समुदाय अपनी स्थापना से ही समाज कार्य अभ्यास का केन्द्र बिन्दु रहा है। समुदाय अनेक सामाजिक प्रणालियों में से एक है, जो लोगों के जीवन को स्पर्श करते हैं और उनकी व्यक्तिगत तथा सामूहिक पहचानों को आकर प्रदान करतेलोग सामाजिक संदर्भों में उत्पन्न होते हें, बढ़ते हैं, तथा सामाजिक संरचनाओं के विचारों के बारे में जानकारी प् करते हैं और इन विचारों निर्माण करते हैं। वे संघों के माध्यम से व्यक्तिगत और सामूहिक भी विकसित करते हैं, जो उन्हे आजीवन सामुदायिक अनुभवों से जोड़ते हैं। समुदाय, मध्यस्थता के सभी स्तरों पर समाज कार्य के लिए संदर्भ और परिवेश प्रदान करता है। सूक्ष्म स्तर (लघु स्तर) पर प्रत्यक्ष अभ्यास में कार्य कर रहे कार्यकर्त्ताओं के लिए स्थूल (बड़े) पर्यावरण को समझने की आवश्यकता होती है, जिनमें उनके सेवार्थी समूह रहते और कार्य करते हैं, उन्हें किस प्रकार संसाधन उपलब्ध कराए जाएं और समुदाय गतिशीलता व्यक्तिगत व्यवहार को किस प्रकार प्रभावित करती है। स्थूल स्तर के लिए सामाजिक कार्यकर्त्ता जिनका अभ्यास (कार्य) कार्यक्रम नियोजन और प्रशासन पर केंद्रित होता है, समुदाय उनके कार्य के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। यह लक्ष्य अथवा परिवर्तन के लिए माध्यम है, जहां मध्यस्थताएं उन व्यापक सामाजिक समस्याओं को दूर करने क लिए तैयार को जाती है, जो लोगों के बडे समृह को प्रभावित करती है। समुदाय का अलग-अलग वर्णन और अर्थ किया गया है। यह अनिवार्य रूप से विषयपरक अनुभव है, जो वस्तुपरक परिभाषा (०एछंब्णांए८ तलागंपंण) के विपरीत है। मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, “समुदाय उस छोटे या बड़े समूह को कहते हैं, जिसके सभी सदस्य किसी क्षेत्र की सीमा में इ प्रकार समग्र जीवन बिताते हैं कि वे किसी विशेष हित की पूर्ति मात्र ही नहीं, बल्कि सामान्य जीवन की सभी बुनियादी शर्तों कौ पूर्ति में पारस्परिक सहयोग करते हैं।'' किम्बाल यंग ने बताया, “' एक समुदाय की पहचान हे-समान संस्कृति। समुदाय के सभी सदस्य इसी समान संस्कृति के आदर्शों एवं मूल्यों से निर्देश ग्रहण करते हैं।'' निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि समुदाय एक निश्चित स्थान या भूभाग में रहने वाले व्यक्तियों का ऐसा समूह है, जिसकी एक संस्कृति होती है, एक जैसी जीवन प्रणाली होती है, जो अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समुदाय के भीतर ही पूरी कर लेते हैं। समुदाय की परिभाषा इसकी रचना से जुड़ी है। इसे उस ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से और भौगोलिक तथा वैचारिक पृष्ठभूमियों से देखना लाभदायक है, जिसमें यह तिकसित होता है। रोबर्ट बेला ने समुदाय की परिभाषा इस प्रकार की है, “यह उन लोगों का एक समूह है, जो सामाजिक रूप से अंत:निर्भर हैं जो चर्चा ओर निर्णयन (व6लंतञ्रंणानगथवाह) में भाग लेते हैं और जो उन कुछ व्यवहारों का आदान-प्रदान करते हैं, जो समुदाय को परिभाषित करते हैं तथा इसके द्वारा प्रोत्साहित होते हैं।'' फाउंडेशन फॉर कम्यूनिटी एन्करेजमेंट के अनुसार, “समुदाय दो अथवा उससे अधिक लोगों का समूह है, जो उनकी पृष्ठभूमि (सामाजिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक, नृजातीय, आर्थिक, राजनीतिक आदि) की विविधता पर ध्यान दिए बिना अपने मतभेदों को स्वीकार और दूर करने में सफल रहे। यह उन्हें प्रभावी और मुक्त रूप से सूचित करने तथा उनके सामान्य कल्याण के लिए निर्धारित लक्ष्यों के लिए कार्य करने में सक्षम बनाता है।'