सरपंच का मतलब क्या होता है - sarapanch ka matalab kya hota hai

सरपंच का अन्ग्रेजी में अर्थ Sarpanch के पर्यायवाची:
सरपंच संज्ञा पुं॰ [फा़॰सर + हि पच] पंचों में बड़ा व्यक्ति । पंचायत का सभापति ।
सरपंच पंचायत का प्रमुख होता है। सरपंच भारत में स्थानीय स्वशासन के लिए गांव स्तर पर विधिक संस्था ग्राम पंचायत का प्रधान होता है।[1]पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के गॉवों में भी यह प्रसाशन प्रणाली पायी जाती है। सरपंच चुने गए

what is meaning of सरपंच किसे कहते है | सरपंच का अंग्रेजी में मतलब या अर्थ क्या होता है meaning in english.

head of village meaning in hindi = सरपंच

what does means of सरपंच in english = head of village

type of word = Noun

अर्थात

head of village को हिंदी में क्या कहते है ?

head of village को हिन्दी में सरपंचगाँधी कहा जाता है |

यह एक “Noun” होती है अर्थात वाक्य में “Noun” की तरह कार्य करता है |

सरपंच ko english me kya kahate hai ?

सरपंच ko angreji me head of village kaha jata hai it means the meaning of सरपंच in english is head of village  and yah ek “Noun” kaha jata hai.

at last we have to complete our post by making meaning tell the meaning of head of village in hindi language is सरपंच on other hand सरपंच meaning in english language is head of village . and this is Noun works in any hindi and english sentence.

भी कहते हैं। पंचायती राज प्रणाली (panchayati raj system) में गांवों के विकास में सरपंचों का विशेष योगदान होता है। आपको बता दें, पंचायती राज अधिनियम- 1992 में सरपंच (sarpanch) यानी ग्राम प्रधान (gram pradhan) को कई जिम्मेदारी और अधिकार दिए गए हैं। इन पंचायतों का प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी स्वयं ग्रामवासियों को दी गई है। जिसे ‘गांव की सरकार’ भी कहते हैं।


तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में सरपंच का चुनाव (sarpanch ka chunav), सरपंच की सैलरी (sarpanch ki salary), सरपंच के कार्य की लिस्ट और सरपंच के अधिकार को विस्तार से जानें। 


सरपंच की भूमिका (importance of sarpanch)

जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्राचीन काल से ही भारत के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन में पंचायतों का महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्थानीय लोकतंत्र में सरपंच पद (sarpach post) बहुत ही प्रतिष्ठित और गरिमापूर्ण है। सरपंच ग्रामसभा द्वारा निर्वाचित ग्राम पंचायत का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। जिसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को विकास के पथ पर ले जाने की होती है।


1992 में संविधान के 73 संशोधन द्वारा इसे और मजूबती मिली है। इसके तहत पंचायतों को कई प्रकार के अधिकार दिए गए हैं। केंद्र और राज्य सरकार गांवों के विकास के लिए पंचायत निधि में करोड़ों की धनराशि भी उपलब्ध कराती है। आसान भाषा में कहें तो स्थानीय शासन में सरपंच पद (sarpanch post) बहुत ही प्रतिष्ठित और गरिमापूर्ण है। 


सरपंच का चुनाव (sarpanch ka chunav)

अब आपके मन में यही सवाल होगा कि पंचायती राज व्यवस्था में सरपंच का चुनाव कैसे होता है? तो आपको बता दें कि 1992 के बाद पूरे भारत में प्रत्येक 5 साल बाद सरपंच का चुनाव (sarpanch ka chunav) ग्राम पंचायतों के मतदातों द्वारा होता है। पंचायती चुनाव द्वारा सरपंच को सीधे तौर पर ग्रामीणों द्वारा चुना जाता है। ग्रामीण मतदातों का अपना सरपंच चुनने का पूरा अधिकार होता है। वे अपने मनपसंद उम्मीद्वार को वोट देकर चुन सकते हैं। 


आपको बता दें, सरपंच का चुनाव (sarpanch ka chunav) राज्य चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक 5 साल बाद कराया जाता है। यह चुनाव बैलेट पेपर या ईवीएम मशीन द्वारा होता है। आमतौर पर सभी राज्यों में पंचायती चुनाव दलीय आधारित नहीं होता है। इसके लिए चुनाव आयोग अलग से चुनाव चिन्ह आवंटित करती है। हालांकि कुछ राज्यों में यह दलीय आधार पर भी होते हैं। 


सरपंच चुनाव के लिए आरक्षण (reservation for sarpanch election)

जिस तरह से पूरे देश लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में आरक्षण व्यवस्था लागू है उसी तरह ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था (reservation system) है। पंचायती राज्य अधिनियम-1992 में पंचायती चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया था जिसे 2010 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी अब प्रत्येक दूसरा पद महिलाओं के लिए आरक्षित है। 


यह व्यवस्था राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनाव (panchayat chunav) से पहले गांव की जनसंख्या के अनुपात और रोस्टर व्यवस्था (roaster systmem) के आधार पर करती है। जनसंख्या के आधार पर SC/ST/OBC के लिए सीट निर्धारित करती है। 


स्पष्ट है कि गांव में उसी वर्ग का सरपंच (sarpanch) बनता है, जिस वर्ग के लिए पंचायत में सीट आरक्षित की गई है। निर्धारित सीट पर उसी वर्ग की महिला या पुरूष  सरपंच के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं।


सरपंच बनने के लिए योग्यता (Eligibility to become Sarpanch)

