स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को महत्वपूणय आदमी क्यों समझते थे - skaut pared karate samay lekhak svayan ko mahatvapoonay aadamee kyon samajhate the

स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण 'आदमी' फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

स्काउट परेड में लेखक साफ़-सुथरी धोबी से धुली ड्रेस पहनता। पॉलिश बूट तथा जुराब पहनकर लेखक ठक-ठक करके चलता था। मास्टर प्रतीमचंद द्वारा परेड के समय राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर छोटे छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या कदम मिलाकर चलता, तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। अकड़कर चलता तो अपने अंदर एक फ़ौजी जैसी आन-बान-शान महसूस करता था।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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स्काउट परेड करते हुए समय लेखक स्वयं को महत्वपूर्ण आदमी िौिी िवाि क्यों समझिे लगता था?

Solution : स्काउट परेड के दौरान लेखक धुले हए साफ़ कपडे व पॉलिश किए हए बूट पहनते थे तथा पीटी मास्टर के आदेश पर एक फौजी की तरह ही दायें या बाएं टर्न करते थे जिससे उन्हें एक फौजी जैसा ही मेहसूस होता था। इन्हीं कारणों की वजह से लेखक अपने आप को एक फौजी जवान समझने लगते थे।

लेखक अपने को फौजी जवान कब और क्यों समझने लगता था?

4. स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण आदमी फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था? Answer : स्काउट परेड में लेखक जब धोबी के घुले साफ़ -सुथरे कपड़े, पॉलिश किए हुए बूट, जुराबों को पहन कर ठक-ठक करके चलता था तो वह अपने- आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था