सरदार वल्लभभाई पटेल का सबसे बड़ा योगदान क्या है? - saradaar vallabhabhaee patel ka sabase bada yogadaan kya hai?

भारत के 'लौहपुरुष' कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 72वीं पुण्यतिथि है. 15 दिसंबर, 1950 को लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था. वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री भी थे. ब्रिटिश शासन के दौरान भी उन्होंने कई बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था और आजादी के बाद, उन्हीं के प्रयासों के चलते रियासतों को एक कर भारत में शामिल किया गया था. आइए जानते हैं उनके अमूल्य योगदान, जो देश कभी नहीं भुला सकता.

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जन्म स्थान से शुरू हुई संघर्ष की लड़ाई
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था. वे झवेरभाई पटेल और लाडबा देवी की चौथी संतान थे. 22 साल की उम्र में मैट्रिक परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए. वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे. उन्होंने गुजरात में शराब, छूआछूत और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की पूरजोर कोशिश की.

खेड़ा आंदोलन
साल 1917 में ज्यादा बारिश होने से खेड़ा के किसानों की फसल खराब हो गई थी. उस समय ब्रिटिश सरकार किसानों से कर वसूला करती थी. फसल बर्बाद होने के चलते किसान कर देने में असमर्थ थे, तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने गांधीजी के नेतृत्व में खेड़ा के किसानों को एक किया और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. यह वल्लभभाई पटेल की पहली बड़ी जीत मानी जाती है.

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बारडोली सत्याग्रह
वल्लभभाई पटेल, चंपारण सत्याग्रह की सफलता के चलते महात्मा गांधी से काफी प्रभावित हुए थे. साल 1928 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया. साइमन कमीशन के खिलाफ इस आंदोलन में बढ़ाए गए कर का विरोध किया गया. काफी संघर्ष के बाद ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा था और बारडोली सत्याग्रह के चलते पूरे देश में वल्लभभाई का नाम प्रसिद्ध हुआ. 

आजादी के बाद 'पटेल' का सबसे बड़ा योगदान
आजादी के बाद, सरदार वल्लभभाई की कोशिशों से देसी राज्यों का एकीकरण हुआ. 15 अगस्त 1947 के कुछ महीने बाद ही नवंबर 1947 में वल्लभभाई पटेल ने 560 रियासतों को भारत में मिला लिया था. हालांकि इस दौरान जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर की रियासतों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था. तब गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने समय पर उचित कार्रवाई कर उन्हें भी भारत में मिला लिया.

  • 21 Nov 2019
  • 11 min read

चर्चा में क्यों ?

31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन एकता दिवस के रूप में मनाया गया । इसे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती के रूप में मनाया गया ।

  • राष्ट्रीय एकता दिवस को पहली बार 2014 में नई दिल्ली में भारत की केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया था ।

परिचय

  • सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था ।
  • लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।
  • महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया ।
  • आप सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे ।

स्वतंत्रता आंदोलनों में भूमिका

  • स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था ।
  • इन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया।
  • खेड़ा आंदोलन:
    • यह आंदोलन अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट के लिए किसानों द्वारा किया गया था, जिसकी अस्वीकृति पर सरदार पटेल, गांधी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्त्व किया ।
    • अंततः सरकार झुकी और उस वर्ष करो में राहत दी गई। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
  • बारदोली सत्याग्रह:
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुए एक प्रमुख किसान आंदोलन का नेतृत्त्व सरदार पटेल ने किया । उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी । पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया।
    • इस आन्दोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की ।
    • सरदार पटेल को गांधी जी की अहिंसा नीति ने प्रभावित किया । इसलिये गांधी जी द्वारा किये गए सभी स्वतंत्रता आंदोलन जैसे- असहयोग आंदोलन, स्वराज आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे सभी आंदोलनों में सरदार पटेल की भूमिका अहम थी ।

कान्ग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल की भूमिका

  • 29 मार्च 1931 में कराची में किये गए कान्ग्रेस अधिवेशन में गांधी-इरविन समझौते यानी दिल्ली समझौते को स्वीकृति प्रदान की गई थी ।
  • इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी ।
  • इसमें ‘पूर्ण स्वराज्य’ के लक्ष्य को फिर से दोहराया गया तथा भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव की वीरता और बलिदान की प्रशंसा की गई। यद्यपि कान्ग्रेस ने किसी भी प्रकार की राजनीतिक हिंसा का समर्थन न करने की अपनी नीति भी दोहराई।

कराची अधिवेशन में कान्ग्रेस का प्रस्ताव:

इस अधिवेशन में कान्ग्रेस ने दो मुख्य प्रस्तावों को अपनाया जिनमें एक मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से संबंधित था तो दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों से संबंधित था।

मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से जुड़े प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रावधान थे:

