विषयसूची सुनत जोग लागत है ऐसौ ज्यों करती ककरी पंक्ति में गोपियों के कैसे मनोभाव दर्शाए गए हैं?इसे सुनेंरोकें’सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी’ पंक्ति में गोपियों के कैसे मनोभाव दर्शाए गए हैं? गोपियों ने योग की शिक्षा को किस-किस के समान बताया है और क्यों? उत्तर: गोपियाँ योग के प्रति उपेक्षित रवैया अपनाती हैं। उन्हें योग कड़वी ककड़ी जैसा प्रतीत होता है। कवि किसका एहसान व्यक्त कर रहा है और क्यों सहर्ष स्वीकारा है कविता के आधार पर बताइए? इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कवि अपनी प्रिया का एहसान व्यक्त करते हुए कहता है कि मैं हर स्थान पर तुम्हारे साथ ही जीता हूँ। मेरा जो कुछ भी है अथवा मेरा होने वाला है अथवा जो कुछ मुझे प्राप्त होना सम्भव है वह सब तुम्हारे ही कारण है। आज तक जिंदगी में मुझे जो कुछ भी मिला है, उसे मैंने हँसी-खुशी से स्वीकार किया है। कवि स्नेह सुरा का पान क्यों करता है?इसे सुनेंरोकेंकवि स्नेह-सुरा का पान कैसे करता है? उत्तर: जिस प्रकार एक मनुष्य सुरा ;शराबद्ध के नशे में मस्त होकर पागल हो जाता है उसी प्रकार प्रेम का नशा होता है। मनुष्य जब प्रेम के जाल में फँस जाता है तो उसे कुछ भी सुहावना नहीं लगता, उसी प्रकार कवि प्रेम की मादकता, उसके पागलपन को हर पल महसूस करता रहता है। कवि किस पर क्या उड़ेलता है जो पुनः भर भर आता है? इसे सुनेंरोकेंकवि कहता है कि प्रिय तुम्हारा-मेरा संबंध बड़ा अजीब है। मुझे यह समझ नहीं आता है। इसकी गहराई इससे ही पता चलती है कि मैं जितना प्रेम तुम्हें देता हूँ उसके बाद भी वह फिर आ जाता है। अर्थात जितना प्रेम तुम पर उड़ेलता हूँ मैं फिर से प्रेममय हो जाता हूँ। सुनत जोग लागत है ऐसौ ज्यौं करुई ककरी इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसमे उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार दोनों है। Explanation: उपमा – —–दो अलग -अलग चीजों की तुलना । सुनत जोग लागत है ऐसौ ज्यौ करुई ककरी पंक्ति में कौनसा अलंकार है * 1 Point रूपक यमक उत्प्रेक्षा अतिश्योक्ति? इसे सुनेंरोकेंउपमा- • सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों, करुई ककरी। रूपकातिशयोक्ति- • सु तौ व्याधि हमकौं लै आए। स्वरमैत्री- • देखी सुनी न करी। पुनरुक्ति-प्रकाश- • कान्ह-कान्ह। कवि के जीवन में प्रिया का क्या स्थान है?इसे सुनेंरोकेंकविता के प्रारंभ में कवि जीवन के हर सुख-दुख को सहर्ष स्वीकार करता है, क्योंकि यह सब उसकी प्रियतमा को प्यारा है। हर घटना, हर परिणाम को प्रिया की देन मानता है। दूसरी तरफ वह प्रिया की आत्मीयता को बरदाश्त नहीं कर पा रहा। एक की स्वीकृति तथा दूसरे की अस्वीकृति-दोनों में अंतर्विरोध है। कवि ने अपनी प्रिया की तुलना किससे की है और क्यों? इसे सुनेंरोकें(घ) कवि ने अपने प्रिय की तुलना चाँद से इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार आकाश में हँसता चाँद अपने प्रकाश से पृथ्वी को नहलाता रहता है। उसी प्रकार कवि अपने प्रिय का मुस्कराता चेहरा के अद्भुत सौंदर्य से नहलाता रहता हैं। स्नेह सुरा क्या है?इसे सुनेंरोकें(ख) ‘स्नेह-सुरा’ से आशय है-प्रेम की मादकता और उसका पागलपन, जिसे कवि हर क्षण महसूस करता है और उसका मन झंकृत होता रहता है। कवि का कहना है कि उसने स्नेह सुरा का पान किया है इस पान का उस पर क्या प्रभाव पड़ा है? इसे सुनेंरोकेंइस रचना में कवि ने जीवन के भार उत्तरदायित्वों के साथ प्यार को भी निभाने का संकल्प व्यक्त किया है। संसार की चिंता किए बिना कवि सबको स्नेह की सुरा बाँटता रहता है। कवि को ठकुरसुहाती बातें करना स्वीकार नहीं है। वह अपने सपनों के संसार में ही रहता है और सुख-दुःख दोनों को समान भाव से स्वीकार करता है। कवि ने दिल की तुलना किससे की है और क्यों?इसे सुनेंरोकेंकवि अपने दिल की तुलना मीठे पानी के झरने (सोता) से करता है। वह इसमें से जितना भी प्रेम उँडेलता है उतना ही यह और भर जाता है। उसके हृदय में अपार प्रेम भावना विद्यमान है। इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग हैं। हमारे हरि हारिल की लकरी में कौन सा अलंकार है *? इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसमें रूपक अलंकार है क्यूंकि इसमें तुलना की जा रही है। कौन सा अलंकार है सुनत जोग लागत है ऐसौ ज्यौं करुई ककरी?उपमा- • सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों, करुई ककरी। रूपकातिशयोक्ति- • सु तौ व्याधि हमकौं लै आए।
ज्यों करुई ककरी में कौन सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है?जागत सोवत स्वप्न दिवस - निसि, कान्ह - कान्ह जक री । सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी । सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी । यह तौ 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी ॥
निम्न पंक्तियों में से कौन सी पंक्ति रूपक अलंकार का उदाहरण नही है?पाश्चात्य अलंकार. वह टूटे तरु की छुरी लता सी दीन पंक्ति में कौनसा अलंकार निहित है?▬ अनुप्रास अलंकार
कारण — इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।
|