डीप फेक और साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँइस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में डीप फेक' (Deep Fake) और सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार की चुनौतियों व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भ:पिछले दो दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के विस्तार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा आदि क्षेत्रों के साथ हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू में बड़े बदलाव किये हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे नए प्रयोगों ने आधुनिकीकरण की गति में एक उत्प्रेरक का काम किया है, साथ ही इसकी वजह से समाज के हर वर्ग तक मूलभूत सुविधाओं की पहुँच को सुनिश्चित करना भी संभव हो सका है। हालाँकि किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह इस क्षेत्र में विकसित तकनीकों के अनियंत्रित प्रयोग के कारण इसके दुरुपयोग की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। दुष्प्रचार और अफवाहों की समस्या अब मात्र झुंझलाहट का एक कारण न होकर समाज में तनाव और ध्रुवीकरण बढ़ाने के साथ कई मामलों में चुनावी परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता सहित एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसी कड़ी में 'डीप फेक' (Deep Fake) दुष्प्रचार और अफवाहों को तेज़ी से तथा एक वृहद् पैमाने पर फैलाने का नया विकल्प बनकर उभरा है। सूचना प्रौद्योगिकी और मीडिया क्षेत्र अपेक्षाकृत नया होने के कारण इस क्षेत्र के अपराधों की निगरानी करना तथा उन्हें नियंत्रित कर पाना सुरक्षा एजेंसियों के लिये एक बड़ी चुनौती बन गया है। डीप फेक (Deep Fake):
डीप फेक के दुष्प्रभाव:
महिला सुरक्षा:
राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियाँ:
लोकतंत्र के लिये खतरा:
व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और पहचान को क्षति:
डीप फेक के मामलों में वृद्धि:
भारत पर प्रभाव:
कानूनी प्रावधान:
समाधान:
निष्कर्ष:सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति के माध्यम से जहाँ संचार, शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्याप्त सामाजिक असामनता को दूर करने में सहायता प्राप्त हुई है, वहीं इसने डीप फेक और साइबर सुरक्षा से जुड़ी कई अन्य चुनौतियों को जन्म दिया है। डीप फेक और दुष्प्रचार जैसी चुनौतियों से निपटते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने हेतु सभी हितधारकों के साथ मिलकर एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण को अपनाना बहुत ही आवश्यक है। विधायी नियमों, प्लेटफाॅर्म नीतियों, प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप और मीडिया साक्षरता के क्षेत्र में साझा प्रयास डीप फेक के खतरे को कम करने के लिये नैतिक एवं प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है। अभ्यास प्रश्न: डीप फेक से आप क्या समझते हैं? भारत में डिज़िटल साक्षरता और मज़बूत डेटा सुरक्षा कानूनों के अभाव में डीप फेक की चुनौतियों और इसके दुष्प्रभावों की समीक्षा कीजिये। सूचना प्रौद्योगिकी का समाज पर क्या प्रभाव है?सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव
सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरी धरती को एक बना दिया है। इसने विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एक वैश्विक अर्थव्यवस्था को जन्म दिया है। यह नवीन अर्थव्यवस्था अधिकाधिक रूप से सूचना के रचनात्मक व्यवस्था व वितरण पर निर्भर है। इसके कारण व्यापार और वाणिज्य में सूचना का महत्व अत्यधिक बढ गया है।
सूचना प्रौद्योगिकी का हमारे जीवन में क्या महत्व है इसका विस्तार से वर्णन करें?सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व
-सूचना-संपन्नता से सशक्तिकरण (empowerment) होता है। -सूचना तकनीकी, प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती है, इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है। -सूचना तकनीक का प्रयोग योजना बनाने, नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में होता है। -यह नये रोजगारों का सृजन करती है।
भारत के सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का आर्थिक विकास में क्या योगदान है?समकालीन विश्व अर्थव्यवस्था में, भारत आईटी का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आईटी क्षेत्र का योगदान 1998 में 1.2% से बढ़कर 2019 में 10% हो गया। निर्यात भारतीय आईटी उद्योग पर हावी है और उद्योग के कुल राजस्व का लगभग 79% है। हालांकि, मजबूत राजस्व वृद्धि के साथ घरेलू बाजार भी महत्वपूर्ण है।
सूचना प्रौद्योगिकी क्या है इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए?सूचना प्रौद्योगिकी (अंग्रेज़ी: information technology) आँकड़ों की प्राप्ति, सूचना संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिज़ाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर अनुप्रयोगों से संबंधित (सम्बन्धित) है।
|