! ब्रायोन मुनोन (1968) ने समुदाय की परिभाषा इस प्रकार की है, “समुदाय अपेक्षाकृत आत्मनिर्भर जनसंख्या है, जो सीमित भौगोलिक क्षेत्र में रहती है तथा जो एकता और परस्पर निर्भरता की भावनाओं के साथ-साथ जुड़ा हे।'” सी, फेरिंगटन और ई. पाइन का मानना है कि “समुदाय लोगों का वह समूह है, जो उस संचारों (संप्रेषणों) की संरचना द्वारा जुड़ा है, जो चर्चा और सामूहिक क्रिया में सहायता करता है।'' समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मुल विशेषताएं बताई जा सकती हैं जो हें: निश्चित भू-भाग का तात्पर्य यहां उन सीमा एवं घेरे से हैं जो किसी विशेष सामाजिक आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओंवाले नागरिकों को अपनी परिधि में सम्मिलित करता है मानव जाति की एक परम्परागत विशेषता रही हैं कि जब मानव परिवार किसी एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चलने के लिए प्रयत्न करता है तो वह उस स्थान को प्राथमिकता देता है। जहाँ उसके समा सामाजिक-आर्थिक एवं धार्मिक विचारों वाले लोग निवास करते हैं। व्यक्तियों का समूह-समुदाय से यहाँ तात्पर्य मानव जाति के समुदाय से है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक समरूपताओं के आधार पर एक निश्चित सीमा में निवास करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि समुदाय में हम मानवीय सदस्यों को सम्मिलित करते हैं न कि पशु पक्षियों को। सामुदायिक भावना-का तात्पर्य यहाँ सदस्यों के आपसी मेल-मिलाप पारस्परिक सम्बन्ध से है। वैसे तो सम्बन्ध कई प्रकार के होते हैं, लेकिन सदस्यों में एक दूसरे की जिम्मेदारी महसूस करने तथा सार्वजनिक व सामुदायिक जिम्मेदारी को महसूस करने तथा निभाने से है। सर्वमान्य नियम-जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि प्राथमिक रूप से समुदाय का प्रशासन समुदाय के सदस्यों द्वारा बनाय गये नियमों पर निर्भर होता है औपचारिक नियमों के अतिरिक्त समुदाय को एक सूत्र में बाँधने, समुदाय में नियंत्रण स्थापित करने, सदस्यों को न्याय दिलाने, कमजोर सदस्यों को शोषण से बचाव तथा शोशितों पर नियंत्रण रखने या सामुदायिक व्यवहारों को नियमित करने के लिए प्रत्येक समुदाय अपनी सामुदायिक परिस्थितियों के अनुसार अनौपचारिक नियमों को जन्म देता है। स्वत: उत्पत्ति-बर्तमान समय में कार्यरत विभिन्न शहरीय आवसीय योजनायें आवास की सुविधा प्रदान कर समुदाय के निर्माण में अवश्य ही सहायक साबित हो रही है, लेकिन प्रारम्भिक काल में समुदाय की स्थापना एवं विकास में स्वत: उत्पत्ति की प्रक्रिया अधि क महत्वपूर्ण थी। विशिष्ट नाम-प्रत्येक समुदाय के स्वत: विकास के पश्चात उसे एक नाम मिलता हे। लुम्ले के अनुसार, ''यह समरुपता का परिचाय है, यह वास्तविकता का बोध कराता है यह अलग व्यक्तित्व को इंगित करता है, वह बहुधा व्यक्तित्व का वर्णन करता है। कानून की दृश्टि में इसके कोई अधिकार एवं कर्तव्य नहीं होते स्थायित्व-बहुधा एक बार स्थापित समुदाय का संगठन स्थिर होता हे। एक स्थिर समुदाय का उजड़ना आसान नहीं होता है। कोई विशेष समुदाय किसी समस्या के कारण ही उजड्ता हैं, अन्यथा स्थापित समुदाय सदा के लिए स्थिर रहता है। समानता-एक समुदाय के सदस्यों के जीवन में समानता पाई जाती है। उनकी भाषा रीतिरिवाज, रूढ्ियों आदि में भी समानता होती है। सभी सामुदायिक परम्पराएं एवं नियम सदस्यों द्वारा सामुदायिक कल्याण एवं विकास के लिए बनायी जाती हैं। इसलिए समुदाय में समानता पाया जाना सवाभाविक है। समुदाय से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिए?मैकाइवर के अनुसार - समुदाय सामाजिक जीवन के उस क्षेत्र को कहते है, जिसे सामाजिक सम्बन्धता अथवा सामंजस्य की कुछ मात्रा द्वारा पहचाना जा सके।'' आगबर्न एंव न्यूमेयर के अनुसार, ''समुदाय व्यक्तियों का एक समूह है जो एक सन्निकट भौगोलिक क्षेत्र में रहता हो, जिसकी गतितिधियों एवं हितों के समान केन्द्र हों तथा जो जीवन के प्रमुख ...
समुदाय से आप क्या समझते हैं ग्रामीण समुदाय की विशेषताओं का वर्णन कीजिए?ग्रामीण समुदाय का भौगोलिक क्षेत्र विस्तृत है परंतु सदस्यों की संख्या सीमित होने के कारण जनसंख्या का घनत्व बहुत कम होता है। ग्रामीण समुदाय में सजातीयता का समावेश होता है। सदस्था की जीवन पद्धति, रहन-सहन, खान पान, रीति-रिवाज, धार्मिक विचार सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवहार आदि लगभग एक जैसे ही होते हैं।
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