  • सरपंच बनने के पहली योग्यता है कि उम्मीद्वार उसी ग्राम पंचायत का निवासी हो। 

  • इसके अलावा उम्मीद्वार का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो।

  • उम्मीद्वार की उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए।

  • सरपंच बनने के लिए कई राज्यों में 8वीं पास या साक्षर होना जरुरी है। लेकिन यह नियम सभी राज्यों में लागू नहीं है। 

  • किसी-किसी राज्यों में 2 बच्चों रखने वाले व्यक्तियों को ही चुनाव लड़ने के लिए योग्य माना गया है।

  • सरकारी कर्मचारी सरपंच का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

  • वह राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के अधीन पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।


सरपंच बनने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट (Documents required to become Sarpanch)

सरपंच बनने से पहले उम्मीद्वारों को कई डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। 

जैसे- 

  • मतदाता पहचान पत्र

  • आधार कार्ड या पेन कार्ड 

  • निवास प्रमाण पत्र

  • पासपोर्ट साइज फोटो

  • पुलिस-प्रशासन द्वारा निर्गत चरित्र प्रमाण पत्र

  • आरक्षित श्रेणी का जाति प्रमाण पत्र

  • चल-अचल सम्पति विवरण

  • अभ्यर्थी के परिवार की आर्थिक स्थिति का विवरण

  • शैक्षणिक प्रमाण पत्र

  • 50 रुपए के स्टॉम्प पेपर शपथ-पत्र


इसके अलावा भी अन्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता हो सकती है, जो पंचायत चुनाव (panchayat chunav) के घोषणा के साथ ही बता दी जाती है। आपको बता दें, ये डाक्यूमेंट्स अलग-अलग राज्यों में अलग भी हो सकते है जिसके लिए आप पंचायत चुनाव के वक्त ब्लॉक/खंड कार्यालय में संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 


सरपंच के कार्य की लिस्ट (list of sarpanch duties)

  • गांव में सड़कों का रखरखाव करना

  • गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करना

  • सरकारी योजना का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाना

  • पशुपालन, बागवानी को बढ़ावा देना

  • गांव में सिंचाई के साधन की व्यवस्था करना

  • दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना

  • प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना

  • खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना

  • स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना

  • गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करना

  • आंगनवाड़ी केंद्र को सुचारु रूप से चलाने में मदद करना 


सरपंच के कार्य और अधिकार (sarpanch ke karya aur adhikar)

पंचायती राज प्रणाली (panchayati raj system) में सरपंच को कई कार्य और अधिकार प्राप्त है। उसे स्थानीय शासन में कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे कई अधिकार है। गांव में छोटे-मोटे विवादों का निपटारा करना, ग्राम पंचायत के लिए ग्राम स्तर पर कुछ टैक्स लगाने का अधिकार ग्राम प्रधान (सरपंच) को प्राप्त है। सरंपच ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है। सरपंच प्रतिवर्ष ग्रामसभा की कम से कम 4 बैठकें आयोजित कर सकता है। सरपंच को सभी वर्गों के लोगों, खासकर SC/ST/OBC और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। 


सरपंच की सैलरी (sarpanch ki salary)

देशभर में लोकसभा और विधानसभा के प्रतिनिधियों की तरह सैलरी और भत्ता के लिए मांग होती रही है। लेकिन कुछ राज्यों में सरपंच की सैलरी (sarpanch ki salary) की जगह पर कुछ मानदेय और भत्ता दी जाती है। पंचायती राज व्यवस्था में अभी तक सरपंचों को किसी प्रकार की सैलरी का प्रावधान नहीं है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे अधिकांश राज्यों में सरपंचो को सैलरी के रुप में 5000 से लेकर 10 हजार रुपए तक मानदेय दिया जाता है। 


सरपंच के खिलाफ शिकायत (complaint against sarpanch)

पंचायती राज व्यवस्था में पंचायती जनप्रतिनिधियों का आरचण और कार्य सही नहीं होने पर उन्हें हटाने का अधिकार ग्रामीणों को ही दिया गया है। लेकिन इसके लिए कुछ प्रक्रिया और प्रावधान निर्धारित किए गए हैं। यदि सरपंच ठीक से काम नहीं कर रहा है तो इसकी लिखित शिकायत जिला पंचायत राज अधिकारी या संबंधित अधिकारी को दें। 


लिखित शिकायत में ग्राम पंचायत के आधे से अधिक वार्ड सदस्यों के हस्ताक्षर होना ज़रूरी होता है। अविश्वास पत्र में सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। इसके बाद जिला पंचायत राज अधिकारी या संबंधित अधिकारी गांव में एक बैठक बुलाता है जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले सरपंच और ग्रामीणों को दी जाती है। अविश्वास प्रस्ताव पर सरपंच, ग्रामीण और वार्ड पंच को बहस का मौका दिया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया जाता है। यदि दो-तिहाई सदस्य सरपंच के विरोध में वोट करते हैं, तो सरंपच को पद से हटा दिया जाता है। इसके बाद सरपंच का चुनाव (sarpanch ka chunav) होने तक सरपंच की जिम्मेदारी उपसरपंच को दे दी जाती है। 


नोट- पंचायती राज्य व्यवस्था में सरपंच (sarpanch) को हटाने के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जिससे अविश्वास प्रस्ताव का दुरुपयोग को रोका जा सके। अधिकांश राज्यों में सरपंच चुनने के 2 वर्ष तक या कार्यकाल के अंतिम 6 महीनों के दौरान अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।