nahin sona chaahie?
अगर आप प्रकृति प्रेमी है तो आपको भी पेड़ पौधे पसंद होंगे. जिनके नीचे आप भी सोते होंगे या सोने की इक्छा करती होगी. अगर आप किसी शहर में रहते है तो पार्क ही ऐसी जगह होती है जहां कई सारे पेड़ होते है. दिन के समय पार्क में आप पेड़ के नीचे सोने का अनुभव ले सकते हैं.

बात करे गांव की यहां ज्यादातर लोग दिन में पेड़ के नीचे सोना पसंद करते हैं क्योंकि दिन के समय पेड़ के नीचे ठंडी ठंडी हवा चलती है. जो किसी कूलर की हवा से कम नहीं होती है. गांव में ज्यादातर लोग किसान होते है जिनका ज्यादातर समय खेत में बीतता है.

रात को पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए

आपको पता ही होगा गांव हो या शहर दिन में पेड़ के नीचे सोने या बैठने से कोई मना नहीं करता है. लेकिन जब बात रात की होती है रात में पेड़ के नीचे न सोने की हिदायत दी जाती है तो ऐसा क्यों है. अगर आप इसके पीछे का कारण नहीं जानते तो आपको इसके बारे में जरुर जानना चाहिए ताकि अगर कोई ऐसी गलती करता है तो आप उसे समझा सके.

पेड़ों में श्वसन क्रिया के लिए कोई विशेष अंग नहीं होता है. पेड़ अपनी पत्तियों में मौजूद छिद्रों से श्वसन क्रिया कर पाते हैं. इन छिद्रों को स्टोमेटा कहा जाता है. इसके अलावा कई पेड़ अपने तने और जड़ो में मौजूद छिद्रों से भी श्वसन क्रिया करते हैं. इस तरह इनमे लगातार श्वसन की क्रिया चलती रहती है.

हम सभी जानते है कि पेड़ पौधे दिन के समय प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से अपने लिए भोजन बनाते है. जिसमें यह प्रकाश, पानी, कार्बन डाईऑक्साइड का प्रयोग करते हैं. इससे ऑक्सीजन और ग्लूकोज बनता है. सुबह के समय सांस लेने से जो कार्बन डाई ऑक्साइड बनती है वह पत्तियों के अन्दर जमा हो जाती है.

ऐसे में जब दिन में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया चलती है तो इसमें पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड को अपने अन्दर ग्रहण करते है और इसका इस्तेमाल यह भोजन बनाने के लिए करते हैं. इस क्रिया में ऑक्सीजन का उत्सर्जन होता है. ऐसे में दिन के समय हमें पेड़ पौधों से ऑक्सीजन मिलती है. दिन में पेड़ के नीचे सोना काफी फायदेमंद होता है क्योंकि इससे हमें ताजी ऑक्सीजन मिलती है.

जहां तक रात की बात करे तो रात के समय ऐसा नहीं होता है. हालाकि श्वसन क्रिया लगातार चलती रहती है लेकिन रात में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बंद हो जाती है. ऐसे में ऑक्सीजन का निर्माण नहीं होता है. श्वसन क्रिया के लगातार चलते रहने से रात में ऑक्सीजन खत्म हो जाती है और पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन करने लगते हैं.

यहीं वजह है कि रात को पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए. दिन में जहां पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती है वहीं रात के समय पेड़ों से कार्बन डाई ऑक्साइड मिलती है. ऐसी स्थिति में अगर आप रात के समय पेड़ के नीचे सोते है तो कार्बन डाई ऑक्साइड की वजह से व्यक्ति का दम घुटने लगता है. कई केस में तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है.

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रात को पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए अब आप जान गए होंगे. अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो नीचे दिए गए सोशल मीडिया आइकॉन से इसे शेयर करे ताकि यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँच सके. अगर कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके बताये.

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रात के समय पेड़ों के नीचे क्यों नहीं जाना चाहिए?

हालांकि पेड़ों द्वारा दिन के समय ऑक्सीजन निकालने और कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की प्रक्रिया चलती रहती है, लेकिन रात के समय अधिकतर पेड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड निकाला जाता है और ऑक्सीजन को ग्रहण किया जाता है. यही कारण है कि रात के समय पेड़ के नीचे न सोने की हिदायत दी जाती है.

कौन सा पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए?

Solution : रात्रि में पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया नहीं करते। रात्रि में ये श्वसन क्रिया करते हैं, जिससे `CO_(2)`, गैस निकालते हैं अतः रात्रि में वृक्षों के नीचे नहीं सोना चाहिये।

कौन से पेड़ के नीचे सोने से आदमी मर जाता है?

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह साबित हो चुका है कि नीम के पेड़ के नीचे सोने से जान जा सकती है।

रात में पेड़ों के नीचे सोना उचित नहीं है क्योंकि रात में पेड़ क्या छोड़ते हैं?

हमारे दैनिक जीवन में ऐसी घटनाएँ और क्रियाएँ होती हैं, जिनके पीछे कोई-न-कोई वैज्ञानिक कारण छिपा होता है पर हम अक्सर उस पर ध्यान नहीं देते। उदाहरण के लिए, हम सभी मूँग को भिगोते हैं । मूँग के कुछ दाने पानी में डूब जाते हैं तथा कुछ तैरते रहते हैं