रावण ने सीता की सुरक्षा के संबंध में क्या क्या निर्देश दिए? - raavan ne seeta kee suraksha ke sambandh mein kya kya nirdesh die?

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Home » रामलीला में भरत मिलाप में बही अश्रुधारा, रावण ने किया माता सीता का हरण

रावण ने सीता की सुरक्षा के संबंध में क्या क्या निर्देश दिए? - raavan ne seeta kee suraksha ke sambandh mein kya kya nirdesh die?

उज्जैन। सामाजिक न्याय परिसर में चल रही रामलीला में गुरुवार को राम और भरत मिलाप हुआ। राजकुमार भरत प्रभु श्री राम, भाई लक्ष्मण और सीता से मिलने के लिए चित्रकूट पहुंचे। दोनों ही भाई आपस में मिलकर भाव विव्हल हो उठे, अश्रुधारा रुकने का नाम ही नहीं लेती। रामलीला में लक्ष्मणजी ने जहां शूर्पणखा की नाक काटी वहीं रावण ने छल से माता सीता का हरण किया। जटायु मरण का प्रसंग भी रामलीला में मंचित हुआ। कथा के प्रारंभ में उमेशनाथ महाराज, सांसद अनिल फिरोजिया, अनिल जैन कालूहेड़ा, जगदीश अग्रवाल, तरुण खंडेलवाल, जयंत दाभाड़े, ईश्वरचंद दुबे ने आरती की।

कार्यक्रम में उल्लास वैद्य, भगवान शर्मा, संयोजक पूर्व नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत, संस्कार मंच के कार्यकारी अध्यक्ष चरणजीत सिंह कालरा, कोषाध्यक्ष सुनील खत्री, प्रशांत शर्मा, पुष्पेंद्र शर्मा, दीपक सांखला, मनोहर गेहलोत, गणेश बागड़ी, आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे। यह जानकारी संस्कार मंच के मीडिया प्रभारी विशाल पंचाल व दीपक जैन द्वारा दी गई।

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रावण की पुत्री थी सीता?

हमारे समाज में सीता और रावण के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या सीता रावण की पुत्री थी? थाइलैंड रामायण के अनुसार, सीता रावण की बेटी थी, जिसे रावण ने एक भविष्यवाणी के बाद जमीन में दफना दिया था। थाइलैंड रामायण के अनुसार, भविष्यवाणी में कहा गया था कि यह लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी। बताया जाता है कि इसी कारण रावण ने कभी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया था।

इधर, अद्भुत रामायण के अनुसार, एक बार दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राह्मण, माता लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए हर दिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूदें डालता था। अद्भुत रामायण के अनुसार, एक दिन रावण उनकी अनुपस्थिति में वहां पहुंचा और ऋषियों का रक्त, उसी कलश में एकत्र कर के लंका लेकर चला गया। कहा जाता है कि उस कलश को उसने मंदोदरी के संरक्षण मे दे दिया और कहा कि इसमे विष है, सावधानी से रखें।

अद्भुत रामायण के अनुसार, रावण की उपेक्षा से दुखी होकर मंदोदरी ने आत्महत्या करने की इच्छा से घड़े में भरा वह रक्त जहर समझकर पी लिया। कहा जाता है कि इससे वह अनजाने में ही गर्भवती हो गई। जबकि उस वक्त रावण विहार करने सह्याद्रि पर्वत पर गया था। ऐसे में मंदोदरी सोची कि जब मेरे पति मेरे पास नहीं है। ऐसे में जब उन्हें इस बात का पता चलेगा। तो वह क्या सोचेंगे। यही सब सोचते हुए मंदोदरी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र चली गई।

कहा जाता है कि वहीं पर उसने गर्भ को निकालकर एक घड़े में रखकर भूमि में दफन कर दिया और सरस्वती नदी में स्नान कर वह वापस लंका लौट गई। कहा जाता है कि वही घड़ा हल चलाते वक्त मिथिला के राजा जनक को मिला था, जिसमें से सीता प्रकट हुईं थी।