  • अभिव्यक्ति एवं प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता।
  • संगठन बनाने की स्वतंत्रता।
  • सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की स्वतंत्रता।
  • सभा एवं सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता।
  • जाति, धर्म एवं लिंग इत्यादि से हटकर कानून के समक्ष समानता का अधिकार।
  • सभी धमों के प्रति राज्य का तटस्थ भाव।
  • निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की गारंटी।
  • अल्पसंख्यकों तथा विभिन्न भाषाई क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा एवं लिपि की सुरक्षा की गारंटी।

राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम से संबंधित जो प्रस्ताव पारित हुआ, उसमें निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे:

  • किसानों को कर्ज से राहत और सूदखोरों पर नियंत्रण।
  • मज़दूरों के लिये बेहतर सेवा शर्ते, महिला मज़दूरों की सुरक्षा तथा काम के नियमित घंटे।
  • मज़दूरों और किसानों को अपने यूनियन बनाने की स्वतंत्रता।
  • लगान और मालगुजारी में उचित कटौती।
  • अलाभकारी जोतों को लगान से मुक्ति।
  • प्रमुख उद्योगों, परिवहन और खदान को सरकारी स्वामित्व एवं नियत्रंण में रखने का वायदा।

इन प्रावधानों के साथ-साथ कान्ग्रेस ने यह भी घोषणा की कि ‘जनता के शोषण को समाप्त करने के लिये राजनीतिक आज़ादी के साथ-साथ आर्थिक आज़ादी भी आवश्यक है’। अतः यह कहना उचित ही है की कान्ग्रेस का ‘कराची अधिवेशन’ वास्तव में उसकी मूलभूत राजनीतिक व आर्थिक नीतियों का दस्तावेज था।

रियासतों का एकीकरण:

  • देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार वल्लभ भाई पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री बने।
  • 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया।
  • उड़ीसा से 23, नागपुर से 38, काठियावाड़ से 250 तथा मुंबई, पंजाब जैसे 562 रियासतों को भारत में मिलाया ।
  • जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ तथा हैदराबाद राज्य को छोड़कर सरदार पटेल ने सभी रियासतों को भारत में मिला लिया था।
  • इन तीनों रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवंबर 1947 को भारतीय संघ में मिला लिया गया और जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया ।
  • हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी । वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा । हैदराबाद में काफी मात्रा में हथियारों के आयात से सरदार पटेल चिंतित हो गए । अतः 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना हैदराबाद में प्रवेश कर गई । तीन दिन बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया ।

स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी:

  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है। जिसकी ऊँचाई 240 मीटर है। इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध की है, जिसकी ऊँचाई 208 मीटर हैं।

इस स्मारक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • मूर्ति पर कांस्य लेपन है ।
  • स्मारक तक पहुँचने के लिये लिफ्ट का उपयोग होता है ।
  • मूर्ति का त्रि-स्तरीय आधार, जिसमे प्रदर्शनी फ्लोर, छज्जा और छत शामिल हैं। छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है जिसमे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है।
  • एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें खान-पान स्टॉल, उपहार की दुकानें, रिटेल और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे पर्यटकों को अच्छा अनुभव होगा।

सरदार पटेल का लेखन कार्य:

सरदार पटेल का लेखन उनके द्वारा लिखे गए पत्रों, टिप्पणियों एवं उनके द्वारा दिए गए व्याख्यानों के रूप में एक वृहत् साहित्य के रूप में उपलब्ध है । जिसमें मुख्य है:

  • भारत विभाजन,
  • गांधी, नेहरू, सुभाष,
  • आर्थिक एवं विदेश नीति,
  • मुसलमान और शरणार्थी,
  • कश्मीर और हैदराबाद इत्यादि।

सम्मान और महत्त्वपूर्ण योगदान:

  • स्वतंत्र राष्ट्र में सरदार पटेल ने एकीकरण का मार्गदर्शन किया।
  • अहमदाबाद के हवाईअड्डे का नामकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमान क्षेत्र रखा गया।
  • गुजरात के वल्लभ विद्या सागर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई ।
  • महात्मा गांधी ने उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी थी।
  • सन 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से गुजरात में एकता की मूर्ति (स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी) स्मारक बनाया गया।
  • 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना सरदार की महानतम देन थी।

निष्कर्ष :

किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सूत्रधार थे । राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को सदैव याद किया जायेगा।

भारत में सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान क्या था?

सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी।

सरदार पटेल कौन थे उनका मुख्य योगदान क्या था?

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ थासरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजार भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। 31 अक्टूबर 1875 गुजरात के नाडियाद में सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था

पटेल का राष्ट्रीय एकीकरण में क्या योगदान था?

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नाडियाड गुजरात में हुआ था। वे भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे। भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने (एक भारत) तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने श्रेष्ठ भारत (अग्रणी भारत) बनाने के लिये भारत के लोगों से एकजुट होकर रहने का अनुरोध किया।

स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभभाई पटेल की क्या भूमिका है?

सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और प्रसिद्ध राजनेता थे। भारत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के नेताओं में से वे एक थे। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद पहले तीन वर्ष वे उप प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे थे। । उन्हें भारत के राजनैतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।