इन्हीं कथा के आधार पर विद्वान मानते हैं कि सीता और रावण में पिता-पत्री का संबंध था। हालांकि कई ग्रंथों में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। कई ग्रंथों में सीता-रावण का संबंध पिता-पुत्री की तरह नहीं दर्शाया गया है।

क्‍यों सीता को नहीं छू सकता था रावण

रावण ने सीता जी को उनकी आज्ञा से इसलिए स्पर्श नहीं किया कि रावण को नलकुबेर ने शाप दिया था। रावण जानता था। यदि वह सीता गलत नियत से स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।

त्रेतायुग में विश्वविजेता की उपाधि धारण करने वाला रावण किसी भी स्त्री को उसकी आज्ञा के बिना स्पर्श नहीं कर सकता था। इस बात को बयां करती पौराणिक कहानी का विस्तार से उल्लेख वाल्मीकी रामायण के उत्तराकाण्ड में अध्याय 26, श्लोक 39 में मिलता है।

एक बार रावण विश्व विजय के लिए स्वर्ग लोक पहुंचा तो वहां उसे रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। वासना पूर्ति की इच्छा से रावण ने उसे पकड़ लिया। तब रंभा ने कहा, 'आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं।'

लेकिन रावण नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को शाप दिया कि 'अगर किसी स्त्री की इच्छा के बिना वह उसको स्पर्श करेगा तो मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।'

यह बात उस समय की है जब अयोध्या नरेश दशरथ का जन्म भी नहीं हुआ था। समय का चक्र चलता रहा और फिर रघुकुल में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। श्रीराम बड़े हुए तो उनका विवाह राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ।

सीता का विवाह स्वयंवर के जरिए हुआ जहां श्रीराम और रावण भी मौजूद थे। रावण भी सीता के साथ विवाह करने का इच्छुक था। लेकिन उसकी ये मंशा पूरी न हो सकी।

सीता, श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं। कुछ समय तक वह अयोध्या में रहीं। लेकिन विधि के विधान अनुसार उन्हें श्रीराम के साथ वनवास में जाना पड़ा। जहां एक दिन रावण ने साधु के रूप में आकर सीता जी का अपहरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया।

रावण ने सीता जी को उनकी आज्ञा से इसलिए स्पर्श नहीं किया कि रावण को नलकुबेर ने शाप दिया था। रावण जानता था। यदि वह सीता गलत नियत से स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।

Edited By: Preeti jha

रावण और सीता का संबंध क्या था?

Ramayan : निसंतान रहे मिथिला नरेश जनक ने धरती से मिलीं सीता को अपनी पुत्री मानकर लालन-पालन किया और स्वयंवर के जरिए वह श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं. मगर असल में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी.

रावण ने सीता को अपने वश में करने के लिए क्या क्या प्रयास किए?

उत्तर: लंका में रावण ने सीता को अपने धन-वैभव सोहरत एवं शक्ति से प्रभावित करने का प्रयास किया। रावण सीता को लेकर अपने अंत:पुर में गया। राक्षसियों को सीता की निगरानी करने को कहा।

रावण ने सीता को छुआ क्यों नहीं?

रावण ने सीता जी को उनकी आज्ञा से इसलिए स्पर्श नहीं किया कि रावण को नलकुबेर ने शाप दिया था। रावण जानता था। यदि वह सीता गलत नियत से स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। त्रेतायुग में विश्वविजेता की उपाधि धारण करने वाला रावण किसी भी स्त्री को उसकी आज्ञा के बिना स्पर्श नहीं कर सकता था।

रावण ने सीता के हरण की क्या योजना बनाई?

रावण ने सीता-हरण के लिए क्या योजना बनाई? उत्तर: रावण ने सीता हरण के लिए मारीच की सहायता लेने का निश्चय किया। उसने डरा-धमकाकर मारीच को इसके लिए तैयार कर लिया।